कृषि मंत्रियों की राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस | राजस्थान | 15 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
14 जुलाई, 2022 को राजस्थान के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने बंगलुरू में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में आयोजित राज्यों के कृषि मंत्रियों की राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया।
प्रमुख बिंदु
- राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा ‘समृद्ध किसान खुशहाल राजस्थान’ की सोच के साथ कृषि के लिये अलग से बजट पेश किया गया, जिसमें कृषक कल्याण कोष की राशि 2 हज़ार करोड़ रुपए से बढ़ाकर 5 हज़ार करोड़ रुपए की गई है।
- विगत साढ़े तीन साल में 150 लाख पात्र फसल बीमा पॉलिसीधारक कृषकों को 16 हज़ार करोड़ रुपए के बीमा क्लेम वितरित किये गए।
- खरीफ 2021 से फसल बीमा पॉलिसियाँ वितरित करने वाला राजस्थान देश में प्रथम राज्य है। भारत सरकार ने भी सभी राज्यों को इसका अनुसरण करने के निर्देश दिये हैं।
- कॉन्फ्रेंस में कृषि मंत्री ने बताया कि विभाग द्वारा ‘राज किसान साथी पोर्टल’ बनाया गया है, जो किसानों एवं कृषि व्यवसायियों के लिये एकल खिड़की के रूप में काम कर रहा है। इसमें कृषि से संबंधित सभी विभागों द्वारा संचालित योजनाओं की सूचनाएँ, अनुदान सहायताएँ, लाइसेंस एवं पंजीयन आदि की सुविधा उपलब्ध है। इस पोर्टल के माध्यम से अब तक लगभग 700 करोड़ रुपए डी.बी.टी. के माध्यम से किसानों को हस्तांतरित किये गए हैं।
- ‘राजस्थान जैविक खेती मिशन’ के लिये कृषि बजट में 600 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, जिसके तहत 3 लाख 80 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र में वृद्धि की जाएगी। कृषि विपणन प्रसंस्करण व निर्यात को बढ़ावा देने के लिये राज्य में कार्यरत् 120 कृषक उत्पादक संगठनों को सुदृढ़ किया जाएगा।
- उन्होंने बताया कि राज्य की सभी कृषि उपज मंडियों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। 136 मंडी समितियों में ऑयल टेस्टिंग मशीन, ग्रेन फिजिकल एनालाइजर मशीन एवं वेईंग स्केल मशीन आदि उपकरणों की स्थापना की जा चुकी है।
- नेनो यूरिया (तरल) उर्वरक के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये ज़िलास्तरीय कार्यशालाएँ एवं किसान गोष्ठियों द्वारा व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। अब तक राज्य में 17 लाख नेनो यूरिया बॉटल्स का वितरण किया जा चुका है।
- कृषि मंत्री ने बताया कि बाजरा, ज्वार और अन्य छोटे मिलेट्स के मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देने के लिये ‘राजस्थान मिलेट संवर्धन मिशन’ शुरू किया गया है। इसको प्रोत्साहन व नवीनतम तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने की दृष्टि से जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत 5 करोड़ रुपए की लागत से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर मिलेट्स की स्थापना की जाएगी।
- जैव उर्वरकों के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिये वर्ष 2021-22 के दौरान 1 लाख किसानों को नि:शुल्क जैव उर्वरक का वितरण किया गया। सरकार द्वारा डी.ए.पी. के विकल्प के रूप में सिंगल सुपर फास्फेट के प्रयोग को प्रोत्साहित किया गया, जिसके फलस्वरूप राज्य में पहले जहाँ 50 लाख मीट्रिक टन एस.एस.पी. का उपयोग होता था, वहीं इस वर्ष रिकॅार्ड 7.10 लाख मीट्रिक टन एस.एस.पी. का वितरण हुआ।
- कॉन्फ्रेंस में कृषि मंत्री कटारिया ने अपने सुझाव प्रस्तुत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत बैंकों द्वारा पोर्टल पर गलतियों के कारण पिछले वर्षों में 1 लाख 10 हज़ार प्रकरण केंद्र द्वारा गठित समिति को प्रेक्षित किये गए थे, जिनका शीघ्र निस्तारण कर किसानों को राहत प्रदान की जाए।
- उन्होंने नेचुरल फार्मिंग एवं भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति योजना को शीघ्र लागू किये जाने का सुझाव भी दिया।
- उन्होंने राज्य में हो रही जैतून की खेती के संबंध में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विस्तृत अध्ययन एवं अनुसंधान तथा रबी के मौसम में राज्य में मांग के अनुरूप उर्वरक उपलब्ध करने की आवश्यकता भी बताई।
मध्य प्रदेश पर्यटन क्विज प्रतियोगिता, 2022 | मध्य प्रदेश | 15 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
14 जुलाई, 2022 को प्रमुख सचिव, पर्यटन और प्रबंध संचालक टूरिज्म बोर्ड शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि स्कूली विद्यार्थियों को प्रदेश के पर्यटन से परिचित कराने एवं पर्यटन के माध्यम से सीखने की प्रक्रिया को विकसित करने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा ‘मध्य प्रदेश पर्यटन क्विज प्रतियोगिता, 2022’ आयोजित की जा रही है।
प्रमुख बिंदु
- यह प्रतियोगिता मध्य प्रदेश टूरिज्म बोर्ड द्वारा स्कूल शिक्षा पर्यटन विकास निगम, ज़िला प्रशासन और जिला पुरातत्त्व पर्यटन और संस्कृति परिषद के सहयोग से आयोजित की जा रही है।
- इस प्रतियोगिता से विद्यार्थी प्रदेश के समृद्धशाली इतिहास, परंपराओं, ऐतिहासिक धरोहर, सांस्कृतिक रंगों, स्थानीय कला, प्राकृतिक समृद्धि, महापुरुषों और पर्यटन महत्त्व की संभावनाओं आदि से परिचित होंगे।
- प्रतियोगिता से बच्चों में पर्यटन के लिये मध्य प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के प्रति आकर्षण के साथ पर्यटन संबंधी जानकारी बढ़ेगी।
- प्रतियोगिता में शासकीय, अशासकीय, सीबीएसई और केंद्रीय विद्यालयों के कक्षा 9वीं से 12वीं तक अध्ययनरत् विद्यार्थी भाग ले सकेंगे।
- प्रतियोगिता की विजेता और उप-विजेता टीमों को पर्यटन निगम के होटल्स के टूर पैकेज सहित प्रमाण-पत्र और मेडल दिये जाएंगे। पर्यटन बोर्ड द्वारा 2016 से कोविड काल को छोड़कर प्रतिवर्ष यह प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है।
- पर्यटन क्विज प्रतियोगिता दो स्तर पर होगी। पहले चरण में ज़िलास्तरीय प्रतियोगिता 24 अगस्त को होगी। ज़िलास्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने वाली 3 सदस्यीय टीम का चयन प्रतियोगिता से संबंधित विद्यालय के प्राचार्य विद्यालय स्तर पर करेंगे।
- हर ज़िले की प्रथम तीन विजेता टीमों को 2 रात और 3 दिन तथा तीन उप-विजेता टीमों को एक रात और 2 दिन पर्यटन विकास निगम के होटल में नि:शुल्क ठहरने का कूपन दिया जाएगा। इसमें पर्यटन स्थल तक आने-जाने, भोजन, स्थानीय भ्रमण आदि का व्यय शामिल होगा। ज़िला स्तर पर पहले स्थान पर आई टीम दूसरे चरण में राज्य स्तर पर प्रतियोगिता में भाग लेगी।
- ज़िलास्तरीय प्रतियोगिता दो चरण में होगी। पहले चरण में लिखित प्रश्नोत्तरी और दूसरे चरण में ऑडियो-विजुअल प्रश्न शामिल होंगे। लिखित प्रश्नोत्तरी में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाली 6 टीमों को ऑडियो-विजुअल चरण में प्रवेश दिया जाएगा।
- दोनों चरण में प्रदेश के पर्यटन एवं पर्यटन से संबंधित परिक्षेत्र, कला, संवर्धन, अध्यात्म, ऐतिहासिक धरोहर, प्राकृतिक, सांस्कृतिक परिवेश एवं प्रदेश में फिल्मांकित फिल्म आदि से संबंधित प्रश्न होंगे। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ में मध्य प्रदेश के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े स्थलों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी से संबंधित प्रश्न भी शामिल किये जाएंगे।
समर अभियान के अंतर्गत कुपोषण एवं एनीमिया जाँच के लिये आँगनबाड़ी केंद्र पर चलेगा विशेष अभियान | झारखंड | 15 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
13 जुलाई, 2022 को झारखंड राज्य पोषण मिशन के महानिदेशक राजेश्वरी बी ने राज्य के 5 ज़िलों के उपायुक्तों को पत्र लिखकर 15 जुलाई से 31 जुलाई, 2022 तक पंचायत एवं प्रखंडवार संदिग्ध कुपोषण एवं एनीमिया वाले बच्चों एवं महिलाओं की जाँच के लिये समर अभियान के तहत एक विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिये।
प्रमुख बिंदु
- यह विशेष अभियान प्रदेश के पाँच ज़िलों- लातेहार, चतरा, पश्चिमी सिंहभूम, सिमडेगा एवं साहिबगंज में चलाया जाएगा।
- राजेश्वरी बी ने कहा कि 5 जुलाई, 2022 को समर अभियान की प्रगति पर की गई समीक्षा में यह पाया गया कि लगभग 20,492 कुपोषण एवं एनीमिया के संदिग्ध मामले राज्य में हैं, जिनमें से अब तक केवल 641 की जाँच आँगनबाड़ी केंद्रों पर की गई है।
- कुल 19,851 कुपोषण एवं एनीमिया के संदिग्ध मामलों की जाँच की जानी है। इस हेतु 15 से 31 जुलाई, 2022 तक विशेष अभियान चलाकर कुपोषण एवं एनीमिया की जाँच का व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित किया जाए।
- कुपोषण व एनीमिया के सभी मामले की सूची SAAMAR App में आँगनबाड़ी केंद्र पर होने वाली जाँच पर उपलब्ध है। आँगनबाड़ी सेविका यह सुनिश्चित करेंगी कि पोषण ट्रैकर में पूर्व से चिह्नित अति गंभीर कुपोषित बच्चे की सूचना SAAMAR APP में संकलित कर ली जाए। आँगनबाड़ी गाँव स्तर पर प्रत्येक दिन कैंप लगाकर ए.एन.एम. की उपस्थिति में सभी संदिग्ध मामलों में कुपोषण (वज़न, लंबाई, ऊँचाई, चिकित्सकीय जाँच, भूख की जाँच) एवं एनीमिया की जाँच सुनिश्चित की जाएगी।
- उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया है कि प्रतिदिन की प्रगति प्रतिवेदन समर डैश बोर्ड पर संकलित हो और प्रत्येक सप्ताह उपायुक्त की अध्यक्षता में बैठक आयोजित कर वस्तुस्थिति की समीक्षा की जाए।
- 6 माह से 5 वर्ष तक के अति गंभीर कुपोषण से ग्रसित बच्चों (SAM), जिनमें कोई चिकित्सीय बीमारी नहीं है एवं वह बच्चा भूख की जाँच में पास है, का उपचार कम-से-कम 4 माह तक समुदाय आधारित प्रबंधन आँगनबाड़ी केंद्र (SAM) में 11 चरण को अपनाते हुए किया जाएगा।
- चरण-1 : सामुदायिक गतिशीलता
- चरण-2 : संदिग्ध मामलों की स्क्रीनिंग व शारीरिक नाप
- चरण-3 : अति गंभीर कुपोषित बच्चों का चिकित्सकीय आकलन
- चरण-4 : अति गंभीर कुपोषित बच्चों की भूख की जाँच करना
- चरण-5 : STC में रखना चाहिये या MTC को रेफर करना चाहिये
- चरण-6 : पोषणात्मक उपचार
- चरण-7 : SAM KIT (दवाईयाँ)
- चरण-8 : पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा
- चरण-9 : बच्चों का फालोअप
- चरण-10 : डिस्चार्ज देने के मापदंड
- चरण-11 : डिस्चार्ज पाने के बाद फालोअप
- जन्म से 6 माह तक के अति गंभीर कुपोषण से ग्रसित बच्चों (SAM) का उपचार कुपोषण उपचार केंद्र पर किया जाएगा।
- जन्म से 5 वर्ष तक के अति गंभीर कुपोषण से ग्रसित बच्चों (SAM), जिनमें कोई चिकित्सीय बीमारी है एवं वह बच्चा भूख की जाँच में फेल है, का उपचार कुपोषण उपचार केंद्र पर किया जाएगा।
- एनीमिया से ग्रसित बच्चे/किशोरी/युवती एवं गर्भवती महिलाओं का उपचार एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत किया जाएगा।
मंत्रिपरिषद की बैठक के महत्त्वपूर्ण निर्णय | छत्तीसगढ़ | 15 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
14 जुलाई, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ मंत्री (वेतन तथा भत्ता) अधिनियम, 1972 में संशोधन विधेयक, 2022 के प्रारूप का अनुमोदन के साथ ही कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गए।
प्रमुख बिंदु
- मंत्रिपरिषद की बैठक में राज्य में प्रचलित मछली नीति के स्थान पर नई मछलीपालन नीति लागू करने का अनुमोदन किया गया। नवीन मछलीपालन नीति में मछुआरों को उत्पादकता बोनस दिये जाने का प्रावधान किया गया है।
- प्रदेश में स्वीकृत सहायक आरक्षकों के पदों को समाप्त कर डिस्ट्रिक्ट स्ट्राइक फोर्स संवर्ग के सृजन की स्वीकृति के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया। इससे पुलिस विभाग के सहायक आरक्षकों की वेतन संबंधी विसंगति दूर होगी और प्रदेश के समस्त सहायक आरक्षकों को नियमित वेतनमान प्राप्त होगा।
- स्थानांतरण नीति, 2022 के परिप्रेक्ष्य में यह निर्णय लिया गया कि इस संबंध में मंत्रिमंडलीय उप-समिति का गठन किया जाएगा, जिसके सुझाव/अनुशंसा के आधार पर मुख्यमंत्री का अनुमोदन प्राप्त किया जाएगा।
- प्रथम अनुपूरक अनुमान वर्ष 2022-2023 का विधानसभा में उप-स्थापन बाबत् छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक, 2022 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
- विधानसभा के माननीय अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष एवं सदस्यों के वेतन एवं भत्तों संशोधन विधेयक, 2022 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
- छत्तीसगढ़ मंत्री (वेतन तथा भत्ता) अधिनियम, 1972 में संशोधन विधेयक, 2022 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
- मुख्यमंत्री के स्वेच्छानुदान मद में प्रावधानित वार्षिक राशि 40 करोड़ रुपए की सीमा को बढ़ाकर 70 करोड़ रुपए किये जाने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
- वर्ष 2022-23 के लिये आबकारी राजस्व लक्ष्य एवं गोठान के विकास तथा अन्य विकास गतिविधियों के लिये अतिरिक्त राशि की आवश्यकता की प्रतिपूर्ति हेतु ‘अतिरिक्त आबकारी शुल्क’ में वृद्धि किये जाने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
- विघटित परिवहन निगम के अधिकारियों/कर्मचारियों की असामयिक मृत्यु होने पर आश्रित परिवार के सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने की प्रक्रिया में आवश्यक संशोधन किया गया।
- छत्तीसगढ़ भू-जल (प्रबंधन और विनियमन) विधेयक, 2022 के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
- छत्तीसगढ़ राज्य गठन के पूर्व एवं पश्चात् मोटरयानों पर बकाया कर के एकमुश्त निपटान योजना-2020 (One Time Settlement) की मियाद अवधि 1 अप्रैल, 2022 से मार्च 2023 तक बढ़ाने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
- औद्योगिक एवं आर्थिक मंदी के दुष्प्रभाव के कारण एचह्वी-4 श्रेणी के स्टील उद्योग के अंतर्गत स्टेंड एलोन रोलिंग मिल को प्रतिस्पर्धा में टिके रहने के लिये राज्य शासन द्वारा विशेष राहत पैकेज अंतर्गत ऊर्जा प्रभार में 1 जुलाई, 2022 से 31 मार्च, 2023 तक छूट दिये जाने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
- छत्तीसगढ़ विद्युत शुल्क अधिनियम, 1949 (क्रमांक ग सन् 1949) में और संशोधन विधेयक के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।
नवीन मछलीपालन नीति को कैबिनेट ने दी मंज़ूरी | छत्तीसगढ़ | 15 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
14 जुलाई, 2022 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ राज्य में नवीन मछलीपालन नीति को मंज़ूरी दी गई।
प्रमुख बिंदु
- नवीन मछलीपालन का उद्देश्य राज्य में उपलब्ध संपूर्ण जल क्षेत्र को मत्स्यपालन के अंतर्गत लाते हुए मत्स्य उत्पादकता में वृद्धि करने के साथ ही गुणवत्तायुक्त मत्स्य बीज उत्पादन तथा मत्स्यपालन को बढ़ावा देकर लोगों को स्वरोज़गार प्रदान करना है।
- नवीन मछलीपालन नीति में राज्य के मछुआरों को उत्पादकता बोनस दिये जाने का प्रावधान भी किया गया है। उत्पादकता बोनस की यह राशि छत्तीसगढ़ राज्य मत्स्य महासंघ को जलाशयों एवं बैराज की नीलाम से प्राप्त होने वाली राशि की 25 प्रतिशत होगी।
- नवीन मछलीपालन नीति के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं-
- राज्य में अलंकारिक मछलीपालन एवं गंबुसिया मछलीपालन को भी प्रोत्साहित किये जाने का प्रावधान नई नीति में किया गया है।
- राज्य स्थित अनुपयोगी खदानों को विकसित कर मछलीपालन हेतु उपयोग में लाया जाएगा।
- पंचायत राज्य व्यवस्था के अंतर्गत तालाबों/जलाशयों को मछलीपालन हेतु पट्टे पर देने के अधिकार के तहत 0 से 10 हेक्टेयर औसत जल क्षेत्र के तालाब/जलाशय ग्राम पंचायत द्वारा नियमानुसार 10 वर्षीय पट्टे पर प्रदान किये जाएंगे।
- 10 से 100 हेक्टेयर औसत जल क्षेत्र के तालाबों एवं जलाशयों को जनपद पंचायत द्वारा, 100 से 200 हेक्टेयर तक ज़िला पंचायत द्वारा, 200-1000 हेक्टेयर तक के जलाशय एवं बैराज को मछलीपालन विभाग द्वारा पट्टे पर आवंटित किया जाएगा।
- 1000 हेक्टेयर से अधिक के जलाशय/बैराज छत्तीसगढ़ राज्य मत्स्य महासंघ द्वारा खुली निविदा आमंत्रित कर 10 वर्ष के लिये पट्टे पर दिये जाएंगे।
- मत्स्य महासंघ द्वारा जलाशय एवं बैराज को पट्टे पर दिये जाने हेतु खुली निविदा से प्राप्त आय की 50 प्रतिशत राशि मछलीपालन विभाग के राजस्व खाते में देय होगी। शेष 50 प्रतिशत का 25 प्रतिशत हिस्सा स्थानीय स्तर पर मत्स्याखेट करने वाले मछुआरों को उत्पादकता बोनस के रूप में दिया जाएगा।
- नदियों एवं 20 हेक्टेयर से कम जल क्षेत्र वाले एनीकट/डीपपूल में नि:शुल्क मत्स्याखेट की व्यवस्था यथावत रहेगी।
- गोठानों हेतु निर्मित तालाबों में मछलीपालन का कार्य गोठान समिति या उनके द्वारा चिह्नित समूह द्वारा किया जाएगा।
- पंचायतों द्वारा लीज़ राशि में बढ़ोतरी प्रति 2 वर्ष में 10 प्रतिशत की वृद्धि कर निर्धारण किया जाएगा, जिसका उपयोग जनहित के विकास कार्यों में किया जाएगा।
- आदिवासी मछुआ सहकारी समिति में गैर-आदिवासी सदस्यों का प्रतिशत 33 से घटाकर 30 प्रतिशत करने प्रावधान किया गया है।
- अनुसूचित क्षेत्र में आदिवासी मछुआ सहकारी समिति का अध्यक्ष का पद अनिवार्य रूप से अनुसूचित जन जाति के लिये आरक्षित रहेगा। समिति के उपाध्यक्ष पद हेतु मछुआ जाति के सदस्य को प्राथमिकता दी जाएगी।
- 0 से 10 हेक्टेयर औसत जल क्षेत्र के जलाशयों/तालाबों का आवंटन मछुआ समूह, मत्स्य सहकारी समिति एवं आजीविका मिशन के तहत गठित स्थानीय महिला समूह, मछुआ व्यक्ति व मत्स्य कृषक को प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा।
- मछलीपालन में डिप्लोमा, स्नातक या स्नातकोत्तर व्यक्ति एवं बेरोज़गार युवा मछुआ व्यक्ति व मत्स्य कृषक माने जाएंगे।
- मछली बीज की गुणवत्ता नियंत्रण एवं प्रमाणीकरण हेतु राज्य में मत्स्य बीज प्रमाणीकरण अधिनियम बनाया जाएगा, जो मत्स्य बीज के उत्पादन को प्रोत्साहित करेगा एवं बीज उत्पादन तकनीक की जानकारी देगा।
- मत्स्य बीज विक्रय करने वालों एवं उत्पादकों को मछलीपालन विभाग में पंजीयन कराना एवं विभाग से लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा।
- राज्य में स्थित अनुपयोगी एवं बंद पड़ी खदानों को विकसित कर मछलीपालन हेतु स्थानीय बेरोजगारों को पट्टे पर दिया जाएगा। बड़ी खदानों में मछलीपालन को बढ़ावा देने हेतु केज स्थापना की पहल की जाएगी।
- सिंचाई जलाशयों में केज कल्चर योजना के क्रियान्वयन के लिये मछलीपालन विभाग पूर्णरूप से अधिकृत होगा, इसके लिये सिंचाई जलाशय को दीर्घ अवधि हेतु विभाग लीज़ पर दे सकेगा।