हरियाणा की पहली 'ड्रोन दीदी' | हरियाणा | 13 Mar 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में शर्मिला और हिमांशी, हरियाणा की पहली 'ड्रोन दीदी' बनी हैं। वे कृषि में अपने योगदान के माध्यम से ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाते हुए अन्य महिलाओं और लड़कियों को प्रेरित करते हैं।
मुख्य बिंदु:
- विकसित भारत संकल्प यात्रा की महिला लाभार्थियों के साथ बातचीत के बाद 30 नवंबर, 2023 को प्रधानमंत्री द्वारा ड्रोन दीदी पहल शुरू की गई थी।
- इसका लक्ष्य अगले दो वर्षों में 15,000 महिला स्वयं सहायता समूहों को कृषि उद्देश्यों के लिये किसानों को किराए पर देने हेतु ड्रोन प्रदान करना है।
- पहल के तहत महिला लाभार्थियों को ड्रोन पायलट बनने के लिये प्रशिक्षित किया जाता है।
- प्रशिक्षित महिला ड्रोन पायलट किसानों को उर्वरक छिड़काव, बीज बोने और फसल की निगरानी जैसे विभिन्न कृषि कार्यों में सहायता करेंगी। इससे ग्रामीण महिलाओं को अपने कौशल का उपयोग करके आय उत्पन्न करने में सहायता मिलेगी।
- इस पहल का उद्देश्य भारतीय कृषि पद्धतियों को आधुनिक बनाना और ग्रामीण महिलाओं को अत्याधुनिक तकनीक उपलब्ध कराकर उत्पादकता बढ़ाना है।
- यह योजना 15,000 महिला SHG को कवर करेगी, जिन्हें केंद्र की दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत गठित 89 लाख SHG में से पहचाना जाएगा और उन्हें एक स्थायी व्यवसाय मॉडल तथा आजीविका सहायता प्रदान की जाएगी।
- केंद्र प्रत्येक SHG को ड्रोन की लागत के लिये 80% या अधिकतम 8 लाख रुपए तक सब्सिडी प्रदान करेगा। इससे उन्हें प्रति व्यक्ति लगभग 1 लाख रुपए की अतिरिक्त आय होने की उम्मीद है।
स्वयं सहायता समूह (SHG)
- स्वयं सहायता समूह (SHG) कुछ ऐसे लोगों का एक अनौपचारिक संघ होता है जो अपने रहन-सहन की परिस्थितियों में सुधार करने के लिये स्वेच्छा से एक साथ आते हैं।
- भारत में SHG की उत्पत्ति का पता वर्ष 1970 में स्व-रोज़गार महिला संघ (SEWA) के गठन से लगाया जा सकता है।
- वर्ष 1992 में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक द्वारा शुरू की गई SHG बैंक लिंकेज परियोजना विश्व की सबसे बड़ी माइक्रोफाइनेंस परियोजना बन गई है।
- नाबार्ड ने RBI के साथ मिलकर वर्ष 1993 से SHG को बैंकों में बचत खाता रखने की अनुमति दी। इस कार्रवाई से SHG को काफी बढ़ावा मिला और SHG-बैंक लिंकेज कार्यक्रम का मार्ग प्रशस्त हुआ।
- वर्ष 1999 में, भारत सरकार ने SHG के गठन और कौशल के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोज़गार को बढ़ावा देने के लिये स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोज़गार योजना (SGSY) की शुरुआत की।
- यह कार्यक्रम वर्ष 2011 में एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में विकसित हुआ और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) विश्व का सबसे बड़ा गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम बन गया।
- आज, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (SRLM) 29 राज्यों और 5 केंद्रशासित प्रदेशों (दिल्ली और चंडीगढ़ को छोड़कर) में चालू हैं।
- NRLM ने गरीबों को वित्तीय साक्षरता, बैंक खाता, बचत, ऋण, बीमा, प्रेषण, पेंशन और वित्तीय सेवाओं पर परामर्श जैसी किफायती लागत प्रभावी विश्वसनीय वित्तीय सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुँच की सुविधा प्रदान की।
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM)
- यह वर्ष 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) द्वारा शुरू किया गया एक केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम है।
- मिशन का उद्देश्य ग्रामीण गरीबों के लिये कुशल और प्रभावी संस्थागत मंच तैयार करना है, जिससे उन्हें स्थायी आजीविका वृद्धि तथा वित्तीय सेवाओं तक बेहतर पहुँच के माध्यम से घरेलू आय बढ़ाने में सक्षम बनाया जा सके।
- यह सबसे गरीब और सबसे कमज़ोर समुदायों को लक्षित करने तथा उनके वित्तीय समावेशन पर विशेष ज़ोर देता है।
- यह पंचायती राज संस्थानों (PRI) और समुदाय आधारित संगठनों (CBO) के बीच पारस्परिक रूप से लाभप्रद कामकाजी संबंधों व परामर्श हेतु औपचारिक मंच प्रदान करता है।
प्रधानमंत्री ने हरियाणा में द्वारका एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया | हरियाणा | 13 Mar 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द्वारका एक्सप्रेसवे के पहले 8-लेन खंड के हरियाणा खंड का उद्घाटन किया।
मुख्य बिंदु:
- 4,100 करोड़ रुपए की लागत से पूरा हुआ यह नवनिर्मित 19 किमी. लंबा हिस्सा, राष्ट्रीय राजमार्ग (NH)- 48 पर यातायात प्रवाह को बढ़ाने तथा भीड़भाड़ को कम करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जो दिल्ली और गुरुग्राम के बीच सुगम कनेक्टिविटी प्रदान करता है।
- उद्घाटन खंड में दिल्ली-हरियाणा सीमा से बसई रेल-ओवर-ब्रिज (ROB) तक 10.2 किमी. की दूरी और बसई ROB से खेड़की दौला तक 8.7 किमी. का अतिरिक्त खंड शामिल है।
- यह सड़क मार्ग दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (IGI) हवाई अड्डे और गुरुग्राम बाईपास के बीच सीधा लिंक स्थापित करता है।
- द्वारका एक्सप्रेसवे के बारे में मुख्य बातें:
- 9,000 करोड़ रुपए के बजट से डिज़ाइन किया गया द्वारका एक्सप्रेसवे चार भागों में विभाजित है।
- गुरुग्राम में तीसरा और चौथा खंड है, जो लगभग 19 किमी. को कवर करता है, जबकि पहले दो खंड, कुल 10 किमी. दिल्ली में स्थित हैं।
- यह पूरी तरह से एक्सेस-नियंत्रित ग्रेड-पृथक 14-लेन एक्सप्रेसवे के रूप में खड़ा है, जो देश में एक अग्रणी पहल का प्रतीक है।
- भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अनुसार पूरी परियोजना अगस्त 2024 तक समाप्त होने वाली है।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI)
- NHAI की स्थापना NHAI अधिनियम, 1988 के तहत की गई थी। यह सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है।
- इसे राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (NHDP) के साथ-साथ विकास, रखरखाव और प्रबंधन के लिये अन्य छोटी परियोजनाओं को सौंपा गया है।
- राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (NHDP) भारत में प्रमुख राजमार्गों को उच्च स्तर पर उन्नत, पुनर्व्यवस्थित और चौड़ा करने की एक परियोजना है। यह परियोजना वर्ष 1998 में शुरू की गई थी।
- NHAI का प्रमुख दृष्टिकोण वैश्विक मानकों के अनुसार, राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क की व्यवस्था एवं अनुरक्षण के लिये राष्ट्र की आवश्यकता तथा भारत सरकार द्वारा निर्धारित महत्त्वपूर्ण नीतिगत ढाँचे के अंतर्गत अत्यंत समयबद्व व लागत प्रभावी तरीके से प्रयोक्तता की आशाओं को पूरा करना और इस तरह लोगों की आर्थिक समृद्धि एवं उनके जीवन स्तर को उन्नत करना है।