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प्रदेश में वर्ष 2021-22 के ज़िलावार प्रति व्यक्ति आय के आँकड़े हुए जारी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड अर्थ एवं संख्या निदेशालय ने वर्ष 2021-22 के ज़िलावार प्रति व्यक्ति आय के आँकड़े जारी किये हैं। इससे पूर्व गैरसैंण में विधानसभा बजट सत्र के दौरान राज्य सरकार ने सदन में आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट पेश की थी।
प्रमुख बिंदु
- जारी आँकड़ों के अनुसार औद्योगिक नगरी बन चुके हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और देहरादून ज़िले प्रति व्यक्ति आय के मामले में सबसे आगे हैं।
- हरिद्वार राज्य का सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय वाला ज़िला बन चुका है, वहीं गढ़वाल मंडल का रुद्रप्रयाग ज़िले की प्रति व्यक्ति आय राज्य के बाकी 12 ज़िलों में सबसे कम है।
- रिपोर्ट में प्रचलित भाव पर वर्ष 2022-23 की प्रति व्यक्ति आय 2,33,000 रुपए वार्षिक होने का अनुमान लगाया गया। वर्ष 2021-22 में राज्य की प्रति व्यक्ति 2,05,840 रुपए आँकी गई थी, लेकिन ज़िलावार प्रति व्यक्ति आय के आँकड़े तैयार नहीं हो पाए थे। प्रचलित भाव पर देश की प्रति व्यक्ति आय 1,70,620 है।
- पिछले एक दशक में पहाड़ की तुलना में मैदानी ज़िलों में समृद्धि का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। हरिद्वार जिले की सबसे अधिक 362688 रुपए प्रति व्यक्ति आय का अनुमान है। दूसरे स्थान पर 269070 रुपए प्रति व्यक्ति आय के साथ ऊधमसिंह नगर ज़िला है और तीसरे स्थान पर देहरादून है, जिसकी प्रति व्यक्ति आय 235707 रुपए है।
- पर्वतीय ज़िलों में चमोली की सबसे अधिक 127330 रुपए प्रति व्यक्ति आय है, जबकि रुद्रप्रयाग ज़िले की प्रति व्यक्ति आय सबसे कम 93160 रुपए वार्षिक है। कुमाऊँ मंडल के बागेश्वर ज़िले की सबसे कम 98,755 रुपए प्रति व्यक्ति आय है।
जिलावार प्रति व्यक्ति आय (रुपए में) |
||
जनपद |
2011-12 (आधार वर्ष) |
2021-22 (जारी वर्ष) |
उत्तरकाशी |
49584 |
1,07281 |
चमोली |
64,327 |
1,27,330 |
रुद्रप्रयाग |
46,881 |
93,160 |
टिहरी |
49,854 |
1,03,345 |
देहरादून |
1,06,552 |
2,35,707 |
पौड़ी |
50,476 |
1,08,640 |
हरिद्वार |
1,76,845 |
3,62,688 |
पिथौरागढ़ |
52,413 |
18,678 |
बागेश्वर |
46,457 |
98,755 |
अल्मोड़ा |
55,640 |
1,00844 |
चंपावत |
52,463 |
1,16,136 |
नैनीताल |
94,142 |
1,90,627 |
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सिंगापुर की तर्ज पर देहरादून में बिना ड्राइवर वाली पॉड टैक्सी चलाने की योजना पर बनी सहमति
चर्चा में क्यों?
12 अप्रैल, 2023 को उत्तराखंड के मुख्य सचिव एस.एस.संधू ने बताया कि प्रदेश में हरिद्वार ज़िले के बाद देहरादून अब ऐसा दूसरा शहर होगा जहाँ पॉड टैक्सी चलाने की तैयारी चल रही है। यहाँ सिंगापुर की तर्ज पर (पर्सनल रैपिड ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट-पीआरटी के तहत) बिना ड्राइवर वाली पॉड टैक्सी चलाने की योजना पर सहमति बन गई है।
प्रमुख बिंदु
- इसके पहले चरण में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पॉड टैक्सी का पंडितवाड़ी से रेलवे स्टेशन तक छह किमी. लंबे रूट पर संचालन होगा। पहले इस रूट पर रोप-वे चलाने की योजना थी।
- उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने पीआरटी के प्रयोग को शहर के ऐसे इलाकों के लिये उपयोगी बताया, जहाँ नियो मेट्रो नहीं चल सकती है। जाम से निजात और सार्वजनिक परिवहन को मजबूत बनाने के लिये दून में यातायात का पीआरटी सिस्टम लागू किया जाएगा।
- इसके तहत पॉड टैक्सी या विशेष तौर पर निर्मित गाइडवे नेटवर्क पर 4-6 यात्रियों की क्षमता वाले वाहन संचालित होंगे।
- विदित है कि पीआरटी एक तरह का ऑटोमेटेड गाइडवे ट्रांजिट (एजीटी) है। यह व्यक्तिगत या छोटे समूह की यात्रा के लिये मुफीद होता है। यह प्रणाली बेहद सस्ती है और मेट्रो, रैपिड ट्रेन की तुलना में इसकी लागत काफी कम है।
- ज्ञातव्य है कि पर्सनल रैपिड ट्रांसपोर्ट (पीआरटी) या पॉड टैक्सी पूरी तरह स्वचालित होती है। यह कार के आकार की होती है और स्टील के ट्रैक पर चलती है। इस टैक्सी को चलाने के लिये ड्राइवर की जरूरत नहीं पड़ती है। इसके जरिये तीन से लेकर छह यात्रियों को एक बार में ले जाया जा सकता है।
- पीआरटी के तहत चलने वाली ड्राइवरलेस कार सड़क पर नहीं बल्कि कॉलम पर बने स्ट्रक्चर पर चलेगी। यह यात्रियों के बटन दबाने पर खुद उनके पास पहुँच जाएगी। यह विश्व का सबसे आधुनिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम है।
- उल्लेखनीय है कि दुनिया में पहली पॉड टैक्सी वर्जीनिया यूनिवर्सिटी में वर्ष 1970 में चलाई गई थी।
- पीआरटी के लागू होने से शहर में वाहनों की संख्या में कमी आएगी, स्मार्ट परिवहन सेवा, भीड़भाड़ से राहत और प्रदूषण में कमी, सहज उपलब्धता और सस्ती परिवहन सेवा उपलब्ध होगी।
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