उत्तर प्रदेश Switch to English
धान खरीद नीति और उत्तर प्रदेश प्राकृतिक खेती बोर्ड का गठन
चर्चा में क्यों?
13 अक्टूबर, 2022 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में बारिश और बाढ़ की मार झेल रहे किसानों को राहत देने के उद्देश्य से ‘धान खरीद नीति’ की घोषणा सहित कृषि क्षेत्र के लिये कई तरह की छूट और राज्य में ‘उत्तर प्रदेश प्राकृतिक खेती बोर्ड’ के गठन का फैसला लिया गया।
प्रमुख बिंदु
- कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के अनुसार, राज्य मंत्रिमंडल ने नई धान खरीद नीति की घोषणा की है, जिसके तहत सामान्य ग्रेड धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,040 रुपए प्रति क्विंटल और ए ग्रेड धान का 2,060 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है।
- कृषि मंत्री ने बताया कि हरदोई, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, बरेली, मुरादाबाद, मेरठ, सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़ और झाँसी ज़िलों में धान खरीदी की अवधि 1 अक्टूबर से 31 जनवरी तक है और रायबरेली, उन्नाव, चित्रकूट, कानपुर, अयोध्या, बस्ती, गोरखपुर, आज़मगढ़, वाराणसी, मिर्ज़ापुर तथा प्रयागराज के लिये यह अवधि 1 नवंबर से 28 फरवरी तक है।
- उन्होंने कहा कि धान खरीद के लिये ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य है और किसानों से सभी खरीद कंप्यूटर सत्यापित खतौनी और आधार कार्ड के आधार पर की जाएगी। क्रय केंद्रों पर इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ परचेज मशीनों के माध्यम से किसानों के बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण द्वारा धान की खरीद की जाएगी।
- धान की खरीद खाद्य विभाग, पीसीएफ, पीसीयू, मंडी परिषद, यूपीएस और भारतीय खाद्य निगम जैसी छह एजेंसियों के 4,000 खरीद केंद्रों के माध्यम से की जाएगी।
- धान की खरीद के 48 घंटे के भीतर भारत सरकार के पीएफएमएस पोर्टल के माध्यम से सभी क्रय एजेंसियों द्वारा धान की कीमत का भुगतान किया जाएगा।
- कैबिनेट ने मूल्य समर्थन योजना के तहत मोटे अनाज (मक्का और बाजरा) के लिये खरीद नीति तैयार करने के प्रस्ताव को भी मंज़ूरी दी है।
- इस नीति के तहत मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,962 रुपए प्रति क्विंटल और बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,350 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। मक्का और बाजरा की खरीद की अवधि 15 अक्टूबर से 15 दिसंबर तक होगी।
- मक्का बुलंदशहर, हापुड़, बदायूँ, अलीगढ़, एटा, कासगंज, फिरोज़ाबाद, मैनपुरी, हरदोई, उन्नाव, कानपुर नगर, कानपुर देहात, कन्नौज, फर्रुखाबाद, इटावा, औरैया, गोंडा, बहराइच श्रावस्ती, बलिया, जौनपुर, देवरिया, सोनभद्र और ललितपुर ज़िलों से, जबकि बाजरा बुलंदशहर, बरेली, बदायूँ, संभल, अलीगढ़, एटा, कासगंज, हाथरस, आगरा, मथुरा, मैनपुरी, फिरोज़ाबाद, कानपुर देहात, इटावा, औरैया, गाज़ीपुर, जालौन और प्रयागराज ज़िलों से खरीदा जाएगा।
- मक्का और बाजरा की बिक्री के लिये सभी क्रय एजेंसियों पर किसान पंजीकरण और ऑनलाइन खरीद अनिवार्य कर दी गई है। किसानों से मक्का और बाजरा की खरीद कंप्यूटर सत्यापित खतौनी, फोटो पहचान प्रमाण और आधार कार्ड के आधार पर की जाएगी।
- मंत्रिमंडल ने प्रदेश में प्राकृतिक खेती का प्रसार बढ़ाने एवं सतत् मार्गदर्शन हेतु ‘उत्तर प्रदेश प्राकृतिक कृषि बोर्ड’के गठन के प्रस्ताव को भी स्वीकृति प्रदान की।
- मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश प्राकृतिक कृषि बोर्ड के शासी निकाय के अध्यक्ष होंगे, जबकि कृषि और शिक्षा मंत्री उपाध्यक्ष होंगे। वित्त, कृषि विपणन, बागवानी और खाद्य-प्रसंस्करण, पशुपालन और दुग्ध विकास, पंचायती राज और ग्रामीण इंजीनियरिंग, सहकारिता, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग के मंत्री शासी निकाय के सदस्य होंगे।
- मुख्य सचिव, कृषि उत्पादन आयुक्त और पशुधन और दुग्ध विकास, बागवानी और खाद्य प्रसंस्करण, कृषि शिक्षा, कृषि विपणन, पंचायती राज और ग्रामीण विकास, सहकारिता और योजना विभागों के प्रमुख सचिव या अतिरिक्त मुख्य सचिव सदस्य होंगे।
उत्तर प्रदेश Switch to English
मंत्रिमंडल ने दी नई कपड़ा और परिधान नीति को मंज़ूरी
चर्चा में क्यों?
13 अक्टूबर, 2022 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में प्रदेश को कपड़ा हब बनाने हेतु इस क्षेत्र में निजी निवेश आकर्षित करने और सभी इकाइयों का विकास सुनिश्चित करने के लिये एक नई कपड़ा और परिधान नीति को मंज़ूरी दी गई।
प्रमुख बिंदु
- मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश टेक्सटाइल एंड गारमेंटिंग पॉलिसी-2022 को मंज़ूरी दी है तथा इसमें किसी भी तरह का संशोधन करने के लिये मुख्यमंत्री को अधिकृत किया है।
- नई नीति का मुख्य उद्देश्य राज्य को वैश्विक स्तर के परिधान निर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना और कपड़ा उद्योग से संबंधित सभी प्रकार की इकाइयों, जैसे- हथकरघा, पावरलूम, कताई, बुनाई, प्रसंस्करण और परिधान का सतत् विकास करना है।
- नीति का विशिष्ट उद्देश्य कपड़ा और परिधान क्षेत्र में 10,000 करोड़ रुपए के निजी निवेश को आकर्षित करना, पाँच लाख लोगों के लिये रोज़गार के अवसर पैदा करना, निजी क्षेत्र में पाँच कपड़ा और परिधान पार्क विकसित करना तथा हथकरघा और पावरलूम बुनकर की आय में वृद्धि करना है।
- संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि उत्तर प्रदेश की कपड़ा एवं परिधान नीति-2022 में कपड़ा क्षेत्र में निवेश करने वाली इकाइयों को निवेश आकर्षित कर रोज़गार पैदा करने के उद्देश्य से विभिन्न मदों में वित्तीय सुविधाओं के साथ विशेष प्रोत्साहन देने का प्रावधान था।
- यह नीति प्रख्यापन की तारीख से पाँच साल के लिये प्रभावी होगी। इस नीति से राज्य में निवेश बढ़ेगा और तीन लाख रोज़गार के अवसर पैदा होने की संभावना है।
- नई नीति के तहत कपड़ा और वस्त्र इकाइयों को संयंत्र एवं मशीनरी की खरीद पर किये गए निवेश पर 25 प्रतिशत पूंजीगत सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
- इसके अलावा प्रदेश के मध्यांचल क्षेत्र में स्थापित होने वाली कपड़ा एवं वस्त्र इकाईयों को 5 प्रतिशत की दर से और पूर्वांचल एवं बुंदेलखंड में स्थापित होने वाली कपड़ा और वस्त्र इकाइयों को 10 प्रतिशत की दर से अतिरिक्त पूंजीगत अनुदान की प्रतिपूर्ति की जाएगी। पूंजीगत सब्सिडी की सीमा प्रति यूनिट 100 करोड़ रुपए तक सीमित होगी।
उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश डेयरी विकास एवं दुग्ध उत्पाद संवर्धन नीति-2022
चर्चा में क्यों?
13 अक्टूबर, 2022 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश दुग्ध नीति-2018 को समाप्त कर ‘उत्तर प्रदेश डेयरी विकास एवं दुग्ध उत्पाद संवर्धन नीति-2022’ को मंज़ूरी दी।
प्रमुख बिंदु
- उत्तर प्रदेश डेयरी विकास एवं दुग्ध उत्पाद संवर्धन नीति-2022 अधिसूचना जारी होने की तारीख से पाँच साल के लिये प्रभावी होगी।
- इसका मुख्य उद्देश्य निवेशकों की सुविधा के लिये प्रक्रियाओं के सरलीकरण द्वारा राज्य में दूध आधारित उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहित करना है। दुग्ध प्रसंस्करण के स्तर को बढ़ाने के लिये अगले पाँच वर्षों में 5,000 करोड़ रुपए के पूंजी निवेश का लक्ष्य रखा गया है।
- प्रस्तावित नीति में प्रदेश के विभिन्न एफपीओ, सहकारी संस्थाओं और निजी क्षेत्र के उद्यमियों को नई दुग्ध प्रसंस्करण एवं दुग्ध उत्पाद बनाने वाली डेयरी इकाईयाँ उपलब्ध कराई जाएंगी। विनिर्माण इकाइयों की स्थापना और क्षमता विस्तार (मौजूदा क्षमता में न्यूनतम 25 प्रतिशत की वृद्धि) का प्रस्ताव किया गया है।
- नई नीति के तहत प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 1.25 लाख नए रोज़गार सृजित होने का अनुमान है।
राजस्थान Switch to English
जस्टिस पंकज मिथल बने राजस्थान उच्च न्यायालय के 40वें मुख्य न्यायाधीश
चर्चा में क्यों?
14 अक्टूबर, 2022 को राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने राजभवन में जस्टिस पंकज मिथल को राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ दिलाई। जस्टिस मिथल राजस्थान उच्च न्यायालय के 40वें मुख्य न्यायाधीश हैं।
प्रमुख बिंदु
- जस्टिस पंकज मिथल ने हिन्दी भाषा में शपथ ली। इससे पहले जस्टिस पंकज मिथल जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे।
- जस्टिस पंकज मिथल का कार्यकाल लगभग 8 महीने रहेगा। वो 16 जून, 2023 तक राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहेंगे।
- जस्टिस पंकज मिथल का जन्म 17 जून, 1961 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। वर्ष 1982 में उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की और वर्ष 1985 में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से जुड़े मेरठ के एक कॉलेज से एलएलबी कोर्स किया।
- इन्होंने उत्तर प्रदेश बार काउंसिल में प्रेक्टिस शुरू की। 7 जुलाई, 2006 को पहली बार इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जज के रूप में इन्हें नियुक्ति मिली। वर्ष 2021 में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस नियुक्त हुए।
- राजस्थान उच्च न्यायालय में यह तीसरा मौका है, जब मुख्य न्यायाधीश पद पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के किसी जज ने पदभार संभाला है। पहली बार वर्ष 1949 में जस्टिस के.के. वर्मा इस पद पर नियुक्त हुए थे। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे वर्मा राजस्थान हाईकोर्ट के पहले मुख्य न्यायाधीश बने। वे 29 अगस्त, 1950 से 24 जनवरी, 1950 तक इस पद पर रहे। इसके बाद 26 जनवरी, 1950 को देश में संविधान लागू होने के बाद मुख्य न्यायाधीश पद पर कैलाश नाथ को नियुक्ति मिली।
- विदित है कि 1 अगस्त, 2022 को राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसएस शिंदे सेवानिवृत्त हो गए थे, तब से जस्टिस एमएम श्रीवास्तव काम संभाल रहे थे।
- सितंबर 2022 के आखिरी सप्ताह में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) यूयू ललित की अध्यक्षता में हुई सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठक में जस्टिस पंकज मिथल का ट्रांसफर जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट से राजस्थान हाईकोर्ट में करने की सिफारिश की गई थी। इसके बाद केंद्रीय कानून मंत्रालय ने 11 अक्टूबर को जस्टिस पंकज मिथल का तबादला राजस्थान हाईकोर्ट में करने का आदेश निकाला।
मध्य प्रदेश Switch to English
पाँच सिंचाई परियोजनाओं के अमल का मार्ग हुआ प्रशस्त
चर्चा में क्यों?
14 अक्टूबर, 2022 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में संपन्न नर्मदा नियंत्रण मंडल की 75वीं बैठक में प्रदेश में नर्मदा जल उपयोग के लिये 11 हज़ार 540 करोड़ रुपए लागत की 5 सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण कार्यों हेतु निविदाएँ स्वीकृत करने का निर्णय लिया गया।
प्रमुख बिंदु
- इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन से मध्य प्रदेश के हिस्से के 223 एमएएफ नर्मदा जल का उपयोग सुनिश्चित होगा। इन परियोजनाओं के निर्माण से लगभग 2 लाख 14 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी और 100 मेगावाट विद्युत उत्पादन भी होगा।
- बैठक में जो निविदाएँ स्वीकृत की गईं, उनमें डिंडोरी ज़िले की अपर नर्मदा 45 हज़ार 600 हेक्टेयर, होशंगाबाद ज़िले की दूधी 55 हज़ार 410 हेक्टेयर, नरसिंहपुर ज़िले की शक्कर-पेंच लिंक 95 हज़ार 839 हेक्टेयर, मंडला ज़िले की बसानिया 8 हज़ार 780 हेक्टेयर एवं सीहोर ज़िले की डोबी 8 हज़ार 544 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की परियोजनाएँ शामिल हैं।
- मुख्यमंत्री ने बरगी परियोजना की स्लीमनाबाद टनल का कार्य जून 2023 तक पूर्ण करने के निर्देश दिये। टनल के बाद निकलने वाली रीवा शाखा नहर के लिये भी दो ग्रुप में निविदाएँ स्वीकृत की गईं। इनसे 42 हज़ार 700 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा निर्मित होगी।
झारखंड Switch to English
तीसरा झारखंड विज्ञान फिल्म महोत्सव
चर्चा में क्यों?
14 अक्टूबर, 2022 को बीएसएल के प्रभारी निदेशक अमरेंदु प्रकाश ने बीएसएल के मानव संसाधन विकास केंद्र के मुख्य सभागार में साइंस फॉर सोसाइटी (झारखंड) और बीएसएल के संयुक्त तत्वावधान में दोदिवसीय तीसरे झारखंड साइंस फिल्म महोत्सव का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत फिल्म ‘लाइफ ऑफ स्नेल’ की स्क्रीनिंग के साथ हुई। उत्तरी छोटानागपुर पर केंद्रित इस फेस्टिवल में पद्मश्री सिमोन उराँव पर आधारित ‘झरिया’और युवा फिल्मकार अनिरुद्ध उपाध्याय की शॉर्ट फिल्म ‘कमीज’समेत कई अन्य फिल्मों का प्रदर्शन होगा।
- इस दोदिवसीय विज्ञान फिल्म महोत्सव में देश के विभिन्न राज्यों के निर्देशकों द्वारा निर्देशित फिल्में, जैसे- ग्रीन, डीके, वाटर वारियर, एन इंजीनियर्ड ड्रीम, ब्रावो बनाना, अरुणाचल वर्चुअल आर्काइव, वादे, द ग्रेनिता स्टोरी, आउटकम साउंड्स फ्रॉम बुक्स एंड बैग्स, कमीज, कोरल वोमन तथा जादव मोलाई पायेंग जैसी फिल्में प्रदर्शित की जाएंगी।
- उल्लेखनीय है कि झारखंड के बोकारो और गिरिडीह में इस महोत्सव का आयोजन साइंस फॉर सोसाइटी, बोकारो यूनिट और शिक्षा विभाग, सेल, बोकारो स्टील प्लांट के सहयोग से किया जा रहा है, जहाँ दो दिनों में 15 से अधिक फिल्में दिखाई जाएंगी।
- इन फिल्मों में डाक्यूमेंट्री, शॉर्ट फिल्म, एनीमेशन शामिल हैं। इस दौरान झारखंड के अलावा प. बंगाल, केरल, उत्तर-पूर्वी भारत, तमिलनाडु, राजस्थान, तेलंगाना, लद्दाख आदि राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों की फिल्में दिखाई जाएंगी।
छत्तीसगढ़ Switch to English
छत्तीसगढ़ में कोयला खनन से प्राप्त राजस्व में उत्तरोत्तर वृद्धि
चर्चा में क्यों?
14 अक्टूबर, 2022 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ में विगत तीन वर्षों में कोयला खनन से प्राप्त राजस्व में उत्तरोत्तर वृद्धि दर्ज करते हुए 7 हज़ार 217 करोड़ रुपए के राजस्व की प्राप्ति हुई है।
प्रमुख बिंदु
- इनमें राज्य को कोयला खनन से प्राप्त राजस्व वर्षवार 2019-20 में 2 हज़ार 337 करोड़ रुपए, 2020-21 में 2 हज़ार 356 करोड़ रुपए तथा 2021-22 में 2 हज़ार 524 करोड़ रुपए है। यह उपलब्धि राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ खनिज भंडारण नियम 2009 के कुशल क्रियान्वयन से हासिल हुई है।
- गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ खनिज भंडारण नियम, 2009 के तहत विशेष परिस्थिति में खनिज पट्टेधारियों एवं अनुज्ञप्तिधारियों को खनिज प्रेषण पूर्व ज़िला कार्यालय को प्रस्तावित खनिज की मात्रा, ग्रेड प्राप्तकर्त्ता इत्यादि विषयक जानकारी दिये जाने के प्रावधान हैं।
- प्रदेश में कोयला खदानों का संचालन एवं प्रेषण प्रमुख रूप से भारत सरकार के उपक्रम एसईसीएल द्वारा किया जाता है। एसईसीएल द्वारा विभिन्न स्कीम, यथा-लिंकेज, ई-ऑक्शन आदि के माध्यम से पावर एवं नॉनपावर श्रेणी के अनुसार विभिन्न उपभोक्ताओं को कोयला प्रदान किया जाता है।
- कोयले पर राज्य शासन को देय रॉयल्टी एसईसीएल द्वारा स्कीम अनुसार प्रदान किये जा रहे कोयले के बेसिक सेल प्राईस का 14 प्रतिशत होती है। स्कीमवाईज पावर एवं नॉन-पावर श्रेणी एवं ग्रेडवाईस कोयले के बेसिक सेल प्राईस में व्यापक अंतर होता है।
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