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स्टेट पी.सी.एस.

  • 16 Mar 2022
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राजस्थान Switch to English

प्रदेश के प्रत्येक उपखंड में खुलेंगे औद्योगिक क्षेत्र

चर्चा में क्यों?

14 मार्च, 2022 को राजस्थान की उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने विधानसभा में बताया कि देश में पहली बार राजस्थान में अभिनव प्रयोग करते हुए प्रत्येक उपखंड पर औद्योगिक क्षेत्र खोले जाने का निर्णय लिया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • शकुंतला रावत ने कहा कि रीको द्वारा औद्योगिक क्षेत्रों से वंचित 153 उपखंडों में से 129 उपखंडों में भूमि चिह्निनत कर ली गई है और 45 उपखंडों में औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना के लिये 2100 करोड़ रुपए से अधिक की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी गई है।
  • उन्होंने बताया कि गत सरकार द्वारा पूरे कार्यकाल में 2138 औद्योगिक भूखंडों का आवंटन किया गया, वहीं वर्तमान सरकार द्वारा 3 वर्ष में लगभग 4000 भूखंडों का आवंटन किया जा चुका है।
  • जन घोषणा-पत्र की अनुपालना में राजस्थान औद्योगिक विकास नीति-2019 जारी की गई है। इसमें समावेशी और सतत् औद्योगिक विकास, औद्योगिक आधारभूत संरचना, प्रतिस्पर्धी वित्तीय प्रोत्साहन आदि का समावेश किया गया है।
  • वहीं, रीको द्वारा औद्योगिक क्षेत्र विकास में सराहनीय कार्य किये जा रहे हैं। अभी तक 370 औद्योगिक क्षेत्र स्थापित किये गए हैं। इनमें 41600 इकाईयाँ उत्पादनरत् हैं।

मध्य प्रदेश Switch to English

‘मन का मोगरा’ पुस्तक का विमोचन

चर्चा में क्यों?

15 मार्च, 2022 को मध्य प्रदेश की पर्यटन, संस्कृति और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री ऊषा ठाकुर तथा चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने राज्य संग्रहालय में डॉ. साधना गंगराड़े द्वारा लिखित पुस्तक ‘मन का मोगरा’का विमोचन किया।

प्रमुख बिंदु

  • यह पुस्तक पारस्परिक रिश्तों, पर्वों, परंपराओं, संस्कारों, जीवन-मूल्यों और सामाजिक ताने-बाने पर आधारित ललित निबंधों का संकलन है।
  • मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि ‘मन का मोगरा’पुस्तक सामाजिक ताने-बाने को सहेजती है। यह संयुक्त परिवार के मूल्य और आदर्श को समाज के सामने लाती है। यह भावी पीढ़ी के लिये प्रेरणास्रोत है।
  • पुस्तक की लेखिका स्वयं 27 सदस्यों के संयुक्त परिवार में रहती हैं। उनके द्वारा लिखी गई यह पुस्तक नारी के विभिन्न रूपों को आदर्श रूप में समाज के सामने लाती है।

मध्य प्रदेश Switch to English

देश की 13 नदियों के कायाकल्प की परियोजना में नर्मदा का चयन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से वानिकी संबंधी पहलों के माध्यम से 13 प्रमुख नदियों के कायाकल्प पर जारी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) में मध्य प्रदेश की जीवनदायिनी नदी नर्मदा को शामिल किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • विस्तृत परियोजना रिपोर्ट में 13 प्रमुख नदियाँ- झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलुज, यमुना, ब्रह्मपुत्र, लूनी, नर्मदा, गोदावरी, महानदी, कृष्णा और कावेरी शामिल हैं। परियोजना के अंतर्गत 202 सहायक नदियों सहित 13 नदियों की लंबाई 42,830 किमी. है।
  • ये 13 नदियाँ सामूहिक रूप से 18,90,110 वर्ग किमी. के कुल बेसिन क्षेत्र को आच्छादित करती हैं, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 57.45 प्रतिशत है।
  • विस्तृत परियोजना रिपोर्ट वर्ष 2015-16 में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) के हिस्से के रूप में किये गए कार्यों की तर्ज़ पर यह स्वीकार करते हुए तैयार किया गया है कि बढ़ता जल संकट नदी के पारिस्थितिक तंत्र के क्षरण का कारण है।
  • नर्मदा नदी (जिसे रेवा के नाम से भी जाना जाता है) उत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक पारंपरिक सीमा की तरह कार्य करती है। यह अपने उद्गम मैकल पर्वत के अमरकंटक शिखर से पश्चिम की ओर 1,312 किमी. बहते हुए खंभात की खाड़ी में जा मिलती है।
  • यह परियोजना रिपोर्ट एक बहु-स्तरीय, बहु-हितधारक, बहु-विषयक और समग्र दृष्टिकोण पर आधारित है, ताकि ‘अविरल धारा’, ‘निर्मल धारा’और पारिस्थितिक कायाकल्प के व्यापक उद्देश्यों को पूरा किया जा सके।
  • डीपीआर तीन प्रकार के परिदृश्यों में वानिकी हस्तक्षेप और आर्द्रभूमि प्रबंधन के लिये एक समग्र रिवरस्केप दृष्टिकोण अपनाने की क्षमता की पहचान करता है।
  • वानिकी के ज़रिये 13 नदियों के संरक्षण के तहत नदियों के दोनों किनारों पर सघन पौधारोपण किया जाएगा। इससे वन क्षेत्र में 7,417.36 वर्ग किमी क्षेत्रफल की वृद्धि होने की उम्मीद है।
  • प्रस्तावित हस्तक्षेप से 10 साल पुराने वृक्षारोपण से 50.21 मिलियन टन कार्बन डाईआक्साइड तथा 20 साल पुराने वृक्षारोपण से 74.76 मिलियन टन कार्बन डाईआक्साइड कम करने में मदद मिलेगी।
  • 13 नदियों के परिदृश्य में प्रस्तावित हस्तक्षेप से प्रति वर्ष 1889.89 मिलियन घन मीटर ग्राउंड वाटर रिचार्ज होगा तथा तलछट के जमा होने में प्रतिवर्ष 64,83,114 घन मीटर की कमी आएगी।

झारखंड Switch to English

सैफ अंडर-18 महिला फुटबॉल प्रतियोगिता

चर्चा में क्यों?

15 मार्च, 2022 को झारखंड की मेज़बानी में जमशेदपुर के जेआरडी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में सैफ अंडर- 18 (SAFF U-18) महिला फुटबॉल चैंपियनशिप प्रतियोगिता का शुभारंभ हुआ।

प्रमुख बिंदु

  • टूर्नामेंट का उद्घाटन राज्य के खेल और पर्यटन मंत्री हफीजुल हसन, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और विधायक सरयू राय ने संयुक्त रूप से किया।
  • राज्य सरकार, राष्ट्रीय फुटबॉल फेडरेशन और टाटा स्टील के संयुक्त तत्वावधान में इस प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है।
  • उल्लेखनीय है कि राज्य गठन के बाद पहली बार सैफ अंडर- 18 महिला फुटबॉल चैंपियनशिप की मेज़बानी झारखंड को मिली है।
  • 15 से 25 मार्च तक आयोजित चैंपियनशिप में तीन देश-भारत, नेपाल और बांग्लादेश के खिलाड़ी भाग ले रहे हैं ।
  • सैफ अंडर-18 महिला फुटबॉल प्रतियोगिता में भारतीय टीम में झारखंड की 6 खिलाड़ियों- अमीषा बाखला, अस्तम उरांव, सुनीता मुंडा, अनिता कुमारी, नीतू लिंडा और पूर्णिमा कुमारी का चयन हुआ है।
  • प्रतियोगिता का पहला मैच भारत और नेपाल के बीच खेला गया, जिसमें भारतीय टीम ने नेपाल को 7-0 से हराकर अपने सैफ अंडर-18 चैंपियनशिप अभियान की धमाकेदार शुरुआत की।
  • प्रतियोगिता के सभी मैच में लोगों के लिये नि:शुल्क प्रवेश का प्रावधान किया गया है, ताकि ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग मैच देख सकें।

छत्तीसगढ़ Switch to English

‘दि इनक्रेडिबल जर्नी ऑफ कोसा’ पुस्तक का विमोचन

चर्चा में क्यों?

15 मार्च, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा परिसर स्थित अपने कार्यालय कक्ष में कोसा सिल्क की पौराणिक काल से लेकर अब तक की यात्रा, कोसे की साड़ियों और पोशाक सामग्री पर संपादित पुस्तक ‘दि इनक्रेडिबल जर्नी ऑफ कोसा’ का विमोचन किया।

प्रमुख बिंदु

  • यह पुस्तक वरिष्ठ पत्रकार के. एन. किशोर एवं डॉ. राजेंद्र मोहंती द्वारा संपादित है।
  • यह पुस्तक ‘कोसा’ रेशम के पीछे की पौराणिक कथाओं, इसकी ऐतिहासिक उत्पत्ति, भारत में रेशम के आगमन और विकास के बारे में बताने वाले साहित्यिक साक्ष्य और छत्तीसगढ़ में इसके आगमन के संबंध में चर्चा करती है।
  • इसके अलावा यह रेशम के उत्पादन की पारंपरिक प्रक्रिया, धागा बनाने की प्रक्रिया के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के रेशमी कपड़ों, जैसे- साड़ी, ड्रेस सामग्री, फर्निशिंग आदि की प्रक्रिया पर भी चर्चा करती है।
  • यह पुस्तक छत्तीसगढ़ के बेशकीमती हथकरघा कोसा उत्पाद पर एक संक्षिप्त जानकारी देगी और नई पीढ़ियों के लिये ज्ञान के भंडार के रूप में उपयोगी होगी।
  • के. एन. किशोर ने बताया कि यह पुस्तक रेशम की बुनाई के पारंपरिक रूपों के साथ-साथ कोसा की यात्रा, रूपांकनों, रंगों और बुनावट के दस्तावेज़ीकरण तथा कोसा के इतिहास को संरक्षित करने का एक प्रयास है।

छत्तीसगढ़ Switch to English

छत्तीसगढ़ के 6 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन प्रमाण-पत्र

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवा और मरीज़ों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने वाले छत्तीसगढ़ के छह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (NQAS) प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • इसके साथ ही जगदलपुर ज़िला अस्पताल और मुंगेली ज़िले के लोरमी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को प्रसव कक्ष और मैटरनिटी ऑपरेशन थियेटर की उत्कृष्ट सुविधाओं तथा प्रसूताओं एवं गर्भवती महिलाओं की अच्छी देखभाल के लिये ‘लक्ष्य’ प्रमाण-पत्र (LaQshya Certification) प्रदान किया गया है।
  • राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक प्रमाण-पत्र पाने वाले छह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पाँच शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और एक ग्रामीण अंचल का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल है।
  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जशपुर ज़िले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भेलवा, फरसाबहार को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया है।
  • वहीं राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक प्रमाण-पत्र पाने वाले पाँच शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में रायपुर ज़िले के तीन शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चंगोरा भाठा, उरला व भनपुरी, कोरबा ज़िले का ढोढीपारा तथा दुर्ग ज़िले का चरोदा शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं।
  • उल्लेखनीय है कि ‘राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक’ प्रमाण-पत्र और ‘लक्ष्य’ प्रमाण-पत्र प्रदान करने के पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम द्वारा अस्पताल की सेवाओं और संतुष्टि स्तर का कई मानकों पर परीक्षण किया जाता है। इन कड़े मानकों पर खरा उतरने वाले अस्पतालों को ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गुणवत्ता प्रमाण-पत्र जारी किये जाते हैं।

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