उत्तर प्रदेश Switch to English
प्रदेश में खुलेंगे नौ नए डेयरी संयंत्र
चर्चा में क्यों?
12 सितंबर, 2022 को ग्रेटर नोएडा में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय डेयरी महासंघ विश्व डेयरी सम्मेलन 2022 (IDF World Dairy Summit 2022) के उद्घाटन सत्र में अपने भाषण के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य देश का शीर्ष दूध उत्पादक है और अगले दो वर्षों में नौ नए डेयरी संयंत्र काम करने लगेंगे।
प्रमुख बिंदु
- उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय डेयरी महासंघ विश्व डेयरी सम्मेलन 2022 का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। यह सम्मेलन इससे पहले भारत में 1974 में आयोजित किया गया था।
- चार दिन तक चलने वाले इस डेयरी सम्मेलन में भारत सहित दुनिया भर के डेयरी से जुड़े लोग हिस्सा ले रहे हैं। इसके अलावा कार्यक्रम में उद्योग जगत के लीडर, विशेषज्ञ, किसान और नीति निर्माता भी हिस्सा लेंगे।
- यह सम्मेलन ‘पोषण और आजीविका के लिये डेयरी’विषय पर केंद्रित है। इसके अलावा यह रोज़गार सृजन और पोषण पर भी ध्यान केंद्रित करता है, जो काफी प्रासंगिक मुद्दे हैं।
- योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश 319 लाख टन वार्षिक दूध उत्पादन के साथ देश के कुल डेयरी उत्पादन में 16 प्रतिशत का योगदान देता है और देश का शीर्ष दूध उत्पादक राज्य है।
- उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में अभी संगठित क्षेत्र में 110 डेयरियाँ काम कर रही हैं और इसमें सहकारी क्षेत्र की डेयरियाँ भी शामिल हैं। प्रदेश में 8,600 दुग्ध समितियाँ भी हैं, जिनके जरिये दूध उत्पादन में लगे चार लाख से अधिक सदस्य सक्रिय हैं।
- उन्होंने कहा कि इस समय उत्तर प्रदेश में नए ग्रीनफील्ड डेयरी संयंत्र शुरू करने के लिये काम तेजी से चल रहा है। ये संयंत्र अगले एक से दो साल में चालू हो जाएंगे। राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में ऐसी ही चार और दुग्ध उत्पादक संस्थाओं की स्थापना करने के लिये काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अगले पाँच वर्षों के दौरान नंद बाबा दूध मिशन के तहत राज्य में निवेश करेगी।
उत्तर प्रदेश Switch to English
प्रधानमंत्री ने ग्रेटर नोएडा में अंतर्राष्ट्रीय डेयरी महासंघ विश्व डेयरी शिखर सम्मेलन 2022 का उद्घाटन किया
चर्चा में क्यों?
12 सितंबर, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय डेयरी महासंघ विश्व डेयरी सम्मेलन 2022 IDF World Dairy Summit 2022) का उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
- 12 से 15 सितंबर तक आयोजित चार-दिवसीय आईडीएफ डब्ल्यूडीएस 2022, ‘डेयरी फॉर न्यूट्रिशन एंड लाइवलीहुड’के विषय पर केंद्रित उद्योग जगत के दिग्गजों, विशेषज्ञों, किसानों और नीति योजनाकारों सहित वैश्विक व भारतीय डेयरी हितधारकों का एक समूह है।
- आईडीएफ डब्ल्यूडीएस 2022 में 50 देशों के लगभग 1500 प्रतिभागियों के भाग लेने की उम्मीद है। इस तरह का पिछला शिखर सम्मेलन भारत में लगभग आधी सदी पहले 1974 में आयोजित किया गया था।
- प्रधानमंत्री ने भारत के सांस्कृतिक परिदृश्य में ‘पशु धन’और दूध से संबंधित व्यवसाय के महत्त्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि विश्व के अन्य विकसित देशों से अलग, भारत में डेयरी सेक्टर की असली ताकत छोटे किसान हैं। भारत के डेयरी सेक्टर की पहचान ‘मास प्रोडक्शन’से ज्यादा ‘प्रोडक्शन बाय मासेस’की है। एक, दो या तीन मवेशियों वाले इन छोटे किसानों के प्रयासों के आधार पर भारत सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है।
- उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में दूध का उत्पादन 2 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है जबकि भारत में यह 6 प्रतिशत से अधिक की वार्षिक दर से बढ़ रहा है। यह क्षेत्र देश में 8 करोड़ से अधिक परिवारों को रोज़गार प्रदान करता है।
- सरकार ने डेयरी क्षेत्र की बेहतरी के लिये कई कदम उठाए हैं, जिसके परिणामस्वरूप पिछले आठ वर्षों में दूध उत्पादन में 44 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है।
- भारतीय डेयरी उद्योग अनूठा है, क्योंकि यह एक सहकारी मॉडल पर आधारित है, जो छोटे और सीमांत डेयरी किसानों, विशेषकर महिलाओं को सशक्त बनाता है।
- भारतीय डेयरी उद्योग की सफलता की कहानी, जो वैश्विक दूध का लगभग 23 प्रतिशत हिस्सा है, सालाना लगभग 210 मिलियन टन का उत्पादन करती है और 8 करोड़ से अधिक डेयरी किसानों को सशक्त बनाती है, को आईडीएफ डब्ल्यूडीएस 2022 में प्रदर्शित किया जाएगा।
- इस शिखर सम्मेलन के आयोजन से भारतीय डेयरी को मदद मिलेगी साथ ही किसानों को वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी।
बिहार Switch to English
बीएसपीएचसीएल ने किया आरईसी लिमिटेड के साथ समझौते पर हस्ताक्षर
चर्चा में क्यों?
12 सितंबर, 2022 को बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड (बीएसपीएचसीएल) ने बिजली के बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने के लिये बड़ा कदम उठाते हुए आरईसी लिमिटेड के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया।
प्रमुख बिंदु
- बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) की परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार और कुल तकनीकी और वाणिज्यिक (एटीएंडसी) घाटे में कटौती के लिये पुनरुत्थान वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) के तहत आरईसी लिमिटेड के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किये गए।
- बीएसपीएचसीएल के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक (सीएमडी) संजीव हंस ने उत्तर बिहार विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (एनबीपीडीसीएल) और दक्षिण बिहार विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (एसबीपीडीसीएल) के प्रबंध निदेशकों की उपस्थिति में आरईसी लिमिटेड के मुख्य कार्यक्रम प्रबंधक जोगीनाथ प्रधान के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- समझौते के तहत एनबीपीडीसीएल और एसबीपीडीसीएल को 6,625 करोड़ रुपए मिलेंगे। इसके अलावा स्मार्ट प्रीपेड मीटर के काम के लिये 1,993 करोड़ रुपए मिलेंगे। कुल आवंटित धन में से केंद्र की तरफ से 60% और राज्य सरकार की ओर से 40% रकम आएगी।
- आरडीएसएस के तहत बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने के लिये एनबीपीडीसीएल को 3,100 करोड़ रुपए और एसबीपीडीसीएल को 3,525 करोड़ रुपए मिलेंगे। वहीं स्मार्ट प्रीपेड मीटर के काम के लिये एनबीपीडीसीएल को 969 करोड़ रुपए और एसबीपीडीसीएल को 1,024 करोड़ रुपए आवंटित किये जाएंगे।
- सूचना प्रौद्योगिकी परिचालन प्रौद्योगिकी (आईटीओटी) के लिये मार्च 2026 तक एटी एंड सी घाटे में कटौती के लिये बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को 400 करोड़ रुपए आवंटित किये जाएंगे।
- संजीव हंस के मुताबिक धन के आवंटन के साथ बुनियादी ढाँचे को मज़बूत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि एनबीपीडीसीएल के 25.74% (2020-21) के एटी एंड सी को 2025 तक 16% और अगले तीन वर्षों में एसबीपीडीसीएल के लिये 36.80% (2020-21) से घटाकर 20% करने का लक्ष्य रखा है।
मध्य प्रदेश Switch to English
प्रदेश में ज़िला वेटलैंड संरक्षण समितियों का गठन
चर्चा में क्यों?
12 सितंबर, 2022 को राज्य शासन द्वारा ज़िला कलेक्टर्स की अध्यक्षता में वेटलैंड संरक्षण समितियों का गठन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- समिति में मुख्य कार्यपालन अधिकारी ज़िला पंचायत ग्रामीण क्षेत्रों के लिये और आयुक्त नगर निगम एवं मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर निगम परिषद, नगरीय क्षेत्रों में सदस्य सचिव होंगे।
- सदस्यों में ज़िला वन मंडलाधिकारी, ज़िला भू-बंदोबस्त अधिकारी, अधीक्षण या कार्यपालन या सहायक यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी और जल-संसाधन विभाग, संयुक्त संचालक या उप संचालक, सहायक संचालक नगर तथा ग्राम निवेश, कृषि, मछली-पालन, क्षेत्रीय अधिकारी मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य वेटलैंड प्राधिकरण एप्को के अधिकारी होंगे।
- ज़िला वेटलैंड संरक्षण समिति के कर्तव्यों में ज़िला स्तर पर तालाबों के समग्र संरक्षण और प्रबंधन के संबंध में समुचित कार्यवाही करना, राज्य वेटलैंड प्राधिकरण की सहयोगी इकाई के रूप में कार्य करना, ज़िले में वेटलैंड नियम-2017 का प्रभावी क्रियान्वयन, राज्य और केंद्र शासन द्वारा संचालित योजनाओं के क्रियान्वयन, मूल्यांकन और निगरानी में राज्य वेटलैंड प्राधिकरण का सहयोग करना शामिल है।
- समिति ज़िले के तालाबों की समस्त जानकारी एकत्र कर डाटाबेस तैयार करेगी और उसके संधारण के लिये भी उत्तरदायी होगी। समिति ज़िले में तालाबों के संरक्षण से जुड़े संबंधित विभागों और हितधारकों के बीच समन्वय करने के साथ चिह्नित डिजिटल वेटलैंड इन्वेंट्री के अनुसार तालाबों की पहचान एवं मैदानी स्तर पर पुष्टि करेगी।
- समिति वेटलैंड, तालाब, नदी, अन्य जल-स्रोतों, प्राकृतिक संसाधनों के पर्यावरणीय संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण के लिये लोगों को जागरूक करने के लिये जागरूकता प्रशिक्षण और क्षमता विकास के कार्यक्रमों का आयोजन विश्व वेटलैंड दिवस, विश्व जल दिवस, विश्व पृथ्वी दिवस, विश्व पर्यावरण दिवस आदि विशेष अवसरों पर करेगी।
झारखंड Switch to English
झारखंड में एक-एक लाख कुओं और तालाबों का होगा निर्माण
चर्चा में क्यों?
12 सितंबर, 2022 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में मंत्रालय में आयेाजित आपदा प्रबंधन प्राधिकार की बैठक में निर्णय लिया गया कि सूखे की स्थिति से निपटने के लिये राज्य में एक-एक लाख कुओं और तालाबों का निर्माण कराया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- आपदा प्रबंधन प्राधिकार की बैठक समाप्त होने के बाद विभागीय मंत्री बन्ना गुप्ता ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास एवं रोज़गार सृजन के लिये ढाई हज़ार करोड़ रुपए की योजना मनाई जाएगी।
- मंत्री बन्ना गुप्ता ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार सृजन के लिये हर गाँव में मनरेगा की 5 योजनाओं पर कार्य शुरू किया जाएगा, वहीं ग्रामीणों को 1 लाख रुपए की दुर्घटना बीमा राशि प्रदान की जाएगी।
- इसके अलावा झारखंड में लागू सर्वजन पेंशन की राशि का हर महीने की 5 तारीख तक भुगतान सुनिश्चित कराने और इस योजना का लाभ अधिक से अधिक लोगों को दिलाने का प्रयास किया जाएगा।
- आपदा प्रबंधन मंत्री ने बताया कि झारखंड में 5 लाख नए राशन कार्ड बनाए जाएंगे। इसके अलावा अनुग्रह राशि पर भी सरकार फोकस कर रही है। राज्य के गरीब किसानों का पलायन न हो, मवेशियों को पर्याप्त चारा मिले और पानी की किल्लत दूर हो, इस दिशा में भी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
- बैठक में अधिकारियों ने यह जानकारी दी कि इससे पहले वर्ष 2013-14, 2018-19 और 2022-23 में राज्य के विभिन्न हिस्सों में सूखे की स्थिति उत्पन्न हुई है। इस तरह हर तीसरे-चौथे वर्ष में राज्य के विभिन्न हिस्सों में सूखे की स्थिति उत्पन्न हो रही है तथा मौसम चक्र के प्रभाव से परेशानी हो रही है।
उत्तराखंड Switch to English
छह युवाओं ने उत्तराखंड में खोजा नया ताल
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड में टिहरी, पौड़ी और रुद्रप्रयाग जनपद के छह युवाओं ने हिमालय क्षेत्र में नया ताल खोज निकाला है। अभी ताल को कोई नाम नहीं दिया गया है। यह ताल 160 मीटर लंबा व 155 मीटर चौड़ा है।
प्रमुख बिंदु
- गौंडार गाँव के अभिषेक पंवार व आकाश पंवार, गिरीया गाँव के दीपक पंवार, टिहरी-बडियागढ़ के विनय नेगी व ललित मोहन लिंगवाल और खंडाह-श्रीनगर के अरविंद रावत ने बीते 27 अगस्त को गौंडार गाँव से अपने ट्रेकिंग अभियान की शुरुआत की।
- दल में शामिल अभिषेक पंवार ने बताया कि अनाम ताल के चारों तरफ नंदी कुंड, कांछनी ताल, आशीत ताल, मैना ताल स्थित हैं। टिहरी-बडियारगढ़ के विनय सिंह नेगी ने बीते वर्ष जून-जुलाई में गूगल अर्थ में मँहेश्वर-पांडवसेरा-नंदकुंडी-घिया विनायक पास-पनपतिया ट्रेकिंग सर्किट के निकट एक ताल को पाया।
- उन्होंने पूरे ट्रेकिंग सर्किट का डिजिटल मैप तैयार किया और पुराने नक्शों की मदद भी ली। इसके बाद सभी छह युवाओं ने इस अनाम ताल की खोजबीन की योजना बनाई और ताल खोज अभियान शुरू किया। युवा ट्रेकर गूगल अर्थ व पुराने नक्शों की मदद से ताल तक पहुँचे। नया ताल बहुत ही सुंदर व भव्य है।
- युवाओं के अनुसार समुद्रतल से 4350 मीटर की ऊँचाई पर स्थित सूखा ताल से वे ग्लेशियर कैंप स्थल पहुँचे जो समुद्रतल से 5100 मीटर की ऊँचाई पर है। इसके बाद ट्रेकर एक सितंबर को ग्लेशियर कैंप से आगे बढ़ते हुए लगभग डेढ़ सौ मीटर नीचे उतरे जहाँ पर उन्हें यह ताल नज़र आया।
- यह ताल समुद्रतल से 4870 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। ताल की लंबाई 160 मीटर, चौड़ाई 155 मीटर है। ताल के नामकरण को लेकर उस पूरे क्षेत्र का अध्ययन किया जाएगा जो प्राचीन ताल व कुंड से सजा हुआ है।
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