उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में बनेंगे 5 हवाई अड्डे
चर्चा में क्यों?
सीमा सड़क संगठन (BRO) उत्तराखंड में 5 हवाई अड्डे विकसित करने के लिये तैयार है, जिसमें गुंजी, कालसी, टनकपुर, घनसाली और नवीढांग शामिल हैं।
मुख्य बिंदु:
- चीन से लगी सीमा के पास संसाधनों के प्रबंधन को बढ़ाने के लिये यह पहल ज़रूरी है।
- बैठक में चमोली ज़िले में रणनीतिक औली-जोशीमठ मार्ग के 10.9 किमी लंबे मार्ग के चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण कार्य पर भी चर्चा हुई।
- जोशीमठ के बड़गाँव से औली तक 15 किमी. वैकल्पिक मार्ग का निर्माण भी BRO को सौंपा जाना प्रस्तावित है।
- लेफ्टिनेंट जनरल श्रीनिवासन ने चल रही BRO परियोजनाओं का विवरण साझा किया, जिसमें पिथौरागढ ज़िले में बलुवाकोट से तवाघाट और लिपुलेख से जोलिंगकोंग तक की सड़कें शामिल हैं।
सीमा सड़क संगठन (BRO)
- BRO की परिकल्पना और स्थापना वर्ष 1960 में पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा देश के उत्तर तथा उत्तर-पूर्वी सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क निर्माण में तेज़ी से विकास के समन्वय के लिये की गई थी।
- यह रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है।
- इसने निर्माण एवं विकास कार्यों के स्तर में व्यापक विविधता ला दी है, जिसमें हवाई क्षेत्र, निर्माण परियोजनाएँ, रक्षा कार्य और सुरंग बनाना शामिल है तथा जनता के प्रति काफी लोकप्रिय है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश में 5 और हवाई अड्डे बनेंगे
चर्चा में क्यों?
नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में पाँच नए हवाई अड्डों का उद्घाटन किया जाएगा।
- मुख्य बिंदु:
- राज्य में आजमगढ़, अलीगढ, मोरादाबाद, चित्रकूट और श्रावस्ती में हवाई अड्डे बनेंगे जिससे राज्य में कुल हवाई अड्डों की संख्या 19 हो जाएगी।
- अयोध्या हवाई अड्डे का विस्तार किया जाएगा और बड़े विमानों को उतरने तथा अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के संचालन की अनुमति देने के लिये रन-वे का विस्तार किया जाएगा।
- इसका दूसरे चरण का विस्तार जल्द ही शुरू होगा और अधिक उड़ानें शहर को जोड़ेंगी।
- अयोध्या में महर्षि वाल्मिकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन 30 दिसंबर, 2023 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था।
मध्य प्रदेश Switch to English
इंदौर: लगातार सातवीं बार सबसे स्वच्छ शहर
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने नई दिल्ली में आयोजित स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार 2023 समारोह में भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से पुरस्कार प्राप्त किया।
- इंदौर लगातार सातवीं बार देश का सबसे स्वच्छ शहर बना।
मुख्य बिंदु:
- इंदौर ने सूरत के साथ सबसे स्वच्छ शहर का खिताब साझा किया है।
- भारत सरकार द्वारा आयोजित स्वच्छ सर्वेक्षण-2022 में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मध्य प्रदेश ने एक बार फिर स्वच्छता के कीर्तिमान स्थापित किये।
- स्वच्छ भारत मिशन में राज्य की उपलब्धियाँ:
- राज्य के शत-प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में अपशिष्ट संग्रहण किया जा रहा है। इसके लिये नगरीय निकायों को मोटर चालित वाहन उपलब्ध कराये गए हैं। इन वाहनों में ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) सिस्टम लगाए गए हैं।
- गीले कचरे के प्रसंस्करण एवं निष्पादन हेतु होम कम्पोस्टिंग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। निकायों की केंद्रीकृत कंपोस्टिंग इकाइयों में संग्रहित गीले कचरे से खाद बनाई जाती है। इस खाद का उपयोग शहरी क्षेत्रों से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में खाद के रूप में किया जाता है।
स्वच्छ सर्वेक्षण 2023
- बड़े पैमाने पर नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करते हुए शहरों को शहरी स्वच्छता की स्थिति में सुधार करने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु एक प्रतिस्पर्धी ढाँचे के रूप में वर्ष 2016 में आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) द्वारा स्वच्छ सर्वेक्षण की शुरुआत की गई थी।
- पिछले कुछ वर्षों में, स्वच्छ सर्वेक्षण विश्व में सबसे बड़े शहरी स्वच्छता सर्वेक्षण के रूप में उभरा है।
बिहार Switch to English
बाल विवाह में वृद्धि
चर्चा में क्यों?
भारत में बाल विवाह पर हाल ही में किये गए लैंसेट अध्ययन में देश भर में बाल विवाह में समग्र कमी पर प्रकाश डाला गया। हालाँकि इसमें इस बात पर ज़ोर दिया गया कि कुछ राज्यों, विशेष रूप से बिहार (16.7%), पश्चिम बंगाल (15.2%), उत्तर प्रदेश (12.5%) और महाराष्ट्र (8.2%) ने सामूहिक रूप से बालिकाओं के बाल विवाह के कुल मामलों में आधे से अधिक का योगदान दिया।
मुख्य बिंदु:
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 (NFHS 2015-16) के अनुसार, 20-24 वर्ष के बीच की 39.1% बालिकाओं की शादी 18 साल से पहले हो जाती है।
- इसका तात्पर्य है कि 5 में से 2 बालिकाओं की शादी उनकी उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरी करने से पहले ही कर दी जाती है।
- ज़िला स्तरीय घरेलू सर्वेक्षण (NFHS-4, 2015-16) के अनुसार बिहार में CRY-समर्थित परियोजनाओं के हस्तक्षेप क्षेत्रों में बाल विवाह का प्रतिशत सर्वाधिक सुपौल ज़िले में था, इसके बाद बेगुसराय, जमुई, समस्तीपुर और गया ज़िले थे।.
- जैसा कि नवीनतम जनगणना (2011) के आँकड़ों से पता चलता है, 13 मिलियन से अधिक किशोर बालिकाएँ ऐसी हैं जिनकी शादी 10 से 19 वर्ष की उम्र के बीच हुई है।
- भारत में 3.8 मिलियन बालिकाएँ माता हैं, जिनमें से 1.4 मिलियन के किशोरावस्था पूरी होने से पहले ही दो या अधिक बच्चे थे।
- उनकी शिक्षा प्रोफाइल के एक संक्षिप्त विश्लेषण से पता चलता है कि 39% बालिकाएँ जो निरक्षर थीं, उन्होंने बच्चों को जन्म देना शुरू कर दिया था, जबकि 26% लड़कियाँ साक्षर थीं, जिससे साबित होता है कि थोड़ी सी शिक्षा भी लड़कियों को सशक्त बनाने में बहुत मदद करती है।
- बाल विवाह के मुद्दे को स्थायी रूप से संबोधित करने के लये अंतर-विभागीय अभिसरण सुनिश्चित करना समय की मांग है जहाँ स्कूलों, समेकित बाल विकास योजना (ICDS) और पंचायती-राज संस्थानों को महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने की आवश्यकता है।
- समेकित बाल संरक्षण योजना के बाद, ग्राम पंचायत और ब्लॉक स्तर पर बाल संरक्षण समितियों के गठन एवं सुदृढ़ीकरण पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है, जिन्हें इन इकाइयों को बाल विवाह से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिये जवाबदेह होना होगा।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-4)
- 29 राज्यों के अलावा NFHS-4 में पहली बार सभी छह केंद्रशासित प्रदेश शामिल थे और जनगणना 2011 के अनुसार, देश के सभी 640 ज़िलों के लिये ज़िला स्तर पर अधिकांश संकेतकों के अनुमान उपलब्ध कराए गए थे।
- सर्वेक्षण में प्रजनन, शिशु एवं बाल मृत्यु दर, मातृ और शिशु स्वास्थ्य, प्रसवकालीन मृत्यु दर, किशोर प्रजनन स्वास्थ्य, उच्च जोखिम वाले यौन व्यवहार, सुरक्षित इंजेक्शन, तपेदिक व मलेरिया, गैर-संचारी रोग, घरेलू हिंसा, HIV ज्ञान तथा HIV से ग्रसित लोगों के प्रति दृष्टिकोण सहित स्वास्थ्य से संबंधित कई मुद्दों को शामिल किया गया था।
राजस्थान Switch to English
वेटलैंड सिटी प्रमाणन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) ने वेटलैंड सिटी प्रमाणन (Wetland City Accreditation- WCA) हेतु भारत से तीन शहरों के लिये नामांकन प्रस्तुत किये हैं।
- नामांकित शहरों में इंदौर (मध्य प्रदेश), भोपाल (मध्य प्रदेश) और उदयपुर (राजस्थान) शामिल हैं।
मुख्य बिंदु:
- इन शहरों में पाँच प्रमुख आर्द्रभूमियाँ मौजूद हैं जिनमें पिछोला, फतेह सागर, रंग सागर, स्वरूप सागर एवं दूध तलाई शामिल हैं।
- ये आर्द्रभूमियाँ शहर की संस्कृति व पहचान का एक अभिन्न अंग हैं जो शहर के माइक्रॉक्लाइमेट को बनाए रखने में मदद करती हैं और साथ ही मौसम की विषम घटनाओं से सुरक्षा प्रदान करती हैं।
- MoEF&CC की अमृत धरोहर पहल रामसर स्थलों के संरक्षण मूल्यों को बढ़ावा देती है जोकि WCA लक्ष्यों के अनुरूप है।
WCA हेतु नामांकित अन्य शहर
- शहर में स्थित एक रामसर स्थल, सिरपुर झील, जिसे जलीय पक्षी समागम के लिये एक महत्त्वपूर्ण स्थल के रूप में मान्यता दी गई है तथा इसे पक्षी अभयारण्य के रूप में विकसित किया जा रहा है।
- इस शहर में स्थित भोज वेटलैंड (रामसर स्थल) शहर की जीवन रेखा के सामान है जहाँ विश्व स्तरीय वेटलैंड व्याख्या केंद्र स्थापित है जिसका नाम जल तरंग है।
वेटलैंड सिटी प्रमाणन (WCA)
- WCA एक स्वैच्छिक मान्यता प्रणाली है, जिसे रामसर कन्वेंशन द्वारा कॉन्ट्रैक्टिंग पार्टियों (Conference of the Contracting Parties- COP) 12, 2015 के सम्मेलन के दौरान उन शहरों को मान्यता देने के लिये स्थापित किया गया था, जिन्होंने अपने शहरी आर्द्रभूमि की सुरक्षा हेतु असाधारण कदम उठाए हैं।
- WCA 6 वर्षों के लिये मान्य होता है।
- इस योजना का उद्देश्य शहरी एवं परिधीय-शहरी क्षेत्र के आर्द्रभूमि संरक्षण और इसके उपयोग को बढ़ावा देना है, साथ ही स्थानीय आबादी के लिये स्थायी सामाजिक-आर्थिक लाभ अर्जित करना भी है।
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