प्रयागराज शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 29 जुलाई से शुरू
  संपर्क करें
ध्यान दें:

स्टेट पी.सी.एस.

  • 12 Oct 2023
  • 0 min read
  • Switch Date:  
उत्तर प्रदेश Switch to English

मुख्यमंत्री ग्रीन रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट शहरी (सीएम ग्रिड) योजना

चर्चा में क्यों?

10 अक्तूबर, 2023 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में शहरों की सड़कों को और बेहतर करने के लिये ‘मुख्यमंत्री ग्रीन रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट शहरी (सीएम ग्रिड) योजना’ शुरू करने का निर्णय लिया गया।

प्रमुख बिंदु

  • मुख्यमंत्री ग्रीन रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट शहरी (सीएम ग्रिड) योजना में वित्तीय वर्ष 2023-24 में 500 करोड़ रुपए खर्च किये जाएंगे।
  • नगर विकास मंत्री ए.के. शर्मा ने इस संबंध में बताया कि पहले चरण में 17 नगर-निगमों अयोध्या, अलीगढ़, आगरा, कानपुर, गाज़ियाबाद, गोरखपुर, झाँसी, प्रयागराज, फिरोज़ाबाद, बरेली, मथुरा-वृंदावन, मेरठ, मुरादाबाद, लखनऊ, वाराणसी, शाहजहाँपुर और सहारनपुर में इस योजना के अंतर्गत काम किया जाएगा।
  • दूसरे चरण में नगर पंचायत और पालिका परिषद की सड़कों को शामिल किया जाएगा। इसके लिये शहरी सड़क अवसंरचना विकास एजेंसी की स्थापना की जाएगी।
  • इस योजना में निकायों द्वारा पिछले वित्तीय वर्ष अर्जित आय के आधार पर सड़कों के विकास के लिये अनुदान दिया जाएगा।
  • योजना के अंतर्गत सड़क से संबंधित सभी सुविधाएँ, जैसे- यूटीलिटी डक्ट, फुटपाथ, ग्रीन ज़ोन, सौर आधारित स्ट्रीट लाइट, बस स्टॉप, ईवी चार्जिंग स्टेशन, सौंदर्यीकरण, पैदल यात्री सुविधा आदि सुविधा दी जाएंगी। शहरों की सभी सड़कों को सुरक्षित, टिकाऊ और समावेशी बनाया जाएगा तथा ये सड़कें हरियाली और पर्यावरण के अनुकूल होंगी।

 


उत्तर प्रदेश Switch to English

बासमती का स्वाद एवं गुणवत्ता बचाने के लिये 10 कीटनाशक प्रतिबंधित

चर्चा में क्यों?

10 अक्तूबर, 2023 को बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन (बीईडीएफ), मोदीपुरम के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा ने बताया कि बासमती की फसल में अंधाधुंध रसायनों के प्रयोग से बिगड़ रहे स्वाद और इसकी गुणवत्ता को बचाने के लिये 10 कीटनाशकों को प्रतिबंधित कर दिया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • अपर निदेशक (कृषि रक्षा) त्रिपुरारी प्रसाद चौधरी ने प्रदेश के 30 ज़िलों में 10 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इनके प्रतिबंधित होने से बासमती की गुणवत्ता और इसके असली स्वाद को बचाया जा सकेगा। इससे बासमती का निर्यात भी बढ़ाया जा सकेगा।
  • ये कीटनाशक किये गए प्रतिबंधित: ट्राइसाक्लाजोल, बुप्रोफेजिन, एसीफेट, क्लोरपाइरीफोंस, हेक्साकलोनोजॉल, प्रोपिकोनाजोल, थायोमेथाक्साम, प्रोफेनोफोस, इमिडाक्लोप्रिड और कार्बेनडाजिम।
  • डॉ. रितेश शर्मा ने बताया कि बासमती की खेती पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 30 ज़िलों में होती है। इनमें आगरा, अलीगढ़, औरैया, बागपत, बरेली, बिजनौर, बदायूँ, बुलंदशहर, एटा, कासगंज, फर्रूखाबाद, फिरोज़ाबाद, इटावा, गौतमबुद्धनगर, गाज़ियाबाद, हापुड़, हाथरस, मथुरा, मैनपुरी, मेरठ, मुरादाबाद, अमरोहा, कन्नौज, मुज़फ्फरनगर, शामली, पीलीभीत, रामपुर, सहारनपुर, शाहजहाँपुर, संभल शामिल हैं।
  • विदित है कि बासमती चावल उत्तर प्रदेश की भौगोलिक संकेत (जीआई) श्रेणी की फसल है। इसमें लगने वाले कीटों व रोगों की रोकथाम के लिये कृषि रसायनों का प्रयोग किया जाता है। इन रसायनों के अवशेष बासमती चावल में पाए जा रहे हैं।
  • एपीडा (एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी) की ओर से बताया गया है कि यूरोपियन यूनियन द्वारा बामसती चावल में ट्राइसाइक्लाजोल का अधिकतम कीटनाशी अवशेष स्तर एमआरएल 0.01 पीपीएम निर्धारित किया गया है, लेकिन निर्धारित पीपीएम की मात्रा से अधिक होने के कारण यूरोप, अमेरिका एवं खाड़ी देशों के निर्यात में वर्ष 2020-21 की तुलना में वर्ष 2021-2022 में 15 प्रतिशत की कमी आई है।


बिहार Switch to English

आशा कार्यकर्त्ता कल्पना कुमारी व सेविका ललिता कुमारी को मिला सम्मान

चर्चा में क्यों?

10 अक्तूबर, 2023 को नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बिहार की दो महिलाओं आशा कार्यकर्त्ता कल्पना कुमारी व सेविका ललिता कुमारी को सम्मानित किया।

प्रमुख बिंदु

  • बिहार की आशा कार्यकर्त्ता कल्पना व सेविका ललिता कुमारी ने अतिगंभीर कुपोषित बच्चों के प्रबंधन एवं रिफरल सेवा प्रदान करने के लिये उत्कृष्ट कार्य किये हैं।
  • सेविका ललिता कुमारी भागलपुर की एवं आशा कार्यकर्त्ता कल्पना कुमारी खगड़िया की निवासी हैं।

 


बिहार Switch to English

बिहार के 10 ज़िलों में बनाए जाएंगे सीड हब

चर्चा में क्यों?

11 अक्तूबर, 2023 को बिहार कृषि विभाग ने प्रदेश के 10 ज़िलों में सीड हब बनाए जाने की स्वीकृति दे दी। इन ज़िलों में गेहूँ, दलहन और तिलहन के बीज का उत्पादन होगा।

प्रमुख बिंदु

  • पहले चरण में 3125 एकड़ में प्रमाणित बीज उत्पादन के लिये खेती कराई जाएगी। संबंधित ज़िले के सहायक निदेशक (शष्य) सीड हब के लिये गाँव या पंचायत का चयन करेंगे।
  • चयनित गाँव के किसान या किसान समूह के ज़रिये यहाँ बीज उत्पादन का कार्य कृषि विभाग की देखरेख में होगा।
  • विभाग ने इसके लिये किसानों को बीज पर 80 फीसदी अनुदान देने का निर्णय लिया है। इसके अलावा ज़रूरत पड़ने पर किसानों को तीन साल तक मदद (रिवाल्विंग फंड) की जाएगी। मदद के रूप में मिलने वाली राशि किसानों को लौटानी होगी।
  • गौरतलब है कि चौथे कृषि रोड मैप में राज्य को बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसलिये अगले पाँच साल में 100 सीड हब बनाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें रबी मौसम में दस सीड हब बनाए जाएंगे।
  • इसमें 683.75 क्व़िटल बीज बाँटे जाएंगे। इसके माध्यम से 16375 क्विंटल बीज उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। अगले साल नए गाँव या पंचायत में सीड हब बनाए जाएंगे।
  • ज़िलेवार फसलों का निर्धारण इस प्रकार किया गया है- गया में गेहूँ, चना और मूंग, वैशाली में गेहूँ मसूर और मूंग, भागलपुर में गेहूँ, राई, सरसों और मूंग, नालंदा में गेहूँ, मसूर और मूंग, बेगूसराय में गेहूँ और राई, समस्तीपुर में गेहूँ, मसूर और मूंग, पटना में गेहूँ, राई, सरसों और मूंग, नवादा में गेहूँ, मसूर और मूंग, दरभंगा में गेहूँ, मसूर और मूंग तथा पूर्णिया में गेहूँ, मसूर और मूंग का सीड हब बनेगा।
  • गेहूँ के लिये सीड हब का रकबा न्यूनतम 125 एकड़ और दलहन-तिलहन के लिये 62.5 एकड़ होगा।


राजस्थान Switch to English

प्रदेश में पहली बार अनिवार्य सेवाओं की कैटेगरी में मीडियाकर्मी शामिल

चर्चा में क्यों?

11 अक्तूबर, 2023 को राजस्थान के मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने बताया कि राजस्थान विधानसभा आम चुनाव-2023 में सर्विस वोटर्स के अलावा अन्य आठ विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों को भी भारत निर्वाचन आयोग ने डाक मतपत्र के ज़रिये वोटिंग की सुविधा दी है। इस श्रेणी में पहली बार राजस्थान में मीडियाकर्मियों को भी शामिल किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • इस संबंध में निर्वाचन आयोग ने अधिसूचना जारी की है। बिजली-पानी, रोडवेज-मेट्रो, डेयरी, फायर फाइटर, चिकित्सा शिक्षा विभाग और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी भी इसमें शामिल हैं।
  • निर्वाचन आयोग से जारी आदेशों के मुताबिक मेडिकल सेक्टर में डॉक्टर, पैरा मेडिकल स्टाफ, एम्बुलेंस कर्मचारी, ऊर्जा विभाग में इलेक्ट्रिशियन, लाइनमैन, पीएचईडी में पंप ऑपरेटर, टर्नर, राजस्थान की दुग्ध समितियों में काम करने वाले कर्मचारी, रोडवेज में ड्राइवर-कंडक्टर और निर्वाचन आयोग से अधिकृत मीडिया कर्मचारियों को इस साल से पोस्टल बैलेट (डाक मतपत्र) के ज़रिये वोटिंग की सुविधा दी जाएगी।
  • सर्विस वोटर्स की श्रेणी में पहली बार पत्रकारों को शामिल किया गया है। अभी तक सर्विस वोटिंग की सुविधा चुनाव ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों-अधिकारियों, सेना या पैरा मिलिट्री से जुड़े जवानों को ही मिलती थी।
  • इन सभी अनिवार्य सर्विस वालों को अब से पोस्टल बैलेट की सुविधा दी गई है। संबंधित विभाग बताएंगे कि उनके यहाँ कितने ऐसे कर्मचारी हैं, जिनकी वोटिंग के दिन ड्यूटी रहेगी और वो उस दिन वोट देने से वंचित रह सकते हैं। उस सूची के आधार पर रिटर्निंग अधिकारी उन कर्मचारियों को फार्म 12-डी जारी करेगा और उनको बैलेट पेपर के ज़रिये वोटिंग की सुविधा फैसिलिटेशन सेंटर पर दी जाएगी।


झारखंड Switch to English

‘अमृत’ मिशन (AMRUT) के तहत देश के 500 शहरों में झारखंड के पाँच शहर शामिल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिये अटल मिशन (AMRUT) के तहत देश के 500 शहरों में झारखंड के पाँच शहरों- देवघर, मधुपुर, बासुकिनाथ, गोड्डा और महागामा को शामिल किया है।

प्रमुख बिंदु

  • केंद्रीय आवासन  एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने गोड्डा संसदीय क्षेत्र के इन 5 शहरों के कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिये पहले फेज में 50 करोड़ रुपए भी स्वीकृत कर दिये हैं। इस राशि से इन 5 शहरों में पानी की आपूर्ति, सीवरेज, शहरी परिवहन, पार्क, आधारभूत संरचना जैसी बुनियादी नागरिक सुविधाओं पर काम होगा।
  • उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में भारत सरकार ने कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिये अटल मिशन (AMRUT) शुरू किया था, जिसका उद्देश्य पानी की आपूर्ति, सीवरेज, शहरी परिवहन, पार्क जैसी बुनियादी नागरिक सुविधाएँ प्रदान करना है, ताकि सभी के लिये जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सके, विशेषरूप से गरीबों और वंचितों के लिये।
  • मिशन का फोकस बुनियादी ढाँचे के निर्माण पर है, जिसका नागरिकों को बेहतर सेवाओं के प्रावधान से सीधा संबंध है
  • ‘अमृत’ मिशन के उद्देश्य हैं-
    • सुनिश्चित करना है कि हर घर में पानी की सुनिश्चित आपूर्ति और एक सीवरेज कनेक्शन के साथ एक नल तक पहुँच हो।
    • हरियाली और अच्छी तरह से बनाए हुए खुले स्थान विकसित करके शहरों की सुविधा मूल्य में वृद्धि करें।
    • सार्वजनिक परिवहन पर स्विच करके या गैर-मोटर चालित परिवहन के लिये सुविधाओं का निर्माण करके प्रदूषण को कम करना।
  • प्रमुख परियोजना घटक प्राथमिकता के क्रम में जल आपूर्ति प्रणाली, सीवरेज, सेप्टेज, तूफान जल निकासी, शहरी परिवहन, हरित स्थान और पार्क, सुधार प्रबंधन और समर्थन, क्षमता निर्माण आदि हैं।
  • जल आपूर्ति और सीवरेज सेवाओं के सार्वभौमिक कवरेज का मिशन में पहला प्रभार है। बच्चों और बुजुर्गों के अनुकूल सुविधाओं वाले पार्कों के विकास के लिये परियोजना लागत का अधिकतम 2.5% आवंटन है।
  • मिशन में 500 शहरों को शामिल किया गया है, जिनमें अधिसूचित नगर पालिकाओं के साथ एक लाख से अधिक आबादी वाले सभी शहर और कस्बे शामिल हैं।
  • अमृत ​​के लिये कुल परिव्यय रुपए वित्तीय वर्ष 2015-16 से वित्त वर्ष 2019-20 तक पाँच वर्षों के लिये 50,000 करोड़ रुपए थे।
  • यह मिशन केंद्रीय प्रायोजित योजना के रूप में संचालित किया जा रहा है। परियोजना निधि को राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के बीच एक समान सूत्र में विभाजित किया गया है, जिसमें प्रत्येक राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की शहरी आबादी और सांविधिक कस्बों की संख्या को 50:50 वेटेज दिया जा रहा है।


हरियाणा Switch to English

हरियाणा मंत्रिमंडल के महत्त्वपूर्ण निर्णय

चर्चा में क्यों?

11 अक्तूबर, 2023 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आयोजित हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा नगर शहरी निर्मित-योजना सुधार नीति 2023 को मंज़ूरी देने के साथ ही कई अन्य महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गए।

प्रमुख बिंदु

  • हरियाणा नगर शहरी निर्मित-योजना सुधार नीति 2023 के तहत हरियाणा के अनियोजित क्षेत्र में आवासीय भूखंडों को व्यावसायिक उपयोग में बदलने की अनुमति दी जाएगी। शर्त यह है कि कॉलोनी कम-से-कम 50 साल पहले बनी हो।
    • यह नीति हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी), हाउसिंग बोर्ड (हरियाणा), हरियाणा राज्य औद्योगिक बुनियादी ढाँचा विकास निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के क्षेत्रों को छोड़कर नगर पालिका सीमा के मुख्य क्षेत्रों के भीतर बसे आवासीय क्षेत्रों में लागू होगी।
    • यह योजना उन प्लॉटों पर भी लागू होगी, जिन्होंने अपने प्लॉट को विभाजित कर दिया था। फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर), ग्राउंड कवरेज और प्लॉट की ऊँचाई जैसे पैरामीटर मूल आवासीय योजना के अनुरूप रहेंगे। मूल योजना की बिल्डिंग लाइन का भी रखरखाव किया जाएगा।
    • आवेदन प्रक्रिया को शहरी स्थानीय निकाय विभाग की ओर से विकसित एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से सुविधाजनक बनाया जाएगा। आवेदन के लिये संपत्ति मालिकों को रूपांतरण शुल्क के रूप में 10 रुपए प्रति वर्ग मीटर जाँच शुल्क का भुगतान और वाणिज्यिक कलेक्टर दर का पाँच फीसदी विकास शुल्क देना होगा।
    • परिवर्तित क्षेत्र पर उन्हें 160 रुपए प्रति वर्ग मीटर का कंपोजिशन शुल्क भी देना होगा। इसके लिये आवेदक को 31 मार्च, 2024 तक आवेदन करना होगा। अगर इस समयावधि के दौरान भूखंड मालिक आवेदन नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
    • अवैध व्यावसायिक भवनों की पहचान करने और रास्ते के अधिकारों व प्रभावित भूखंडों का नक्शा बनाने के लिये सर्वेक्षण किया जाएगा। अगर किसी संपत्ति को अस्वीकार कर दिया जाता है या नियमितीकरण के लिये आवेदन नहीं किया जाता है तो नगर पालिकाएँ अवैध निर्माण को तोड़कर इमारत को मूल स्थिति में बहाल कर सकती हैं या लाइसेंस रद्द कर सकती हैं।
  • मंत्रिमंडल की बैठक में नगर पालिकाओं और नगर सुधार ट्रस्टों की ओर से आवंटित सिंगल (एकल) बूथ, दुकानों और सर्विस बूथों पर पहली मंज़िल या बेसमेंट या दोनों के निर्माण को मंज़ूरी दी गई। इसके लिये भी नीति को मंत्रिमंडल ने मंज़ूरी दी है।
    • बूथ पर पहली मंज़िल या बेसमेंट या दोनों के मौजूदा अनधिकृत निर्माण का नियमित करने के लिये 31 मार्च, 2024 तक आवेदन करना होगा।
    • पहली मंज़िल या बेसमेंट या बूथ के निर्माण के लिये नई अनुमति हेतु समय-सीमा तय नहीं है। यह नीति उन नियंत्रित क्षेत्रों पर लागू नहीं होगी, जिनके लिये भूमि उपयोग परिवर्तन (सीएलयू) की अनुमति की आवश्यकता होती है।
    • इसमें नगर पालिका सीमा के भीतर नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग से स्वीकृत लाइसेंस प्राप्त योजनाएँ भी शामिल नहीं हैं।
    • इसके अलावा नीति में तहबाज़ारी या खोका के तहत दुकानों या नगर पालिकाओं की ओर से आवंटित किसी भी अस्थायी संरचना को शामिल नहीं किया गया है।
    • आवेदकों से प्रस्तावित कुल निर्मित क्षेत्र पर 10 रुपए प्रति वर्ग मीटर का शुल्क लिया जाएगा। मौजूदा प्रथम तल या बेसमेंट निर्माण के नियमितीकरण के लिये शुल्क 10 रुपए प्रति वर्ग मीटर है, लेकिन यह भूतल पर संरचना सहित भूखंड पर प्रस्तावित और मौजूदा निर्मित क्षेत्र, दोनों पर लागू होता है।
  • बैठक में हरियाणा डिजिटल मीडिया विज्ञापन नीति को मंज़ूरी दी गई। यह नीति सोशल मीडिया समाचार चैनलों और सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर को शामिल करने के लिये लाई गई है।
    • वर्ष 2007 और 2020 की मौजूदा नीति केवल प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और वेबसाइट तक ही सीमित थी। नई नीति के तहत सोशल मीडिया समाचार चैनलों को उनके ग्राहकों, अनुयायियों और सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट की संख्या को ध्यान में रखते हुए पैनल में शामिल करने के लिये पाँच श्रेणियाँ बनाई गई हैं।
    • डीआईपीआर हरियाणा की ओर से इन श्रेणियों के अनुसार सोशल मीडिया समाचार चैनलों को सूचीबद्ध किया जाएगा। पैनल सलाहकार समिति प्रत्येक श्रेणी, विज्ञापन प्रारूप और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिये समय-समय पर दरें तय करेगी।
  • मंत्रिमंडल ने प्रदेश के पत्रकारों की पेंशन को 10 हज़ार रुपए से बढ़ाकर 15 हज़ार रुपए करने की भी मंज़ूरी दे दी है।
  • मंत्रिमंडल ने यात्रियों की सुविधा के लिये स्टेट कैरिज बसों के किराये में पाँच रुपए तक के किराये को राउंड ऑफ करने की मंज़ूरी दी है। साढ़े सात किमी. तक यात्रा करने पर पाँच रुपए और आठ से दस किमी. की यात्रा करने पर दस रुपए लिये जाएंगे। इससे अब आम जनता के साथ-साथ कंडक्टरों को भी सिक्कों और चेंज जैसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।


उत्तराखंड Switch to English

प्रदेश में पहली बार पर्यटक स्थलों का कराया जाएगा सर्वे

चर्चा में क्यों?

10 अक्तूबर, 2023 को उत्तराखंड पर्यटन विभाग के अपर सचिव युगल किशोर पंत ने बताया कि प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में पर्यटन के लिये देश-दुनिया से आने वाले पर्यटकों का पहली बार सर्वे किया जाएगा। सर्वे से प्राप्त होने वाला डाटा भविष्य में पर्यटन विकास योजना बनाने में मददगार साबित होगा।

प्रमुख बिंदु

  • युगल किशोर पंत ने बताया कि सर्वे के दौरान पर्यटकों से कई सवालों पर जवाब लिया जाएगा। विदेशी और घरेलू पर्यटकों को राज्य में घूमने-फिरने के लिये सबसे ज़्यादा कौन-सा स्थान पसंद है? साथ ही धार्मिक व साहसिक समेत अन्य किन पर्यटन गतिविधियों के लिये उत्तराखंड आते हैं और उन्हें किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा है? इसे जानने के लिये प्रदेश भर में अलग-अलग पर्यटन स्थलों पर सर्वे किया जाएगा।
  • हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून, मसूरी, नैनीताल, भीमताल, लैंसडाउन, टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत, अल्मोड़ा, उत्तरकाशी समेत प्रदेश के कई पर्यटक स्थलों पर सर्वे कराया जाएगा।
  • गौरतलब है कि हर साल लगभग पाँच करोड़ पर्यटक उत्तराखंड आते हैं। इनमें चारधाम यात्रा में आने वाले तीर्थयात्री भी शामिल हैं। गर्मियों की छुटिेयाँ बिताने, वीकेंड, नए साल का जश्न, राफ्टिंग, पर्वतारोहण, अध्यात्म के लिये देश-विदेश से पर्यटक यहाँ आते हैं।

 


 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow