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गुमला, सिमडेगा व हज़ारीबाग ज़िले में होगा महाझींगा मछली का पालन
चर्चा में क्यों?
- 13 सितंबर, 2023 को झारखंड के मत्स्य विभाग ने केंद्रीय अंतर स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) बैरकपुर, कोलकाता के सहयोग से राज्य के जलाशयों में महाझींगा संवर्धन के माध्यम से जनजातीय समुदायों की आजीविका में सुधार के लिये पहल की है, जिसके अंतर्गत राज्य के गुमला, सिमडेगा व हज़ारीबाग ज़िलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत मत्स्य पालक किसानों से महाझींगा का पालन कराया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- आईसीएआर के प्रिंसिपल साइंटिस्ट एके दास ने मत्स्य पालक किसानों को बताया कि झारखंड का केज कल्चर पूरे देश में नंबर वन पर है। इस प्रकार अब यहाँ महाझींगा को भी नंबर वन बनाना है, जिसके लिये यह पायलट प्रोजेक्ट बनाया गया है।
- प्रोजेक्ट के तहत 16 व 18 सितंबर, 2023 को गुमला के मसरिया बांध व हज़ारीबाग में दो-दो लाख तथा सिमडेगा के केलाघाघ में चार लाख महाझींगा मछली के बीज डाले जाएंगे। इसके बाद राँची में 20 सितंबर को राज्यस्तरीय बैठक होगी।
- राज्य के एसटी-एससी वर्ग के लोगों को मात्स्यिकी के क्षेत्र, विशेषकर महाझींगा पालन में बढ़ावा देने के लिये शुरू हुआ पायलट प्रोजेक्ट महाझींगा पालन व किसानों की आर्थिक उन्नति में मील का पत्थर साबित होगा।
- विदित है कि मछली में भरपूर मात्रा में पौष्टिक तत्त्व पाए जाते हैं, जो शरीर की कई तरह की बीमारियों व शारीरिक कमज़ोरियों, विशेषकर कुपोषण को दूर करने में बहुत ही कारगर है। लेकिन, महाझींगा उन सभी मछलियों से भी अधिक कारगर है।
- साथ ही अन्य मछलियों की अपेक्षा महाझींगा और भी अधिक महँगी है। यह मछली 400-500 रुपए प्रतिकिलो की दर से बिकती है।
- महाझींगा पालन कर किसान अपने सपनों को साकार कर सकते हैं, क्योंकि अन्य मछलियों की अपेक्षा महाझींगा मछली महँगी है। राज्य में मछली पालन के क्षेत्र में तरक्की हो रही है। मछली पालन करनेवाले लोग आर्थिक उन्नति कर रहे हैं।
- इसका पालन करने में राज्य सरकार किसानों का सहयोग करेगी और मछली तैयार होने के बाद इसका सारा लाभ किसानों को मिलेगा। इसे भोजन के रूप में उपयोग किया जा है और बाज़ार में बिक्री कर आर्थिक आमदनी कर सकते हैं।
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राँची में 17 सितंबर को लॉन्च होगी प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना
चर्चा में क्यों?
- 13 सितंबर, 2023 को राँची के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने बताया कि राँची में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना 17 सितंबर को लॉन्च होगी।
प्रमुख बिंदु
- इस योजना का लाभ लोहार, कुम्हार, राजमिस्त्री, धोबी, फूल कारोबारी, मछली का जाल बुनने वाले, ताला व चाबी बनाने वाले व मूर्तिकार इसके अलावा अन्य क्षेत्र के श्रमिकों को भी दिया जाएगा।
- योजना के तहत पहले चरण में एक लाख रुपए तक का कर्ज़ पाँच फीसदी के ब्याज पर मिलेगा तथा दूसरे चरण में योग्य कामगारों को दो-दो लाख रुपए का रियायती कर्ज़ मिलेगा।
- कारीगरों और शिल्पकारों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाण-पत्र और पहचान-पत्र भी दिया जाएगा। वहीं आधुनिक उपकरण खरीदने के लिये 15 हज़ार रुपए की आर्थिक मदद भी दी जाएगी।
- इस योजना के तहत लाभ पाने के लिये न्यूनतम आयु 18 साल रखी गई है। परिवार के एक ही सदस्य को इस योजना का लाभ मिलेगा। आवेदन करने वालों को स्व-घोषणा पत्र भी देना होगा।
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