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राजस्थान की नदी-जोड़ो परियोजना
चर्चा में क्यों?
राजस्थान में प्रस्तावित नदी-जोड़ो परियोजना, जिसका उद्देश्य राज्य में बढ़ती जल कमी को दूर करना है, ने इसके संभावित पर्यावरणीय प्रभाव पर महत्त्वपूर्ण बहस छेड़ दी है।
इस नहर परियोजना से चंबल नदी बेसिन के अधिशेष जल को राजस्थान के 23 ज़िलों में सिंचाई, पेयजल और औद्योगिक उपयोग के लिये उपलब्ध कराए जाने की संभावना है, जिससे 3.45 करोड़ लोग लाभान्वित होंगे।
मुख्य बिंदु
- यह नदी जोड़ो परियोजना रणथंभौर टाइगर रिज़र्व के लगभग 37 वर्ग किलोमीटर के संभावित जलमग्न क्षेत्र पर आधारित है।
- यह जलमग्नता पार्वती-कालीसिंध-चंबल-पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (PKC-ERCP) के तहत प्रस्तावित सबसे बड़े बाँध के कारण होगी, जो महत्वाकांक्षी नदियों को जोड़ने (ILR) कार्यक्रम का हिस्सा है।
- राजस्थान में PKC-ERCP परियोजना में कुल 408.86 वर्ग किलोमीटर डूब क्षेत्र शामिल है। इसमें से 227 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र चंबल की सहायक नदी बनास पर प्रस्तावित बाँध के जलाशय के नीचे डूब जाएगा।
- यह बाँध 39 मीटर ऊँचा और 1.6 किमी. लंबा बनाया जाएगा, जो सवाई माधोपुर से लगभग 30 किमी. दूर डूंगरी गाँव के पास स्थित होगा।
- रणथंभौर तीसरा बाघ अभयारण्य है, जो आगामी जलाशयों के कारण भूमि के नुकसान का सामना कर रहा है।
- परियोजना विवरण से पता चलता है कि 37.03 वर्ग किमी. क्षेत्र रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान (392 वर्ग किमी.) और केलादेवी वन्यजीव अभयारण्य (674 वर्ग किमी.) का है, जो दोनों रणथंभौर बाघ अभयारण्य (1,113 वर्ग किमी.) का हिस्सा हैं, जहाँ वर्तमान में 57 बाघ हैं।
- राजस्थान में PKC-ERCP परियोजना में कुल 408.86 वर्ग किलोमीटर डूब क्षेत्र शामिल है। इसमें से 227 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र चंबल की सहायक नदी बनास पर प्रस्तावित बाँध के जलाशय के नीचे डूब जाएगा।
- परियोजना की पर्यावरणीय लागत एक विवादास्पद मुद्दा बन गई है। संरक्षणवादियों ने चेतावनी दी है कि रणथंभौर टाइगर रिज़र्व के कुछ हिस्सों के जलमग्न होने से भारत के सबसे प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्यों में से एक की जैव विविधता को खतरा हो सकता है।
- रणथंभौर, बाघों और अन्य प्रजातियों की स्थिर आबादी का पर्यावास है, जो देश के संरक्षण प्रयासों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
नोट:
- भूमि हानि का सामना कर रही अन्य परियोजनाओं में शामिल हैं:
- उत्तर कोयल जलाशय परियोजना से झारखंड के पलामू बाघ अभयारण्य का 10.07 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जलमग्न हो जाएगा, जबकि केन-बेतवा नदी जोड़ परियोजना से मध्य प्रदेश के पन्ना बाघ रिज़र्व का 41.41 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जलमग्न हो जाएगा।
चंबल नदी
- चंबल नदी विंध्य पर्वत (इंदौर, मध्य प्रदेश) की उत्तरी ढलानों में सिंगार चौरी चोटी से निकलती है। वहाँ से यह मध्य प्रदेश में उत्तर दिशा में लगभग 346 किलोमीटर की लंबाई तक बहती है और फिर राजस्थान से होकर 225 किलोमीटर की लंबाई तक उत्तर-पूर्व दिशा में बहती है।
- यह नदी उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है और इटावा ज़िले में यमुना नदी में मिलने से पहले लगभग 32 किमी. तक बहती है।
- यह एक बरसाती नदी है और इसका बेसिन विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं और अरावली से घिरा हुआ है। चंबल और इसकी सहायक नदियाँ उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र को जल से भरती हैं।
- राजस्थान में हाड़ौती पठार मेवाड़ मैदान के दक्षिण-पूर्व में चंबल नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में स्थित है।
- सहायक नदियाँ: बनास, काली सिंध, शिप्रा (क्षिप्रा), पारबती, आदि।
- मुख्य विद्युत परियोजनाएँ/बाँध: गांधी सागर बाँध, राणा प्रताप सागर बाँध, जवाहर सागर बाँध और कोटा बैराज।
- राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के त्रि-जंक्शन पर चंबल नदी के किनारे स्थित है।
- यह गंभीर रूप से लुप्तप्राय घड़ियाल, रेड क्राउन रूफ्ड टर्टल और लुप्तप्राय गंगा नदी डॉल्फिन के लिये जाना जाता है।
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