राजस्थान Switch to English
राजस्थान के मुख्यमंत्री ने पेट्रोज़ोन के लिये भूमि को मंज़ूरी दी
चर्चा में क्यों?
राजस्थान के औद्योगिक परिदृश्य को बढ़ावा देने के लिये एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक समर्पित पेट्रोज़ोन की स्थापना के लिये भूमि आवंटन को मंज़ूरी दे दी है।
- इस रणनीतिक निर्णय का उद्देश्य क्षेत्र में पर्याप्त निवेश आकर्षित करना और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
मुख्य बिंदु
- भूमि आवंटन हेतु अनुमोदन:
- राजस्थान पेट्रोज़ोन और नए औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना के लिये राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं निवेश निगम (RIICO) को भूमि आवंटन, सौर ऊर्जा परियोजना के लिये राजस्थान सोलर पार्क डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड को भूमि आवंटन तथा चंबल नदी पर आधारित वृहद पेयजल योजना के लिये भूमि आवंटन को मंज़ूरी दी गई है।
- प्रस्तावित पेट्रोज़ोन में विभिन्न पेट्रोकेमिकल उद्योग स्थापित होने की आशा है, जिससे विनिर्माण और प्रसंस्करण गतिविधियों के लिये एक केंद्र का निर्माण होगा।
- अनुकूल वातावरण और विनिर्माण:
- यह पहल राज्य के औद्योगिक बुनियादी ढाँचे को बढ़ाने और व्यवसायों के विकास के लिये अनुकूल वातावरण प्रदान करने के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
- पेट्रोज़ोन के विकास से रोज़गार के अनेक अवसर उत्पन्न होने की संभावना है, जिससे स्थानीय जनसंख्या के सामाजिक-आर्थिक उत्थान में योगदान मिलेगा।
- इसके अतिरिक्त, यह पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में तकनीकी प्रगति और नवाचार का मार्ग प्रशस्त करेगा।
- इस कदम से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों निवेशकों के आकर्षित होने की संभावना है, जिससे राज्य की आर्थिक संभावनाओं को और बढ़ावा मिलेगा।
- राज्य का हाइड्रोकार्बन क्षेत्र:
- राजस्थान में 4 पेट्रोलियम बेसिनों के अंतर्गत हाइड्रोकार्बन की महत्त्वपूर्ण संसाधन क्षमता है।
- ये 4 बेसिन (जैसलमेर बेसिन, बाड़मेर-सांचोर बेसिन, बीकानेर-नागौर बेसिन, विंध्य बेसिन) राज्य के 14 ज़िलों अर्थात् बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, जालौर, जोधपुर, कोटा, झालावाड़, बारां, बूंदी में आते हैं।, भीलवाड़ा, चूरू और चित्तौड़गढ़ 1,50,000 वर्ग किमी. के क्षेत्र में विस्तृत है।
- बाड़मेर-सांचोर बेसिन में मंगला तेल खोज को तीन दशकों में देश की सबसे बड़ी स्थलीय खोजों में से एक माना गया है।
Switch to English