नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 15 Apr 2024
  • 1 min read
  • Switch Date:  
राजस्थान Switch to English

DRDO ने हथियार प्रणाली का परीक्षण किया

चर्चा में क्यों?

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO), मैन-पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (MPATGM) हथियार प्रणाली का सफल परीक्षण करके एक महत्त्वपूर्ण मील के पत्थर पर पहुँच गया है।

  • MPATGM जिसकी मारक क्षमता 2.5 किलोमीटर है, जिसमें पैदल सेना के उपयोग के लिये फायर-एंड-फॉरगेट और शीर्ष हमले की क्षमताएँ हैं।  

मुख्य बिंदु:

  • राजस्थान में पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज (PFFR) में किये गए परीक्षणों ने उपयोगकर्त्ता टीम के सामने MPATGM के प्रभावशाली प्रदर्शन को प्रदर्शित किया।
  • DRDO द्वारा भारत में निर्मित, MPATGM हथियार प्रणाली में MPATGM, मैन पोर्टेबल लॉन्चर, लक्ष्य अधिग्रहण प्रणाली (TAS) और फायर कंट्रोल यूनिट (FCU) शामिल हैं।
  • परीक्षण से साबित हुआ है कि सिस्टम भारतीय सेना के जनरल स्टाफ क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट्स (GSQR) द्वारा उल्लिखित पूर्ण परिचालन विशिष्टताओं के भीतर कार्य कर सकता है।
    • MPATGM के टेंडेम वारहेड सिस्टम के लिये प्रवेश परीक्षणों का पूरा होना आधुनिक कवच-संरक्षित मुख्य युद्धक टैंकों को हराने की इसकी क्षमता को प्रदर्शित करता है।
    • दिन/रात और शीर्ष हमले की क्षमताओं के साथ, यह एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल सिस्टम टैंक युद्ध स्थितियों में बढ़ी हुई प्रभावशीलता के लिये ड्यूल मोड/दोहरे मोड साधक की सुविधा प्रदान करता है।
  • सफल परीक्षण 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम था।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन

  • DRDO रक्षा मंत्रालय का रक्षा अनुसंधान एवं विकास (Research and Development)  विंग है, जिसका लक्ष्य भारत को अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों से सशक्त बनाना है।
  • DRDO की स्थापना वर्ष 1958 में रक्षा विज्ञान संगठन (Defence Science Organisation- DSO) के साथ भारतीय सेना के तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (Technical Development Establishment- TDEs) तथा तकनीकी विकास और उत्पादन निदेशालय (Directorate of Technical Development & Production- DTDP) के संयोजन के बाद की गई थी।

राजस्थान Switch to English

अनुच्छेद 371

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत की एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष ने राजस्थान की एक सार्वजनिक रैली में अनुच्छेद 371 का ज़िक्र किया जिससे विवाद उत्पन्न हो गया।

मुख्य बिंदु:

  • भारतीय संविधान के भाग XXI के तहत अनुच्छेद 371, कुछ राज्यों को कुछ अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष शक्तियाँ प्रदान करता है।
    • यह 26 जनवरी, 1950 से संविधान का हिस्सा रहा है।
    • हालाँकि, अनुच्छेद 371 (A-J) को अनुच्छेद 368 के माध्यम से संशोधन के माध्यम से लाया गया था।
  • 12 अन्य राज्य हैं जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 371 के तहत विशेष शक्तियाँ प्राप्त हैं। इनमें महाराष्ट्र, गुजरात, नगालैंड, असम, मणिपुर, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, सिक्किम, मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश, गोवा और कर्नाटक शामिल हैं।
    • केंद्र ने यह भी सुझाव दिया है कि वह अनुच्छेद 371 जैसी सुरक्षा को लद्दाख तक बढ़ाने पर विचार कर रहा है।
    • इस अनुच्छेद के तहत विशेष प्रावधानों में भूमि के स्वामित्व की सुरक्षा से लेकर विकास बोर्डों की स्थापना तक शामिल हैं।
  • अनुच्छेद 371 विदर्भ, मराठवाड़ा, सौराष्ट्र और कच्छ के लिये पृथक विकास बोर्डों की स्थापना तथा इन क्षेत्रों के लिये धन एवं अवसरों का समान आवंटन सुनिश्चित करने हेतु महाराष्ट्र व गुजरात के राज्यपाल को विशेष ज़िम्मेदारी देता है।
  • अनुच्छेद 371A नगालैंड को विशेष दर्जा देता है और प्रावधान करता है कि संसद राज्य विधानसभा की सहमति के बिना नागा धर्म, सामाजिक प्रथाओं, प्रथागत कानून, भूमि अधिकार तथा नागरिक एवं आपराधिक न्याय से संबंधित मामलों पर कानून नहीं बना सकती है।
  • अनुच्छेद 371B असम से संबंधित है और इसे वर्ष 1969 में लाया गया था। यह राष्ट्रपति को आदिवासी से चुने गए सदस्यों वाली विधान सभा की एक समिति के गठन और कामकाज से निपटने की अनुमति देता है।
  • अनुच्छेद 371C मणिपुर पर लागू होता है और इसे वर्ष 1972 में संविधान में शामिल किया गया था। यह मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों के विधायकों की एक समिति के गठन का प्रावधान करता है।
    • यह राज्यपाल को पहाड़ी क्षेत्रों के प्रशासन पर राष्ट्रपति को वार्षिक रिपोर्ट देने की विशेष ज़िम्मेदारी देता है।
  • अनुच्छेद 371 D और E में आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के लिये विशेष प्रावधान शामिल हैं।
    • राष्ट्रपति आंध्र प्रदेश के विभिन्न हिस्सों के लोगों को सार्वजनिक रोज़गार और शिक्षा में समान अवसर तथा सुविधाएँ प्रदान करने के लिये आदेश पारित कर सकते हैं।
  • अनुच्छेद 371F सिक्किम को विशेष दर्जा देता है और प्रावधान करता है कि सिक्किम के लोगों के मौजूदा कानूनों, रीति-रिवाज़ों तथा अधिकारों का संसद द्वारा सम्मान एवं संरक्षण किया जाएगा।
  • अनुच्छेद 371G मिज़ोरम पर लागू होता है। इसमें मिज़ोरम में मिज़ोस की धार्मिक एवं सामाजिक प्रथाओं, प्रथागत कानून और प्रक्रिया को संरक्षित करने के साथ-साथ भूमि के स्वामित्व तथा हस्तांतरण के अलावा आपराधिक व नागरिक न्याय प्रशासन के लिये विशेष प्रावधान शामिल हैं।
  • अनुच्छेद 371H कानून और व्यवस्था के संबंध में अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल को विशेष ज़िम्मेदारी प्रदान करता है।
  • अनुच्छेद 371I गोवा से संबंधित है। इसके लिये आवश्यक है कि गोवा की विधान सभा में कम-से-कम 30 सदस्य हों।
  • अनुच्छेद 371J हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र (कल्याण कर्नाटक) को विशेष दर्जा देता है और क्षेत्र के लिये एक अलग विकास बोर्ड की स्थापना का प्रावधान करता है।


 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow