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उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 14 Mar 2024
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एशियाई विकास बैंक ने टिहरी में विकासात्मक परियोजनाओं के वित्तपोषण को स्वीकृति दी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एशियन डेवलपमेंट बैंक ने टिहरी ज़िले में विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिये 1,294 करोड़ रुपए की फंडिंग को स्वीकृति दी है।

मुख्य बिंदु:

  • इन परियोजनाओं को 80:20 के अनुपात में वित्त पोषित किया जाएगा, जिसमें ADB 80% व्यय वहन करेगा और उत्तराखंड सरकार 20% व्यय वहन करेगी।
  • टिहरी में निर्दिष्ट क्षेत्रों के टिकाऊ, समावेशी और जलवायु लचीले पर्यटन विकास को बढ़ावा देने हेतु, राज्य सरकार ने टिहरी बाँध जलाशय तथा आसपास के क्षेत्रों को एक विशेष पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया।
    • जिसके बाद टेहरी विशेष क्षेत्र विकास अधिनियम, 2013 के तहत टेहरी विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (टाडा) की स्थापना की गई।
    • इसके बाद भारत सरकार के आर्थिक मामलों के विभाग के साथ परामर्श की एक शृंखला और ADB को प्रस्ताव दिये गए, जो अब पूरे प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन की देखरेख के लिये एक परियोजना प्रबंधन इकाई के रूप में फलीभूत हो गया है।
    • प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने के लिये सात परियोजनाओं की पहचान की गई है, जिनमें शामिल हैं:
  • कोटी कॉलोनी से डोबरा चांठी पुल तक 15.7 किलोमीटर लंबी पर्यटन सड़क जिसमें समर्पित साइक्लिंग ट्रैक, व्यू प्वाइंट और समर्पित हॉकर क्षेत्र होगा।
    • कोटि कॉलोनी से तिवार गाँव तक 450 मीटर काँच के तले वाला पैदल यात्री झूला पुल,
    • डोबरा-चांठी में एक सांस्कृतिक हाट और उत्तराखंड वास्तुकला थीम पार्क,
    • तिवार गाँव में ग्रामीण बुनियादी ढाँचे का उन्नयन और टिपरी-मदन नेगी में नई रोपवे परियोजना।
  • इस परियोजना का उद्देश्य पर्यटन बुनियादी ढाँचे का विकास करना है, जिसमें हरित आवरण को बढ़ाने, आजीविका सृजन, ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन व प्राकृतिक तथा सामाजिक-सांस्कृतिक पर्यावरण में न्यूनतम व्यवधान पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • परियोजना के लिये इंजीनियरों, वास्तुकारों, पर्यावरण विशेषज्ञों, लिंग विशेषज्ञों और सामुदायिक विशेषज्ञों सहित कुल 56 पद स्वीकृत किये गए हैं जो यह सुनिश्चित करेंगे कि विकासात्मक गतिविधियाँ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत पर्यावरण व सामाजिक-सांस्कृतिक मानकों के अनुरूप हैं।
  • समग्र परियोजना में मौसम निगरानी प्रणाली, पर्यावरण डेटा संग्रह और एक एकीकृत कमांड नियंत्रण केंद्र की स्थापना जैसे हस्तक्षेपों के साथ स्मार्ट बुनियादी ढाँचे में सुधार भी शामिल होगा।

एशियाई विकास बैंक (ADB)

  • ADB एक क्षेत्रीय विकास बैंक है जिसकी स्थापना वर्ष 1966 में एशिया और प्रशांत क्षेत्र में सामाजिक एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी।
    • इसमें 68 सदस्य हैं; 49 सदस्‍य देश एशिया-प्रशांत क्षेत्र से हैं, जबकि 19 सदस्य अन्य क्षेत्रों से हैं भारत ADB का संस्थापक सदस्य है।
  • ADB सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये ऋण, तकनीकी सहायता, अनुदान एवं इक्विटी निवेश प्रदान करके अपने सदस्यों तथा भागीदारों की सहायता करता है।
  • 31 दिसंबर, 2022 तक ADB के पाँच सबसे बड़े शेयरधारक जापान और अमेरिका (प्रत्येक के पास कुल शेयरों का 15.6%), चीन (6.4%), भारत (6.3%) तथा ऑस्ट्रेलिया (5.8%) हैं।
  • इसका मुख्यालय मनीला, फिलीपींस में है।

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उत्तराखंड में UCC को राष्ट्रपति की मंज़ूरी

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड विधानसभा द्वारा पारित समान नागरिक संहिता विधेयक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सहमति के साथ कानून बन गया है।

  • आज़ादी के बाद UCC अपनाने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है।

मुख्य बिंदु:

  • राष्ट्रपति ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 201 के तहत समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड, 2024 को अपनी सहमति दी।
  • UCC सामाजिक समानता के महत्त्व को सिद्ध कर समरसता को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
  • राज्य में इसके लागू होने से सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलने के साथ ही महिला उत्पीड़न पर भी अंकुश लगेगा।

समान नागरिक संहिता

  • समान नागरिक संहिता का उल्लेख भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में किया गया है, जो राज्य की नीति के निदेशक तत्त्व (Directive Principles of State Policy- DPSP) का अंग है।
  • ये निदेशक तत्त्व कानूनी रूप से प्रवर्तनीय नहीं होते हैं, लेकिन नीति निर्माण में राज्य का मार्गदर्शन करते हैं।
    • UCC का कुछ लोगों द्वारा राष्ट्रीय अखंडता और लैंगिक न्याय को बढ़ावा देने के एक तरीके के रूप में समर्थन किया जाता है तो कुछ लोगों द्वारा इसे धार्मिक स्वतंत्रता तथा विविधता के लिये खतरा बताकर इसका विरोध किया जाता है।
  • भारत में गोवा एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ समान नागरिक संहिता लागू है। वर्ष 1961 में पुर्तगाली शासन से स्वतंत्रता के बाद गोवा ने अपने सामान्य पारिवारिक कानून को बनाये रखा, जिसे गोवा नागरिक संहिता (Goa Civil Code) के रूप में जाना जाता है।
  • शेष भारत अपनी धार्मिक या सामुदायिक पहचान के आधार पर विभिन्न व्यक्तिगत कानूनों का पालन करता है। शेष भारत में धार्मिक या सामुदायिक पहचान के आधार पर विभिन्न पर्सनल लॉज़ (personal laws) का पालन किया जाता है।

अनुच्छेद 201

  • इसमें कहा गया है कि जब कोई विधेयक राष्ट्रपति के विचार के लिये आरक्षित होता है, तो राष्ट्रपति विधेयक पर सहमति दे सकता है या उस पर रोक लगा सकता है।
  • राष्ट्रपति विधेयक पर पुनर्विचार करने के लिये राज्यपाल को उसे सदन या राज्य के विधानमंडल के सदनों को वापस भेजने का निर्देश भी दे सकता है।

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गरतांग गली

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड में गरतांग गली का उपयोग भारत और तिब्बत के बीच रेशम मार्ग व्यापार मार्ग के रूप में किया जाता था।

मुख्य बिंदु:

  • यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में नेलांग घाटी में स्थित है। यह एक अद्वितीय पर्यटक आकर्षण के रूप में भी खड़ा है।
  • उत्तराखंड के सुदूर कोने में स्थित, गारतांग गली हलचल भरे पर्यटन सर्किट से दूर एक एकांत स्थान प्रदान करती है
    • यह अनोखा स्थान प्रकृति के बीच प्रामाणिक अनुभव और शांति चाहने वाले यात्रियों को आकर्षित करता है।
    • गाँव में भोटिया जनजाति का निवास है, जो एक स्वदेशी समुदाय है जो अपनी लचीलापन, पारंपरिक जीवन शैली और सांस्कृतिक विरासत के लिये जाना जाता है।
  • गारतांग गली ऐतिहासिक रूप से भारतीय उपमहाद्वीप को तिब्बत और मध्य एशिया से जोड़ने वाला एक महत्त्वपूर्ण व्यापार मार्ग था।
  • व्यापारी इस पहाड़ी दर्रे से होकर गुज़रते थे, जिससे विभिन्न क्षेत्रों के बीच वस्तुओं, विचारों और सांस्कृतिक प्रभावों के आदान-प्रदान में सुविधा होती थी।
  • गरतांग गली चट्टान-किनारे लटकती सीढ़ी, जिसे गरतांग गली पुल के नाम से भी जाना जाता है, नेलांग नदी घाटी में 11,000 फीट की ऊँचाई पर एक ऊर्ध्वाधर रिज के साथ 500 मीटर तक फैला है।
    • इसका निर्माण पारंपरिक देशी शैली में शुरू में पेशावर के पठान व्यापारियों द्वारा किया गया था, जो तिब्बत और भारत के बीच सिल्क रोड व्यापार मार्ग के रूप में कार्य करता था।
    • वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद, भारतीय सेना द्वारा पहुँच प्रतिबंधित कर दी गई, जिससे पुल जर्जर हो गया।
    • वर्ष 2015 में भारत द्वारा इस क्षेत्र को पर्यटन के लिये फिर से खोलने के बाद, पारंपरिक तरीकों का उपयोग करके लकड़ी की सीढ़ी को बहाल करने के प्रयास किये गए।
    • 59 वर्षों के बाद, पुल को अगस्त 2021 में जनता के लिये फिर से खोल दिया गया।

रेशम मार्ग

  • यह प्राचीन वाणिज्यिक मार्गों का एक नेटवर्क था जो पूर्व और पश्चिम को चीन से भूमध्य सागर तक जोड़ता था तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिये एक प्रमुख माध्यम के रूप में कार्य करता था।
  • हान युग (207 ईसा पूर्व - 220 सीई) की शुरुआत में पूरे देश में चीनी रेशम के बढ़ते व्यापार ने "सिल्क रोड" शब्द को जन्म दिया। 114 ईसा पूर्व के आसपास, हान राजवंश ने मध्य एशिया के माध्यम से व्यापार मार्गों का विस्तार किया, मुख्य रूप से एक चीनी शाही दूत झांग कियान की यात्रा और मिशन के परिणामस्वरूप।
  • सिल्क रोड के साथ व्यापार के परिणामस्वरूप, चीन, भारतीय उपमहाद्वीप, फारस, यूरोप, हॉर्न ऑफ अफ्रीका और अरब की सभ्यताओं के बीच लंबी दूरी के राजनीतिक तथा आर्थिक संबंध स्थापित हुए।
  • यद्यपि रेशम निस्संदेह चीन से मुख्य निर्यात था, रेशम मार्गों में कई अन्य वस्तुओं के साथ-साथ समन्वित विचारों, कई प्रौद्योगिकी, धर्मों और रोगों का आदान-प्रदान भी हुआ। सिल्क रोड का उपयोग सभ्यताओं द्वारा वाणिज्यिक व्यापार के साथ-साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान करने के लिये किया जाता था।

भोटिया जनजाति

  • भोटिया या भोटिया चरवाहों की एक व्यावसायिक जाति है।
  • उत्तराखंड के भोटिया लोग तीन सीमावर्ती ज़िलों-पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी में सात मुख्य नदी घाटियों में फैले हुए हैं।
  • उत्तराखंड में सात प्रमुख भोटिया समूह हैं जोहारी, दरमिया, चौदांसी, ब्यांसी, मार्छा (माना घाटी), तोल्छा (नीती घाटी) और जाध।


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