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उत्तराखंड सौर ऊर्जा नीति - 2023
चर्चा में क्यों?
13 मार्च, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के चमोली ज़िले में हुई कैबिनेट की बैठक में प्रदेश की नई सौर ऊर्जा नीति (उत्तराखंड सौर ऊर्जा नीति - 2023) को मंजूरी दी गई।
प्रमुख बिंदु
- उत्तराखंड राज्य सौर ऊर्जा नीति - 2023 में सरकार ने यह अपेक्षा जताई है कि दिसंबर 2027 तक प्रदेश में 2500 मेगावाट बिजली का उत्पादन इस प्रोजेक्ट से होगा। इनसे सौर ऊर्जा के क्षेत्र में रोज़गार के नए अवसर पैदा होंगे और ग्रामीणों की आजीविका के अवसर भी बढ़ेंगे।
- नई सौर ऊर्जा नीति के तहत निजी उपयोग या तीसरे पक्ष की बिक्री के लिये सरकारी या निजी भूमि पर भी सौर ऊर्जा की परियोजनाएँ लगाई जा सकेंगी।
- यूपीसीएल के स्तर से राज्य के बाहर भी सौर ऊर्जा की परियोजनाएँ लगाई जा सकेंगी। यह प्रावधान इसलिये किया गया है क्योंकि यूपीसीएल को अपनी खरीदी जाने वाली बिजली का एक निश्चित प्रतिशत सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट से खरीदना अनिवार्य है।
- नई पॉलिसी में स्थानीय युवाओं के लिये रोज़गार की भी गारंटी दी गई है। इसमें बताया गया है कि जो भी सरकारी भूमि को लीज पर लेकर अपना सोलर प्रोजेक्ट लगाएगा, उसे 70 प्रतिशत स्थानीय युवाओं को रोज़गार देना होगा। उरेडा अपने टेंडर में इस शर्त को जारी करेगा।
- पॉलिसी में यह प्रावधान भी किया गया है कि यूपीसीएल सौर ऊर्जा का एक ग्रीन टैरिफ प्रस्ताव तैयार करेगा, जो कि नियामक आयोग को भेजा जाएगा। नियामक आयोग उपभोक्ताओं के लिये ग्रीन टैरिफ चुनने का विकल्प दे सकता है।
- इसके अलावा पीक आवर्स में ग्रिड में सौर ऊर्जा देने वालों को फीड इन टैरिफ से प्रोत्साहित कर सकता है। आसान पहुँच व निगरानी के लिये वर्चुअल नेट मीटरिंग (वीएनएम) और ग्रुप नेट मीटरिंग (जीएनएम) का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- नई पॉलिसी में उरेडा की जिम्मेदारियाँ भी बढ़ाई गई हैं। इसके तहत उरेडा को एक सोलर पॉलिसी सेल की स्थापना करनी होगी, जिसके तहत सिंगल विंडो के माध्यम से सोलर प्रोजेक्ट को पास किया जाएगा। उरेडा को लैंडबैंक बनाना होगा तथा सभी सरकारी ज़मीनें और भवनों की सूची बनानी होगी, जहाँ सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट लग सकते हैं। इसी प्रकार, ऐसी निजी भूमि भी चिन्ह्ति करनी होंगी, जिन पर कोई प्राइवेट व्यक्ति लीज पर अपना प्रोजेक्ट लगा सके।
- नई नीति से मिलने वाले फायदे-
- सिंगल विंडो पोर्टल के माध्यम से सौर ऊर्जा के प्रोजेक्ट लगेंगे।
- लैंड यूज परिवर्तन शुल्क, न्यायालय शुल्क, पंजीकरण, भूमि उपयोग अनुमोदन, बाहरी विकास शुल्क, जाँच शुल्क और बुनियादी ढाँचा विकास शुल्क में छूट मिलेगी।
- जो भी प्रोजेक्ट लगेगा, यूपीसीएल को अनिवार्य तौर पर उससे बिजली खरीदनी होगी। इससे निवेशकों का जोखिम कम होगा।
- फीड इन टैरिफ के माध्यम से अतिरिक्त बिजली उत्पादन करने वाले उपभोक्ताओं को मुआवज़ा मिलेगा। वहीं, दीनदयाल उपाध्याय होम स्टे विकास एवं स्वरोज़गार योजना को भी इससे लाभ पहुँचेगा।
- अपने उपयोग के लिये और सामूहिक उपयोग के लिये निर्बाध अभिगम और एसजीएसटी व बिजली शुल्क में छूट मिलेगी।
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चिन्यालीसौड़ में वायुसेना का तीन दिवसीय अभ्यास शुरू
चर्चा में क्यों?
13 मार्च, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार भारत-चीन सीमा से लगे उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद के चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर वायुसेना का तीन दिवसीय अभ्यास शुरू हो गया।
प्रमुख बिंदु
- वायुसेना से जुड़े सूत्रों ने बताया कि तीन दिनों तक चलने वाले अभ्यास में यहाँ वायुसेना के मल्टीपर्पज विमान एएन-32 की लैंडिंग और टेक-ऑफ का अभ्यास किया जाएगा। हालाँकि वायुसेना यहाँ पहले भी एएन-32 विमान की सफलतापूर्वक लैंडिंग और टेक-ऑफ करा चुकी है। यह इस साल का पहला अभ्यास है।
- गौरतलब है कि भारत-चीन सीमा से लगे उत्तरकाशी जनपद में चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डा सामरिक दृष्टि से बेहद महत्त्वपूर्ण है। यही वजह है कि भारतीय वायुसेना इस हवाई अड्डे को अपना एडवांस लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) बनाना चाहती है और समय-समय पर यहाँ अपने विमानों का अभ्यास करती है।
- उल्लेखनीय है कि वायुसेना के एएन-32 विमान का पूरा नाम एंटोनोव-32 है। इन्हें वायुसेना ने सोवियत यूनियन से खरीदा था। यह दो इंजन वाला सैन्य यातायात विमान है, जो 55 डिग्री सेल्सियस के तापमान में और 14500 फीट की ऊँचाई तक उड़ान भर सकता है, जिसमें पायलट, को-पायलट, गनर, नेविगेटर व इंजीनियर सहित 5 क्रू मेंबर और 50 लोग सवार हो सकते हैं। जीपीएस से लैस इस विमान में रडार और मॉडर्न नेवीगेशन सिस्टम भी होता है।
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