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उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 13 May 2024
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उत्तराखंड में बद्रीनाथ मंदिर भक्तों के लिये खुला

चर्चा में क्यों?

  • उत्तराखंड में गढ़वाल हिमालय में स्थित बद्रीनाथ मंदिर के कपाट सर्दियों के मौसम के दौरान बंद रहने के बाद 12 मई 2024 को भक्तों के लिये खोले गए।

 मुख्य बिंदु:

  • मंदिर के कपाट खुलने के साथ ही बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री की चारधाम यात्रा शुरू हो गई।
    • छह महीने तक बंद रहने के बाद बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खोले गए और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अनुष्ठान किये गए तथा ढोल बजाए गए।
    • अक्षय तृतीया के अवसर पर केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री मंदिर के कपाट भक्तों के लिये खोले गए।

बद्रीनाथ मंदिर

  • यह मंदिर विष्णु को समर्पित 108 दिव्य देसमों में से एक है, जो वैष्णवों के लिये पवित्र मंदिर हैं, जिन्हें बद्रीनाथ के रूप में पूजा जाता है।
  • यह उत्तराखंड के चमोली ज़िले में अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है।


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चीन सीमा पर सड़कों पर पैसा खर्च करेगी सरकार

चर्चा में क्यों?

सूत्रों के मुताबिक, सरकार वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVP) के तहत उत्तराखंड और सिक्किम में चीन सीमा पर बनने वाली प्रत्येक किलोमीटर सड़क के लिये 2 करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर सकती है।

मुख्य बिंदु:

  • केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने चीन सीमा से लगे क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में सुधार के लिये अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम में VVP के तहत 113 सड़कों को मंज़ूरी दी है।
    • अरुणाचल प्रदेश में जहाँ 105 सड़कों को मंज़ूरी दी गई है, वहीं उत्तराखंड में पाँच और सिक्किम में तीन सड़कों को भी मंज़ूरी दी गई है।
  • गृह मंत्रालय के मंज़ूरी-पत्र के अनुसार, उत्तराखंड के पिथौरागढ ज़िले में 119 करोड़ रुपए की लागत से 43.96 किमी. सड़कें बनाई जानी हैं।
    • प्रत्येक किलोमीटर सड़क पर 2.7 करोड़ रुपए की लागत आने की उम्मीद है। एक बार निर्माण के बाद, "परिसंपत्ति" का रखरखाव राज्य सरकार को करना होगा।
    • सिक्किम में, VVP के तहत उत्तरी सिक्किम में चुंगथांग और मंगन ब्लॉक में 96 करोड़ रुपए की लागत से लगभग 18.73 किलोमीटर लंबी सड़कों एवं 350 मीटर स्टील पुलों को मंज़ूरी दी गई है।
    • प्रत्येक किलोमीटर सड़क निर्माण पर 2.4 करोड़ रुपए की लागत आएगी।

वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम

  • यह एक केंद्रीय वित्तपोषित कार्यक्रम है जिसकी घोषणा केंद्रीय बजट वर्ष 2022-23 (2025-26 तक) में उत्तर में सीमावर्ती गाँवों को विकसित करने और ऐसे सीमावर्ती गाँवों के निवासियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लक्ष्य के साथ की गई।
  • इसमें हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्र शामिल होंगे।
  • इसके तहत 2,963 गाँवों को कवर किया जाएगा, जिनमें से 663 को पहले चरण में कवर किये जाएंगे
  • ग्राम पंचायतों की सहायता से ज़िला प्रशासन द्वारा वाइब्रेंट विलेज एक्शन प्लान बनाए जाएंगे
  • वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की वजह से ‘सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम’ के साथ ओवरलैप की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी।

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स्थानांतरण के लिये सरकार को उत्तराखंड उच्च न्यायालय का निर्देश

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड राज्य सरकार को एक महीने के भीतर अपने परिचालन को नैनीताल से बाहर ले जाने अर्थात् स्थानांतरण के लिये एक नई साइट का पता लगाने का निर्देश दिया है, यह कहते हुए कि यह कदम जनता के सर्वोत्तम हित में है।

मुख्य बिंदु:

  • न्यायालय ने रजिस्ट्रार जनरल को इस मुद्दे पर अधिवक्ताओं और आम जनता से सुझाव लेने के लिये एक पोर्टल बनाने का भी निर्देश दिया।
  • उच्च न्यायालय को हलद्वानी के गौलापार में स्थानांतरित करने के राज्य सरकार के पूर्व प्रस्ताव पर, उच्च न्यायालय ने कहा कि इस उद्देश्य के लिये निर्धारित भूमि में 75% वन क्षेत्र था और क्षेत्र में निर्माण से वनों की कटाई होगी।
    • उच्च न्यायालय ने इसके स्थानांतरण और सुविधाओं के लिये आवश्यक भूमि के प्रकार हेतु कुछ सिफारिशें भी कीं, जिनमें न्यायाधीशों, न्यायिक अधिकारियों, कर्मचारियों तथा न्यायालय कक्षों के लिये उचित आवास शामिल हैं।
    • परिसर को स्थानांतरित करने के उच्च न्यायालय के निर्णय का बार एसोसिएशन ने काफी विरोध किया है।

भारतीय विधिज्ञ 

  • परिचय
    • भारतीय विधिज्ञ परिषद भारतीय बार को विनियमित करने और प्रतिनिधित्व करने के लिये अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत संसद द्वारा बनाई गई एक संविधिक निकाय है।
  • विनियामक कार्य:
    • अधिवक्ताओं के लिये पेशेवर आचरण और शिष्टाचार के मानक निर्धारित करना।
    • अनुशासनात्मक कार्रवाइयों के लिये प्रक्रियाएँ स्थापित करना।
    • भारत में विधिक शिक्षा के लिये मानक निर्धारित करना और योग्य कानून डिग्री को मान्यता अन्य दयित्व:
    • अधिवक्ताओं के अधिकारों, विशेषाधिकारों और हितों की रक्षा करना।
    • चितों के लिये कानूनी सहायता का आयोजन करना।
    • विधिज्ञ परिषद के सदस्यों के लिये चुनाव आयोजित करना।
    • किसी भी मामले से निपटना जो राज्य विधिज्ञ परिषद द्वारा उसे भेजा जा सकता है।

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