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उत्तराखंड में अब ग्रीन टेक्नोलॉजी से होगा 23 भूस्खलन ज़ोन का उपचार
चर्चा में क्यों?
11 जुलाई, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में सड़कों के लिये नासूर बन चुके क्रॉनिक लैंडस्लाइड ज़ोन के उपचार की दिशा में राज्य सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। अब बॉयो-इंजीनियरिंग तकनीक का प्रयोग करते हुए ऐसे भूस्खलन क्षेत्रों का ग्रीन टेक्नोलॉजी से उपचार किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- वर्ल्ड बैंक वित्त पोषित यू-प्रीपेयर परियोजना के तहत इस काम के लिये प्रथम चरण में 100 करोड़ रुपए मंजूर किये गए हैं।
- पहले चरण में विभिन्न पर्वतीय ज़िलों में 23 क्रॉनिक लैंडस्लाइड ज़ोन को चिह्नित किया गया है।
- विदित है कि प्रदेश में मानसून सीजन में हर साल सक्रिय होने वाले लैंडस्लाइड ज़ोन प्रदेश के विकास की रफ्तार पर ब्रेक लगा देते हैं। सड़कों के बंद होने से जहाँ आवाजाही बाधित होती है, वहीं पूरा जनजीवन प्रभावित होता है। राज्य सरकार भूस्खलन से बंद हुए मार्गों को खोलने में हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है, लेकिन हर बार फिर वही स्थिति बन जाती है। इसीलिये ही प्रदेश सरकार ने अब इनके स्थायी उपचार का निर्णय लिया है।
- विश्व बैंक वित्त पोषित यू-प्रीपेयर परियोजना के प्रथम चरण के अंतर्गत मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु की अध्यक्षता में बनी उच्चाधिकार प्राप्त समिति की ओर से 23 सक्रिय भूस्खलन ज़ोन के ट्रीटमेंट की अनुमति दी गई है।
- इनमें चमोली में एक, अल्मोड़ा में एक, नैनीताल में छह, पौड़ी में चार, टिहरी में चार, उत्तरकाशी में चार और रुद्रप्रयाग में तीन स्थानों पर क्रॉनिक लैंडस्लाइड ज़ोन का उपचार किया जाएगा।
- इसके लिये बॉयो-इंजीनियरिंग तकनीक के तहत ग्रीन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें कंकरीट, सीमेंट और जाल के साथ विशेष प्रजाति के पौधों का रोपण किया जाता है, ताकि मिट्टी-पत्थर और चट्टानें हमेशा के लिये स्थिर हो जाएँ।
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