उत्तर प्रदेश रोज़गार देने में देश में अव्वल | उत्तर प्रदेश | 13 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
12 दिसंबर, 2022 को ग्राम्य विकास विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (मनरेगा) में उत्तर प्रदेश ने देश में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है। मानव दिवस सृजन में और 100 दिवस का पूर्ण रोज़गार उपलब्ध कराने में उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है।
प्रमुख बिंदु
- ग्राम्य विकास विभाग के अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिये रोज़गार सृजन के तहत वार्षिक लक्ष्य 2600 लाख मानव दिवस के मुकाबले 62 लाख मानव दिवस सृजित किये गए हैं। वित्तीय वर्ष 2022-23 में प्रदेश ने 7809.74 करोड़ रुपए की धनराशि व्यय की है।
- वित्तीय वर्ष 2022-23 में प्रदेश ने 53 लाख परिवारों को रोज़गार दिया है। यही नहीं वित्तीय वर्ष 2022-23 में 2,77,878 परिवारों को 100 दिवस का पूर्ण रोज़गार उपलब्ध कराया गया है और 100 दिवस का पूर्ण रोज़गार उपलब्ध कराने में उत्तर प्रदेश का देश में प्रथम स्थान है।
- उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि मनरेगा अभिसरण (कन्वर्जेंस) के अंतर्गत कराए जाने वाले कार्यों के लिये लाइन विभागों की प्रभावी सहभागिता व फील्ड स्तर पर अभिसरण की आवश्यकता के मद्देनज़र ठोस कदम उठाएँ। इसके साथ ही मनरेगा कन्वर्जेंस के तहत प्रगति बढ़ाई जाए।
- गौरतलब है कि मनरेगा अभिसरण (कन्वर्जेंस) के तहत वर्ष 2022-23 में 97 करोड़ रुपए का वित्तीय लक्ष्य रखा गया है।
- मनरेगा कन्वर्जेंस के तहत श्रम, एसआरएलएम, भूगर्भ जल विभाग, लोक निर्माण विभाग, पंचायती राज, उद्यान, परती भूमि विकास, बेसिक शिक्षा, पशुपालन, युवा कल्याण, रेशम, कृषि रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर, बाल विकास एवं पुष्टाहार, ग्रेटर शारदा सहायक, ग्रामीण अभियंत्रण डेरी, सिंचाई, लघु सिंचाई आदि लगभग 24 से अधिक विभागों द्वारा कार्य कराया जाता है।
- उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि मनरेगा के तहत जिन श्रमिकों ने 90 दिन मनरेगा में कार्य किया है, उन्हें बीओसीडब्ल्यू बोर्ड (श्रम विभाग) में पंजीकरण कराते हुए श्रम विभाग की कल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित कराया जाए।
यमुनापार क्षेत्र में 624 करोड़ की योजना स्वीकृत | उत्तर प्रदेश | 13 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
11 दिसंबर, 2022 को केंद्रीय कानून राज्यमंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल ने प्रेस वार्ता में बताया कि उत्तर प्रदेश के आगरा के यमुनापार क्षेत्र के निवासियों की पानी की समस्या खत्म करने के लिये केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार की संयुक्त योजना 'हर घर जल' के तहत यमुनापार क्षेत्र में पीने योग्य पानी उपलब्ध कराने के लिये 624 करोड़ रुपए की योजना स्वीकृत दी गई है।
प्रमुख बिंदु
- केंद्रीय कानून राज्यमंत्री ने बताया कि आगरा के यमुनापार क्षेत्र को योजना के लिये दो भागों में विभाजित किया गया है, जिसमें पहला भाग ट्रांस यमुना ज़ोन है, जिसमें सीता नगर, शाहदरा, एत्माद्दौला, प्रकाश नगर, नवल गंज, कछपुरा और पीला खार क्षेत्र शामिल हैं। वहीं, दूसरा ज़ोन ट्रांस यमुना ज़ोन 2 बनाया गया है, जिसमें ट्रांस यमुना कॉलोनी फेस वन, नराइच, नगला जमुनी, नगला रामबल, कालिंदी विहार, नाउ की सराय, रवि नगर, फाउंड्री नगर और इस्लाम नगर शामिल किये गए हैं।
- उन्होंने बताया कि यमुनापार क्षेत्र में वाटर वर्क्स की जो योजना स्वीकृत की गई है, उसके तहत क्षेत्र में 44 एमएलडी पानी की व्यवस्था की जाएगी। वर्ष 2040 तक जनसंख्या लगभग 4000000 हुई तो पानी की मांग 73 एमएलडी होगी। वहीं, अगर 2055 तक जनसंख्या 600000 हुई तो पानी की मांग बढ़कर 107 एमएलडी हो जाएगी। बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए इस योजना को तैयार किया गया है, जिससे भविष्य में वाटर वर्क्स की 80 एमएलडी की क्षमता को बढ़ाया जा सके।
- प्रेस वार्ता में मौजूद एत्मादपुर के विधायक डॉ. धर्मपाल सिंह ने बताया कि यमुनापार क्षेत्र में वाटर वर्क्स बनाने के लिये पोइया घाट पर जमीन चिन्हित की गई है तथा इस योजना की प्लानिंग वर्ष 2055 तक की जनसंख्या के अनुसार की गई है।
- इस योजना से एत्मादपुर विधानसभा क्षेत्र के लगभग 300000 परिवारों को फायदा होना निश्चित है। इस वाटर वर्क्स के अंतर्गत 3 जलाशय, 14 नए ओवरहेड टैंक बनाए जाएंगे और इस योजना को 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने गाजियाबाद में राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान का उद्घाटन किया | उत्तर प्रदेश | 13 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
11 दिसंबर, 2022 को गोवा में 9वें विश्व आयुर्वेद कॉन्ग्रेस (डब्ल्यूएसी) के समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान का डिजिटल माध्यम से उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
- इसके साथ ही समारोह में प्रधानमंत्री ने डिजिटल माध्यम से आयुर्वेद और होम्योपैथी के दो राष्ट्रीय आयुष संस्थान- गोवा में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान और दिल्ली में राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान का भी उद्घाटन किया।
- उल्लेखनीय है कि एम्स की तर्ज पर बने गाजियाबाद का कमला नेहरू नगर स्थित राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान उत्तर भारत का सबसे बड़ा यूनानी अस्पताल है। यहाँ पर मरीजों के लिये 200 बेड की सुविधा है।
- इस संस्थान में यूनानी पद्धति से मरीजों का इलाज किया जाएगा। इससे दिल्ली-एनसीआर के लोगों को आने वाले समय में स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई सुविधा मिलेगी। इस संस्थान में 14 विशेषज्ञ चिकित्सक मरीजों का इलाज करेंगे।
- राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान के बनने से गाजियाबाद, हापुड़, नोएडा, बुलंदशहर और मेरठ जैसे शहरों से मरीज यहाँ आकर अपना इलाज करा सकेंगे। अस्पताल कैंपस में डॉक्टर और कर्मचारियों का रेसिडेंस भी बनाया गया है।
- यह यूनानी हॉस्पिटल करीब 10 एकड़ ज़मीन पर 381 करोड़ की लागत से बना है। इसका शिलान्यास वर्ष 2019 में तत्कालीन केंद्रीय आयुष राज्यमंत्री श्रीपद नाइक और केंद्रीय राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह ने किया था।
- इस संस्थान में बच्चों और महिलाओं के लिये पीकू-नीकू वार्ड हैं। संस्थान में पाँच ऑपरेशन थिएटर, मेटरनिटी विंग, एमआरआई, सीटी स्कैन, ब्लड बैंक, डिजिटल एक्सरे, पैथोलॉजी लैब, आईसीयू, एक्यूप्रेशर कक्ष, फिजियोथेरेपी कक्ष, पंचकर्म कक्ष, जिम्नेजियम, सीएसएसडी, कैंटीन, शैक्षणिक और प्रशासनिक ब्लॉक, ट्यूटोरियल रूम, सेमिनार हॉल, म्यूजियम, लाइब्रेरी, लैब, बहुउद्देश्यीय शोध विभाग, यूनानी फार्मेसी जैसी सुविधाएँ हैं। इसके अलावा यहाँ मरीज स्टीम बाथ, हिप बाथ, सोना बाथ जैसी सुविधाएँ भी ले सकेंगे।
- संस्थान में अभी ओपीडी में मरीजों का इलाज होगा, वर्ष 2023 से यूनानी विधा की पढ़ाई शुरू हो जाएगी। इस संस्थान में 14 विभाग होंगे। यहाँ यूनानी पद्धति में परास्नातक और शोध की शिक्षा भी मिलेगी। इनमें औषधि विकास, गुणवत्ता नियंत्रण, सुरक्षा मूल्यांकन, यूनानी चिकित्सा और प्रथाओं के वैज्ञानिक सत्यापन पर ध्यान केंद्रित रहेगा।
- संस्थान श्रीलंका, ईरान, बांग्लादेश, उजबेकिस्तान व अन्य देशों के छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के साथ यूनानी पद्धति का प्रचार प्रसार भी करेगा। इसमें यूनानी दवाओं पर विभिन्न तरह के शोध किये जाएंगे। यहाँ यूनानी पद्धति में परास्नातक और पीएचडी की शिक्षा भी दिलाई जाएगी।
बिहार नगरपालिका प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) मॉडल उपविधि 2022 की स्वीकृति | बिहार | 13 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
12 दिसंबर, 2022 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यता में हुई बिहार कैबिनेट की बैठक में बिहार नगरपालिका प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) मॉडल उपविधि 2022 को स्वीकृति दी गई। इसके तहत पहली बार सरकार ने सिंगल यूज्ड पॉलिथीन का उपयोग करने वालों पर जुर्माना लगाने का प्रावधान किया है।
प्रमुख बिंदु
- कैबिनेट की बैठक के बाद मंत्रिमंडल सिचवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने प्रेस वार्ता में बताया कि बिहार में अब सिंगल यूज्ड पॉलिथीन और उससे बनी वस्तुओं का उपयोग करने वालों को जुर्माना देना होगा। इसका निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण व बिक्री करने वालों पर भी जुर्माने की राशि तय कर दी गई है।
- प्रावधान के मुताबिक स्थानीय निकाय को बिना सूचना दिये और इस बाइलॉज के अनुसार व्यवस्था किये बिना कोई भी खेल और सभा आयोजित करना और इसमें सिंगल यूज्ड पॉलिथीन का उपयोग किया जाना भी गैरकानूनी होगा।
- 100 से अधिक व्यक्तियों को जमा करने पर जिम्मेदार आयोजक पर पहली बार 1500 रुपए दूसरी बार दो हज़ार रुपए और उसके बाद हर बार 2500 रुपए का जुर्माना देना होगा। एक से अधिक आयोजक होने पर उन सभी को अलग-अलग जुर्माना राशि देनी होगी।
- अपर मुख्य सचिव ने बताया कि सिंगल यूज वाले पॉलिथीन और इससे बनी वस्तुओं में इयर बड्स की प्लास्टिक की डंडिया, गुब्बारों की प्लास्टिक की डंडिया, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी की डंडिया, आइइसक्रीम की डंडिया, सजावट के लिये पॉलिस्टाइरिन (थर्मोकोल) से बने समान, कप, प्लेट, गिलास, कटलरी के सामान जैसे काँटा, चम्मच, चाकू, स्ट्रा, ट्रे, स्ट्रिर, साथ ही मिठाई के डिब्बों, निमंत्रण कार्ड और सिगरेट के पैकेट के इर्द गिर्द लपेटने या पैक करनेवाली प्लास्टिक की फिल्में और 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक या पीवीसी के बैनर शामिल हैं।
- नगर निकायों के अधिकारिता क्षेत्र में इयर बड, झंडे, कैंडी स्टिक, प्लेट कप, काँटा-चम्मच जैसी सामग्रियों का उपयोग करने वालों पर पहली बार दो हज़ार रुपए का जुर्माना वसूला जाएगा, दूसरी बार इनके उपयोग या बेचनेवाले को तीन हज़ार रुपए और उसके बाद हर बार दोहराए जाने पर पाँच हज़ार रुपए की दर से जुर्माना वसूला जाएगा। इसी प्रकार से इन सामग्रियों की कॉमर्शियल उपयोगकर्त्ताओं पर पहली बार 1500 रुपए, दूसरी बीर 2500 रुपए और उससे अधिक बार उपयोग करने पर 3500 रुपए प्रत्येक बार जुर्माना लिया जाएगा।
- इसके अलावा मल्टी लेयर पैकेजिंग या प्लास्टिक सीट या ऐसी ही वस्तु के शीट से बने कवर जो प्लास्टिक अवशिष्ट प्रबंधनों के अनुसार निर्मित लेबल या मार्क नहीं किये गए हैं, के उपयोग करने पर पहली बार दो हज़ार, दूसरी बार तीन हज़ार और उससे अधिक होने पर हर बार पाँच हज़ार रुपए का जुर्माना लिया जाएगा।
- प्लास्टिक को खुले में जलाने पर पहली बार दो हज़ार रुपए, दूसरी बार तीन हज़ार रुपए और उसके बाद प्रति बार पाँच हज़ार रुपए का जुर्माना लिया जाएगा।
- सार्वजनिक स्थलों, पार्क, नाला, पुरातात्त्विक स्थलों और अन्य प्रतिबंधित स्थलों पर प्लास्टिक कचरा फैलाने पर पहली बार एक हज़ार रुपए, दूसरी बार 1500 रुपए और उसके बाद हर बार दो हज़ार रुपए का जुर्माना देना होगा।
बीपीएससी और बीटीएससी की प्रतियोगी परीक्षाओं में अधिकतम पाँच बार बैठ सकेंगे सरकारी सेवक | बिहार | 13 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
12 दिसंबर, 2022 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में संपन्न हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य सरकार के सरकारी सेवक अपनी पूरी सेवा अवधि में बिहार लोक सेवा आयोग, बिहार तकनीकी सेवा आयोग और बिहार कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित प्रतियोगिता परीक्षाओं में अब अधिकतम पाँच बार भाग ले सकेंगे।
प्रमुख बिदुं
- कैबिनेट की बैठक के बाद मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. सिद्धार्थ ने प्रेस वार्ता में बताया कि सामान्य प्रशासन विभाग के अंतर्गत बिहार सरकार के सरकारी सेवकों को प्रतियोगिता परीक्षाओं में सम्मिलित होने के लिये अवसरों की सीमा की स्वीकृति दी गई है।
- कैबिनेट के निर्णय के अनुसार बिहार सरकार के सरकारी सेवकों को सेवा में आने के उपरांत उनकी पूरी सेवा अवधि में प्रत्येक आयोग (बीपीएससी, बीटीएससी, बीएसएससी) द्वारा आयोजित परीक्षाओं में सम्मिलित होने के लिये अलग-अलग अधिकतम कुल 5 (पाँच) अवसर ही अनुमन्य होंगे।
- निर्धारित 5 अवसरों की गणना संकल्प निर्गत होने की तिथि के बाद से प्रारंभ होगी। पूर्व में उपभोग कर लिये गए अवसरों की एतदर्थ उपेक्षा की जाएगी।
- बिहार सरकार के सरकारी सेवकों को प्रतियोगिता परीक्षाओं में भाग लेने के लिये नियमित नियुक्ति हेतु निर्धारित अधिकतम आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट पूर्ववत् अनुमन्य होगी परंतु उक्त आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट की अवधि में प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल होने की अनुमति तभी दी जा सकेगी जब उनके द्वारा तब तक अधिकतम 5 अवसरों का उपभोग नहीं किया गया हो।
- गौरतलब है कि इससे पहले राज्य के सरकारी सेवकों को अधिकतम तीन बार तक प्रतियोगिता परीक्षा में बैठने का प्रावधान था।
राजस्थान आईटी क्रिकेट टूर्नामेंट-2022 | राजस्थान | 13 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
11 दिसंबर, 2022 को राजस्थान आईटी क्रिकेट टूर्नामेंट के तृतीय संस्करण का फाइनल मैच जयपुर के स्थानीय भवानी निकेतन ग्राउंड में आयोजित हुआ, जिसमें आईटी डेविल्स (यशपाल लॉयंस) ने जोधपुर रॉयल्स के खिलाफ बेहतरीन प्रदर्शन कर जीत हासिल की।
प्रमुख बिंदु
- विजेता टीम को सूचना प्रोद्योगिकी एवं संचार विभाग के संयुक्त सचिव एवं तकनीकी निदेशक सुनील छाबरा द्वारा आईटी कप से सम्मानित किया गया।
- क्रिकेट लीग के मुख्य आयोजक रितेश कुमार शर्मा ने बताया कि लीग का उद्घाटन 3 दिसंबर को सूचना प्रोद्योगिकी एवं संचार विभाग के आयुक्त आशीष गुप्ता द्वारा किया गया था। प्रतियोगिता में विभिन्न ज़िलों की 26 टीमों ने भाग लिया, जिसके अंतर्गत 400 खिलाड़ियों द्वारा अपनी प्रतिभाओं का प्रदर्शन किया गया।
- फाइनल मैच में आईटी डेविल्स के कप्तान देवर्षि शर्मा को उनके शानदार प्रदर्शन के लिये मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार प्रदान किया गया।
हरियाणा के गाँवों में अब शहरों की तर्ज पर उठेगा कूड़ा | हरियाणा | 13 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
12 दिसंबर, 2022 को हरियाणा के विकास एवं पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली ने बताया कि नौ सूत्रीय कार्यक्रम के तहत गाँवों का शहरों की तर्ज पर विकास करते हुए अब राज्य के गाँवों में शहरों की तर्ज पर कूड़ा उठान किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- देवेंद्र सिंह बबली ने बताया कि राज्य के गाँवों में शहरों की तर्ज पर कूड़ा उठान के लिये राज्य सरकार ने NGT की गाइड लाइन लागू कर दी हैं, जिसके तहत एंड टू एंड सॉल्यूशन अनिवार्य हो गया है। इसके अलावा साफ-सफाई का जिम्मा सँभालने वाली कंपनी को गाँव की छोटी सरकार से NOC लेनी होगी, जिसके बाद ही फर्म को भुगतान किया जाएगा।
- उन्होंने बताया कि पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में आपसी सहमति से जन प्रतिनिधियों का चुनाव करने वाली पंचायतों को लगभग 300 करोड़ रुपए की राशि जारी की जाएगी। सभी जन प्रतिनिधि हर सप्ताह लोगों को साथ लेकर श्रमदान करेंगे। साथ ही शहरों की तर्ज पर गाँवों में भी कलस्टर बनाकर कूड़ा प्रबंधन का कार्य किया जाएगा।
- उन्होंने बताया कि आने वाले 2 साल में गाँवों में बहुत बड़ा बदलाव किया जाएगा। सभी गाँवों में E-लाइब्रेरी बनाई जाएंगी जिसमें महिलाएँ व युवा बैठकर UPSC तक की तैयारियाँ कर सकेंगे। गाँवों के पुराने पंचायती भवन या समाज द्वारा बनाई गई इमारतों का सौंदर्यीकरण करके उन्हें मैरिज पैलेस की तर्ज पर विकसित किया जाएगा।
- गाँवों में फिरनियों को पक्का किया जाएगा तथा सोलर लाइट लगवाई जाएंगी और गाँवों के मुख्य मार्गों पर CCTV कैमरे लगाने के लिये भी ग्रामीण योजना तैयार की जाएगी। इससे गाँवों में आपराधिक गतिविधियों को रोकने में काफी मदद मिलेगी। इसके साथ ही इन कैमरों को शहरों से कनेक्ट किया जाएगा।
- गौरतलब है कि हरियाणा देश का पहला राज्य है जहाँ पढ़ी-लिखी और युवा पंचायतें चुनकर आई हैं। राज्य में 70 से 80 फ़ीसदी जन प्रतिनिधि 45 से 50 आयु वर्ग से नीचे की उम्र के हैं। अब विकास कार्यों में गुणवत्ता पर विशेष फोकस रहेगा और सभी गाँवों में एक-एक निगरानी कमेटी बनाकर E-टेंडरिंग के माध्यम से विकास कार्य करवाए जाएंगे।
हरियाणा का वाटर एटलस तैयार | हरियाणा | 13 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
11 दिसंबर, 2022 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण (HWRA) द्वारा दशकों तक काम करने के बाद अब हरियाणा का वाटर एटलस तैयार कर लिया गया है। इसे इसी महीने के अंत में लॉन्च किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- एटलस के ज़रिये अब हर साल राज्य के गिरते भू जल स्तर की जानकारी मिल सकेगी। इसके साथ ही पाँच सालों में वाटर डिमांड-सप्लाई का डाटा भी तैयार हो सकेगा। एटलस के ज़रिये होने वाले मिट्टी के कटाव और बारिश के पैटर्न को भी बताया जाएगा। एटलस के ज़रिये राज्य के किसानों को उनके क्षेत्र में जल स्तर को समझने में काफी मदद मिलेगी।
- एटलस बनाने पर काम कर रहे हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण (HWRA) के अनुसार प्राधिकरण एक्विफर (जल धारण करने वाली चट्टान की भूमिगत परत) का मैप बना रहा है। इस कार्य में हरियाणा अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (HARSAC) भी सहयोग कर रहा है।
- राज्य के वाटर एटलस में पानी की डिमांड और सप्लाई का आने वाले 5 सालों का डाटा होगा। इसमें हर गाँव के परिवार को पानी की ज़रूरत के साथ ही गाँवों के पानी के स्रोतों को भी उल्लेख होगा। यह डाटा पानी के अंतर को मैप करने और अपशिष्ट जल का दोबारा उपयोग करने के तरीकों पर रणनीति बनाने में मदद करेगा।
- विदित है कि हरियाणा राज्य के गठन के समय से ही राज्य में भू-जल स्तर गिरता जा रहा है। हर साल भूजल में एक मीटर की गिरावट आ रही है। राज्य में औसतन भू-जल स्तर 65 मीटर है। कुरुक्षेत्र में यह 42.4 मीटर, करनाल में 22.2 मीटर, कैथल में 32.95 मीटर तक नीचे जा चुका है, जबकि महेंद्रगढ़ में भू-जल स्तर सबसे अधिक नीचे है जो 48.36 मीटर तक जा चुका है।
हरियाणा ने जलवायु परिवर्तन पर संशोधित राज्य कार्ययोजना (एसएपीसीसी-2) को दी मंज़ूरी | हरियाणा | 13 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल की अध्यक्षता में चंडीगढ़ में संपन्न हुई जलवायु परिवर्तन पर हरियाणा राज्य स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी की बैठक में जलवायु परिवर्तन पर संशोधित राज्य कार्य योजना (एसएपीसीसी- 2) को मंज़ूरी प्रदान की गई।
प्रमुख बिंदु
- मुख्य सचिव ने बताया कि जलवायु परिवर्तन पर संशोधित राज्य कार्य योजना (एसएपीसीसी चरण-2) 2021-30 स्वीकृत संशोधित योजना के अनुसार, 73 कार्य प्रस्तावित किये गए हैं, जिनमें से 37 अनुकूलन से जुड़े हैं। 28 मिटिगेशन से और 8 रणनीतियाँ अनुकूलन और मिटिगेशन दोनों से संबंधित हैं।
- 10 वर्षों (2021-30) में इन गतिविधियों के लिये कुल प्रस्तावित बजट 39,371.80 करोड़ रुपए है। अंतिम अनुमोदन के लिये इस कार्य योजना को राष्ट्रीय स्तर की स्टीयरिंग कमेटी, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) को प्रस्तुत किया जाएगा।
- उन्होंने बताया कि संशोधित योजना का उद्देश्य 8 राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) लक्ष्यों पर विचार करते हुए लक्ष्यों को संरेखित और पुनःपरिभाषित करना है।
- इन 8 एनडीसी में सतत् जीवन शैली, स्वच्छ आर्थिक विकास, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की उत्सर्जन तीव्रता को कम करना, गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली की हिस्सेदारी बढ़ाना, कार्बन सिंक (वन) अनुकूलन को बढ़ाना, वित्त और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण व क्षमता निर्माण करना शामिल हैं।
- बैठक में मुख्य सचिव ने सभी संबंधित विभागों को 2030 तक वर्केबल मिटिगेशन और अनुकूलन एक्शन एवं रणनीति के लिये योजनाओं, रणनीतियों और कार्यों को अपडेट करने के निर्देश दिये।इसके अलावा, एसएपीसीसी की निगरानी और मूल्यांकन के लिये राज्य सलाहकार समूह की द्विमासिक बैठक भी आयोजित करने के निर्देश दिये।
- बैठक में बताया गया कि संशोधित एसएपीसीसी चरण-2 में अनुकूलन और मिटिगेशन श्रेणी के तहत 8 विभिन्न सेक्टरों को अलग-अलग कार्य समूहों में जोड़ा गया है। अनुकूलन श्रेणी के तहत इन पाँच कार्य समूहों में सतत् कृषि, जल संसाधन, वन एवं पर्यावरण सहित जैव विविधता, रणनीतिक ज्ञान और कौशल विकास तथा पर्वतीय पारिस्थितिक तंत्र शामिल हैं। मिटिगेशन श्रेणी के लिये तीन कार्य समूहों में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देना, सौर मिशन, सतत् आवास और उद्योग शामिल हैं।
लोहरदगा में 33वाँ प्रांतीय शिशु वर्ग खेलकूद प्रतियोगिता का समापन | झारखंड | 13 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
12 दिसंबर, 2022 को झारखंड के लोहरदगा के शीला अग्रवाल सरस्वती विद्या मंदिर परिसर में चल रहे तीन दिवसीय 33वें प्रांतीय शिशु वर्ग खेलकूद प्रतियोगिता समारोह का समापन हुआ। इस प्रतियोगिता में सुंदरी देवी सरस्वती शिशु मंदिर लोहरदगा ओवरऑल चैंपियन रहा।
प्रमुख बिंदु
- 33वाँ प्रांतीय शिशु वर्ग खेलकूद प्रतियोगिता में सुंदरी देवी सरस्वती शिशु मंदिर के छात्र लोहरदगा के कमलेश उराँव ने व्यक्तिगत रूप से तीन स्वर्ण पदक जीतकर सर्वश्रेष्ठ एथलीट बनने का गौरव प्राप्त किया।
- खो-खो प्रतियोगिता के बालक वर्ग में सरस्वती शिशु मंदिर चाईबासा, शिशु मंदिर लोहरदगा व सरस्वती शिशु मंदिर कुम्हार टोली क्रमश: प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर रहे। वहीं, बालिका वर्ग से सरस्वती शिशु मंदिर लोहरदगा, सरस्वती शिशु मंदिर भरनो व सरस्वती शिशु मंदिर हज़ारीबाग क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर रहे।
- 400 मीटर रिले दौड़ में बालक वर्ग से सरस्वती शिशु मंदिर लोहरदगा, सरस्वती शिशु मंदिर सितिक बोना व सरस्वती शिशु मंदिर सिंदरी क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर रहे। बालिका वर्ग में सरस्वती शिशु मंदिर लोहरदगा प्रथम, द्वितीय खलारी व तृतीय राजकमल रहे।
- कबड्डी में बालिका वर्ग से सरस्वती शिशु मंदिर चांपी, बाघमारा व बोकारो 9 डी क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय रहे। गोला फेंक में बालिका वर्ग से डकरा की ज्योति, चाईबासा की अंजलि व मेदिनीनगर की आयुषी क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर रहीं।
उत्तराखंड में जंगलों की आग बुझाने के लिये ग्रामीणों को मिलेगी प्रोत्साहन राशि | उत्तराखंड | 13 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
12 दिसंबर, 2022 को उत्तराखंड वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन के मुख्य वन संरक्षक निशांत वर्मा ने बताया कि वनाग्नि पर काबू पाने के लिये जन सहभागिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य में वनाग्नि प्रबंधन समितियों का गठन किया जा रहा है। इसके लिये उन्हें प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया गया है।
प्रमुख बिंदु
- निशांत वर्मा ने बताया कि जंगलों की आग बुझाने के लिये ग्रामीणों को प्रोत्साहन राशि देने के प्रथम चरण में चीड़ बाहुल्य वन प्रभागों को योजना में लिया जा रहा है। इसमें वन पंचायतों का क्षेत्र भी शामिल होगा। इसके लिये वनाग्नि प्रबंधन समितियों का गठन किया जा रहा है।
- गौरतलब है कि राज्य के वनों में प्रतिवर्ष औसतन 2000 से 2200 वनाग्नि की घटनाएँ होती हैं। इनमें हर साल करीब तीन हज़ार हेक्टेयर से अधिक जंगल जल जाता है। वर्ष 2022 में अब तक वनाग्नि की 2,186 घटनाएँ सामने आ चुकी हैं। इनमें 05 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुँचा, जबकि इससे पहले वर्ष 2021 में वनाग्नि की 2,780 वनाग्नि की घटनाएँ दर्ज की गई थीं।
- उन्होंने बताया कि बीते सालों में सर्दियों के मौसम में भी वनाग्नि की घटनाएँ हो चुकी हैं। इस समस्या से पार पाने के लिये पहली बार ग्राम पंचायत स्तर पर वनाग्नि प्रबंधन समितियों का गठन किया जा रहा है। अभी तक तीन वन प्रभागों अल्मोड़ा, टिहरी और गोपेश्वर में 48 वनाग्नि प्रबंधन समितियों का गठन किया जा चुका है। समिति में ग्रामीणों के साथ ग्राम पंचायतों, वन पंचायतों के सरपंच और वनकर्मियों को शामिल किया जा रहा है।
- विदित है कि राज्य में कुल 11 हज़ार 300 वन पंचायतें हैं। इन्हें अस्थायी तौर पर आसपास के जंगलों की वनाग्नि से सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जाएगी।
- निशांत वर्मा ने बताया कि जंगल में आग लगने पर यदि यह समितियाँ तत्परता दिखाते हुए उसे बुझा देती हैं, तो उन्हें प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यह राशि कितनी होगी, इस पर अभी विचार किया जा रहा है। राज्य में वनाग्नि पर काबू पाने के लिये प्रतिवर्ष करीब 15 करोड़ रुपए के आसपास खर्च किये जाते हैं।
उत्तराखंड राज्य (न्यायालयों द्वारा आजीवन कारावास की सजा से दंडित सिद्धदोष बंदियों की सजामाफी/समयपूर्व मुक्ति के लिये) स्थायी नीति, 2022 की अधिसूचना जारी | उत्तराखंड | 13 Dec 2022
चर्चा में क्यों?
12 दिसंबर, 2022 को उत्तराखंड की अपर मुख्य सचिव गृह राधा रतूड़ी ने उत्तराखंड राज्य (न्यायालयों द्वारा आजीवन कारावास की सजा से दंडित सिद्धदोष बंदियों की सजामाफी/समयपूर्व मुक्ति के लिये स्थायी नीति, 2022 की अधिसूचना जारी की।
प्रमुख बिंदु
- उत्तराखंड राज्य (न्यायालयों द्वारा आजीवन कारावास की सजा से दंडित सिद्धदोष बंदियों की सजामाफी/समयपूर्व मुक्ति के लिये) स्थायी नीति, 2022 के अंतर्गत आजीवन कारावास में बंद महिला और पुरुष कैदी समान सजा के बाद रिहा हो सकेंगे। रिहाई के लिये उन्हें अच्छे आचरण, अपराध की प्रकृति और आयु की कसौटी पर परखा जाएगा। उनकी 50 हज़ार रुपए के निजी मुचलके पर रिहाई हो सकेगी।
- अपराध की प्रकृति के साथ बंदियों की रिहाई पर निर्णय होगा। यदि कोई बंदी गलती से रिहा हो जाता है तो उसे दोबारा जेल भेजा जा सकेगा। 13 से अधिक गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बंदियों को भी रिहाई मिल सकेगी।
- इस नीति के तहत आजीवन कारावास के तहत अब अधिकतम 14 साल की सजा होगी। अभी तक महिलाओं के लिये 14 साल और पुरुषों के लिये 16 साल की सजा का प्रावधान था। लेकिन अब ऐसे सिद्धदोष महिला व पुरुष बंदी जिनकी बिना पैरोल के 14 साल और पैरोल के साथ 16 वर्ष की सजा पूरी हो गई है, उनकी सजा माफ हो सकेगी।
- इसी तरह 70 वर्ष से अधिक आयु के बगैर पैरोल वाले बंदी 12 वर्ष और पैरोल पर रहे 14 वर्ष और 80 वर्ष से अधिक उम्र के कैदी बगैर पैरोल 10 वर्ष और पैरोल के साथ 12 वर्ष में रिहा हो सकेंगे।
- नीति के अनुसार ऐसे मामलों पर विचार करने के लिये प्रमुख सचिव या सचिव गृह की अध्यक्षता में एक कमेटी बनेगी। इस कमेटी में प्रमुख सचिव या सचिव न्याय एवं विधि परामर्शी, प्रमुख सचिव या सचिव गृह और अपर सचिव गृह (कारागार) सदस्य होंगे, जबकि महानिरीक्षक कारागार सदस्य सचिव होंगे।