हरियाणा Switch to English
गुरुग्राम में कचरा संकट
चर्चा में क्यों?
गुरुग्राम नगर निगम द्वारा वर्ष 2024 के सर्वेक्षण में शहर में लगभग 100 अवैध डंपिंग स्थलों की पहचान की गई है, जिनमें गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड के साथ अरावली सबसे अधिक प्रभावित हैं।
- वर्ष 2024 में अपशिष्ट संकट की घोषणा करने के बावजूद, अधिकारी 2021 से एक समर्पित अपशिष्ट संग्रह एजेंसी नियुक्त करने में विफल रहे हैं।
मुख्य बिंदु
- मुद्दे के बारे में:
- लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान चर्चा के बावजूद अवैध डंपिंग का मुद्दा महत्त्वपूर्ण ध्यान आकर्षित करने में विफल रहा।
- स्थिति बिगड़ने के कारण अब स्थानीय नेता स्पष्ट समाधान की मांग कर रहे हैं।
- पर्यावरणविदों ने कार्रवाई की कमी की आलोचना करते हुए कहा कि गुरुग्राम एक विशाल कंक्रीट डंपयार्ड में बदल गया है।
- अनियंत्रित मलबा डंपिंग के कारण हरित पट्टी, खाली स्थान और सड़कें अवरुद्ध हो रही हैं, जिससे गंभीर जलभराव हो रहा है।
- अरावली पर्वत श्रेणी
- अरावली, पृथ्वी पर सबसे पुराना वलित पर्वत है। भूवैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि यह तीन अरब साल पुराना है।
- यह गुजरात से दिल्ली (राजस्थान और हरियाणा से होकर) तक 800 किमी. से अधिक तक फैला हुआ है।
- अरावली पर्वतमाला की सबसे ऊँची चोटी माउंट आबू पर स्थित गुरु शिखर है।
- जलवायु पर प्रभाव:
- अरावली पर्वतमाला का उत्तर-पश्चिम भारत और उससे आगे की जलवायु पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
- मानसून के दौरान, पर्वत शृंखला मानसून के बादलों को धीरे-धीरे पूर्व की ओर शिमला और नैनीताल की ओर ले जाती है, जिससे उप-हिमालयी नदियों तथा उत्तर भारतीय मैदानों को पोषण मिलता है।
- सर्दियों के महीनों के दौरान, यह सिंधु और गंगा की उपजाऊ जलोढ़ नदी घाटियों को मध्य एशिया से आने वाली कठोर ठंडी पश्चिमी हवाओं से बचाता है।

