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झारखंड के अल्पसंख्यक स्कूल के कर्मियों को मिलेगा अंशदायी पेंशन योजना का लाभ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में झारखंड के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने अल्पसंख्यक स्कूलों के कर्मियों को अंशदायी पेंशन योजना का लाभ देने की घोषणा की है।
प्रमुख बिंदु
- झारखंड के 836 प्रारंभिक सहायता प्राप्त (अल्पसंख्यक सहित) तथा 134 माध्यमिक अल्पसंख्यक स्कूलों के कर्मियों को अंशदायी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा।
- इसके तहत इन स्कूलों के उन कर्मियों को अंशदायी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा, जो 1 दिसंबर, 2004 या इसके बाद नियुक्त हैं।
- गौरतलब है कि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा झारखंड राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ बनाम राज्य सरकार के मामले में पारित आदेश के आलोक में यह निर्णय लिया है। इसमें उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्त्ता के प्रजेंटेशन पर आवश्यक निर्णय लेने का आदेश राज्य सरकार को दिया था।
- विभाग द्वारा इन स्कूलों को अंशदायी पेंशन योजना का लाभ दिये जाने को लेकर जारी घोषणा में कहा गया है कि चूँकि इनकी नियुक्ति विद्यालय प्रबंध समिति के माध्यम से हुई है, इसलिये समिति को सेंट्रल रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसी ‘नेशनल सिक्यूरिटी डिपॉजिटरी लिमिटेड’ से निबंधित होना होगा। साथ ही प्रत्येक कर्मियों को योगदान के साथ ही परमानेंट रिटायरमेंट एकाउंट नंबर लेना होगा।
- कर्मियों के मूल वेतन तथा अनुमान्य जीवनयापन भत्ता में से दस प्रतिशत राशि से काटी जाएगी, जो नियोक्ता अंशदान के रूप में एनपीएस खाता में जमा की जाएगी।
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गुरु सुशांत महापात्र ‘गुरु ब्रह्मा अवार्ड’ से सम्मानित
चर्चा में क्यों?
10 जून, 2022 को ओडिशा के जगन्नाथपुरी में आयोजित एक कार्यक्रम में झारखंड राज्य के सरायकेला छऊ नृत्य शैली का मुखौटा तैयार करने वाले वरीय कलाकार गुरु सुशांत महापात्र को ‘गुरु ब्रह्मा अवार्ड’ दिया गया।
प्रमुख बिंदु
- ओडिशा के कल्चरल डेवलपमेंट फाउंडेशन की ओर से आयोजित इंटरनेशनल मेगा डांस फेस्टिवल ‘अप्सरा-2022’ में हाईटेक ग्रुप के चेयरमैन डॉ. तिरुपति पाणिग्रही ने अंगवस्त्र एवं प्रशस्ति-पत्र देकर महापात्र को सम्मानित किया।
- गुरु सुशांत महापात्र द्वारा बनाए गए छऊ मुखौटे की प्रदर्शनी देश-विदेश में लगाई जा चुकी है, उनके द्वारा तैयार किये गए सरायकेला शैली छऊ मुखौटे का प्रदर्शन सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि अमेरिका के न्यूयॉर्क, बर्लिन, वियाना के अलावा देश की राजधानी दिल्ली सहित मुंबई, कोलकाता एवं अन्य बड़े शहरों मे किया जा चुका है।
- गुरु सुशांत महापात्र द्वारा निर्मित मुखौटा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी भेंट किया जा चुका है।
- विदित है कि वर्ष 1925 में उनके बड़े पिताजी प्रशन्न कुमार महापात्र ने सरायकेला शैली छऊ के लिये पहला आधुनिक मुखौटा तैयार किया था।
- सुशांत महापात्र ने 8 वर्ष की उम्र में ही अपने बड़े पिताजी (गुरु प्रशन्न महापात्र) की प्रेरणा से मुखौटा का निर्माण शुरू किया था। इसके पश्चात् इस मुखौटा का प्रचलन बढ़ने लगा और अब यही मुखौटा की सरायकेला शैली छऊ नृत्य की पहचान बन गई है।
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