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पहाड़िया जनजाति
चर्चा में क्यों?
झारखंड की पहाड़िया जनजाति का लक्ष्य समुदाय के नेतृत्व वाले बैंकों में देशी किस्मों को जमा करके बीज स्वतंत्रता हासिल करना है।
मुख्य बिंदु:
- वर्ष 2019 में, पाकुड़ और गोड्डा के पहाड़ी ज़िलों में चार समुदाय-आधारित बीज बैंक स्थापित किये गए थे। बैंक 90 गाँवों में 1,350 से अधिक परिवारों को सेवाएँ प्रदान करते हैं।
- वे चार पंचायतों के अंतर्गत संचालित होते हैं: बारा पकतरी, बारा सिंदरी, कुंजबोना और कर्मा तरन तथा महिला नेतृत्व वाली समितियों द्वारा प्रबंधित किये जाते हैं।
- बीज बैंकों में पंजीकरण कराने के लिये सदस्यों को 2.5 किलोग्राम देशी बीज जमा करना होगा। राज्य सरकार के कार्यक्रमों के माध्यम से भी बीज उपलब्ध कराये जाते हैं।
- बुआई के मौसम के दौरान, समितियाँ मामले-दर-मामले के आधार पर वितरण का निर्णय लेती हैं। अब तक वे 3,679 किलोग्राम बीज वितरित कर चुके हैं।
- सदस्य वर्तमान में स्टॉक को फिर से भरने के लिये प्रत्येक फसल के बाद 0.5 किलोग्राम बीज प्रदान करते हैं।
- तत्काल मांगें पूरी होने के साथ निवासी अब फसल की पैदावार में सुधार और भोजन में आत्मनिर्भर बनने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
पहाड़िया जनजाति
- वे मुख्य रूप से झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों में रहते हैं। वे राजमहल पहाड़ियों के मूल निवासी हैं, जिन्हें आज झारखंड के संताल परगना डिवीज़न के रूप में जाना जाता है।
- उन्हें पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड की सरकारों द्वारा अनुसूचित जनजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
- वे माल्टो बोलते हैं, जो एक द्रविड़ भाषा है।
- वे झूम कृषि करते हैं जिसमें कुछ वर्षों तक कृषि के लिये वनस्पति जलाकर भूमि साफ करना शामिल है।
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