नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 16 जनवरी से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मध्य प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 16 Mar 2024
  • 0 min read
  • Switch Date:  
मध्य प्रदेश Switch to English

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने PMJVK योजना के तहत परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (PMJVK) योजना के तहत देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV), इंदौर परिसर में जैन अध्ययन केंद्र की स्थापना के लिये 25 करोड़ रुपए की कुल अनुमानित लागत वाली परियोजनाओं को मंज़ूरी दी है।

मुख्य बिंदु:

इन परियोजनाओं को जैन दर्शन के विकास से संबंधित ढाँचागत विकास को मज़बूत करने, अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देने, अंतःविषय अनुसंधान को बढ़ावा देने, पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण के माध्यम से भाषा के संरक्षण, हब स्थापना के माध्यम से सामुदायिक आउटरीच को मंज़ूरी दी गई थी।

  • विश्वविद्यालय द्वारा परियोजना जैन विरासत के संरक्षण, प्रचार, जैन धर्म तथा उसके सिद्धांतों एवं प्रथाओं की वैश्विक समझ को बढ़ाने और सामुदायिक जुड़ाव के लिये समर्थन विकसित करने हेतु शुरू की जाएगी।

प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (PMJVK योजना)

  • केंद्र सरकार ने बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (MsDP) का नाम बदलकर प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (PMJVK) कर दिया है।
  • कार्यक्रम का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों के लिये स्कूल, कॉलेज, पॉलिटेक्निक, गर्ल्स हॉस्टल, ITI, कौशल विकास केंद्र आदि जैसी सामाजिक-आर्थिक और बुनियादी सुविधाएँ विकसित करना है।

जैन धर्म

  • यह छठी शताब्दी ईसा पूर्व में प्रमुखता से उभरा, जब भगवान महावीर ने इस धर्म का प्रचार किया।
  • 24 महान शिक्षक थे, जिनमें से अंतिम भगवान महावीर थे।
  • इन चौबीस शिक्षकों को तीर्थंकर कहा जाता था। जिन्होंने जीवित रहते हुए सभी ज्ञान (मोक्ष) प्राप्त किया था और लोगों को इसका उपदेश दिया था।
  • प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ थे।

जैन साहित्य

  • जैन साहित्य को दो प्रमुख श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:
    • आगम साहित्य: भगवान महावीर के उपदेशों को उनके अनुयायियों द्वारा कई ग्रंथों में व्यवस्थित रूप से संकलित किया गया। इन ग्रंथों को सामूहिक रूप से जैन धर्म के पवित्र ग्रंथ आगम के रूप में जाना जाता है। आगम साहित्य भी दो समूहों में विभाजित है: अंग-आगम और अंग-बह्य-आगम।
    • गैर-आगम साहित्य: इसमें आगम साहित्य और स्वतंत्र कार्यों की व्याख्या शामिल है, जो बड़े भिक्षुओं, ननों तथा विद्वानों द्वारा संकलित है।
      • वे प्राकृत, संस्कृत, पुरानी मराठी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, तमिल, जर्मन और अंग्रेज़ी आदि कई भाषाओं में लिखी गई हैं।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2