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हरियाणा स्टेट पी.सी.एस.

  • 13 Feb 2025
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बेरोज़गार युवाओं को सशक्त बनाने के लिये समझौता ज्ञापन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, अपैरल ट्रेनिंग एंड डिज़ाइन सेंटर (ATDC), गुरुग्राम और साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL), बिलासपुर ने आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के वंचित युवाओं के लिये व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।

मुख्य बिंदु 

  • समझौते के बारे में:
    • इस कार्यक्रम का उद्देश्य कौशल आधारित प्रशिक्षण प्रदान करके आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के वंचित युवाओं का उत्थान करना है।
  • CSR पहल:
    • यह पहल साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) प्रयासों का हिस्सा है।
      • इसके तहत 400 अभ्यर्थियों को प्रशिक्षित करने के लिये कुल 3.12 करोड़ रुपए आवंटित किये गये हैं।
  • प्रशिक्षण कार्यक्रम संरचना:
    • गैर-आवासीय प्रशिक्षण:

      • ATDC स्वरोज़गार दर्जी कार्यक्रम के तहत 300 उम्मीदवारों के लिये प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करेगा। 
      • SECL बिश्रामपुर, सोहागपुर और कोरबा क्षेत्र में प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किये जाएंगे।
  • आवासीय प्रशिक्षण:
    • 100 अभ्यर्थियों को मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा स्थित ATDC प्रशिक्षण केंद्र में पूर्णतः आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम से गुजरना होगा। 
    • इस कार्यक्रम में निःशुल्क भोजन और आवास की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
    • अभ्यर्थियों का चयन SECL प्रतिष्ठानों के 25 किलोमीटर के दायरे से किया जाएगा।
  • उद्देश्य:
    • कोयला मंत्रालय के मार्गदर्शन में इस पहल के उद्देश्य हैं:

      • कोयला क्षेत्र में वंचित युवाओं को सशक्त बनाना। 
      • स्वरोज़गार और नौकरी के अवसर सृजित करना।
      • विकसित भारत के विज़न में योगदान देना। 

कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) 

  • सामान्य तौर पर CSR को पर्यावरण पर कंपनी के प्रभाव और सामाजिक कल्याण पर प्रभाव का आकलन करने और ज़िम्मेदारी लेने के लिये एक कॉर्पोरेट पहल के रूप में संदर्भित किया जा सकता है। 
  • यह एक स्व-विनियमन व्यवसाय मॉडल है जो किसी कंपनी को सामाजिक रूप से जवाबदेह बनने में मदद करता है। कॉर्पोरेट सामाजिक ज़िम्मेदारी का पालन करके, कंपनियाँ आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय कारकों पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रति सचेत रहती हैं।
  • भारत पहला देश है जिसने कंपनी अधिनियम, 2013 के खंड 135 के अंतर्गत संभावित CSR गतिविधियों की पहचान के लिये रूपरेखा के साथ CSR को अनिवार्य बनाया है। 
    • भारत के विपरीत, अधिकांश देशों में स्वैच्छिक CSR व्यवस्थाएँ हैं। नॉर्वे और स्वीडन, जो अनिवार्य CSR प्रावधानों की ओर बढ़ चुके हैं, ने स्वैच्छिक मॉडल के साथ शुरुआत की थी।


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गुरु रविदास की जयंती

चर्चा में क्यों?

हरियाणा के मुख्यमंत्री ने गुरु रविदास को उनकी जयंती पर शुभकामनाएँ और बधाई दी। गुरु रविदास जयंती माघ माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। 

मुख्य बिंदु 

  • संतों के सम्मान हेतु सरकारी पहल
    • हरियाणा सरकार ने संत-महापुरुष सम्मान और विचार प्रचार-प्रसार योजना शुरू की।
      • इस पहल के तहत राज्य स्तर पर संतों और महापुरुषों की जयंती और शताब्दी मनाई जाएगी। 
  • गुरु रविदास के बारे में:
    • संत गुरु रविदास, जिनका जन्म 1377 ई. में सीर गोवर्धनपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था, एक संत, दार्शनिक, कवि और समाज सुधारक के रूप में पूजनीय हैं।
    • रैदास, रोहिदास और रविदास जैसे विभिन्न नामों से भी जाने जाते हैं और वे पारंपरिक रूप से चमड़े के काम से जुड़े समुदाय से संबंधित थे।
    • गुरु रविदास ने भक्ति आंदोलन में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया, उन्होंने ईश्वर के प्रति समर्पण पर ज़ोर दिया और आध्यात्मिक समानता को बढ़ावा दिया।
    • उनकी शिक्षाओं में मानव अधिकार, समानता और आध्यात्मिक ज्ञान पर ज़ोर दिया गया है।
    • उनकी कुछ रचनाएँ प्रतिष्ठित धर्मग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब जी में शामिल हैं, जो उनके साहित्यिक और दार्शनिक महत्त्व को बढ़ाती हैं।

भक्ति आंदोलन

  • भक्ति आंदोलन का विकास तमिलनाडु में 7वीं और 9वीं शताब्दी के बीच हुआ।
  • यह नयनारों (शिव के भक्त) और अलवारों (विष्णु के भक्त) की भावनात्मक कविताओं में परिलक्षित होता है। 
    • इन संतों ने धर्म को एक ठंडी औपचारिक पूजा के रूप में नहीं, बल्कि पूज्य और उपासक के बीच प्रेम पर आधारित एक प्रेमपूर्ण बंधन के रूप में देखा।
  • समय के साथ दक्षिण के विचार उत्तर की ओर बढ़े लेकिन यह बहुत धीमी प्रक्रिया थी।
  • भक्ति विचारधारा को फैलाने के लिये एक अधिक प्रभावी तरीका स्थानीय भाषाओं का उपयोग था। भक्ति संतों ने स्थानीय भाषाओं में अपने पद लिखे।
  • उन्होंने संस्कृत ग्रंथों का अनुवाद भी किया ताकि उन्हें व्यापक दर्शकों के लिये समझने योग्य बनाया जा सके। 


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38वाँ सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री ने हरियाणा के फरीदाबाद ज़िले में 38वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले का उद्घाटन किया। 

मुख्य बिंदु 

  • सूरजकुंड मेले के बारे में: 
    • सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला 7 फरवरी से 23 फरवरी 2025 तक चलेगा। 
    • इस कार्यक्रम में भारत और विश्व भर के कारीगरों की कला, शिल्प कौशल और प्रतिभा का प्रदर्शन किया जाएगा।
    • केंद्रीय मंत्री ने सूरजकुंड मेले को सिर्फ एक बाज़ार से कहीं अधिक बताते हुए प्राचीन शिल्पकला को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में इसकी भूमिका पर प्रकाश डाला।
  • हरियाणा में MICE पर्यटन की संभावनाएँ:
    • दिल्ली से हरियाणा की निकटता इसे रणनीतिक लाभ प्रदान करती है तथा इसे MICE (बैठकें, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनियाँ) पर्यटन के लिये एक आदर्श केंद्र बनाती है।
    • मंत्री ने राज्य को प्रोत्साहित किया:
  • सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक:

MICE (बैठकें, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनियाँ)

  • MICE शब्द का उपयोग पर्यटन और इवेंट उद्योग में व्यवसाय और कॉर्पोरेट पर्यटन से संबंधित खंड को वर्गीकृत करने और उसका प्रतिनिधित्व करने के लिये किया जाता है।
    • MICE  पर्यटन में कंपनियों और समूहों के लिये कार्यक्रम, बैठकें, सम्मेलन, प्रदर्शनियाँ  और प्रोत्साहनों का आयोजन और मेज़बानी शामिल है।
  • इन गतिविधियों का उद्देश्य नेटवर्किंग, ज्ञान का आदान-प्रदान, व्यावसायिक सहयोग तथा व्यावसायिक संदर्भ में उत्पादों और सेवाओं का प्रदर्शन सुगम बनाना है।


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