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हरियाणा के गाँवों में अब शहरों की तर्ज पर उठेगा कूड़ा
चर्चा में क्यों?
12 दिसंबर, 2022 को हरियाणा के विकास एवं पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली ने बताया कि नौ सूत्रीय कार्यक्रम के तहत गाँवों का शहरों की तर्ज पर विकास करते हुए अब राज्य के गाँवों में शहरों की तर्ज पर कूड़ा उठान किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- देवेंद्र सिंह बबली ने बताया कि राज्य के गाँवों में शहरों की तर्ज पर कूड़ा उठान के लिये राज्य सरकार ने NGT की गाइड लाइन लागू कर दी हैं, जिसके तहत एंड टू एंड सॉल्यूशन अनिवार्य हो गया है। इसके अलावा साफ-सफाई का जिम्मा सँभालने वाली कंपनी को गाँव की छोटी सरकार से NOC लेनी होगी, जिसके बाद ही फर्म को भुगतान किया जाएगा।
- उन्होंने बताया कि पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में आपसी सहमति से जन प्रतिनिधियों का चुनाव करने वाली पंचायतों को लगभग 300 करोड़ रुपए की राशि जारी की जाएगी। सभी जन प्रतिनिधि हर सप्ताह लोगों को साथ लेकर श्रमदान करेंगे। साथ ही शहरों की तर्ज पर गाँवों में भी कलस्टर बनाकर कूड़ा प्रबंधन का कार्य किया जाएगा।
- उन्होंने बताया कि आने वाले 2 साल में गाँवों में बहुत बड़ा बदलाव किया जाएगा। सभी गाँवों में E-लाइब्रेरी बनाई जाएंगी जिसमें महिलाएँ व युवा बैठकर UPSC तक की तैयारियाँ कर सकेंगे। गाँवों के पुराने पंचायती भवन या समाज द्वारा बनाई गई इमारतों का सौंदर्यीकरण करके उन्हें मैरिज पैलेस की तर्ज पर विकसित किया जाएगा।
- गाँवों में फिरनियों को पक्का किया जाएगा तथा सोलर लाइट लगवाई जाएंगी और गाँवों के मुख्य मार्गों पर CCTV कैमरे लगाने के लिये भी ग्रामीण योजना तैयार की जाएगी। इससे गाँवों में आपराधिक गतिविधियों को रोकने में काफी मदद मिलेगी। इसके साथ ही इन कैमरों को शहरों से कनेक्ट किया जाएगा।
- गौरतलब है कि हरियाणा देश का पहला राज्य है जहाँ पढ़ी-लिखी और युवा पंचायतें चुनकर आई हैं। राज्य में 70 से 80 फ़ीसदी जन प्रतिनिधि 45 से 50 आयु वर्ग से नीचे की उम्र के हैं। अब विकास कार्यों में गुणवत्ता पर विशेष फोकस रहेगा और सभी गाँवों में एक-एक निगरानी कमेटी बनाकर E-टेंडरिंग के माध्यम से विकास कार्य करवाए जाएंगे।
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हरियाणा का वाटर एटलस तैयार
चर्चा में क्यों?
11 दिसंबर, 2022 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण (HWRA) द्वारा दशकों तक काम करने के बाद अब हरियाणा का वाटर एटलस तैयार कर लिया गया है। इसे इसी महीने के अंत में लॉन्च किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- एटलस के ज़रिये अब हर साल राज्य के गिरते भू जल स्तर की जानकारी मिल सकेगी। इसके साथ ही पाँच सालों में वाटर डिमांड-सप्लाई का डाटा भी तैयार हो सकेगा। एटलस के ज़रिये होने वाले मिट्टी के कटाव और बारिश के पैटर्न को भी बताया जाएगा। एटलस के ज़रिये राज्य के किसानों को उनके क्षेत्र में जल स्तर को समझने में काफी मदद मिलेगी।
- एटलस बनाने पर काम कर रहे हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण (HWRA) के अनुसार प्राधिकरण एक्विफर (जल धारण करने वाली चट्टान की भूमिगत परत) का मैप बना रहा है। इस कार्य में हरियाणा अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (HARSAC) भी सहयोग कर रहा है।
- राज्य के वाटर एटलस में पानी की डिमांड और सप्लाई का आने वाले 5 सालों का डाटा होगा। इसमें हर गाँव के परिवार को पानी की ज़रूरत के साथ ही गाँवों के पानी के स्रोतों को भी उल्लेख होगा। यह डाटा पानी के अंतर को मैप करने और अपशिष्ट जल का दोबारा उपयोग करने के तरीकों पर रणनीति बनाने में मदद करेगा।
- विदित है कि हरियाणा राज्य के गठन के समय से ही राज्य में भू-जल स्तर गिरता जा रहा है। हर साल भूजल में एक मीटर की गिरावट आ रही है। राज्य में औसतन भू-जल स्तर 65 मीटर है। कुरुक्षेत्र में यह 42.4 मीटर, करनाल में 22.2 मीटर, कैथल में 32.95 मीटर तक नीचे जा चुका है, जबकि महेंद्रगढ़ में भू-जल स्तर सबसे अधिक नीचे है जो 48.36 मीटर तक जा चुका है।
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हरियाणा ने जलवायु परिवर्तन पर संशोधित राज्य कार्ययोजना (एसएपीसीसी-2) को दी मंज़ूरी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल की अध्यक्षता में चंडीगढ़ में संपन्न हुई जलवायु परिवर्तन पर हरियाणा राज्य स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी की बैठक में जलवायु परिवर्तन पर संशोधित राज्य कार्य योजना (एसएपीसीसी- 2) को मंज़ूरी प्रदान की गई।
प्रमुख बिंदु
- मुख्य सचिव ने बताया कि जलवायु परिवर्तन पर संशोधित राज्य कार्य योजना (एसएपीसीसी चरण-2) 2021-30 स्वीकृत संशोधित योजना के अनुसार, 73 कार्य प्रस्तावित किये गए हैं, जिनमें से 37 अनुकूलन से जुड़े हैं। 28 मिटिगेशन से और 8 रणनीतियाँ अनुकूलन और मिटिगेशन दोनों से संबंधित हैं।
- 10 वर्षों (2021-30) में इन गतिविधियों के लिये कुल प्रस्तावित बजट 39,371.80 करोड़ रुपए है। अंतिम अनुमोदन के लिये इस कार्य योजना को राष्ट्रीय स्तर की स्टीयरिंग कमेटी, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) को प्रस्तुत किया जाएगा।
- उन्होंने बताया कि संशोधित योजना का उद्देश्य 8 राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) लक्ष्यों पर विचार करते हुए लक्ष्यों को संरेखित और पुनःपरिभाषित करना है।
- इन 8 एनडीसी में सतत् जीवन शैली, स्वच्छ आर्थिक विकास, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की उत्सर्जन तीव्रता को कम करना, गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली की हिस्सेदारी बढ़ाना, कार्बन सिंक (वन) अनुकूलन को बढ़ाना, वित्त और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण व क्षमता निर्माण करना शामिल हैं।
- बैठक में मुख्य सचिव ने सभी संबंधित विभागों को 2030 तक वर्केबल मिटिगेशन और अनुकूलन एक्शन एवं रणनीति के लिये योजनाओं, रणनीतियों और कार्यों को अपडेट करने के निर्देश दिये।इसके अलावा, एसएपीसीसी की निगरानी और मूल्यांकन के लिये राज्य सलाहकार समूह की द्विमासिक बैठक भी आयोजित करने के निर्देश दिये।
- बैठक में बताया गया कि संशोधित एसएपीसीसी चरण-2 में अनुकूलन और मिटिगेशन श्रेणी के तहत 8 विभिन्न सेक्टरों को अलग-अलग कार्य समूहों में जोड़ा गया है। अनुकूलन श्रेणी के तहत इन पाँच कार्य समूहों में सतत् कृषि, जल संसाधन, वन एवं पर्यावरण सहित जैव विविधता, रणनीतिक ज्ञान और कौशल विकास तथा पर्वतीय पारिस्थितिक तंत्र शामिल हैं। मिटिगेशन श्रेणी के लिये तीन कार्य समूहों में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देना, सौर मिशन, सतत् आवास और उद्योग शामिल हैं।
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