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प्राकृतिक खेती के लिये प्रति हेक्टेयर पाँच हज़ार रुपए देगी केंद्र सरकार
चर्चा में क्यों?
14 नवंबर, 2022 को उत्तराखंड के कृषि निदेशक गौरीशंकर ने बताया कि उत्तराखंड में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिये केंद्र सरकार प्रति हेक्टेयर पाँच हज़ार रुपए प्रतिवर्ष किसानों को देगी। इस धनराशि से किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति प्रोत्साहित किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- कृषि निदेशक गौरीशंकर ने बताया कि योजना के तहत पहले साल किसानों को खेती करने के तरीके और खाद बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रदेश में प्राकृतिक खेती के लिये 11 ज़िलों में 128 क्लस्टर का चयन भी किया गया है।
- उन्होंने बताया कि रुद्रप्रयाग व ऊधमसिंह नगर ज़िले को फिलहाल प्राकृतिक खेती योजना में शामिल नहीं किया गया है। अन्य 11 ज़िलों में प्राकृतिक खेती पर काम किया जाएगा। चयनित क्लस्टरों में किसी तरह की रासायनिक खादों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
- केंद्र और राज्य सरकार की ओर से पर्यावरण संरक्षण, मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिये प्राकृतिक खेती पर ज़ोर दिया जा रहा है। केंद्र सरकार ने प्राकृतिक खेती के लिये दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
- प्रदेश सरकार की ओर से प्राकृतिक खेती के लिये लगभग 6400 हेक्टेयर कृषि क्षेत्रफल चयनित किया गया है, जिसमें 50 हेक्टेयर का एक क्लस्टर होगा। प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती के लिये ‘मुख्यमंत्री प्राकृतिक कृषि योजना’शुरू की है। इस योजना के माध्यम से भी किसानों को प्रोत्साहित करने के साथ ही गैप फंडिंग की जाएगी।
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प्रसिद्ध जौलजीबी मेला का हुआ शुभारंभ
चर्चा में क्यों?
14 नवंबर, 2022 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने काली एवं गोरी नदी के संगम स्थल जौलजीबी में भारत और नेपाल सीमा पर आयोजित होने वाले ऐतिहासिक जौलजीबी मेला एवं विकास प्रदर्शनी-2022 का शुभारंभ किया। यह मेला 24 नवंबर तक लगेगा।
प्रमुख बिंदु
- सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय जौलजीबी मेला भारत, नेपाल तथा तिब्बत के पारस्परिक व्यापार को बढ़ावा देता रहा है। यह मेला भारत और नेपाल के बीच संस्कृति, सभ्यता, व्यापारिक संबंधों को बढ़ाकर देश के रिश्तों को ऑक्सीजन देता है।
- अंतर्राष्ट्रीय जौलजीबी मेले के शुभारंभ पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आपदा प्रभावित धारचूला के एलधारा भूस्खलन क्षेत्र का उपचार उत्तरकाशी के वरुणावत पर्वत की तर्ज़ पर किया जाएगा। क्षेत्र की काली नदी सहित सीमा पर अन्य स्थानों के भूस्खलन स्थलों के लिये बृहद् योजना की जा रही है। प्रस्ताव रक्षा और गृह मंत्रालय को भेजे गए हैं।
- उन्होंने कहा कि सीमांत क्षेत्र के विकास के लिये काली नदी पर डबल लेन मोटर पुल का निर्माण किय जा रहा है, जिससे भारत और नेपाल के बीच व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा मिलेगा। क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग का भी निर्माण और चौड़ीकरण किया जा रहा है। इस क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग बन जाने से कैलाश मानसरोवर जाने वाले यात्री इसी मार्ग से होकर जाएंगे, जिससे व्यापार बढ़ेगा और क्षेत्र का विकास होगा।
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70वें राजकीय औद्यौगिक विकास एवं सांस्कृतिक मेले (गौचर मेला) का शुभारंभ
चर्चा में क्यों?
14 नवंबर, 2022 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 70वें राजकीय औद्यौगिक विकास एवं सांस्कृतिक मेले (गौचर मेला) का शुभारंभ किया और मेले के संस्थापक पत्रकार स्व. गोविंद प्रसाद नौटियाल की मूर्ति का अनावरण किया।
प्रमुख बिंदु
- कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने वरिष्ठ पत्रकार रमेश गैरोला ‘पहाड़ी’को गोविंद प्रसाद नौटियाल स्मृति पत्रकार सम्मान से नवाजा। इस मौके पर सीएम ने देवेश जोशी की ओर से ‘कै. धूमसिंह चौहान’पर लिखी पुस्तक का विमोचन भी किया।
- उल्लेखनीय है कि गौचर मेला लगभग 75 वर्षों से आयोजित होता आ रहा है। पहले यह मेला व्यापार के लिये प्रसिद्ध था, मगर समय के साथ मेले का रूप बदला और अब ये सांस्कृतिक मेले के रूप में मनाया जाता है। मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गढ़-कुमाऊँ की संस्कृति दिखती है।
- गौचर मेला अब तक 11 बार अलग-अलग कारणों से नहीं हो पाया। गौचर मेला वर्ष 1943 के नवंबर माह में भोटिया व्यापारिक मेले के नाम से शुरू हुआ था, जो 1953 तक इसी नाम से चलता रहा।
- यह मेला उस समय पूर्णतया एक व्यापारिक मेला था। मेले में मुख्यतया तिब्बती ऊन, तिब्बती पश्मीना ऊन, च्यालकू, बकरियाँ, तिब्बती कालीन, दन, हींग, तिब्बती नमक, कस्तूरा एवं भोटिया चाय का व्यापार होता था, लेकिन 1962 में युद्ध के बाद चीन के साथ आए रिश्तों में तनाव के कारण अचानक तिब्बत के व्यापारिक मार्ग बंद हो गए थे।
- वर्ष 1947 से मेले का आयोजन नवंबर में शुभ तिथि निकालकर किया जाता था। तिब्बत से व्यापार बंद होने के बाद यह मेला औद्योगिक विकास एवं सांस्कृतिक मेले के रूप में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की जयंती पर होने लगा। इस मेले को एक बार ज़िला परिषद चमोली और दो बार टाउन एरिया कमेटी गौचर की ओर से संचालित किया जा चुका है।
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लक्ष्य सेन को मिलेगा राष्ट्रीय खेल पुरस्कार
चर्चा में क्यों?
14 नवंबर, 2022 को युवा कार्य और खेल मंत्रालय ने वर्ष 2022 के राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों की घोषणा की। खेल-कूद और गेम्स में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये देश भर से 25 खिलाड़ी 2022 के अर्जुन पुरस्कार प्राप्त करेंगे, जिनमें उत्तराखंड के अल्मोड़ा के लक्ष्य सेन भी शामिल हैं।
प्रमुख बिंदु
- पुरस्कार विजेता 30 नवंबर, 2022 को राष्ट्रपति भवन में एक विशेष रूप से आयोजित समारोह में भारत की राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त करेंगे।
- 16 अगस्त, 2001 को अल्मोड़ा में जन्मे शटलर लक्ष्य सेन मूलरूप से ज़िले के सोमेश्वर के ग्राम रस्यारा निवासी हैं। इनके दादा जी सीएल सेन ने सिविल सर्विसेस में राष्ट्रीय स्तर की बैडमिंटन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। वहीं कई खिताब अपने नाम किये, जबकि पिता डीके सेन भी वर्तमान में कोच हैं। पहले वह साई के कोच थे।
- लक्ष्य ने ज़िला, राज्य के बाद राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक अपने नाम किये। इसके बाद उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पैठ जमाई। 10 वर्ष की उम्र में लक्ष्य ने इज़राइल में पहला अंतर्राष्ट्रीय खिताब स्वर्ण पदक के रूप में जीता था।
- लक्ष्य ने 8 अगस्त, 2022 को बर्मिंघम में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में बैडमिंटन के पुरुष एकल में स्वर्ण पदक जीता था। फाइनल में उन्होंने मलेशिया के एंग जे योंग को 19-21, 21-9, 21-16 से हराया था। लक्ष्य पिछले साल विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता और वर्ष 2022 में जनवरी में इंडिया ओपन में सुपर 500 का खिताब जीत चुके हैं।
- लक्ष्य ने लिनिंग सिंगापुर यूथ इंटरनेशनल सीरीज़ में स्वर्ण, इज़राइल जूनियर इंटरनेशनल के डबल और सिंगल में स्वर्ण, इंडिया इंटरनेशनल सीरीज़ के सीनियर वर्ग में स्वर्ण, योनेक्स जर्मन जूनियर इंटरनेशनल में रजत, डच जूनियर में कांस्य, यूरेशिया बुल्गारियन ओपन में स्वर्ण, ऐशिया जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण, यूथ ओलंपिक में रजत, वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक समेत कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत को पदक दिलाया है।
- उल्लेखनीय है की खेलों में उत्कृष्टता को पहचानने और पुरस्कृत करने के लिये हर साल राष्ट्रीय खेल पुरस्कार दिये जाते हैं। पिछले चार वर्षों की अवधि में ‘खेल-कूद और गेम्स में उत्कृष्ट प्रदर्शन एवं नेतृत्व, खेल भावना और अनुशासन जैसी खूबियाँ दिखाने के लिये अर्जुन पुरस्कार’ दिया जाता है।
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