उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश के 10 पुलिसकर्मी केंद्रीय गृह मंत्री पदक के लिये चयनित
चर्चा में क्यों?
12 अगस्त, 2022 को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी प्रतिष्ठित केंद्रीय गृह मंत्री पदक 2022 के लिये चुने गए 151 पुलिसकर्मियों की सूची में उत्तर प्रदेश के 10 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री पदक 2022 के लिये घोषित 151 पुलिसकर्मियों की सूची में 28 महिला पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
- इस सूची में सीबीआई के 15, एनआईए के 5, महाराष्ट्र पुलिस के 11, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश पुलिस के 10-10, केरल, राजस्थान और पश्चिम बंगाल पुलिस के 8-8 कर्मी और शेष अन्य राज्यों के हैं।
- इस प्रतिष्ठित पदक से सम्मानित होने वाले पुलिसकर्मियों में उत्तर प्रदेश पुलिस के उप-पुलिस अधीक्षक संसार सिंह राठी, उप-पुलिस अधीक्षक सविरतना गौतम, एसएचओ कमलेश सिंह, इंस्पेक्टर राम गोविंद मिश्रा, इंस्पेक्टर संतोष कुमार शर्मा, इंस्पेक्टर योगेंद्र कुमार, इंस्पेक्टर शैलेश कुमार राय, इंस्पेक्टर भैया शिवप्रसाद सिंह, सब-इंस्पेक्टर नीरज कुमार पाल और सब-इंस्पेक्टर सूरज कुमार तिवारी शामिल हैं।
- उल्लेखनीय है कि अपराध की जाँच में उच्च पेशेवर मानकों को बढ़ावा देने और जाँच अधिकारियों द्वारा जाँच में इस तरह की उत्कृष्टता को मान्यता देने के उद्देश्य से केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 2018 में इस पदक की स्थापना की गई थी।
- इसके तहत किसी भी अपराध की जाँच में उच्च मानकों को स्थापित करके पेशेवर रवैये को बढ़ाने, ईमानदारी, कर्त्तव्यनिष्ठा व काम से असाधारण साहस का परिचय देने वाले पुलिसकर्मियों को यह मेडल दिया जाता है।
- 2018 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पुलिसकर्मियों को प्रोत्साहित करने के लिये पाँच पुलिस पदक शुरू किये थे। इसमें विशेष संचालन पदक, पुलिस आंतरिक सुरक्षा सेवा पदक, असाधारण कुशलता पदक, उत्कृष्ट एवं अति उत्कृष्ट सेवा पदक और जाँच में उत्कृष्टता पदक शामिल हैं।
राजस्थान Switch to English
1 करोड़ बच्चों ने एक साथ देशभक्ति गीत गाकर बनाया विश्व रिकॉर्ड
चर्चा में क्यों?
12 अगस्त, 2022 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की उपस्थिति में सवाई मान सिंह स्टेडियम में प्रदेश के सरकारी व निजी स्कूलों के 1 करोड़ बच्चों ने देशभक्ति गीतों का सामूहिक गान कर विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया।
प्रमुख बिंदु
- आज़ादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे अमृत महोत्सव के तहत राज्य, ज़िला, ब्लॉक व विद्यालय स्तर पर शिक्षा विभाग व कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में प्रदेश भर से 1 करोड़ बच्चों ने एक साथ देशभक्ति गीतों का सामूहिक गायन किया।
- बच्चों ने झंडा ऊँचा रहे हमारा, सारे जहाँ से अच्छा, आओ बच्चों तुम्हे दिखाएँ झाँकी हिंदुस्तान की, हम होंगे कामयाब जैसे देशभक्ति से ओत-प्रोत गीतों के साथ राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम्’व राष्ट्रगान ‘जन गण मन’का भी गायन किया।
- इस अवसर वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड के उपाध्यक्ष प्रथम भल्ला ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को विश्व रिकॉर्ड का प्रोविजनल सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया, जिसे मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों व समस्त प्रदेशवासियों को समर्पित किया।
मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश के 10 पुलिसकर्मी केंद्रीय गृह मंत्री पदक के लिये चयनित
चर्चा में क्यों?
12 अगस्त, 2022 को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी प्रतिष्ठित केंद्रीय गृह मंत्री पदक 2022 के लिये चुने गए 151 पुलिसकर्मियों की सूची में मध्य प्रदेश के 10 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री पदक 2022 के लिये घोषित 151 पुलिसकर्मियों की सूची में 28 महिला पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
- इस सूची में सीबीआई के 15, एनआईए के 5, महाराष्ट्र पुलिस के 11, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश पुलिस के 10-10, केरल, राजस्थान और पश्चिम बंगाल पुलिस के 8-8 कर्मी और शेष अन्य राज्यों के हैं।
- इस प्रतिष्ठित पदक से सम्मानित होने वाले पुलिसकर्मियों में मध्य प्रदेश पुलिस के पुलिस अधीक्षक लोकेश कुमार सिन्हा, ऑफिसिएटिंग इंस्पेक्टर अवधेश सिंह तोमर, इंस्पेक्टर रवीन्द्र कुमार चावरिया, इंस्पेक्टर अमृत कुमार तिग्गा, इंस्पेक्टर सक्तूराम मरावी, महिला इंस्पेक्टर शशि विश्वकर्मा, इंस्पेक्टर संतोष कुमार पंद्रे, सब-इंस्पेक्टर उमाशंकर मुकती, महिला सब-इंस्पेक्टर सोनम रघुवंशी और सब-इंस्पेक्टर सपना राठौर शामिल हैं।
- उल्लेखनीय है कि अपराध की जाँच में उच्च पेशेवर मानकों को बढ़ावा देने और जाँच अधिकारियों द्वारा जाँच में इस तरह की उत्कृष्टता को मान्यता देने के उद्देश्य से केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 2018 में इस पदक की स्थापना की गई थी।
- इसके तहत किसी भी अपराध की जाँच में उच्च मानकों को स्थापित करके पेशेवर रवैये को बढ़ाने, ईमानदारी, कर्त्तव्यनिष्ठा व काम से असाधारण साहस का परिचय देने वाले पुलिसकर्मियों को यह मेडल दिया जाता है।
- 2018 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पुलिसकर्मियों को प्रोत्साहित करने के लिये पाँच पुलिस पदक शुरू किये थे। इसमें विशेष संचालन पदक, पुलिस आंतरिक सुरक्षा सेवा पदक, असाधारण कुशलता पदक, उत्कृष्ट एवं अति उत्कृष्ट सेवा पदक और जाँच में उत्कृष्टता पदक शामिल हैं।
हरियाणा Switch to English
हरियाणा पुलिस के 4 अधिकारी केंद्रीय गृह मंत्री पदक के लिये चयनित
चर्चा में क्यों?
12 अगस्त, 2022 को हरियाणा पुलिस के प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा पुलिस के चार कर्मियों को वर्ष 2022 में अपराध से जुड़े मामलों की जाँच में उच्च पेशेवर मानकों को बनाए रखते हुए ‘जाँच में उत्कृष्टता’के लिये ‘केंद्रीय गृह मंत्री पदक’ हेतु चुना गया है।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री पदक 2022 के लिये घोषित 151 पुलिसकर्मियों की सूची में 28 महिला पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। इन पुरस्कारों को प्राप्त करने वाले कर्मियों में सीबीआई के 15, महाराष्ट्र पुलिस के 11, मध्य प्रदेश पुलिस और उत्तर प्रदेश पुलिस के 10-10, केरल पुलिस, राजस्थान पुलिस और पश्चिम बंगाल पुलिस के आठ-आठ कर्मचारी तथा शेष अन्य राज्यों के हैं।
- प्रवक्ता ने बताया कि इस प्रतिष्ठित पदक से सम्मानित होने वाले देश भर के 151 पुलिसकर्मियों में हरियाणा पुलिस के इंस्पेक्टर बसंत कुमार, महिला सब-इंस्पेक्टर सुमन देवी, सब-इंस्पेक्टर योगेश कुमार और हेड कॉन्स्टेबल गोपाल चंद शामिल हैं।
- हरियाणा के पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार अग्रवाल ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जाँच में उत्कृष्टता के लिये चयनित हरियाणा पुलिस के चारों कर्मियों को बधाई देते हुए कहा कि प्रतिष्ठित पदक से अलंकृत पुलिस अधिकारियों द्वारा जाँच के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देते हुए साइंटिफिक इन्वेस्टीगेशन के माध्यम से वारदातों को सुलझाया गया।
- उल्लेखनीय है कि अपराध की जाँच में उच्च पेशेवर मानकों को बढ़ावा देने और जाँच अधिकारियों द्वारा जाँच में इस तरह की उत्कृष्टता को मान्यता देने के उद्देश्य से केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 2018 में इस पदक की स्थापना की गई थी।
- इसके तहत किसी भी अपराध की जाँच में उच्च मानकों को स्थापित करके पेशेवर रवैये को बढ़ाने, ईमानदारी, कर्त्तव्यनिष्ठा व काम से असाधारण साहस का परिचय देने वाले पुलिसकर्मियों को यह मेडल दिया जाता है।
- 2018 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पुलिसकर्मियों को प्रोत्साहित करने के लिये पाँच पुलिस पदक शुरू किये थे। इसमें विशेष संचालन पदक, पुलिस आंतरिक सुरक्षा सेवा पदक, असाधारण कुशलता पदक, उत्कृष्ट एवं अति उत्कृष्ट सेवा पदक और जाँच में उत्कृष्टता पदक शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ Switch to English
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने की छत्तीसगढ़ की वन संरक्षण के लिये किये जा रहे कार्यों की सराहना
चर्चा में क्यों?
12 अगस्त, 2022 को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की तरफ से वन ट्रिलियन ट्री की प्रमुख निकोल सेवाड ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण, ट्री कवर और फॉरेस्ट कवर को बढ़ाने के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों की सराहना की।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा विश्व स्तर पर वन ट्रिलियन ट्री योजना पर काम किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रहा है।
- छत्तीसगढ़ में पर्यावरण संरक्षण को और कैसे बेहतर बनाया जा रहा है, इस संबंध में वन ट्रिलियन ट्री कार्यक्रम की प्रमुख निकोल सेवाड के साथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से परिचर्चा में शामिल हुए। इस परिचर्चा में भारत में वन ट्रिलियन ट्री कार्यक्रम की संचालक रित्विका भट्टाचार्य और भैरवी जानी ने कार्यक्रम के बारे में मुख्यमंत्री को जानकारी दी।
- निकोल सेवाड ने कहा कि छत्तीसगढ़ के जंगल को अर्थव्यवस्था से जोड़ना एक महत्त्वपूर्ण कदम है, जिससे पर्यावरण संरक्षण के साथ ही आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया जा सकता है।
- परिचर्चा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में साइंटिफिक तरीके से वनों के संरक्षण और भूजल स्रोत को रीचार्ज करने का काम किया जा रहा है, जिससे छत्तीसगढ़ के नाले 10 से लेकर 30 सेंटीमीटर तक रीचार्ज हुए हैं।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में लघु वनोपजों के क्षेत्र में बेहतर काम किया जा रहा है, यदि इनके लिये लघु उद्योगों की स्थापना की जाए तो ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों को बहुत फायदा होगा और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी लोग जागरूक होंगे।
- छत्तीसगढ़ में 42 फीसदी क्षेत्र जंगलों से घिरा हुआ है और राज्य में 31 फीसदी आबादी आदिवासियों की है, जो प्रमुख रूप से वनों पर निर्भर हैं। इन्हें और समृद्ध बनाने के लिये छत्तीसगढ़ सरकार व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकार पट्टों का वितरण कर रही है।
- मुख्यमंत्री ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम को सुझाव देते हुए कहा कि मौसम के अनुसार ही यदि हम पौधों का रोपण करें तो वनों के विकसित होने की संभावनाएँ ज़्यादा रहेंगी और ये तभी हो सकेगा, जब इनको पर्याप्त मात्रा में पानी मिलता रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि नरवा योजना के अंतर्गत छत्तीसगढ़ सरकार ने यही काम किया है। इससे नालों में पानी रीचार्ज हुआ है और पानी की पर्याप्त मात्रा होने की वजह से जंगल का दायरा बढ़ रहा है।
उत्तराखंड Switch to English
गंगाजल को अमृत बनाने वाले मित्र जीवाणु हो रहे विलुप्त
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिकों के शोध से खुलासा हुआ है कि गंगा की सहायक नदियों अलकनंदा और भागीरथी के जल को सेहतमंद बनाने वाले मित्र जीवाणु (माइक्रो इनवर्टिब्रेट्स) प्रदूषण के कारण तेज़ी से विलुप्त हो रहे हैं।
प्रमुख बिंदु
- वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. वीपी उनियाल की देखरेख में डॉ. निखिल सिंह व अन्य ने दोनों नदियों में अलग-अलग स्थानों पर मित्र जीवाणु (माइक्रो इनवर्टिब्रेट्स) की जाँच की। ‘नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी)’ के तहत वैज्ञानिकों ने अलकनंदा नदी में माणा (बदरीनाथ) से लेकर देवप्रयाग तक और भागीरथी नदी में गोमुख से लेकर देवप्रयाग तक अध्ययन किया।
- वैज्ञानिकों के शोध से पता चला है कि भागीरथी नदी में गोमुख से लेकर देवप्रयाग तक कई स्थान पर या तो मित्र जीवाणु पूरी तरह गायब हैं या उनकी संख्या बेहद कम है। यही स्थिति अलकनंदा नदी में माणा से लेकर देवप्रयाग तक पाई गई है। दोनों नदियों में माइक्रो इनवर्टिब्रेट्स का कम पाया जाना इस बात का संकेत है कि यहाँ पानी की गुणवत्ता ठीक नहीं है।
- दोनों नदियों में मित्र जीवाणुओं का अध्ययन ईफेमेरोपटेरा, प्लेकोपटेरा, ट्राइकोपटेरा (ईपीटी) के मानकों पर किया गया। यदि किसी नदी के जल में ईपीटी इंडेक्स बीस फीसदी पाया जाता है तो इससे साबित होता है कि जल की गुणवत्ता ठीक है। यदि ईपीटी इंडेक्स तीस फीसदी से अधिक है तो इसका मतलब जल की गुणवत्ता बहुत ही अच्छी है। लेकिन, दोनों नदियों में कई जगहों पर ईपीटी का इंडेक्स 15 फीसदी से भी कम पाया गया है, जो चिंताजनक पहलू है।
- पूर्व में जलविज्ञानियों द्वारा किये गए शोध में यह बात सामने आई है कि गंगाजल में बैट्रियाफोस नामक बैक्टीरिया पाया जाता है, जो गंगाजल के अंदर रासायनिक क्रियाओं से उत्पन्न होने वाले अवांछनीय पदार्थ को खाता रहता है। इससे गंगाजल की शुद्धता बनी रहती है।
- वैज्ञानिकों के अनुसार गंगाजल में गंधक की बहुत अधिक मात्रा पाए जाने से भी इसकी शुद्धता बनी रहती है और गंगाजल लंबे समय तक खराब नहीं होता है।
- वैज्ञानिक शोधों से यह बात भी सामने आई है कि देश की अन्य नदियाँ पंद्रह से लेकर बीस किमी. के बहाव के बाद खुद को साफ कर पाती हैं और नदियों में पाई जाने वाली गंदगी नदियों की तलहटी में जमा हो जाती है, लेकिन गंगा महज़ एक किमी. के बहाव में खुद को साफ कर लेती है।
- ऑल वेदर रोड के साथ ही नदियों के किनारे बड़े पैमाने पर किये जा रहे विकास कार्यों का मलबा सीधे नदियों में डाला जा रहा है। नदियों के किनारे बसे शहरों के घरों से निकलने वाला गंदा पानी बिना ट्रीटमेंट के नदियों में प्रवाहित किया जा रहा है।
- वैज्ञानिकों के अनुसार गंगाजल में अन्य नदियों के जल की तुलना में वातावरण से ऑक्सीजन सोखने की क्षमता बहुत अधिक होती है। दूसरी नदियों की तुलना में गंगा में गंदगी को हजम करने की क्षमता 20 गुना अधिक पाई जाती है।
- उल्लेखनीय है कि गंगा नदी में डॉल्फिन समेत मछलियों की 140, सरीसृपों की 35 और स्तनधारी जीवों की 42 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। भागीरथी, अलकनंदा, महाकाली, करनाली, कोसी, गंडक, सरयू, यमुना, सोन और महानंदा गंगा की मुख्य सहायक नदियाँ हैं।
उत्तराखंड Switch to English
देवीधुरा में फल और फूलों से खेली गई रोमांच से भरी बग्वाल
चर्चा में क्यों?
12 अगस्त, 2022 को उत्तराखंड के चंपावत ज़िले में माँ वाराही के धाम देवीधुरा के खोलीखांड दुबाचौड़ मैदान में फल और फूलों से विश्वप्रसिद्ध बग्वाल मेला का आयोजन किया गया। चारखाम (चम्याल, गहड़वाल, लमगड़िया, वालिग) और सात थोक के योद्धा बग्वाल में शामिल हुए।
प्रमुख बिंदु
- चंपावत ज़िले के प्रसिद्ध देवीधुरा में ‘माँ वाराही मंदिर’में रक्षाबंधन के दिन होने वाले प्रसिद्ध बग्वाल मेले को ‘पत्थर मार’मेला भी कहा जाता है। इस मेले को देखने देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु देवीधुरा पहुँचते हैं।
- ऐसा माना जाता है कि देवीधुरा में बग्वाल का यह खेल पौराणिक काल से चला आ रहा है। कुछ लोग इसे कत्यूर शासन से चला आ रहा पारंपरिक त्योहार मानते हैं, जबकि कुछ अन्य इसे काली कुमाऊँ से जोड़कर देखते हैं।
- प्रचलित मान्यताओं के अनुसार पौराणिक काल में चार खामों के लोगों द्वारा अपनी आराध्या वाराही देवी को मनाने के लिये नर बलि देने की प्रथा थी। माँ वाराही को प्रसन्न करने के लिये चारों खामों के लोगों में से हर साल एक नर बलि दी जाती थी। बताया जाता है कि एक साल चमियाल खाम की एक वृद्धा के परिवार की नर बलि की बारी थी। परिवार में वृद्धा और उसका पौत्र ही जीवित थे। महिला ने अपने पौत्र की रक्षा के लिये माँ वाराही की स्तुति की। माँ वाराही ने वृद्धा को दर्शन दिये और मंदिर परिसर में चार खामों के बीच बग्वाल खेलने के निर्देश दिये, तब से बग्वाल की प्रथा शुरू हुई।
- चंपावत जनपद के पाटी ब्लॉक के देवीधुरा में माँ वाराही धाम मंदिर के खोलीखांड दुबाचौड़ में हर साल अषाढ़ी कौथिक (रक्षाबंधन) के दिन बग्वाल मेला होता है। पत्थर से शुरू यह बग्वाल मेला बीते कुछ वर्षों से फल-फूलों से खेला जा रहा है। लाखों लोगों की मौजूदगी में होने वाले बग्वाल मेले में चार खामों (चम्याल, गहरवाल, लमगड़िया और वालिग) के अलावा सात थोकों के योद्धा फर्रों के साथ हिस्सा लेते हैं।
- बग्वाल वाराही मंदिर के प्रांगण खोलीखांड में खेला जाता है। इसे चारों खामों के युवक और बुजुर्ग मिलकर खेलते हैं। लमगड़िया व वालिग खामों के रणबाँकुरे एक तरफ, जबकि दूसरी ओर गहड़वाल और चम्याल खाम के रणबाँकुरे डटे रहते हैं।
- गौरतलब है कि 11 जुलाई, 2022 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत के प्रसिद्ध देवीधुरा ‘माँ वाराही बग्वाल मेले’को राजकीय मेला घोषित किया था।
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