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लसीका फाइलेरिया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री ने लसीका फाइलेरिया (लिम्फैटिक फाइलेरियासिस) उन्मूलन के लिये द्वि-वार्षिक राष्ट्रव्यापी मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (MDA) अभियान का पहला चरण शुरू किया।
मुख्य बिंदु:
- लसीका फाइलेरिया, जिसे आमतौर पर हाथीपाँव रोग (एलिफेंटियासिस) के रूप में जाना जाता है, परजीवी संक्रमण के कारण होने वाला एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (Neglected Tropical Disease- NTD) है जो संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है।
- वर्ष 2021 में लगभग 44 देशों में 882 मिलियन से अधिक लोग हाथीपाँव रोग/लसीका फाइलेरिया (Lymphatic Filariasis) के खतरे का सामना करते हैं और उन्हें निवारक कीमोथेरेपी (Preventive Chemotherapy) की आवश्यकता होती है।
- LF भारत में एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। वर्तमान में, देश के 20 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 345 लिम्फैटिक फाइलेरिया स्थानिक ज़िले हैं।
- MDA के 75% ज़िले 5 राज्यों बिहार, झारखंड, यूपी, ओडिशा और तेलंगाना से हैं।
- LF शहरी गरीबों में अधिक प्रचलित है और ग्रामीण आबादी के सभी वर्गों को प्रभावित करता है।
- इसका संक्रमण बचपन में शुरू होता है और वयस्कता तक बढ़ता है, जिसके परिणामस्वरूप अपरिवर्तनीय दीर्घकालिक रोग की स्थिति उत्पन्न होती है।
- यह बीमारी कलंक, मानसिक पीड़ा, सामाजिक अभाव और आर्थिक हानि पहुँचाती है तथा प्रभावित समुदायों में गरीबी का एक प्रमुख कारण है।
- लसीका फाइलेरिया, फिलारियोडिडिया परिवार के नेमाटोड (राउंडवॉर्म) के रूप में वर्गीकृत परजीवियों के संक्रमण के कारण होता है।
- ये धागे जैसे फाइलेरिया कृमि 3 प्रकार के होते हैं:
- वुचेरेरिया बैन्क्रॉफ्टी (Wuchereria Bancrofti), जो 90% मामलों के लिये उत्तरदायी होता है।
- ब्रुगिया मलाई (Brugia Malayi), जो शेष अधिकांश मामलों का कारण बनता है।
- ब्रुगिया टिमोरी (Brugiya Timori), भी इस रोग का कारण है।
- भारत की पहल:
- MDA अभियान वर्ष में दो बार राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (10 फरवरी और 10 अगस्त) के साथ समन्वयित किया जाता है।
- भारत वैश्विक लक्ष्य से तीन वर्ष पहले वर्ष 2027 तक LF को खत्म करने के लिये प्रतिबद्ध है।
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