नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

बिहार स्टेट पी.सी.एस.

  • 15 Apr 2022
  • 0 min read
  • Switch Date:  
बिहार Switch to English

बांका और पटना ज़िले में पुरातात्त्विक संरचनाओं के लिये जीपीआर सर्वेक्षण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पुरातत्त्व निदेशालय के निदेशक दीपक आनंद ने बताया कि बिहार सरकार द्वारा कराए जा रहे जीपीआर सर्वेक्षण में बांका के अमरपुर प्रखंड के भदरिया गाँव में जीपीआर सर्वेक्षण लगभग पूर्ण हो गया है, जबकि पटना ज़िले में सर्वेक्षण जल्द ही शुरू होगा।

प्रमुख बिंदु

  • निदेशक आनंद ने बताया कि प्राचीन पटना, जिसे पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता है, मगध साम्राज्य की राजधानी थी। पाटलिपुत्र ज्ञान भूमि थी, जिसका संबंध आर्यभट्ट, वात्स्यायन और चाणक्य जैसे खगोलविदों एवं विद्वानों से रहा है। 
  • बांका में मंदार पर्वत के संबंध में उन्होंने बताया कि हिंदू पौराणिक कथाओं में कई संदर्भ हैं, जैसे- इस पहाड़ी का उपयोग समुद्र मंथन में किया गया था।
  • गौरतलब है कि बांका के भदरिया गाँव का पुरातात्त्विक महत्त्व हाल ही में तब सामने आया, जब ग्रामीणों को कुछ प्राचीन ईंटों और ईंटों से बनी संरचनाएँ मिलीं। प्रारंभिक अध्ययनों के अनुसार यहाँ मिले अवशेष 2600 साल पुराने हैं।
  • हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चानन नदी के तट पर खोजे गए पुरातात्त्विक स्थल का भी दौरा कर भदरिया गाँव स्थित स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी। 
  • जीपीआर एक भूभौतिकीय विधि है, जो ऊपरी सतह की छवि के लिये रडार पल्स का उपयोग करती है। यह गैर-विनाशकारी विधि रेडियो स्पेक्ट्रम के माइक्रोवेव बैंड (यूएचएफ/वीएचएफ आवृत्तियों) में विद्युत चुंबकीय विकिरण का उपयोग करती है और उपसतह संरचनाओं से परावर्तित संकेतों का पता लगाती है। 
  • यह तकनीक पुरातात्त्विक स्थलों और उनकी संरचना की पहचान करने में मदद करती है, जिससे संभावित उत्खनन से पहले प्राचीन बस्तियों और मानव निर्मित संरचनाओं की व्याख्या में सहायता मिलती है।

 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow