उत्तराखंड Switch to English
रोपवे निर्माण के लिये MoRTH के साथ समझौता करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में उत्तराखंड सरकार के पर्यटन विभाग तथा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार के मध्य एमओयू हस्ताक्षरित किया गया। इसके साथ ही रोपवे निर्माण के लिये सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार के साथ अनुबंध करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है।
प्रमुख बिंदु
- मुख्य सचिव उत्तराखंड डॉ. एस.एस. संधु की मौजूदगी में उत्तराखंड पर्यटन की ओर से युगल किशोर पंत, अपर सचिव पर्यटन एवं अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद तथा सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के एनएचएलएमएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रकाश गौड़ ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
- इसका मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड में विभिन्न धार्मिक एवं साहसिक पर्यटन गंतव्यों तक अधिक-से-अधिक पर्यटकों व श्रद्धालुओं को सुगमतापूर्वक पहुँचाना और पर्यटकों का गमनागमन वर्ष भर उपलब्ध कराना है।
- उत्तराखंड में रोपवे निर्माण के लिये सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार को नोडल विभाग बनाया गया है।
- रोपवे निर्माण के लिये भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की ओर से डीपीआर तैयार कर काम शुरू किया जाएगा।
- सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की नियंत्रणाधीन नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) के द्वारा प्रथम चरण में प्रदेश के केदारनाथ रोपवे, नैनीताल रोपवे, हेमकुंड साहिब रोपवे, पंचकोटी से नई टिहरी, औली से गौरसू, मुनस्यारी से खलिया टॉप तथा ऋषिकेश से नीलकंठ महादेव तक सात रोपवे के डीपीआर गठन एवं निर्माण की कार्यवाही राज्य सरकार के साथ मिलकर की जाएगी।
- इससे पहले पर्यटन विभाग मसूरी, पूर्णागिरि और सुरकंडा देवी रोपवे को पीपीई मोड पर बनाने एवं संचालित किये जाने हेतु कार्यवाही की गई है। इसमें से सुरकंडा देवी रोपवे का संचालन इस वर्ष के अंत में शुरू कर दिया जाएगा।
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नैनीताल में 119वाँ नंदा देवी महोत्सव शुरू
चर्चा में क्यों?
- 11 सितंबर, 2021 को उत्तराखंड के नैनीताल में श्री राम सेवक सभा के सभागार में विधि-विधान से 119वें सातदिवसीय नंदा देवी महोत्सव की औपचारिक शुरुआत हुई।
प्रमुख बिंदु
- इस अवसर पर मुख्य अतिथि नीलेश आनंद भरणे (पुलिस उप-महानिरीक्षक, कुमाऊँ क्षेत्र) ने कहा कि नंदा देवी महोत्सव नैनीताल की विशेष पहचान का हिस्सा है। युवा पीढ़ी को प्रेरित करने के साथ-साथ देशी संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिये इस तरह के त्योहारों का आयोजन बहुत महत्त्वपूर्ण है।
- इस अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये गए। लोक नृत्य और अन्य प्रस्तुतियों ने स्थानीय लोगों एवं भक्तों के उत्साह को और बढ़ा दिया।
- इस अवसर पर पर्यावरणविद् यशपाल रावत द्वारा प्रस्तुत इक्कीस पौधे, जो सरियाताल में कटे हुए पौधे की क्षतिपूर्ति के लिये लगाए जाएंगे, की भी पूजा की गई।
- संयुक्त दंडाधिकारी प्रतीक जैन ने बताया कि 14 सितंबर (अष्टमी) को देवी-देवताओं की मूर्तियों को भक्तों के दर्शन के लिये रखा जाएगा और एक बार में 30 भक्तों को दर्शन करने की अनुमति दी जाएगी।
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