उत्तर प्रदेश Switch to English
प्रदेश के शहरों में सभी जरूरी स्थानों पर मिलेगी ई-चार्जिंग की सुविधा
चर्चा में क्यों?
12 अप्रैल, 2023 को मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश को इलेक्ट्रिकल व्हीकल्स के क्षेत्र में लीडर बनाने के लिये काम शुरू कर दिया गया है। शहरों में सभी ज़रूरी स्थानों पर ई-चार्जिंग की सुविधा मिलेगी।
प्रमुख बिंदु
- राज्य सरकार का उद्देश्य सिर्फ ईवी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना ही नहीं है, बल्कि इसका इस्तेमाल कर रहे नागरिकों को सभी ज़रूरी स्थानों पर समुचित चार्जिंग की सुविधा भी देना है।
- इसकी जिम्मेदारी नगर विकास विभाग को दी गई है। उसने ई-चार्जिंग सुविधाओं के लिये सेवा प्रदाताओं को ज़रूरत के आधार पर ज़मीन देनी की प्रक्रिया भी तय कर दी है।
- पहले चरण में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्लान (सीईएमपी) को स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 17 नगर निगम वाले शहरों में लागू किया जाएगा। चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के फास्ट ट्रैक डेवलपमेंट के लिये कार्यकारी समूह का भी गठन किया गया है।
- प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने बताया कि चार्जिंग के लिये सरकारी संस्थाओं को ज़मीन 10 वर्ष के पट्टे या लीज पर दी जाएगी। चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिये विद्युत मंत्रालय के मानकों के अनुसार निर्धारित रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल पर किया जाएगा।
- पट्टा अवधि, रेवेन्यू शेयरिंग रेट व अन्य निर्धारित मानकों को समय-समय पर संशोधित किया जाएगा। संस्थाओं का चयन टेंडर प्रक्रिया के तहत किया जाएगा। उपभोक्ताओं को न्यूनतम शुल्क पर चार्जिंग की सुविधा देने वाले को प्राथमिकता दी जाएगी।
बिहार Switch to English
‘कोसी बेसिन विकास परियोजना’ के तहत बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में सड़क और पुल का होगा निर्माण
चर्चा में क्यों?
11 अप्रैल, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान कोसी के बाढ़ प्रभावित लोगों के जीवन स्तर को सुदृढ़ बनाने के लिये 277 करोड़ रुपए की राशि से ‘कोसी बेसिन विकास परियोजना’ के तहत सड़क और पुल-पुलिया का निर्माण किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- ज्ञातव्य है कि विश्व बैंक संपोषित कोसी पुनर्वास योजना के दूसरे चरण का कार्य मार्च 2023 में पूरा होना था। लेकिन 72% ही काम अभी तक हुआ है, जिस कारण से कोसी पुनर्वास योजना के दूसरे चरण के कार्य को 15 महीने का विस्तार दिया गया है। अब इस योजना को जून 2024 तक पूरा किया जाएगा।
- राज्य सरकार ने कुशहा तबाही के बाद कोसी के पुनर्निर्माण की योजना बनाई है। इसके तहत कोसी क्षेत्र और यहाँ के लोगों को त्रासदी से बाहर निकालने और विकास के लिये विश्व बैंक ने 67% और बिहार सरकार 33% की फंडिंग की है।
- इस योजना के पहले चरण के अंतर्गत विश्व बैंक की मदद से 15 सितंबर, 2010 को बिहार कोसी बेसिन विकास परियोजना की शुरूआत हुई, जिसके तहत सहरसा, सुपौल और मधेपुरा के 21 प्रखंडों में 31 दिसंबर, 2018 को विकास कार्य समाप्त हो चुका है।
- विदित है कि 18 अगस्त, 2008 को नेपाल के कुसहा गाँव के समीप लगभग दो किलोमीटर की लंबाई में कोसी नदी की धारा बदल लेने के बाद कोसी बाँध के बह जाने से नेपाल के 34 गाँव समेत पूर्वोत्तर बिहार के 441 गाँवों की बड़ी आबादी बाढ़ की चपेट में आई थी। सरकारी आँकड़ों के अनुसार इस बाढ़ से सहरसा ज़िले में 41, मधेपुरा में 272 और सुपौल ज़िले में 213 लोगों की मौत हुई थी।
- कोसी बेसिन विकास परियोजना के दूसरे चरण का काम इस समय मात्र 72 फीसदी ही पूरी हो पाया है, बाकी बचे शेष 28 फीसदी काम का तीन महीने में पूरा होने की संभावना नहीं के बराबर है। इसलिये इस योजना के विस्तार का निर्णय लिया गया है।
राजस्थान Switch to English
‘आपणी धरोहर-आपणो गौरव’ पुस्तक का विमोचन
चर्चा में क्यों?
12 अप्रैल, 2023 को राजस्थान के कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने शासन सचिवालय स्थित अपने कक्ष में ‘आपणी धरोहर-आपणो गौरव’पुस्तक का विमोचन किया।
प्रमुख बिंदु
- यह पुस्तक राजस्थान धरोहर प्राधिकरण द्वारा प्रदेश भर में रणबाँकुरों, महापुरूषों, संत महात्माओं, लोक देवी-देवताओं और साहित्य सेवी विद्वानों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर बनाए जा रहे पेनोरमाओं पर केंद्रित है।
- इस अवसर पर मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने पन्नाधाय पेनोरमा, बप्पारावल पेनोरमा एवं महाराणा राजसिंह पेनोरमाओं पर बने तीन वृत्त चित्रों का भी लोकार्पण किया।
- इसके साथ ही कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री ने राजस्थान धरोहर प्राधिकरण के विशेष लोगो का भी विमोचन किया। इस लोगो में भक्ति, शक्ति, विरासत और साहित्य के प्रतीकों का समावेश किया गया है।
- इस अवसर पर अपने उद्बोधन में डॉ. कल्ला ने पुस्तक की सामग्री एवं वृत्त चित्रों की गुणवत्ता की तारीफ करते हुए कहा कि इनका अधिक से अधिक प्रचार किया जाए, जिससे प्रदेश के नागरिक इन महान शख्सियतों के आदर्शों से प्रेरणा ग्रहण कर सके।
राजस्थान Switch to English
‘ओपन हाउस स्टेकहोल्डर्स डायलॉग’का आयोजन
चर्चा में क्यों?
11 अप्रैल, 2023 को राजस्थान के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार जयपुर में राजीव गांधी सेंटर ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी (आर-कैट) में ‘ओपन हाउस स्टेकहोल्डर्स डायलॉग’कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- इस संवाद कार्यक्रम को राज्य के प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव के लिये सभी हितधारकों से इनपुट और अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है। इसके माध्यम से राज्य सरकार और शैक्षणिक सहयोगी उद्योग के बीच सक्रिय, अंतर-निर्भर और एकीकृत सहयोग मज़बूत होगा।
- ओपन हाउस में आर-कैट के सभी मौजूदा और संभावित भागीदारों के अलावा आरटीयू सहित शैक्षणिक संस्थानों, आईटी और संबद्ध उद्योगों के प्रतिनिधियों और अन्य सभी हितधारकों की भागीदारी होने से राज्य के युवाओं को एक बेहतर तकनीकी दिशा प्राप्त हो सकेगी।
- राज्य सरकार के तकनीकी प्रोत्साहन एवं तकनीक के माध्यम से रोज़गार के साधनों को विकसित करने के लिये आर कैट निजी संस्थाओं एवं विश्वविद्यालयों के साथ काम करने को तैयार है, ताकि प्रदेश में एक बेहतर तकनीकी शिक्षा का माहौल विकसित हो सके एवं प्रदेश के युवा को बेहतर रोज़गार के लिये तैयार किया जा सके।
- वर्तमान में उद्योग जगत में तकनीक के उपयोग के कारण कौशल आधारित शिक्षा की आवश्यकता विकसित हो रही है, जिसको मद्देनज़र रखते हुए आर-कैट में विभिन्न तकनीकी शिक्षा की मॉडल तैयार किये जा रहे हैं।
- इस मौके पर विविध विषयों पर पैनल चर्चा का आयोजन किया गया। साथ ही, वर्तमान उद्योग जगत की चुनौतियों एवं शिक्षा व तकनीक के मध्य सामंजस्य जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई। ‘आर-कैट आईटी साइट्स’न्यूजलेटर का भी विमोचन भी किया गया।
- राजीव गांधी सेंटर ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी के प्रबंध निदेशक आशीष गुप्ता ने कहा कि राजस्थान तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर परिस्थितियों वाला राज्य है। सरकारी कार्यों में विभिन्न एप्लिकेशन के उपयोग एवं एसएसओ के उपयोग के माध्यम से राज्य ने आईटी का सर्वश्रेष्ठ उपयोग कर न केवल प्रगति की राह को आसान बनाया है बल्कि रोज़गार के साधन भी विकसित किये हैं।
- उल्लेखनीय है कि आर-कैट Adobe, Apple, Microsoft, EC-Council, SAS, RedHat, VMWare, Oracle, CISCO, Autofina Robotics जैसी कंपनियों के साथ भागीदार है, वहीं आज फाइटेक एंबेडेड प्राइवेट लिमिटेड के साथ एमओयू हस्ताक्षर भी किये गए।
राजस्थान Switch to English
‘पीएम श्री योजना’ में राजस्थान के सर्वाधिक सरकारी स्कूलों का चयन
चर्चा में क्यों?
12 अप्रैल, 2023 को राजस्थान सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार राजस्थान ने देश में शैक्षणिक विकास के कई पैरामीटर्स में अनवरत अव्वल प्रदर्शन के गौरव के बाद अब ‘पीएम श्री योजना’ में भी सर्वाधिक सरकारी स्कूलों को चयन कराते हुए देशभर में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
प्रमुख बिंदु
- इस योजना में राजस्थान के 21 हज़ार 356 सरकारी स्कूलों को बैंचमार्क विद्यालय माना गया है। इस योजना में ऑनलाइन आवेदन के बाद राष्ट्रीय स्तर पर वैरीफाइड विद्यालयों की श्रेणी में भी राजस्थान ने देश के अन्य बड़े राज्यों को काफी अंतर से पीछे छोड़ा है।
- पीएम श्री योजना के प्रथम चरण में राजस्थान के सबसे ज्यादा 402 सरकारी विद्यालयों का चयन किया गया है, इनमें माध्यमिक शिक्षा के 346 और प्राथमिक शिक्षा के 56 सरकारी स्कूल शामिल हैं।
- प्रदेश के कुल 718 स्कूलों को इस योजना में शामिल किया जाएगा, इसमें से राजस्थान ने पहले चरण में ही 56 प्रतिशत विद्यालयों का चयन कराते हुए विशेष सफलता प्राप्त की है। जुलाई माह में द्वितीय चरण में शेष स्कूलों का चयन प्रस्तावित है।
- गौरतलब है कि पीएम श्री योजना के सरकारी स्कूलों के चयन के लिये जो बैंचमार्क निर्धारित किए गए है, उनमें एलीमेंट्री सेटअप (कक्षा 1 से 5 एवं 1 से 8 तक) तथा सैकेंडरी सेटअप (कक्षा 6 से 12 तक) में स्कूलों में नामांकन राज्य के औसत नामांकन से अधिक, अच्छी कंडीशन में विद्यालयों का पक्का भवन, बालक-बालिकाओं के लिये अलग-अलग शौचालय, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, हाथ धोने के लिये अलग से सुविधा, सभी शिक्षकों के पास गाइडलाइन के अनुरूप आईडी कार्ड, बैरियर फ्री एक्सेस रैंप, सुरक्षा पर फोकस, विद्युत कनेक्शन, लाइब्रेरी एवं खेलकूद गतिविधियों के लिये आवश्यक सुविधाएँ जैसे पैरामीटर्स शामिल हैं।
- इनमें राजस्थान के सरकारी स्कूलों की स्थिति, योजना की गाइडलाइन के अनुसार प्राथमिक स्क्रूटनी (21 हज़ार 356 स्कूल), प्रथम चरण (402 स्कूल) और कुल चयन (718 स्कूल) में पूरे देश में अव्वल रही है।
- राज्य के सरकारी विद्यालयों में नामांकन और नवाचारों के साथ-साथ छात्र-छात्राओं के लिये आवश्यक सुविधा एवं संसाधनों से परिपूर्ण स्कूल परिसर जैसे पैरामीटर्स पर यह संख्या भी पूरे देश में अव्वल थी।
- इस योजना का ऑनलाइन पोर्टल 3 नवंबर, 2022 को शुरू हुआ था, इस पर आवेदन की अंतिम तिथि 31 दिसंबर, 2022 तक स्क्रूटनी में प्रदेश के बैंचमार्क सरकारी स्कूलों (21 हज़ार 356) की ओर से आवेदन कराने में भी राजस्थान देश में अव्वल रहा।
- ऑनलाइन आवेदन के बाद राष्ट्रीय स्तर पर राजस्थान ने 13 हज़ार 931 सरकारी स्कूलों का सत्यापन कराते हुए देश के अन्य बड़े राज्यों को काफी पीछे छोड़ दिया। राजस्थान के बाद आंध्र प्रदेश के 7892, असम के 7776, उत्तर प्रदेश के 7054, महाराष्ट्र के 4848, कर्नाटक के 4700, पंजाब के 4632, मध्य प्रदेश के 3483, गुजरात के 2163 तथा उत्तराखंड के 1704 स्कूलों को ऑनलाइन आवेदन के बाद वैरीफाइड किया गया।
- राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद के आयुक्त एवं राज्य परियोजना निदेशक डॉ. मोहन लाल यादव ने बताया कि इस योजना के प्रथम चरण में चयनित प्रदेश के 402 सरकारी स्कूलों में जयपुर के सर्वाधित 28 स्कूलों का चयन किया गया है। जोधपुर के 24, उदयपुर के 22 एवं बाड़मेर के 21 सरकारी स्कूल इसमें शामिल हैं।
- इसी प्रकार अलवर एवं नागौर के 18-18, भरतपुर एवं भीलवाड़ा के 15-15, अजमेर के 14, श्रीगंगानगर, चितौड़गढ़ एवं सीकर के 13-13, झुंझुनू के 12, बाँसवाड़ा, दौसा एवं पाली के 11-11, बीकानेर, बारां, डूंगरपुर, जालौर एवं झालावाड़ के 10-10, करौली, कोटा, प्रतापगढ़ एवं हनुमानगढ़ के 9-9, टोंक, धौलुपर एवं राजसमंद के 8-8, चुरू, जैसलमेी एवं सवाईमाधोपुर के 7-7, सिरोही के 6 एवं बूंदी के 5 विद्यालयों का चयन हुआ है।
मध्य प्रदेश Switch to English
ग्वालियर की जीवाजी यूनिवर्सिटी को नैक रैंकिंग में मिला ए++ ग्रेड
चर्चा में क्यों?
11 अप्रैल, 2023 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय को नैक कमेटी द्वारा ए++ ग्रेड दिया गया है। इसके साथ ही जीवाजी विश्वविद्यालय प्रदेश का ऐसा इकलौता विश्वविद्यालय बन गया है जिसे यह उच्च ग्रेड प्राप्त हुआ है।
प्रमुख बिंदु
- ज्ञातव्य है कि नैक कमेटी की 5 सदस्य टीम ने 27 से 29 मार्च, 2023 तक जीवाजी विश्वविद्यालय का निरीक्षण किया था।
- वहीं भोपाल के महारानी लक्ष्मी बाई महाविद्यालय को नैक रैंकिंग में ए ग्रेड प्राप्त हुआ है। शिवपुरी के पीजी महाविद्यालय ने एक कदम आगे बढ़ाकर रैंकिंग में बी+ ग्रेड प्राप्त किया है।
- उच्च शिक्षा विभाग द्वारा नेक में सम्मिलित होने वाले महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों को प्राथमिकता में रखकर प्रशिक्षण से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर की पूर्ति की गई। महाविद्यालयों का इंटरनल एसेसमेंट कराया गया।
- उल्लेखनीय है कि ई-लायब्रेरी, वाई-फाई परिसर, शिक्षकों का प्रशिक्षण, ई-कंटेंट, इन्क्यवेशन सेंटर, हास्टल और विद्यार्थियों का परफार्मेंस, शिक्षकों के शोधकार्य के आधार पर मूल्यांकन कर नैक ग्रेडिंग तय की जाती है।
- गौरतलब है कि नैक या नेशनल असेसमेंट एंड एक्रीडेशन काउंसिल (राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद्) का काम देशभर की यूनिवर्सिटीज, हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स और प्राइवेट इंस्टीट्यूट्स की क्वालिटी परखना और उनको रेटिंग देना है।
- यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने जो नई गाइडलाइंस जारी की हैं उनके मुताबिक सभी शिक्षण संस्थानों को नैक से मान्यता पाना जरूरी है। अगर कोई संस्थान इससे मान्यता नहीं लेता है तो उसे किसी गवर्नमेंट पॉलिसी का फायदा नहीं मिलता है।
- महाविद्यालय/विश्वविद्यालय या कोई और उच्च शिक्षण संस्थान सभी मानकों को पूरा करने पर नैक ग्रेडिंग के लिये आवेदन करता है। आवेदन के बाद नैक की टीम संस्थान में आती है और इंस्पेक्शन करती है। इस दौरान वे एजुकेशनल फैसिलिटीज, इंफ्रास्ट्रक्चर, कॉलेज एटमॉस्फियर जैसे विभिन्न पहलुओं की जाँच करते हैं। अगर नैक की टीम संतुष्ट होती है तो कॉलेज को उसी आधार पर सीजीपीए दिये जाते हैं, जिसके आधार पर बाद में ग्रेड दिया जाता है।
- एक बार नैक ग्रेडिंग मिल जाने के बाद ये 4 साल के लिये मान्य होता है। 4 साल बाद फिर से रेटिंग दी जाती है। नैक में टेम्परेरी ग्रेडिंग की भी व्यवस्था है, जिसमें दो साल के लिये ग्रेडिंग दी जाती है। अगर कोई महाविद्यालय या विश्वविद्यालय नेक द्वारा दिये गए ग्रेड से खुश नहीं है तो 6 महीने के बाद फिर से ग्रेड के लिये आवेदन कर सकता है।
मध्य प्रदेश Switch to English
डुंगरिया माइक्रो सिंचाई और टिकटोली डिस्ट्रीब्यूटरी परियोजना को मिली मंजूरी
चर्चा में क्यों?
11 अप्रैल, 2023 को मध्य प्रदेश मंत्रि-परिषद ने डुंगरिया माइक्रो सिंचाई परियोजना और टिकटोली डिस्ट्रीब्यूटरी परियोजना को पुनरीक्षित मंजूरी दी है।
प्रमुख बिंदु
- इन दो परियोजनाओं से लगभग 6 हज़ार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र सिंचित किया जा सकेगा।
- ग्वालियर ज़िले में टिकटोली डिस्ट्रीब्यूटरी लघु सिंचाई परियोजना से सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। परियोजना की अनुमानित लागत 44 करोड़ 90 लाख रुपए है। इस परियोजना से 3 हज़ार 700 हेक्टयर क्षेत्र में सिंचाई होगी।
- वहीं डुंगरिया माइक्रो सिंचाई परियोजना उज्जैन ज़िले के महिदपुर विकासखंड में क्षिप्रा नदी पर प्रस्तावित है। इस परियोजना में 9.37 एम.सी.एम. के बाँध निर्माण और पाइप नहर का निर्माण किया जाएगा।
- इस परियोजना की लागत 104 करोड़ 74 लाख रुपए है। इससे 8 ग्राम में 3 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र में रबी की सिंचाई होगी। इस परियोजना में 1.10 मेगावाट विद्युत खपत होगी।
हरियाणा Switch to English
‘प्रापर्टी वेरिफिकेशन पोर्टल’ लॉन्च
चर्चा में क्यों?
11 अप्रैल, 2023 को हरियाणा के शहरी स्थानीय निकाय मंत्री डॉ. कमल गुप्ता ने प्रदेश के हर शहर को ‘साफ सिटी-सेफ सिटी’बनाने की कड़ी में राज्य के सभी 88 शहरी निकायों की प्रॉपर्टी का डाटा सत्यापित करने के लिये ऑनलाइन सुविधा ‘प्रापर्टी वेरिफिकेशन पोर्टल’ को लॉन्च किया।
प्रमुख बिंदु
- ‘प्रापर्टी वेरिफिकेशन पोर्टल’के जरिये अब कोई भी व्यक्ति अपनी प्रापर्टी के डाटा का सत्यापन http://ulbhryndc.org पोर्टल पर कर सकता है। पोर्टल में प्रापर्टी डाटा में सुधार के विकल्प भी मौजूद हैं।
- कोई भी प्रापर्टीधारक अपनी प्रॉपर्टी के दस्तावेज़ों को एक माह अर्थात 15 मई, 2023 तक सत्यापित कर सकता है।
- अब उन्हें हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण या शहरी स्थानीय निकायों के कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, बल्कि घर पर बैठे ही अपने मोबाइल या लेपटॉप के माध्यम से प्रापर्टी का सत्यापन कर सकते हैं।
छत्तीसगढ़ Switch to English
नये कलेवर में वेब मीडिया ‘सीजीवालडॉटकॉम’का शुभारंभ
चर्चा में क्यों?
12 अप्रैल, 2023 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने निवास कार्यालय में नये कलेवर में वेब मीडिया ‘सीजीवालडॉटकॉम’ का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सीजीवाल लंबे समय से छत्तीसगढ़ के समाचारों को आम जनता तक पहुँचा रहा है। उन्होंने कहा कि सीजीवाल समाचार भी है, विचार भी है और संवाद भी, अब यह एक नए कलेवर में जनता के सामने आ रहा है।
- सीजीवाल के प्रमुख संपादक रुद्र अवस्थी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में 2014 से संचालित वेब मीडिया सीजीवालडॉटकॉम एक भरोसेमंद प्लेटफार्म है, जिसमें राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षणिक और प्रशासनिक गतिविधियों से संबंधित खबरें लगातार प्रसारित की जा रही हैं।
- अब इस वेब मीडिया को आकर्षक पेज के साथ एक बार फिर नया कलेवर दिया गया है, जिससे अधिक तेजी से खबरें पाठकों तक पहुँच सकेंगी।
- नए कलेवर में पाठकों को विभिन्न क्षेत्रों की खबरें अलग-अलग कैटेगरी में सुविधाजनक ढंग से मिल सकेंगी।
उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में स्टेट हाईवे पर बने 288 पुल होंगे अपग्रेड
चर्चा में क्यों?
- 10 अप्रैल, 2023 को मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में स्टेट हाईवे पर बने 288 सिंगल लेन पुलों को अपग्रेड करते हुए डेढ़ लेन में बदला जाएगा। इस संबंध में राज्य लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) के प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु की ओर से आदेश जारी किये गए हैं।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि बीते वर्ष शासन के निर्देश पर लोक निर्माण विभाग ने प्रदेश भर में 3262 में से 2518 पुलों की सेफ्टी ऑडिट कराया था। राज्य के पाँच ज़ोन में कराए गए सेफ्टी ऑडिट में 36 पुल आवागमन के लिये असुरक्षित पाए गए थे।
- प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु ने बताया कि प्रदेश में सामरिक दृष्टि और यातायात के बढ़ते दबाव को देखते हुए राज्य सरकार ने पुलों की भार क्षमता को बढ़ाने का निर्णय लिया है।
- राज्य के 288 सिंगल लेन बी लोडिंग श्रेणी के इन पुलों को ए श्रेणी में अपग्रेड करते हुए इनकी भार क्षमता को भी बढ़ाया जाएगा। इन पर कुल 19.23 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है। पहले चरण में 182 पुलों के लिये 12.73 करोड़ रुपए अवमुक्त कर दिये गए हैं।
- इनमें उत्तरकाशी ज़िले में 12 पुलों, चमोली ज़िले में 19 पुलों, रुद्रप्रयाग में 10 पुलों, देहरादून में 25 पुलों, पौड़ी में तीन पुलों, पिथौरागढ़ में चार पुलों, बागेश्वर में दो पुलों, अल्मोड़ा में सात पुलों, चंपावत में तीन पुलों, नैनीताल में 11 पुलों और ऊधमसिंहनगर में आठ पुलों के लिये राशि जारी किये गए हैं।
- कुल स्वीकृत पुलों की संख्या -
उत्तरकाशी |
13 |
चमोली |
38 |
रुद्रप्रयाग |
12 |
देहरादून |
25 |
पौड़ी |
06 |
पिथौरागढ़ |
09 |
बागेश्वर |
03 |
अल्मोड़ा |
47 |
चंपावत |
10 |
नैनीताल |
11 |
ऊधमसिंहनगर |
08 |
कुल |
182 |
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