मध्य प्रदेश Switch to English
नदी जोड़ो परियोजना पर चिंता
चर्चा में क्यों ?
एक रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में एक प्रमुख बांध परियोजना, जो महत्त्वाकांक्षी नदी जोड़ो परियोजना का हिस्सा है, को केंद्र सरकार की विशेषज्ञ समिति द्वारा पर्यावरण स्वीकृति का उल्लंघन करते हुए पाया गया है।
मुख्य बिंदु:
- जाँच के दायरे में आने वाली बांध परियोजना लोअर उर बांध है जो वर्ष 2019 में शुरू हुई थी। यह केन-बेतवा नदी जोड़ परियोजना का हिस्सा है।
- नेशनल इंटरलिंकिंग ऑफ रिवर (ILR) का विचार है कि नदियों को आपस में जोड़ा जाना चाहिए, ताकि जल की कमी के मुद्दे को हल करने के लिये अधिशेष नदियों और क्षेत्रों से जल को कमी वाले क्षेत्रों एवं नदियों में स्थानांतरित किया जा सके।
- इसके फलस्वरूप वर्ष 1982 में राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (NWDA) की स्थापना हुई।
- चार प्रमुख परियोजनाएँ जिनके लिये विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की गई हैं: केन-बेतवा लिंक, दमनगंगा-पिंजल लिंक, पार-तापी-नर्मदा लिंक और महानदी-गोदावरी लिंक।
- नदियों को जोड़ने की आलोचना पारिस्थितिक परिणामों, मूल निवासियों के विस्थापन से लेकर इस अभ्यास के त्रुटिपूर्ण आधार तक है।
- जाँच के दायरे में आने वाली लोअर उर परियोजना में एक बांध और एक नहर नेटवर्क का निर्माण शामिल है।
- विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति के निष्कर्षों के अनुसार, वर्ष 2022 तक जब कथित अनियमितताएँ प्रकाश में आईं तो बांध का लगभग 82% तथा नहर नेटवर्क का 33.5% केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की स्वीकृति के बिना पूरा हो चुका था। ।
केन-बेतवा नदी जोड़ परियोजना(KBLP)
- यह नदियों को जोड़ने की राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के तहत पहली परियोजना है, जिसका उद्देश्य जल की कमी को दूर करने और सिंचाई को बढ़ाने के लिये एक नदी बेसिन से अधिशेष जल को दूसरे नदी बेसिन में स्थानांतरित करना है।
- KBLP में मध्य प्रदेश में केन नदी से उत्तर प्रदेश में बेतवा नदी तक जल स्थानांतरित करना शामिल है, ये दोनों यमुना नदी की सहायक नदियाँ हैं।
- परियोजना के दो चरण हैं, जिनमें मुख्य रूप से चार घटक हैं:
- चरण-I में घटकों में से एक शामिल होगा- दौधन बांध परिसर और इसकी सहायक इकाइयाँ, जैसे– निम्न-स्तरीय सुरंग, उच्च-स्तरीय सुरंग, केन-बेतवा लिंक नहर तथा विद्युतघर।
- चरण-II में तीन घटक शामिल होंगे: उर नदी पर लोअर बांध, बेतवा की एक सहायक नदी, बीना कॉम्प्लेक्स परियोजना और कोठा बैराज।
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