मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने भोजशाला परिसर के ASI सर्वेक्षण का आदेश दिया | मध्य प्रदेश | 12 Mar 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षणको धार ज़िले में स्थित भोजशाला मंदिर-कमल मौला मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया।
मुख्य बिंदु:
- यह स्थल ASI-संरक्षित 11वीं सदी का स्मारक है। ASI के साथ एक समझौते के तहत मंदिर में हर मंगलवार को हिंदुओं द्वारा पूजा की जाती है और हर शुक्रवार को नमाज़ अदा की जाती है।
- न्यायालय ने फैसला सुनाया या निर्णय दिया कि केंद्र सरकार के रखरखाव के तहत संपूर्ण स्मारक के वास्तविक सार और पहचान को स्पष्ट करने या प्रकट करने की आवश्यकता है।
- न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि स्मारक अधिनियम, 1958 की धारा 16 के तहत जल्द-से-जल्द साइट का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करना ASI का संवैधानिक और वैधानिक दायित्व है।
- पूरे परिसर के बंद/सील कमरों, हॉलों को खोला जाए और प्रत्येक कलाकृति, मूर्ति, देवता या किसी भी संरचना की पूरी सूची तैयार हो तथा संबंधित तस्वीरों के साथ इसे जमा किया जाए। ऐसी कलाकृतियों, मूर्तियों, संरचनाओं को वैज्ञानिक जाँच, कार्बन डेटिंग तथा सर्वेक्षण के समान अभ्यास के अधीन किया जाना चाहिये। इसे न्यायालय के समक्ष दायर की जाने वाली रिपोर्ट में अलग से शामिल किया जाना चाहिये।
- धार के इस पुरातात्त्विक स्थल में प्राचीन शिलालेख भी हैं, जिन्होंने औपनिवेशिक भारतविदों, इतिहासकारों और प्रशासकों का प्रारंभिक ध्यान आकर्षित किया था।
- जॉन मैल्कम ने वर्ष 1822 में राजा भोज द्वारा योजनाबद्ध और पूर्ण किये गए बाँधों जैसी निर्माण परियोजनाओं के साथ धार का उल्लेख किया।
- इससे पहले सितंबर 2023 में, गार्डों को कथित तौर पर देवी वाग्देवी की एक मूर्ति मिली थी। हालाँकि प्रशासन ने मूर्तियों के 'दिखाई देने'
- दावे का खंडन किया था और इसे हटा दिया था।
भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI)
- संस्कृति मंत्रालय के तहत ASI देश की सांस्कृतिक विरासत के पुरातात्त्विक अनुसंधान और संरक्षण के लिये प्रमुख संगठन है।
- यह 3,650 से अधिक प्राचीन स्मारकों, पुरातात्त्विक स्थलों और राष्ट्रीय महत्त्व के अवशेषों का प्रबंधन करता है।
- इसकी गतिविधियों में पुरातात्त्विक अवशेषों का सर्वेक्षण करना, पुरातात्त्विक स्थलों की खोज और उत्खनन, संरक्षित स्मारकों का संरक्षण तथा रखरखाव आदि शामिल हैं।
- इसकी स्थापना वर्ष 1861 में ASI के पहले महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा की गई थी। अलेक्जेंडर कनिंघम को “भारतीय पुरातत्त्व का जनक” भी कहा जाता है।
भोजशाला परिसर
- भोजशाला का शाब्दिक अर्थ संस्कृत से 'राजा भोज का हॉल' है, जो मध्य प्रदेश के धार में स्थित एक ऐतिहासिक मंदिर है।
- राजा भोज मध्य भारत के परमार राजवंश से थे और शिक्षा एवं कला के संरक्षक के रूप में प्रसिद्ध थे, जिनके लिये काव्य, योग व वास्तुकला पर प्रमुख संस्कृत कार्यों का श्रेय दिया जाता है।
- 11वीं सदी का भोजशाला एक ASI-संरक्षित स्मारक है। हिंदुओं का मानना है कि यह देवी वाग्देवी (सरस्वती) का मंदिर है लेकिन मुस्लिम पक्ष इस पर विवाद करता है और दावा करता है कि यह कमल मौला मस्जिद है।
नोट: प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल तथा अवशेष (AMASR) अधिनियम, 1958, प्राचीन तथा ऐतिहासिक स्मारकों, पुरातात्त्विक स्थलों व राष्ट्रीय महत्त्व के अवशेषों के संरक्षण का प्रावधान करता है।