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स्टेट पी.सी.एस.

  • 15 Jun 2024
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उत्तर प्रदेश Switch to English

स्टार्टअप और ग्रामीण उद्यमों को ऋण प्रवाह

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश सरकार ने युवाओं के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करने और स्वरोज़गार के अवसर सृजन करने हेतु स्टार्टअप तथा ग्रामीण उद्यमों को संस्थागत ऋण प्रवाह को आसान बनाया है।

  • इसके अलावा, राज्य पर्यटन विभाग ने ग्रामीण पर्यटन को बेहतर बनाने और रोज़गार सृजन के लिये दो समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं।

मुख्य बिंदु:

  • राज्य ने दो ऋण योजनाओं के तहत लगभग 8,300 उद्यमों को वित्तपोषित करने की योजना बनाई है: मुख्यमंत्री युवा स्वरोज़गार योजना (MYSY) और मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोज़गार योजना (MMGRY)
    • राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (SLBC) की रिपोर्ट के अनुसार, MYSY और MMGRY के तहत क्रमशः 6,259 तथा 723 इकाइयों को स्वीकृति दी गई है।
  • स्टार्टअप और ग्रामीण उद्यमों को 163 करोड़ रुपए से अधिक का संस्थागत वित्त पोषण मिला है।
    • MYSY के तहत, राज्य उद्योग स्थापित करने के लिये 25 लाख रुपए तक और सेवा क्षेत्र की संस्थाओं के लिये 10 लाख रुपए तक का ऋण प्रदान करता है।
    • उत्तर प्रदेश में लगभग 52 सरकारी मान्यता प्राप्त इनक्यूबेटर हैं और उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग के साथ 7,200 से अधिक स्टार्टअप पंजीकृत हैं।
  • हस्ताक्षरित समझौतों से स्थायी पर्यटन और सामुदायिक सशक्तीकरण को बढ़ावा मिलेगा तथा  सुविधाओं एवं बुनियादी ढाँचे में वृद्धि होगी, जिससे पर्यटकों को स्थानीय ग्रामीण जीवन का एक प्रामाणिक अनुभव मिलेगा।
  • राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (UPSRLM) और मान्यवर कांशीराम पर्यटन प्रबंधन संस्थान के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं।

मध्य प्रदेश Switch to English

हैजा का प्रकोप

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भिंड ज़िले के फूप कस्बे में सहसा हैजा संक्रमण से आमजनों में दहशत फैल गई, जिसके परिणामस्वरूप कथित तौर पर तीन लोगों की मौत हो गई और कम-से-कम 70 लोग दूषित पानी पीने से बीमार पड़ गए।

मुख्य बिंदु:

  • हैजा, एक जल जनित बीमारी है जो मुख्य रूप से विब्रियो कोलेरा बैक्टीरिया स्ट्रेन O1 और O139 के कारण होती है, जो विश्व भर में एक बहुत बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है।
    • स्ट्रेन O1 प्रकोप का प्रमुख कारण है, O139 की घटनाएँ यदा-कदा होती हैं और अधिकतर एशिया तक ही सीमित हैं।
  • यह आँत के संक्रमण के कारण होने वाली एक तीव्र दस्त रोग है।
  • इसका संक्रमण प्रायः हल्का या बिना लक्षणों वाला होता है, लेकिन कभी-कभी गंभीर हो सकता है।
  • लक्षणों में अत्यधिक दस्त, उल्टी/वमन, पैर में ऐंठन शामिल हैं।
  • एक व्यक्ति हैजा के जीवाणु से दूषित जल पीने या भोजन खाने से हैजा से संक्रमित हो सकता है।
  • यह बीमारी उन क्षेत्रों में तेज़ी से फैल सकती है जहाँ सीवेज और पेय जल का अपर्याप्त उपचार किया जाता है।
  • वर्तमान में तीन WHO प्री-क्वालिफाइड ओरल हैजा वैक्सीन (OCV) हैं: डुकोरल, शांचोल और यूविकोल-प्लस। तीनों वैक्सीन को पूर्ण सुरक्षा के लिये दो खुराक की आवश्यकता होती है। वर्ष 2030 तक के लिये एक वैश्विक रोडमैप, जिसका लक्ष्य हैजा से होने वाली मौतों को 90% तक कम करना है, वर्ष 2017 में लॉन्च किया गया था।

छत्तीसगढ़ Switch to English

दवा वितरण के लिये GPS ट्रैकिंग

चर्चा में क्यों?

अपनी आपूर्ति शृंखला को सुदृढ़ करने और दवाओं की सुचारु डिलीवरी की सुविधा के लिये छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज़ कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSCL), जो राज्य में सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिये गुणवत्ता परीक्षण की गई दवाओं एवं चिकित्सा उपकरणों की खरीद तथा वितरण के लिये ज़िम्मेदार है, ने ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (GPS) आधारित ट्रैकिंग सिस्टम की तैनाती की घोषणा की है।

मुख्य बिंदु:

  • अपने नवीनतम आदेश में CGMSCL ने अपने सभी वाहनों पर GPS सक्षम उपकरणों की इनस्टॉलेशन अनिवार्य कर दी है। इन-हाउस DPDMIS एप्लीकेशन के साथ मिलकर GPS डेटा वेयरहाउस से वितरण स्थान तक किसी भी शिपमेंट की आसान ट्रैकिंग को सक्षम बनाता है, इस प्रकार सटीक स्थान निर्धारित करता है तथा डिलीवरी का अनुमानित समय निर्धारित करता है।
  • CGMSCL ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी आपूर्ति शृंखला को सुदृढ़ करने के लिये कई पहल की हैं, जिसमें CGMSCL द्वारा मुख्य रूप से अपने इन-हाउस सॉफ्टवेयर DPDMIS (ड्रग प्रोक्योरमेंट एंड डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम) की विशेषताओं को बढ़ाकर, अपने वेयरहाउस की दक्षता बढ़ाकर और सभी अस्पतालों में चिकित्सा आपूर्ति के लिये वाहनों का संचालन करके ये पहल की गई हैं।
  • CGMSCL का एक प्रमुख उद्देश्य सटीक स्थान पर आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
    • GPS आधारित वाहन ट्रैकिंग सिस्टम का उद्देश्य स्टोर प्रभारी, वेयरहाउस प्रबंधकों और शीर्ष प्रबंधन को वास्तविक समय ट्रैकिंग, अनुमानित आगमन समय (ETA) तथा डिलीवरी के प्रमाण जैसी सुविधाओं के साथ सहायता करना है।

ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (Global Positioning System- GPS) 

  • GPS की शुरुआत वर्ष 1973 में अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा की गई थी।
  • GPS रिसीवर कुछ आवृत्तियों (50 बिट्स/सेकंड पर L1 और L2 आवृत्तियों) पर उपग्रहों द्वारा प्रदान किये गए रेडियो संकेतों को प्राप्त करता है और उनका आकलन करता है, जो अंतरिक्ष के तीन डायमेंशन एवं समय के एक डायमेंशन में सटीक स्थान निर्धारण में मदद करता है।

उत्तराखंड Switch to English

जोशीमठ और कोसियाकुटोली के नाम परिवर्तन

चर्चा में क्यों?

 हाल ही में केंद्र ने उत्तराखंड सरकार के चमोली ज़िले में जोशीमठ तहसील का नाम बदलकर ज्योतिर्मठ और नैनीताल ज़िले में कोसियाकुटोली तहसील का नाम बदलकर परगना श्री कैंची धाम तहसील करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी।

  • यह कदम इन क्षेत्रों, विशेषकर ऐसे राज्य में जो पहले से ही धार्मिक पर्यटन के लिये एक प्रमुख गंतव्य है, के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व को बढ़ाएगा।

मुख्य बिंदु:

  • जोशीमठ वर्ष 2023 में चर्चा में था, जब शहर की कई सड़कों और सैकड़ों इमारतों के ज़मीन में धँसने के कारण बड़ी दरारें पड़ गईं।
    • दूसरी ओर, कोसियाकुटोली तहसील नीम करोली बाबा के कैंची धाम आश्रम के लिये प्रसिद्ध है।
  • ज्योतिर्मठ (जिसे ज्योतिर पीठ के नाम से भी जाना जाता है) चार प्रमुख मठों में से एक है, जिसके बारे में माना जाता है कि 8वीं शताब्दी के दार्शनिक आदि शंकराचार्य ने अद्वैत वेदांत दर्शन को बढ़ावा देने के लिये पूरे भारत में स्थापित किये थे।
    • ज्योतिर्मठ की स्थापना आध्यात्मिक ज्ञान और प्रथाओं के संरक्षण एवं प्रसार के लिये की गई थी।
  • ज्योतिर्मठ इस पहाड़ी शहर का प्राचीन नाम था। समय के साथ, स्थानीय आबादी ने इस क्षेत्र को "जोशीमठ" कहना शुरू कर दिया। यह परिवर्तन संभवतः क्रमिक और स्वाभाविक था, जो क्षेत्रीय भाषाओं, स्थानीय बोलियों एवं उच्चारण की सहजता से प्रभावित था। यह परिवर्तन किसी विशिष्ट ऐतिहासिक घटना के बजाय भाषायी और सांस्कृतिक विकास को दर्शाता है।
  • हाल के वर्षों में कुछ निवासियों ने शहर के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व को सम्मान देने के लिये नाम में बदलाव की मांग की है।
    • मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वर्ष 2023 में चमोली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बदलाव की घोषणा की।
  • जोशीमठ जहाँ पुराने नाम से एक सूक्ष्म परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करता है, वहीं कोसियाकुटोली का मामला एक कम-ज्ञात नाम को बदलने के संदर्भ में है जिसे व्यापक मान्यता नहीं मिली है।
    • इसका नाम बदलकर परगना श्री कैंची धाम करने से इसकी पहचान नीम करोली बाबा के कैंची धाम आश्रम से जुड़ जाती है, जो यहाँ का एक प्रमुख स्थल है जो विश्व भर से भक्तों को आकर्षित करता है।
  • "कोसियाकुटोली" नाम में "कोसी" उसी नाम की नदी को संदर्भित करता है जो नैनीताल ज़िले से होकर बहती है और उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र के लिये महत्त्वपूर्ण है। प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ाने के साथ-साथ यह स्थानीय पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था के लिये भी महत्त्वपूर्ण है। "कुटोली" शब्द स्थानीय भाषा से लिया गया है, जो किसी गाँव या बस्ती को संदर्भित करता है। कुमाऊँनी भाषा में नदी जैसी प्रमुख भौगोलिक विशेषता के नाम पर किसी स्थान का नाम रखना आम बात है और नामों का अर्थ प्रायः परिदृश्य, स्थानीय इतिहास या सांस्कृतिक विशेषताओं से जुड़ा होता है।

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