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झारखंड नगरपालिका (संशोधन) विधेयक-2022 को मिली स्वीकृति
चर्चा में क्यों?
13 फरवरी 2023 को झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने झारखंड नगरपालिका (संशोधन) विधेयक-2022 को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
प्रमुख बिंदु
- इस विधेयक को स्वीकृति मिलने से अब नगर निगम में मेयर/अध्यक्ष के चुनाव में जनसंख्या के आधार पर आरक्षित वर्ग के लिये आरक्षण तय किया जाएगा। अर्थात् मेयर व अध्यक्ष पद का चुनाव रोस्टर के आधार पर नहीं होगा।
- इस संशोधित विधेयक में एसटी/एससी/ओबीसी में रोटेशन शब्द हटा दिया गया है। अर्थात् जो सीटें पहले एससी के लिये आरक्षित थी, वे सीटें अब एसटी या अन्य रिजर्व कैटेगरी के लिये आरक्षित किये जा सकेंगे।
- विदित है कि इस बार के चुनाव में रांची नगर निगम के मेयर पद के लिये एसटी से हटाकर एससी के लिये कर दिया गया था। इसका कई संगठनों ने विरोध किया तो राज्य सरकार नियम में संशोधन के लिये झारखंड विधानसभा में विधेयक लेकर आई। हालाँकि, इस विधेयक का भाजपा सहित अन्य दलों ने विरोध भी किया था।
- उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2022 में झारखंड विधानसभा ने इस संशोधित विधेयक को पारित कर राज्यपाल के पास स्वीकृति के लिये भेजा था।
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यूजीसी रेगुलेशन-2018 (संशोधन) नियमावली को मिली मंजूरी
चर्चा में क्यों?
13 फरवरी 2023 को झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने यूजीसी रेगुलेशन-2018 (संशोधन) नियमावली को मंजूरी प्रदान कर दी है।
प्रमुख बिंदु
- इस संशोधित नियमावली के स्वीकृत होने से शिक्षकों, पदाधिकारियों व प्राचार्य की नियुक्ति व प्रोन्नति की न्यूनतम अर्हता तय हो गई है।
- विश्वविद्यालों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में नैक ग्रेडिंग के आधार पर पीएचडी प्वाइंट की अनिवार्यता समाप्त हो गयी है। ऐसे में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में अधिक से अधिक युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी।
- पहले 1 से 100 एनआईआरएफ रैंकिंग वाले या ए/ए प्लस/ए प्लस प्लस संस्थान से पीएचडी करने पर 30 प्वाइंट निर्धारित थे। इससे झारखंड के विद्यार्थी पिछड़ रहे थे।
- असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिये अब झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा झारखंड पात्रता परीक्षा (जेट) का आयोजन किया जाएगा।
- इसके अलावा एक जुलाई 2023 तक जो नेट पास रहेंगे, वे असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिये योग्य होंगे, लेकिन दो जुलाई 2023 से जो भी नेट पास होंगे, उन्हें पीएचडी करना अनिवार्य होगा। तभी वे असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के योग्य होंगे।
- इसी प्रकार 6 अगस्त 2021 से जो प्राचार्य बने हैं, वे पाँच वर्ष के बाद सीधे प्रोफेसर बन जाएंगे। लेकिन जो प्राचार्य पुन: प्राचार्य के पद पर ही रहना चाहते हैं, तो उन्हें अगले पाँच वर्ष के लिये झारखंड लोक सेवा आयोग से स्वीकृति लेनी होगी। प्राचार्य के लिये अभ्यर्थी को कम से कम एसोसिएट प्रोफेसर होना होगा।
- विश्विद्यालय अधिकारी की नियुक्ति में सीनियर स्केल के रूप में कम से कम 19 वर्ष की सेवा पूरी करनी होगी।
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