उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में मलेरियारोधी पौधे की खेती कराने की तैयारी | उत्तर प्रदेश | 14 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
13 जुलाई, 2022 को लखनऊ स्थित केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) के निदेशक प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने बताया कि हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने मलेरियारोधी पौधे आर्टिमिसिया की नई प्रजाति सीआईएम-संजीवनी की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिये नई नीति का मसौदा तैयार कर केंद्र सरकार को भेजा है।
प्रमुख बिंदु
- सीमैप ने उत्तर प्रदेश सहित देशभर में मलेरियारोधी पौधे आर्टिमिसिया की नई प्रजाति सीआईएम-संजीवनी की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिये चेन्नई की कंपनी सत्तव वैद नेचर्स ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड से अनुबंध किया है।
- यह कंपनी आर्टिमिसिया की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कराएगी। साथ ही प्रसंस्करण से संबंधित प्रौद्योगिकी के विकास में योगदान देगी। कंपनी तैयार पौधों को किसान से लेकर दवा बनाने वाली कंपनियों तक पहुँचाएगी। इससे किसानों को उनकी उपज की कीमत खेत में ही मिल जाएगी।
- इससे एक तरफ मलेरिया की दवा बनाने के लिये विदेश से कच्चा माल नहीं मँगाना पड़ेगा, तो दूसरी तरफ किसानों को भी फायदा मिलेगा।
- निदेशक प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने बताया कि कई वर्षों के शोध के बाद नई प्रजाति विकसित की गई है। यह पहले से चल रही किस्म जीवन रक्षा और सीआईएम आरोग्य के बीच पॉली क्रास से विकसित की गई है। सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई) ने भी अपने शोध में इस पौधे को मलेरियारोधी दवा के लिये उपयुक्त माना है।
- प्रदेश में 2027 तक मलेरिया खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिये स्वास्थ्य विभाग लगातार अभियान चला रहा है। कई ज़िलों में पिछले साल से एपीआई (एनुअल पैरासाइट इंसिडेंस) की दर एक से नीचे मिली है। जून 2022 तक 26 लाख 77 हज़ार से अधिक सैंपल की जाँच की गई, जिसमें 1077 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई हैं।
- उल्लेखनीय है कि आर्टिमिसिया पौधे में आर्टीमिसनिन नामक तत्त्व पाया जाता है, जिससे मलेरिया की दवा तैयार की जाती है। आर्टीमिसनिन मलेरिया फैलाने वाले रोगाणु प्लास्मोडियम फाल्सीपैरम को खत्म कर देता है। यह पौधा आमतौर पर चीन में पाया जाता है। वहाँ से इसे भारत लाकर नई-नई प्रजाति तैयार की जा रही हैं। इस पर काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट (सीमैप) और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय सहित कई संस्थानों ने प्रयोग किये हैं।
- सीमैप के वैज्ञानिकों ने आर्टिमिसिया की नई प्रजाति सीआईएम-संजीवनी में आर्टीमिसिनिन तत्त्व 2 फीसदी अधिक पाया। इस प्रजाति में मस्तिष्क ज्वर के साथ कैंसर सहित अन्य बीमारियों में प्रयोग होने वाली दवा बनाने वाले तत्त्व भी अधिक हैं। इससे खाने की गोली व इंजेक्शन तैयार किये जाते हैं।
- जर्नल ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट साइंसेज में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि सीआईएम-संजीवनी किसानों और खेती से जुड़े उद्योग के लिये भी फायदेमंद है। रिपोर्ट में कहा गया कि इस पौधे से दवा बनाने वाली कंपनी करीब 20 फीसदी लागत घटा सकती है।
- रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि आर्टिमिसिया की खेती से किसानों को लगभग चार माह की अवधि में प्रति हेक्टेयर करीब 65 हज़ार रुपए का फायदा मिल सकता है। यही वजह है कि इस पौधे को लेकर भारतीय कंपनियाँ कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कराने के लिये आगे आ रही हैं।