उत्तर प्रदेश Switch to English
अग्नि सुरक्षा सप्ताह का शुभारंभ
चर्चा में क्यों?
14 अप्रैल, 2022 को ग्रीष्मकाल के दौरान आग की दुर्घटनाओं को रोकने के लिये, उत्तर प्रदेश में राज्यव्यापी अग्नि सुरक्षा सप्ताह की शुरुआत की गई।
प्रमुख बिंदु
- सुरक्षा सप्ताह में इस बात पर विशेष ज़ोर दिया गया कि ‘रोकथाम इलाज से बेहतर है’, ताकि आग से होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सके।
- 14 अप्रैल से 20 अप्रैल तक मनाए जाने वाले अग्नि सुरक्षा सप्ताह के शुभारंभ को चिह्नित करने के लिये अग्निशमन विभाग द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके सरकारी आवास पर फ्लैग पिन भी लगाया गया है।
- अग्नि सुरक्षा सप्ताह का उद्देश्य न केवल राज्य को आग के खतरों से बचाना है, बल्कि जनता के बीच सावधानी और जागरूकता पैदा करना भी है, इसमें विशेषरूप से ग्रामीण क्षेत्रों, खेत-खलिहान और कच्चे घरों को आग के खतरों से बचाना शामिल है।
- अग्नि सुरक्षा सप्ताह का मूलमंत्र औद्योगिक और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में ‘अग्नि सुरक्षा सीखें, उत्पादकता बढ़ाएँ’ है।
- इस अभियान में लोगों को डिजिटल माध्यम से आग लगने की मुख्य वजहों, जैसे- बिजली का शार्ट-सर्किट, बिजली की ओवरलोडिंग, गैस सिलेंडरों का लापरवाही से इस्तेमाल, धूम्रपान आदि के बारे में जागरूक करने के साथ आपातकालीन स्थिति में मॉक ड्रिल द्वारा सुरक्षित रूप से बाहर निकलने के लिये प्रशिक्षित किया जाएगा।
बिहार Switch to English
बांका और पटना ज़िले में पुरातात्त्विक संरचनाओं के लिये जीपीआर सर्वेक्षण
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पुरातत्त्व निदेशालय के निदेशक दीपक आनंद ने बताया कि बिहार सरकार द्वारा कराए जा रहे जीपीआर सर्वेक्षण में बांका के अमरपुर प्रखंड के भदरिया गाँव में जीपीआर सर्वेक्षण लगभग पूर्ण हो गया है, जबकि पटना ज़िले में सर्वेक्षण जल्द ही शुरू होगा।
प्रमुख बिंदु
- निदेशक आनंद ने बताया कि प्राचीन पटना, जिसे पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता है, मगध साम्राज्य की राजधानी थी। पाटलिपुत्र ज्ञान भूमि थी, जिसका संबंध आर्यभट्ट, वात्स्यायन और चाणक्य जैसे खगोलविदों एवं विद्वानों से रहा है।
- बांका में मंदार पर्वत के संबंध में उन्होंने बताया कि हिंदू पौराणिक कथाओं में कई संदर्भ हैं, जैसे- इस पहाड़ी का उपयोग समुद्र मंथन में किया गया था।
- गौरतलब है कि बांका के भदरिया गाँव का पुरातात्त्विक महत्त्व हाल ही में तब सामने आया, जब ग्रामीणों को कुछ प्राचीन ईंटों और ईंटों से बनी संरचनाएँ मिलीं। प्रारंभिक अध्ययनों के अनुसार यहाँ मिले अवशेष 2600 साल पुराने हैं।
- हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चानन नदी के तट पर खोजे गए पुरातात्त्विक स्थल का भी दौरा कर भदरिया गाँव स्थित स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी।
- जीपीआर एक भूभौतिकीय विधि है, जो ऊपरी सतह की छवि के लिये रडार पल्स का उपयोग करती है। यह गैर-विनाशकारी विधि रेडियो स्पेक्ट्रम के माइक्रोवेव बैंड (यूएचएफ/वीएचएफ आवृत्तियों) में विद्युत चुंबकीय विकिरण का उपयोग करती है और उपसतह संरचनाओं से परावर्तित संकेतों का पता लगाती है।
- यह तकनीक पुरातात्त्विक स्थलों और उनकी संरचना की पहचान करने में मदद करती है, जिससे संभावित उत्खनन से पहले प्राचीन बस्तियों और मानव निर्मित संरचनाओं की व्याख्या में सहायता मिलती है।
राजस्थान Switch to English
एपीआई का 77वाँ राष्ट्रीय सम्मेलन ‘एपिकॉन, 2022’
चर्चा में क्यों?
14 अप्रैल, 2022 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर एग्जीबिशन एंड कन्वेंशन सेंटर, सीतापुरा में एसोसिएशन ऑफ फिजीशियंस ऑफ इंडिया (एपीआई) के 77वें राष्ट्रीय सम्मेलन ‘एपिकॉन, 2022’ का उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर चिकित्सकों को वर्ष 2020 एवं 2021 के प्रतिष्ठित जीवराज मेहता अवार्ड से सम्मानित किया और चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा लिखित विभिन्न पुस्तकों का विमोचन भी किया।
- एपीआई जयपुर चैप्टर की ओर से आयोजित इस 4 दिवसीय सम्मेलन का आयोजन 17 अप्रैल, 2022 तक किया जाएगा।
- गौरतलब है कि एपीआई का यह वार्षिक सम्मेलन 10 साल बाद जयपुर में आयोजित किया जा रहा है।
- इस सम्मेलन में 6,000 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय चिकित्सक भाग लेंगे। सम्मेलन में चिकित्सा के सभी पहलुओं को कवर करने के लिये आउटस्टैंडिंग डेलेब्रेशंस एंड डिबेट्स होंगे, ताकि ‘पिंक ऑफ हेल्थ’ में रहने के लिये इनोवेटिव तरीकों की खोज की जा सके।
- ‘एपिकॉन, 2022’ चिकित्सा के अभ्यास के साथ-साथ हाय-टेक सम्मेलनों के आयोजन में टेक्नोलॉजी को फर्स्ट हैंड अनुभव करने के लिये एक मील का पत्थर साबित होगा। सम्मेलन औद्योगिक भागीदारों को भी पर्याप्त प्रदर्शन और व्यावसायिक अवसर प्रदान करेगा।
- ऐतिहासिक रूप से ‘एपिकॉन’ भारत के चिकित्सकों और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में सबसे बड़े चिकित्सा सम्मेलनों में से एक है।
हरियाणा Switch to English
ड्रोन पायलटों के लिये प्रशिक्षण संस्थान
चर्चा में क्यों?
14 अप्रैल, 2022 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में हुई ड्रोन इमेजिंग एंड इन्फॉर्मेशन सर्विस ऑफ हरियाणा लिमिटेड (दृश्या) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में हरियाणा में ड्रोन पायलटों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये दृश्या के तत्वावधान में एक प्रशिक्षण संस्थान स्थापित किये जाने का निर्णय लिया गया।
प्रमुख बिंदु
- यह संस्थान दृश्या और अन्य संगठनों के कर्मियों की विभिन्न प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक सिद्ध होगा।
- मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस अवसर पर कहा कि दृश्या की स्थापना राज्य में एक अनूठी शुरुआत है, क्योंकि अब ड्रोन की मदद से क्षेत्र के विस्तार का पता लगाने के साथ-साथ अवैध अतिक्रमणों को भी नियंत्रित किया जा सकता है।
- मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को विभिन्न प्रकार के सर्वेक्षण और इमेजिंग कार्य का त्वरित निस्तारण सुनिश्चित करने का निर्देश देते हुए कहा कि राजस्व विभाग के अलावा शहरी स्थानीय निकाय, बिजली, आपदा प्रबंधन, खनन, वन यातायात, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, कृषि जैसे अन्य विभागों में भी ड्रोन का उपयोग सुनिश्चित किया जाए।
- गौरतलब है कि हरियाणा यूएवी संचालित गवर्नेंस एप्लिकेशन को तीव्र गति प्रदान करने के लिये एक अलग निगम बनाने वाला पहला राज्य है।
झारखंड Switch to English
झारखंड के तेलीपाड़ा में बनने वाले पार्क व खेल मैदान में लगेगी सिद्धू-कान्हू की प्रतिमा
चर्चा में क्यों?
हाल ही में धनबाद नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि तेलीपाड़ा में 2 करोड़ रुपए से शहीद सिद्धू-कान्हू के नाम पर पार्क और खेल मैदान का निर्माण करने के साथ ही सिद्धू-कान्हू की प्रतिमा भी लगाई जाएगी।
प्रमुख बिंदु
- पार्क और खेल मैदान का निर्माण उस जगह किये जाने की योजना है, जहाँ आदिवासी समुदाय के लोग सदियों से सोहराय पर्व मनाते आ रहे हैं।
- सिद्धू मुर्मू और कान्हू मुर्मू संथाल विद्रोह (1855-1856) के नेता थे। इन्होंने यह विद्रोह पूर्वी भारत (वर्तमान झारखंड और बंगाल के पुरुलिया और बांकुरा) में ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता और भ्रष्ट ज़मींदारी व्यवस्था के खिलाफ किया था।
- भारतीय डाक ने इनके सम्मान में 2002 में 4 रुपए का डाक टिकट भी जारी किया था। साथ ही इनके सम्मान में राँची में एक सिद्धू-कान्हू मेमोरियल पार्क भी निर्मित किया गया है।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता की कवायद
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रदेश में समान नागरिक संहिता के क्रियान्वयन के लिये गृह विभाग को नोडल विभाग के रूप में नामित किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- इस निर्णय के पश्चात् गृह विभाग इसके लिये समिति गठित करने के साथ ही समान नागरिक संहिता का ड्रॉफ्ट तैयार करेगा।
- गौरतलब है कि सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट की बैठक में ही इसके लिये समिति बनाने का निर्णय लेते हुए कहा था कि समिति में विधि एवं कानून के साथ ही अन्य क्षेत्रों से संबंधित विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा।
- इसके लिये न्याय विभाग को नोडल विभाग बनाते हुए इसका ड्रॉफ्ट तैयार करने की ज़िम्मेदारी सौपी गई थी, जिसमें अब परिवर्तन करते हुए यह ज़िम्मा गृह विभाग को सौंपा गया है।
- उल्लेखनीय है कि समान नागरिक संहिता संबंधी प्रावधान संविधान के भाग-4 के अंतर्गत अनुच्छेद-44 में दिया गया है।
- वर्तमान में गोवा एकमात्र ऐसा राज्य है, जहाँ समान नागरिक संहिता लागू है।
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