लखपति दीदी- छत्तीसगढ़ में जीवन का परिवर्तन | छत्तीसगढ़ | 13 Sep 2024
चर्चा में क्यों
हाल ही में लखपति दीदी योजना ने छत्तीसगढ़ में महिलाओं के जीवन पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाला है, क्योंकि इससे उन्हें विभिन्न स्वयं सहायता समूह (SHG) पहलों के माध्यम से सहायता मिली है, जिससे उन्हें आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सशक्त बनने में मदद मिली है। मुख्य बिंदु:
- लखपति दीदी योजना: केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना का लक्ष्य ज़िले की 35,000 महिलाओं को लखपति बनाना है।
- " लखपति दीदी" स्वयं सहायता समूह की वह सदस्य होती है, जिसने सफलतापूर्वक एक लाख रुपए या उससे अधिक की वार्षिक घरेलू आय प्राप्त कर ली हो।
- यह आय कम-से-कम चार कृषि मौसमों या व्यवसाय चक्रों तक बनी रहती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि औसत मासिक आय दस हजार रुपए (10,000 रुपए) से अधिक हो।
- इसकी शुरुआत दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) द्वारा की गई थी, जिसमें प्रत्येक स्वयं सहायता समूह (SHG) परिवार को मूल्य शृंखला हस्तक्षेपों के साथ-साथ विभिन्न आजीविका गतिविधियों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप प्रतिवर्ष 1,00,000 रुपए या उससे अधिक की स्थायी आय होती है।
- उद्देश्य: इस पहल का उद्देश्य न केवल महिलाओं की आय में सुधार करके उन्हें सशक्त बनाना है, बल्कि स्थायी आजीविका प्रथाओं के माध्यम से उनके जीवन में बदलाव लाना है।
- ये महिलाएँ अपने समुदायों में आदर्श के रूप में कार्य करती हैं और प्रभावी संसाधन प्रबंधन एवं उद्यमशीलता की शक्ति का प्रदर्शन करती हैं।
- उपलब्धियाँ: वर्ष 2023 में लखपति दीदी योजना की शुरुआत के बाद से, एक करोड़ महिलाओं को पहले ही लखपति दीदी बनाया जा चुका है और सरकार ने ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को बदलने वाली 9 करोड़ महिलाओं के साथ 83 लाख SHG की सफलता को मान्यता देते हुए लखपति दीदी के लक्ष्य को 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ करने की घोषणा की है।
- लुण्ड्रा विकासखण्ड (छत्तीसगढ़) में सकारात्मक परिवर्तन की सूचना मिली
- शोभा लाकड़ा का व्यक्तिगत अनुभव
- समूह: चंपा महिला स्वयं सहायता समूह
- गतिविधियाँ: बकरी और भेड़ पालन
- लाभ: सरकारी योजनाओं की जानकारी, आपसी सहयोग, ऋण और सालाना ₹1 लाख से अधिक की कमाई