प्रदेश में बसेगी आईटी, मेडिसिटी, एजुकेशन सिटी और स्पोर्ट्स सिटी | उत्तर प्रदेश | 14 Apr 2023
चर्चा में क्यों?
12 अप्रैल, 2023 को मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार प्रदेश में बंगलुरु की तर्ज पर आईटी सिटी व महाराष्ट्र की तर्ज पर मेडिकल सिटी बसाने जा रही है। बेहतर शिक्षा हेतु एजुकेशन सिटी और स्पोर्ट्स सिटी भी बसाए जाएंगे।
प्रमुख बिंदु
- जानकारी के अनुसार इसकी जिम्मेदारी आवास विभाग को दी गई है। वह इसके लिये भवन विकास उपविधि में व्यवस्था करने के साथ ही नीति लाने जा रहा है। इस योजना से प्रदेश के 50 हज़ार युवाओं को रोज़गार मिलने की उम्मीद है।
- राज्य सरकार कि योजना है कि देश दुनियाँ की नामी-गिरानी दवा कंपनियों के लिये ऐसा स्थान विकसित किया जाए जहाँ पर सभी सुविधाएँ हों, इसके लिये महाराष्ट्र की तर्ज पर मेडिकल सिटी बसाने की योजना है। इसके लिये कम से कम 200 से 300 एकड़ ज़मीन की व्यवस्था की जाएगी।
- सभी प्रमुख शहरों को एजुकेशन हब के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसमें बड़े कालेज और विश्वविद्यालय खोलने के लिये आमंत्रित किया जाएगा।
- इसके साथ ही बंगलुरु की तर्ज पर आईटी सिटी बसाने का खाका खींचा जा रहा है। विदित है कि समाजवादी पार्टी की सरकार में लखनऊ में आईटी सिटी की स्थापना की गई थी, लेकिन ज़रूरत के मुताबिक यह पर्याप्त नहीं है। इसीलिये राज्य राजधानी क्षेत्र में इसके लिये खास इंतजाम किये जाएंगे।
- मेडिकल सिटी और आईटी सिटी के सहारे हर साल 50 हजार लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है। देश में अभी आईटी सेक्टर में सर्वाधिक नौकरियाँ बंगलुरु और पुणे में है।
- राज्य सरकार चाहती है कि उत्तर प्रदेश के युवाओं को प्रदेश में ही अच्छी शिक्षा मिलने के साथ ही रोज़गार के संसाधन मिल सकें। इसीलिये आईटी सिटी खोलने की दिशा में काम शुरू किया जा रहा है। मेडिकल सिटी में इससे जुड़े क्षेत्र में रोज़गार के द्वार खुलेंगे।
- विदित है कि वर्ष 2016 में लखनऊ में आईटी सिटी का शुभारंभ किया जा चुका है। लखनऊ-सुलतानपुर रोड पर 100 एकड़ में आईटी सिटी की स्थापना की गई है। यहाँ एचसीएल काम कर रही है। आईटी सिटी के जरिये लगभग 5000 लोगों को रोज़गार मिला है।
- गौरतलब है कि देश का पहला मेडिकल सिटी महाराष्ट्र के इंद्रायणी में 300 एकड़ में बसाया जा रहा है। इसमें अस्पताल, अनुसंधान केंद्र, दवा फैक्ट्रियाँ, वेलनेस व फिजियोथेरेपी केंद्र आदि होते हैं।
देश के अग्रणी डिस्कॉम्स में शामिल हुआ अजमेर डिस्कॉम | राजस्थान | 14 Apr 2023
चर्चा में क्यों?
12 अप्रैल, 2023 को भारत सरकार के ऊर्जा विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2022 के लिये, जारी 11वीं पावर यूटिलिटिज इंटिग्रेटेड रेटिंग व रैंकिंग में अजमेर डिस्कॉम ने 8 स्थानों की छलांग लगा 19वाँ स्थान प्राप्त किया है।
प्रमुख बिंदु
- राजस्थान के अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा बिजली चोरी के विरुद्ध अभियान तथा शत-प्रतिशत राजस्व वसूली करने के कारण ही अजमेर डिस्कॉम का नाम देश के अग्रणी डिस्कॉम्स में शामिल हो गया है।
- इससे पहले अजमेर डिस्कॉम 27वें स्थान पर था जो 8 स्थानों की छलांग लगा 19वें स्थान पर आ गया है। राज्य के तीनों डिस्कॉम में अजमेर डिस्कॉम अग्रणी रहा है। इस रैंकिंग में जयपुर डिस्कॉम को 29वाँ तथा जोधपुर डिस्कॉम को 39वाँ स्थान मिला है।
- अजमेर डिस्कॉम ने अपने वार्षिक स्कोर को 21.5 से बढ़ाते हुए 62.1 किया है। इस वजह से अजमेर डिस्कॉम को ग्रेडिंग का भी फायदा हुआ है। अजमेर डिस्कॉम की पहले ग्रेडिंग ‘सी’ थी, जो अब सुधरकर ‘बी’हो गई है।
- गौरतलब है कि छीजत में कमी और राजस्व सुधारों के दम पर अजमेर डिस्कॉम का नाम अब देश के टॉप डिस्कॉम में शामिल हो गया है। ऑनलाइन पेमेंट को बढ़ावा देकर अजमेर डिस्कॉम ने लगभग 101 प्रतिशत राजस्व वसूली कर बिजली वितरण कंपनियों के लिये नए आयाम स्थापित किये। साथ ही अपने कई नवाचारों तथा बिजली चोरों पर कार्यवाही कर विद्युत छीजत को 10.40 प्रतिशत पर सीमित किया है।
- वर्ष 2018-19 में डिस्कॉम की हानि 2793.83 करोड़ रुपयों की थी। अजमेर डिस्कॉम की टीम ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में 550 करोड़ से अधिक रुपयों का लाभ अर्जित किया है।
- वहीं वर्ष 2018-19 में डिस्कॉम की छीजत 17.81 प्रतिशत थी। बिजली चोरों के विरुद्ध लगातार अभियान चलाकर छीजत को मात्र 10.40 प्रतिशत पर ही सीमित कर दिया था।
- छीजत को कम करने के लिये अजमेर डिस्कॉम द्वारा कई नवाचार किये गए जो निर्विवाद रूप से सफल साबित हुए। इनमें मुख्य रूप से बिजली चोरी वाले संभावित क्षेत्रों में 4/6 मीटर वाले बॉक्सेज की स्थापना, सभी उपखंडों में मिनी मीटर लैब की स्थापना, सर्विस लाइन विजिबल अभियान, कॉर्डिनेट कैप्चरिंग, आदर्श जीएसएस अभियान, आदर्श फीडर अभियान, अवैध ट्रांसफार्मरों को जब्त करना, अनकवर्ड मीटर को कवर्ड करना तथा प्रत्येक उपखंड में ट्रांसफार्मर रिपेयर लैब शामिल करना मुख्य है।
राजस्थान की पहली वंदे भारत रेल का शुभारंभ | राजस्थान | 14 Apr 2023
चर्चा में क्यों?
12 अप्रैल, 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से), केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्यपाल कलराज मिश्र ने जयपुर रेलवे स्टेशन पर राज्य की प्रथम वंदे भारत रेल का शुभारंभ कर रेल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
प्रमुख बिंदु
- राजस्थान के लिये वंदे भारत एक्सप्रेस की पहली ट्रेन जयपुर से दिल्ली कैंट रेलवे स्टेशन के बीच चलेगी। इस ट्रेन की नियमित सेवा 13 अप्रैल, 2023 से शुरू होगी तथा जयपुर, अलवर और गुड़गाँव में ठहराव-स्टेशनों के साथ अजमेर और दिल्ली कैंट के बीच चलेगी।
- नई वंदे भारत एक्सप्रेस दिल्ली कैंट और अजमेर के बीच की दूरी 5 घंटे 15 मिनट में तय करेगी। इस मार्ग की मौजूदा सबसे तेज ट्रेन शताब्दी एक्सप्रेस दिल्ली कैंट से अजमेर तक के लिये 6 घंटे 15 मिनट का समय लेती है। इस तरह नई वंदे भारत एक्सप्रेस, इस मार्ग पर चलने वाली मौजूदा सबसे तेज ट्रेन की तुलना में 60 मिनट कम समय लेगी।
- अजमेर-दिल्ली कैंट वंदे भारत एक्सप्रेस हाई राइज ओवरहेड इलेक्ट्रिक (ओएचई) टेरीटरी पर दुनिया की पहली अर्ध-उच्च गति यात्री ट्रेन होगी। यह ट्रेन पुष्कर, अजमेर शरीफ दरगाह सहित राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों के रेल-संपर्क में सुधार करेगी। बढ़े हुए रेल-संपर्क से क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
- यह राजस्थान की प्रथम सेमी हाई स्पीड ट्रेन है,जिससे जयपुर से दिल्ली के बीच यात्रा का समय कम होगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रेलमंत्री से आग्रह किया कि बाँसवाड़ा, टोंक, करौली आदि मुख्यालयों को भी रेलवे सुविधाओं से जोड़ा जाए।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि डूंगरपुर-बाँसवाड़ा-रतलाम के बीच रेल सेवा के लिये राजस्थान सरकार और रेलवे बोर्ड के बीच एमओयू हुआ था। बाँसवाड़ा में रेल लाइन का शिलान्यास भी किया गया था। पहली बार किसी राज्य सरकार द्वारा एक मेजर रेल प्रोजेक्ट के लिये भूमि सहित 1250 करोड़ रुपए दिये गए थे। लेकिन जनहित का यह काम आगे नहीं बढ़ा। उन्होंने इस प्रोजेक्ट को प्राथमिकता देने का आग्रह किया।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा और राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्त्व को देखते हुए जैसलमेर-बाड़मेर को मुंद्रा और कांडला बंदरगाह से जोड़ने के लिये नई रेल लाइन निर्माण की आवश्यकता है। यह नई रेल लाइन केंद्र सरकार के उपक्रम एचपीसीएल एवं राज्य सरकार के एमओयू के अनुरूप बाड़मेर में चल रहे रिफाइनरी के कार्य तथा पश्चिमी क्षेत्र के विकास की दृष्टि से काफी लाभकारी सिद्ध होगी।
राज्य स्तरीय क्रियान्वयन समिति गठित | मध्य प्रदेश | 14 Apr 2023
चर्चा में क्यों?
12 अप्रैल, 2023 को मध्य प्रदेश राज्य शासन ने केंद्रीय कृषि एवं किसान-कल्याण मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्राकृतिक कृषि के लिये कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय क्रियान्वयन समिति (एसएलईसी) का गठन किया है।
प्रमुख बिंदु
- इस नवगठित समिति में अपर मुख्य सचिव कृषि, आयुक्त उद्यानिकी, आयुक्त पंचायती राज, आयुक्त ग्रामीण विकास, संचालक अनुसंधान सेवाएँ जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर, निदेशक अनुसंधान सेवाएँ, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर, संचालक भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान भोपाल और संचालक मध्य प्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था सदस्य रहेंगे।
- इस समिति में प्रगतिशील कृषक विशेषज्ञ सदस्य और संचालक कृषि सदस्य सचिव होंगे।
- राज्य स्तरीय क्रियान्वयन समिति राज्य नोडल विभाग द्वारा तैयार की गई वार्षिक कार्य-योजना का अनुमोदन करेगी।
- साथ ही यह समिति नोडल और अन्य संबंधित विभागों के साथ नियमित बैठक कर योजना घटकों के क्रियान्वयन की निगरानी करेगी।
प्रोत्साहन योजना की अवधि 2024 तक बढ़ाई गई | मध्य प्रदेश | 14 Apr 2023
चर्चा में क्यों?
12 अप्रैल, 2023 को मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा कंपनी कार्यक्षेत्र में आने वाले ग्रामीण वितरण केंद्रों में राजस्व संग्रहण में बेहतर प्रदर्शन करने वाले लाइन कर्मचारियों एवं मीटर रीडर्स के लिये जारी की गई प्रोत्साहन योजना की अवधि 31 मार्च, 2024 तक बढ़ा दी गई है।
प्रमुख बिंदु
- मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा लागू की गई प्रोत्साहन योजना के अच्छे परिणामों को देखते हुए इसकी अवधि को 31 मार्च, 2024 तक बढ़ाया गया है।
- इस योजना से बिजली उपभोक्ताओं के बिजली बिल भुगतान की सुविधा में विस्तार के साथ ही उपभोक्ता संतुष्टि में भी वृद्धि परिलक्षित हुई है।
- गौरतलब है कि इस योजना में कंपनी द्वारा ग्रामीण वितरण केंद्रों के लाईन कर्मचारी एवं मीटर रीडर द्वारा 250 से अधिक देयकों का राजस्व संग्रहण करने पर योजना के प्रावधान अनुसार निर्धारित प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाता है।
- वित्तीय वर्ष 2022-23 में 5 लाख 58 हज़ार 365 उपभोक्ताओं से 91 करोड़ 42 लाख रुपए का राजस्व संग्रहण कार्मिकों द्वारा किया गया है। कुल 162 पात्र कार्मिकों को लगभग 24 लाख 60 हज़ार रुपए प्रोत्साहन राशि दी गई है।
आईजीआई एयरपोर्ट दिल्ली और हिसार एयरपोर्ट के बीच रेल कनेक्टिविटी के प्रस्ताव को मिली मंजूरी | हरियाणा | 14 Apr 2023
चर्चा में क्यों?
12 अप्रैल, 2023 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बिजवासन-गुरुग्राम-गढ़ी हरसरू-सुलतानपुर-फरुखनगर-झज्जर से होते हुए आईजीआई एयरपोर्ट, दिल्ली और महाराजा अग्रसेन इंटरनेशनल एयरपोर्ट, हिसार के बीच माल ढुलाई के साथ-साथ यात्रियों के लिये रेल कनेक्टिविटी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि मुख्य सचिव संजीव कौशल की अध्यक्षता में 12 अप्रैल को हुई हरियाणा रेल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचआरआईडीसी) की बैठक में यह रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।
- मुख्य सचिव संजीव कौशल, जो एचआरआईडीसी के अध्यक्षता भी हैं, ने बताया कि इस परियोजना को मंजूरी के लिये रेल मंत्रालय को भेजा जाएगा। यह परियोजना दो चरणों में पूरी की जाएगी।
- पहले चरण में गढ़ी हरसरू-फरुखनगर-झज्जर के बीच रेल संपर्क विकसित किया जाएगा, जबकि दूसरे चरण में महाराजा अग्रसेन इंटरनेशनल हवाई अड्डे, हिसार को जोड़ा जाएगा। इस रेल लिंक से क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा, परिवहन दक्षता में सुधार और माल व यात्रियों दोनों के लिये सतत् गतिशीलता को बढ़ावा मिलेगा।
- एचआरआईडीसी के प्रबंध निदेशक राजेश अग्रवाल ने बताया कि प्रस्तावित परियोजना गढ़ी हरसरू-फरुखनगर (11 किमी.) मौजूदा सिंगल लाइन और फरुखनगर-झज्जर (24 किमी.) मिसिंग लिंक को डबल लाइन में विकसित किया जाएगा। इस पर 1225 करोड़ रुपए की लागत आएगी।
- झज्जर-रोहतक (37 किमी.) मौजूदा सिंगल लाइन, रोहतक- डोभ भाली-हांसी (68 किमी.) का कार्य उत्तर रेलवे द्वारा प्रगति पर है। हांसी-महाराजा अग्रसेन हिसार (25 किमी.) लाइन को दूसरे चरण में विकसित किया जाएगा।
- राज्य में रेल परियोजनाओं के लिये एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) से 1040 करोड़ रुपए स्वीकृत किये गए हैं। इसके लिये जल्द ही समझौते पर हस्ताक्षर किये जाएंगे।
- हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर (एचओआरसी) को केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा 2022-23 के लिये पूंजी निवेश हेतु राज्यों को विशेष सहायता योजना के तहत 874 करोड़ रुपए की राशि दी गई थी। भारत सरकार ने इस योजना का विस्तार किया है, जिसके लिये शीघ्र ही सहायता के लिये प्रस्ताव भेजा जाएगा।
जल जीवन मिशन: राज्य में 21.20 लाख से अधिक परिवारों को मिला घरेलू नल कनेक्शन | छत्तीसगढ़ | 14 Apr 2023
चर्चा में क्यों?
12 अप्रैल, 2023 को छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार प्रदेश में ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत घरों में शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिये चलाए जा रहे अभियान के अंतर्गत अब तक 21 लाख 20 हज़ार 616 घरेलू नल कनेक्शन दिये जा चुके हैं।
प्रमुख बिंदु
- घरों में शुद्ध पेयजल आपूर्ति के साथ-साथ राज्य के 43 हज़ार 942 स्कूलों, 41 हज़ार 676 आंगनबाड़ी केंद्रों तथा 17 हज़ार 286 ग्राम पंचायत भवनों और सामुदायिक उप-स्वास्थ्य केंद्रों में टेप नल के माध्यम से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की व्यवस्था की गई है।
- जल जीवन मिशन के अंतर्गत राज्य में प्रति व्यक्ति, प्रतिदिन 55 लीटर के मान से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है, इसके लिये सभी ज़िलों में कार्ययोजना तैयार कर तेजी से कार्य किये जा रहे हैं।
- इस मिशन के तहत घरेलू नल कनेक्शन के अतिरिक्त स्कूल, उप-स्वास्थ्य केंद्र एवं आंगनबाड़ी केंद्रों में भी रनिंग वाटर की व्यवस्था की जा रही है।
- जल जीवन मिशन के तहत जांजगीर-चांपा जिले में सबसे अधिक 1 लाख 83 हज़ार 377 ग्रामीण परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन दिए गए हैं। दुसरे स्थान पर राजनांदगाँव ज़िला है जहाँ अब तक 1 लाख 53 हज़ार 811 ग्रामीण परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन दिये जा चुके हैं।
- जल जीवन मिशन के तहत रायपुर ज़िले में 1 लाख 26 हज़ार 655, रायगढ़ में 1 लाख 20 हज़ार 575, धमतरी में 1 लाख 16 हज़ार 133, बलौदाबाज़ार-भाटापारा में 1 लाख 2 हज़ार 407, कवर्धा में 1 लाख 522, महासमुंद में 97 हज़ार 559, बिलासपुर में 92 हज़ार 634, बेमेतरा में 91 हज़ार 191, दुर्ग में 90 हज़ार 600 और मुंगेली ज़िले में 83 हज़ार 141 नल कनेक्शन दिये जा चुके हैं।
- इसी तरह बालोद ज़िले में 82 हज़ार 508, गरियाबंद में 70 हज़ार 775, जशपुर में 61 हज़ार 034, कांकेर में 60 हज़ार 364, बस्तर में 58 हज़ार 253, कोरबा में 57 हज़ार 482, बलरामपुर में 57 हज़ार 154, सरगुजा में 55 हज़ार 884, सूरजपुर में 54 हज़ार 390, कोरिया में 52 हज़ार 769, कोण्डागांव में 51 हज़ार 399, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में 24 हज़ार 672, बीजापुर में 21 हज़ार 569, सुकमा में 20 हज़ार 686, दंतेवाड़ा में 19 हज़ार 779 और नारायणपुर ज़िले में 13 हज़ार 293 ग्रामीण परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन दिये जा चुके हैं।
- उल्लेखनीय है कि ‘जल जीवन मिशन’ की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2019 को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर की थी। मिशन के तहत 2024 तक देश के सभी दूर-सुदूर गाँवों के हर घर तक शुद्ध पेय जल पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया। यह मिशन पेय जल को आम लोगों तक आसानी से पहुँचाने के साथ-साथ दीर्घ कालिक जल स्रोतों का निर्माण, जल संरक्षण, प्रदूषण रहित जल की पहचान, जल प्रबंधन आदि की कार्य योजना पर कार्य करता है।
- विदित है कि इस मिशन की घोषणा के वक्त देश में 19.27 करोड़ ग्रामीण घरों में से केवल 3.23 करोड़ (17 प्रतिशत) घरों में ही नल से जल मुहैया हो रहा था लेकिन पिछले साढ़े तीन वर्षों के दौरान जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल से जल पहुँचाने के अभियान में अभूतपूर्व सफलता मिली है। इसी का नतीजा है कि अब 11 करोड़ घरों में नल से जल पहुँचने लगा है।
- देश में पाँच राज्य और तीन केंद्रशासित प्रदेशों ने 100 प्रतिशत हर घर नल से जल पहुँचाने में सफलता हासिल कर ली है। इन पाँच राज्यों में हरियाणा, गोवा, तेलंगाना, गुजरात और पंजाब शामिल हैं जबकि तीन केंद्रशासित प्रदेशों में अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, दमन दीव और दादर नागर हवेली और पुदुच्चेरी शामिल हैं।
प्रदेश में वर्ष 2021-22 के ज़िलावार प्रति व्यक्ति आय के आँकड़े हुए जारी | उत्तराखंड | 14 Apr 2023
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड अर्थ एवं संख्या निदेशालय ने वर्ष 2021-22 के ज़िलावार प्रति व्यक्ति आय के आँकड़े जारी किये हैं। इससे पूर्व गैरसैंण में विधानसभा बजट सत्र के दौरान राज्य सरकार ने सदन में आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट पेश की थी।
प्रमुख बिंदु
- जारी आँकड़ों के अनुसार औद्योगिक नगरी बन चुके हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और देहरादून ज़िले प्रति व्यक्ति आय के मामले में सबसे आगे हैं।
- हरिद्वार राज्य का सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय वाला ज़िला बन चुका है, वहीं गढ़वाल मंडल का रुद्रप्रयाग ज़िले की प्रति व्यक्ति आय राज्य के बाकी 12 ज़िलों में सबसे कम है।
- रिपोर्ट में प्रचलित भाव पर वर्ष 2022-23 की प्रति व्यक्ति आय 2,33,000 रुपए वार्षिक होने का अनुमान लगाया गया। वर्ष 2021-22 में राज्य की प्रति व्यक्ति 2,05,840 रुपए आँकी गई थी, लेकिन ज़िलावार प्रति व्यक्ति आय के आँकड़े तैयार नहीं हो पाए थे। प्रचलित भाव पर देश की प्रति व्यक्ति आय 1,70,620 है।
- पिछले एक दशक में पहाड़ की तुलना में मैदानी ज़िलों में समृद्धि का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। हरिद्वार जिले की सबसे अधिक 362688 रुपए प्रति व्यक्ति आय का अनुमान है। दूसरे स्थान पर 269070 रुपए प्रति व्यक्ति आय के साथ ऊधमसिंह नगर ज़िला है और तीसरे स्थान पर देहरादून है, जिसकी प्रति व्यक्ति आय 235707 रुपए है।
- पर्वतीय ज़िलों में चमोली की सबसे अधिक 127330 रुपए प्रति व्यक्ति आय है, जबकि रुद्रप्रयाग ज़िले की प्रति व्यक्ति आय सबसे कम 93160 रुपए वार्षिक है। कुमाऊँ मंडल के बागेश्वर ज़िले की सबसे कम 98,755 रुपए प्रति व्यक्ति आय है।
जिलावार प्रति व्यक्ति आय (रुपए में)
|
जनपद
|
2011-12 (आधार वर्ष)
|
2021-22 (जारी वर्ष)
|
उत्तरकाशी
|
49584
|
1,07281
|
चमोली
|
64,327
|
1,27,330
|
रुद्रप्रयाग
|
46,881
|
93,160
|
टिहरी
|
49,854
|
1,03,345
|
देहरादून
|
1,06,552
|
2,35,707
|
पौड़ी
|
50,476
|
1,08,640
|
हरिद्वार
|
1,76,845
|
3,62,688
|
पिथौरागढ़
|
52,413
|
18,678
|
बागेश्वर
|
46,457
|
98,755
|
अल्मोड़ा
|
55,640
|
1,00844
|
चंपावत
|
52,463
|
1,16,136
|
नैनीताल
|
94,142
|
1,90,627
|
सिंगापुर की तर्ज पर देहरादून में बिना ड्राइवर वाली पॉड टैक्सी चलाने की योजना पर बनी सहमति | उत्तराखंड | 14 Apr 2023
चर्चा में क्यों?
12 अप्रैल, 2023 को उत्तराखंड के मुख्य सचिव एस.एस.संधू ने बताया कि प्रदेश में हरिद्वार ज़िले के बाद देहरादून अब ऐसा दूसरा शहर होगा जहाँ पॉड टैक्सी चलाने की तैयारी चल रही है। यहाँ सिंगापुर की तर्ज पर (पर्सनल रैपिड ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट-पीआरटी के तहत) बिना ड्राइवर वाली पॉड टैक्सी चलाने की योजना पर सहमति बन गई है।
प्रमुख बिंदु
- इसके पहले चरण में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पॉड टैक्सी का पंडितवाड़ी से रेलवे स्टेशन तक छह किमी. लंबे रूट पर संचालन होगा। पहले इस रूट पर रोप-वे चलाने की योजना थी।
- उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने पीआरटी के प्रयोग को शहर के ऐसे इलाकों के लिये उपयोगी बताया, जहाँ नियो मेट्रो नहीं चल सकती है। जाम से निजात और सार्वजनिक परिवहन को मजबूत बनाने के लिये दून में यातायात का पीआरटी सिस्टम लागू किया जाएगा।
- इसके तहत पॉड टैक्सी या विशेष तौर पर निर्मित गाइडवे नेटवर्क पर 4-6 यात्रियों की क्षमता वाले वाहन संचालित होंगे।
- विदित है कि पीआरटी एक तरह का ऑटोमेटेड गाइडवे ट्रांजिट (एजीटी) है। यह व्यक्तिगत या छोटे समूह की यात्रा के लिये मुफीद होता है। यह प्रणाली बेहद सस्ती है और मेट्रो, रैपिड ट्रेन की तुलना में इसकी लागत काफी कम है।
- ज्ञातव्य है कि पर्सनल रैपिड ट्रांसपोर्ट (पीआरटी) या पॉड टैक्सी पूरी तरह स्वचालित होती है। यह कार के आकार की होती है और स्टील के ट्रैक पर चलती है। इस टैक्सी को चलाने के लिये ड्राइवर की जरूरत नहीं पड़ती है। इसके जरिये तीन से लेकर छह यात्रियों को एक बार में ले जाया जा सकता है।
- पीआरटी के तहत चलने वाली ड्राइवरलेस कार सड़क पर नहीं बल्कि कॉलम पर बने स्ट्रक्चर पर चलेगी। यह यात्रियों के बटन दबाने पर खुद उनके पास पहुँच जाएगी। यह विश्व का सबसे आधुनिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम है।
- उल्लेखनीय है कि दुनिया में पहली पॉड टैक्सी वर्जीनिया यूनिवर्सिटी में वर्ष 1970 में चलाई गई थी।
- पीआरटी के लागू होने से शहर में वाहनों की संख्या में कमी आएगी, स्मार्ट परिवहन सेवा, भीड़भाड़ से राहत और प्रदूषण में कमी, सहज उपलब्धता और सस्ती परिवहन सेवा उपलब्ध होगी।