सोलर सिटी और कुसुम योजना के लेटर ऑफ अवार्ड वितरित | मध्य प्रदेश | 14 Sep 2022
चर्चा में क्यों?
13 सितंबर, 2022 को मध्य प्रदेश के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह डंग ने ‘प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं महाभियान’(कुसुम ‘ए’एवं ‘सी) के साथ साँची सोलर सिटी सौर परियोजनाओं की स्थापना के लिये चयनित विकासकों और किसानों को लेटर ऑफ अवार्ड वितरित किया।
प्रमुख बिंदु
- ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह डंग और ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष गिर्राज दंडोतिया ने कुसुम ‘ए’ योजना में चयनित 9 किसान और डेवलपर को 14 मेगावाट के लेटर ऑफ अवार्ड का वितरण किया।
- साँची के पहाड़ी क्षेत्र की भूमि पर 8 मेगावाट के सौर संयंत्र की स्थापना हेतु डेवलपर नेशनल हाइड्रो पावर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के प्रबंध संचालक वी.के. सिन्हा ने लेटर ऑफ अवार्ड ग्रहण किया।
- गौरतलब है कि ऊर्जा विकास निगम द्वारा प्रदेश में चिह्नित 900 से अधिक सब-स्टेशनों पर सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन के लिये 4 चरण में लगभग 112 मेगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के लिये चयनित सौर ऊर्जा उत्पादकों के पावर मैनेजमेंट कंपनी के साथ 71 मेगावाट के विद्युत क्रय अनुबंध किये जा चुके हैं।
- मंत्री हरदीप सिंह डंग ने कहा कि कुसुम ‘सी’योजना किसान, शासन, जनता और पर्यावरण, सभी के लिये बहुत अच्छी योजना है। किसान बिजली बेचकर आय अर्जित करता है। लगभग 1000 किसानों के पंप सौर ऊर्जीकृत करने के निर्देश जारी कर दिये गए हैं। किसानों को इससे न केवल सिंचाई की सुविधा मिलेगी बल्कि दिन में बिजली भी मिलेगी।
- योजना में सोलर संयंत्र स्थापना के लिये 30 प्रतिशत केंद्रीय सहायता राशि प्रदान की जाती है। चयनित डेवलपर्स को 4 मेगावाट क्षमता के सौर संयंत्र की स्थापना के लिये परियोजना आवंटन पत्र दिये गए।
हरियाणा में शुरू होगी ‘ई-बुक्स योजना’, ‘सुषमा स्वराज स्मृति सम्मान’ भी होगी शुरू | हरियाणा | 14 Sep 2022
चर्चा में क्यों?
13 सितंबर, 2022 को हरियाणा साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. चंद्र त्रिखा ने बताया कि हरियाणा में हिन्दी को बढ़ावा देने के लिये इस साल के अंत तक ‘ई-बुक्स योजना’ शुरू होगी। अकादमी पहले चरण में पाँच सुप्रसिद्ध पुस्तकों की ऑनलाइन रिकॉर्डिंग करवा रही है।
प्रमुख बिंदु
- निदेशक डॉ. चंद्र त्रिखा ने बताया कि सबसे पहले मुंशी प्रेमचंद की ‘गोदान’, रामधारी सिहं दिनकर की ‘रश्मि थी’, ‘कुरुक्षेत्र’, धर्मवीर भारती की ‘कनुप्रिया’और ‘अंधा युग’ की ई-बुक्स उपलब्ध करवाई जाएंगी। इनके साथ ही कुछ पौराणिक ग्रंथों की रिकॉर्डिंग का काम भी चल रहा है।
- नए रचनाकारों के प्रोत्साहन के लिये ज़िला स्तर पर लेखन कार्यशालाएँ प्रस्तावित हैं। भाषण कला एवं हिन्दी में विशेष लेखन को प्रोत्साहित करने के लिये ‘सुषमा स्वराज स्मृति सम्मान’ शुरू किया जा रहा हैं। इसमें लेखकों को पाँच लाख रुपए का पुरस्कार मिलेगा।
- उन्होंने बताया कि आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में हरियाणा के हिन्दी साहित्य पर पुस्तकें तैयार की जा रहीं हैं। बीते वर्ष अकादमी का यूट्यूब चैनल शुरू किया गया था, जिसे काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। बीते एक वर्ष के दौरान चार नई योजनाएँ भी शुरू की गई हैं। साहित्यकार सम्मान योजना, श्रेष्ठ कृति पुरस्कार, हरिगंधा पुस्तिका का प्रकाशन और साहित्यिक आयोजन इनमें शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने किया झारखंड खेल नीति-2022 का विमोचन | झारखंड | 14 Sep 2022
चर्चा में क्यों?
13 सितंबर, 2022 को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रदेश की नई खेल नीति ‘झारखंड खेल नीति-2022’ का विमोचन किया। इस खेल नीति में खेल एवं खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण देकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर में भाग लेने के अनुरूप तैयार करने के लिये प्रावधान किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- झारखंड राज्य में खेले जाने वाले खेल एवं खिलाड़ियों को प्राथमिकता मिले, जिससे उनकी प्रतिभा की पहचान हो और प्रतिभाओं को बेहतर प्रशिक्षण देकर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर में भाग लेने के अनुरूप तैयार किया जा सके, इसको लक्ष्य बनाकर झारखंड खेल नीति-2022 का विमोचन किया गया।
- झारखंड खेल नीति-2022 की कुछ खास बातें-
- राज्य के सभी बालक, बालिका, युवा एवं सभी आयुवर्ग के नागरिकों के लिये खेल को उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाना एवं समस्त गतिविधियों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने के लिये पर्याप्त अवसर उपलब्ध करवाना।
- प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को चयनित खेल विधा में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाने का मार्ग प्रशस्त करना।
- प्रतिभा की पहचान कर उसे मौका देना। प्रशिक्षण देकर उनका सर्वांगीण विकास और आगे चलकर उन्हें चैंपियन बनाने की दिशा में कार्य करना।
- झारखंड खेल नीति-2022 के उद्देश्य-
- राज्य में खेलों में खिलाड़ियों का क्षमता निर्माण एवं विकास करना।
- खेल को आकर्षक एवं व्यवहार्य करियर विकल्प के रूप में तैयार करना।
- पंचायत स्तर से राज्य स्तर तक खेल को सामाजिक परिवर्तन और विकास उत्प्रेरक बनाना।
- हर उम्र के नागरिकों के लिये खेल एवं शारीरिक गतिविधियों हेतु वातावरण तैयार करना।
- खिलाड़ियों का डाटाबेस तैयार कर अंतर्राष्ट्रीय मानक के साथ संसाधन उपलब्ध कराना, देशज एवं पारंपरिक खेलों को प्रोत्साहन देना।
- खेल पर्यटन को बढ़ावा देना एवं दिव्यांग खिलाड़ियों को भी समान अवसर प्रदान करना।
- खेल नीति से जुड़े अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदु-
- खिलाड़ियों में प्रतिभा अभिवृद्धि के लिये पंचायत, प्रखंड, ज़िला और राज्य स्तर पर कार्य करने की योजना।
- खिलाड़ियों को छात्रवृत्ति देने की योजना।
- खिलाड़ियों हेतु इन्श्योरेंस की सुविधा।
- पूर्व खिलाड़ियों को पेंशन योजना का लाभ।
- राज्य के हर ब्लॉक में उच्चकोटि के खेल मैदानों का विकास।
- योजनाबद्ध तरीके से राज्य के खिलाड़ियों के लिये डे-बोर्डिंग, क्रीड़ा किसलय केंद्र, आवासीय खेल विकास केंद्र, एकलव्य खेल अकादमी का विकास करना।
- राज्य के सभी खिलाड़ियों के लिये देश का पहला खेल डिजिटल डाटाबेस तैयार करना।
- खेल विश्वविद्यालय की स्थापना करना।
- खिलाड़ियों को नौकरी और शिक्षण संस्थान में आरक्षण।
- झारखंड के खिलाड़ियों को राज्य स्तर की द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ श्रेणी नौकरी में सीधी भर्ती।
- खिलाड़ियों एवं प्रशिक्षकों हेतु सम्मान राशि।
- ग्रामीण खेल केंद्र, खेल अकादमी, खेल विश्वविद्यालय, खेल विज्ञान, खेल प्रतिभाखोज, खेल संरचना विकास, प्रशिक्षक विकास, फिजिकल फिटनेस प्रोग्राम, खेल ब्रांडिंग एवं पारदर्शिता के संबंध में भी खेल नीति 2022 में प्रावधान किया गया है।
- सर्वश्रेष्ठ पीएचई, पीटी शिक्षक एवं ज़मीनी स्तर के कोच के लिये पुरस्कार, पीटी शिक्षक एवं ज़मीनी स्तर के प्रशिक्षकों के लिये राज्य प्रतिभा पूल बनाना।
- खेल गतिविधियों और कम्युनिकेशन कौशल के संबंधित पीपीपी एवं प्रायोजकों को आकर्षित करना।
- फुटबॉल, हॉकी, आदि के लिये झारखंड प्रीमियर लीग का आयोजन, ग्रामीणस्तरीय खेल, पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देना।
- डोपिंगमुक्त खेल की दुनिया को सुनिश्चित करने के लिये झारखंड में नेशनल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट कोड ऑफ इंडिया की तरह कानूनों को लागू करना।
- खेल विभाग उन संगठनों को भागीदार बनाने का कार्य करेगा, जो झारखंड में स्कूली बच्चों के स्पोर्ट्स डेवलपमेंट हेतु इच्छुक हैं।
- फुटबॉल, तीरंदाज़ी और एथलेटिक्स में रोडमैप के लिये विशेष पहल एवं राज्य में खेल वातावरण को बढ़ावा देने हेतु स्टेट स्पोर्ट्स डेवलपमेंट फंड का निर्माण होगा।
सिंगल यूज़ प्लास्टिक के विलोपन के लिये गठित टास्क फोर्स की दूसरी बैठक संपन्न | छत्तीसगढ़ | 14 Sep 2022
चर्चा में क्यों?
13 सितंबर, 2022 को प्रदेश में सिंगल यूज़ प्लास्टिक के विलोपन के लिये गठित टास्क फोर्स की दूसरी बैठक मंत्रालय महानदी भवन में संपन्न हुई। बैठक में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा-निर्देशों के तहत एकल उपयोग प्लास्टिक के विलोपन की कार्ययोजना पर व्यापक चर्चा हुई।
प्रमुख बिंदु
- बैठक में सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उपयोग करते पाए जाने पर कार्यवाही करने तथा विकल्प के रूप में कागज़ के बैग, प्लेट, दोना-पत्तल का उपयोग करने के लिये जन-सामान्य को प्रेरित करने पर चर्चा हुई।
- बैठक में राज्य के औद्योगिक संस्थानों एवं विभागों को सिंगल यूज़ प्लास्टिक के विकल्प तलाशने, देश के अन्य राज्यों में लागू सर्वोत्तम व्यावहारिक तरीकों को छत्तीसगढ़ में लागू करने पर विशेष बल दिया गया।
- मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि विभिन्न वैवाहिक आयोजन स्थलों में सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने एवं इसके विकल्प के रूप में नगरीय क्षेत्रों में स्थापित बर्तन बैंक से ज़रूरी सामान, बर्तन लेने की लोगों को समझाइस दी जाए। दोना-पत्तल के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए।
- मुख्य सचिव ने आगामी दिनों में आयोजित होने वाले विभिन्न सार्वजनिक उत्सवों में सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने के लिये आयोजन समितियों को समझाइस दिये जाने की बात कही।
- गौरतलब है कि आवास एवं पर्यावरण विभाग द्वारा प्लास्टिक के कैरीबैग के अतिरिक्त अल्प जीवन पीवीसी क्लोरीनयुक्त प्लास्टिक, अर्थात् विज्ञापन एवं प्रचार सामग्री (पी.वी.सी. के बैनर फ्लेक्स, होर्डिंग्स, फोम बोर्ड आदि) तथा खानपान के लिये प्रयुक्त प्लास्टिक की वस्तुएँ कप, ग्लास, प्लेट, कटोरी-चम्मच का विनिर्माण, भंडारण, आयात, विक्रय, परिवहन एवं उपयोग छत्तीसगढ़ राज्य में प्रतिबंधित किया गया है।
उत्तराखंड में एक अक्तूबर से शुरू होगी धान की खरीद | उत्तराखंड | 14 Sep 2022
चर्चा में क्यों?
13 सितंबर, 2022 को उत्तराखंड की खाद्य मंत्री रेखा आर्य ने खरीफ खरीद फसल 2022-23 की समीक्षा बैठक में कहा कि प्रदेश में एक अक्तूबर से धान की खरीद शुरू होगी। खाद्य मंत्री ने कहा कि इस सीजन में धान खरीद का लक्ष्य नौ लाख मीट्रिक टन रखा गया है।
प्रमुख बिंदु
- विभागीय मंत्री ने एक से 15 अक्तूबर तक सरकारी विभागों से धान खरीदने एवं इसके बाद कमीशन एजेंट के माध्यम से किसानों से धान खरीद कराने के निर्देश दिये।
- उन्होंने कहा कि चार एजेंसियों- खाद्य विभाग, सहकारिता विभाग, नैफेड और एनसीसीएफ को धान खरीदने के लिये नामित किया गया है। खरीफ सीजन में करीब 257 खरीद केंद्र खोले गए हैं।
- बैठक में मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि ऐसे स्थानीय उत्पाद, जिनका केंद्र सरकार ने समर्थन मूल्य घोषित किया हुआ है, जिनमें मंडुआ, मक्का, उड़द, मूंगफली, सोयाबीन, तिल, ज्वार आदि शामिल हैं, इनकी खरीद के लिये एक कार्ययोजना तैयार करें।
- मंत्री ने कहा कि पहाड़ के स्थानीय काश्तकारों की आर्थिकी को मज़बूत करने के लिए यह पहल वरदान साबित होगी। इससे पहाड़ के स्थानीय उत्पादों को एक नई पहचान मिलेगी। साथ ही, पहाड़ के किसान भी लाभान्वित होंगे।
- इस साल धान के मूल्य में प्रति क्विंटल 100 रुपए की वृद्धि की गई है। सामान्य धान का मूल्य 1940 रुपए से बढ़ाकर प्रति क्विंटल 2040 एवं ग्रेड ए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1960 रुपए से बढ़ाकर 2060 रुपए घोषित किया गया है।
उत्तर प्रदेश की तर्ज़ पर अब उत्तराखंड में भी होगा सभी मदरसों का सर्वे | उत्तराखंड | 14 Sep 2022
चर्चा में क्यों?
13 सितंबर, 2022 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड में मदरसों के कामकाज, गतिविधियों को लेकर आ रही शिकायतों के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश की तर्ज़ पर अब प्रदेश के सभी मदरसों का सर्वे किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- प्रदेश सरकार को राज्य में संचालित हो रहे इन मदरसों के संबंध में तमाम तरह की शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। इन शिकायतों की सच्चाई का पता लगाने के लिये प्रदेश सरकार ने सभी मदरसों का सर्वे कराने का निर्णय लिया है। वहीं, समाज कल्याण मंत्री चंदनराम दास तो पहले ही सरकार की मदद से संचालित हो रहे मदरसों की जाँच के निर्देश दे चुके हैं, लेकिन मुख्यमंत्री ने सभी मदरसों का सर्वे कराने की बात कही है।
- विदित है कि हाल ही में उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने वक्फ बोर्ड की संपत्तियों से अवैध निर्माण ढहाने की बात कही थी। साथ ही उन्होंने प्रदेश के गैर-पंजीकृत मदरसों की उत्तर प्रदेश की तर्ज़ पर जाँच की मांग की थी, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने भी उनकी बात का समर्थन किया।
- गौरतलब है कि उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड के तहत 419 मदरसे संचालित हैं। इनमें से आधे-से-अधिक बिना मान्यता के संचालित हो रहे हैं। इनमें केवल 192 मदरसे वित्तपोषित हैं, जो केंद्र एवं राज्य सरकार से मदद ले रहे हैं। 103 मदरसों का संचालन वक्फ बोर्ड कर रहा है, जबकि 500 से अधिक निजी मदरसों के संचालन की भी सूचना है।