झारखंड Switch to English
रोगियों के प्रति भेदभाव समाप्त करने का अभियान
चर्चा में क्यों?
सूत्रों के अनुसार, झारखंड में ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (Human Immunodeficiency Virus- HIV) रोगियों के खिलाफ भेदभाव को खत्म करने के लिये जागरूकता उत्पन्न करने हेतु 1 सितंबर, 2024 को एक अभियान शुरू किया जाएगा।
मुख्य बिंदु:
- इसकी घोषणा डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के सभागार में गहन IEC (सूचना, शिक्षा, संचार) अभियान के शुभारंभ के दौरान की गई।
- झारखंड राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी के परियोजना निदेशक के अनुसार यह अभियान ज़िला, प्रखंड और गाँव स्तर पर चलाया जाएगा।
- अभियान के माध्यम से विशेषकर युवाओं को HIV और यौन संचारित रोगों के प्रति जागरूक किया जाएगा।
ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (Human Immunodeficiency Virus- HIV)
- परिचय:
- HIV एक वायरस है जो मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को क्षति पहुँचाता है।
- यह मुख्य रूप से CD4 प्रतिरक्षा कोशिकाओं को लक्षित करता है और उन्हें नुकसान पहुँचाता है, CD4 प्रतिरक्षा कोशिकाएँ संक्रमण तथा बीमारियों से लड़ने की शरीर की क्षमता के लिये आवश्यक होती हैं।
- HIV समय बीतने के साथ प्रतिरक्षा प्रणाली को कमज़ोर कर देता है, जिससे शरीर विभिन्न प्रकार के संक्रमण और कैंसर की चपेट में आ जाता है।
- संचरण:
- इसके संचरण के प्राथमिक स्रोत- रक्त, शुक्राणु, यौनिक तरल पदार्थ, स्तनपान आदि माने जाते हैं।
- गंभीरता:
- यदि उपचार नहीं किया जाता है, तो वायरस किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को नष्ट कर देता है तथा उसे एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिसिएंसी सिंड्रोम (AIDS) चरण में कहा जाता है, जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली के कमज़ोर होने के कारण कई अन्य संक्रमण घेर लेते हैं जिसके परिणामस्वरूप मृत्यु हो सकती है।
- उपचार:
- हालाँकि वर्तमान में संक्रमण का कोई इलाज नहीं है, लेकिन एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) का उपयोग करके वायरस को नियंत्रित किया जा सकता है।
- ये दवाएँ शरीर के भीतर वायरस की प्रतिकृति बनाने की क्षमता को कम कर देती हैं, जिससे CD4 प्रतिरक्षा कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि हो जाती है।
- हालाँकि वर्तमान में संक्रमण का कोई इलाज नहीं है, लेकिन एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) का उपयोग करके वायरस को नियंत्रित किया जा सकता है।
झारखंड Switch to English
झारखंड में 'ढाका' लिखा हुआ घायल गिद्ध मिला
चर्चा में क्यों?
हाल ही में झारखंड के हज़ारीबाग ज़िले में एक बाँध में एक लुप्तप्राय सफेद पीठ वाला गिद्ध घायल अवस्था में पाया गया। गिद्ध के एक पैर में धातु की अँगूठी थी, जिस पर 'ढाका' शब्द लिखा हुआ था।
मुख्य बिंदु
- पुलिस को संदेह है कि ढाका के पक्षी शोधकर्त्ता जॉन मालोट, जो ब्रिटेन स्थित रॉयल सोसाइटी फॉर प्रोटेक्शन ऑफ बर्ड्स से जुड़े हैं, ने ढाका से झारखंड तक पक्षी की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिये गिद्ध को सौर ऊर्जा चालित रेडियो ट्रैकिंग कॉलर पहनाने के बाद उसे छोड़ दिया।
सफेद पीठ वाला भारतीय गिद्ध
- वे मध्यम आकार के, गहरे रंग के गिद्ध हैं।
- वैज्ञानिक नाम: जिप्स बंगालेंसिस Gyps bengalensis
- वितरण: पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्याँमार (बर्मा), थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया और दक्षिणी वियतनाम।
- निवास स्थान: ज़्यादातर मैदानी इलाकों में और कम बार पहाड़ी इलाकों में पाए जाते हैं। खेती के नज़दीक के गाँवों तथा शहरों में भी देखे जा सकते हैं।
- विशेषताएँ:
- वयस्क 75 से 85 सेमी. लंबे होते हैं।
- गर्दन पर सफेद रफ, दुम और पंखों के नीचे का आवरण।
- वयस्कों का रंग काला होता है, जबकि युवा भूरे रंग के होते हैं।
- उनके पंखों का फैलाव 180 से 210 सेमी. होता है।
- वज़न: 3.5 से 7.5 किलोग्राम तक होता है।
- IUCN स्थिति: गंभीर रूप से लुप्तप्राय
Switch to English