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उत्तराखंड में बनेगा किसानों का डाटाबेस
चर्चा में क्यों?
11 अक्टूबर, 2022 को उत्तराखंड राज्य के देहरादून सचिवालय में केंद्र सरकार के चीफ नॉलेज ऑफिसर राजीव चावला की अध्यक्षता में राज्य में किसानों के भू-अभिलेख के संबंध में हुई बैठक में राज्य के अधिकारियों को किसानों का डाटाबेस तैयार करने के निर्देश दिया गया।
प्रमुख बिंदु
- राजीव चावला ने केंद्र सरकार की ओर से विकसित एग्री स्टैक पोर्टल के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि किसानों को विभिन्न योजनाओं का लाभ बिना किसी कागज़ी प्रक्रिया के देने के लिये राज्य में किसानों का डाटाबेस तैयार किया जाएगा।
- इसके लिये प्रत्येक किसान को विशिष्ट पहचान (यूनिक आइडी) उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही, पोर्टल के लिये राज्य के समस्त किसानों के भू-अभिलेखों के सुधार के संबंध में प्रस्तुतीकरण देते हुए बताया कि एग्री स्टैक पोर्टल के तीन प्रमुख स्तंभ किसान डाटाबेस, भू-संदर्भित ग्राम मानचित्र और फसल सर्वे डाटा हैं।
- उन्होंने बैठक में बताया कि उत्तराखंड में किसानों का अलग से डाटाबेस नहीं है। पीएम किसान योजना के आनॅलाइन पीएम किसान पोर्टल पर ही यह किसानों का डाटा उपलब्ध है।
- पीएम किसान सम्मान निधि के अंतर्गत सभी पात्र लाभार्थियों का डाटा विभागीय डाटाबेस में एकीकृत किया जाएगा। यह कुल किसानों का लगभग 80 से 85 प्रतिशत होगा। राजस्व विभाग ऑनलाइन-राइट ऑफ रिकॉर्ड में प्रत्येक किसान के स्वामित्व की भूमि में बोई जाने वाली सभी मौसमी फसलों के क्षेत्रफल का विवरण दर्ज होगा।
- कृषि विभाग इस डाटा को अद्यतन कर उपयोग में लाएगा। इस टाइम सीरीज़ डाटा से भविष्य में फसलों के प्रत्येक माह संभावित अनुमान तैयार किये जा सकेंगे। फसलवार प्राप्त जानकारी का उपयोग किसान क्रेडिट कार्ड से फसली ऋण, पीएम किसान सम्मान निधि, पीएम फसल बीमा योजना व फसल विपणन का लाभ प्राप्त करने में किया जाएगा। इससे किसान को सत्यापित जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध होगी।
- बैठक में बताया गया कि राज्य में ग्रामों के मानचित्रों को ऑनलाइन कराने के लिये राजस्व विभाग निविदा कर चुका है। पहले चरण में दो ज़िलों-अल्मोड़ा और पौड़ी के मानचित्रों को ऑनलाइन किया जाएगा, शेष ज़िलों के मानचित्रों को दो वर्ष में ऑनलाइन किया जाएगा।
- फसल सर्वे डाटा के लिये कृषि विभाग की ओर से देहरादून व चंपावत ज़िलों हेतु प्रस्ताव आमंत्रित करने की प्रक्रिया गतिमान है। देहरादून व चंपावत के भू-राजस्व डाटा, सॉयल प्रोफाइलिंग के डाटा को उपयोग में लाते हुए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग के उपयोग से विभिन्न विभागीय डैशबोर्ड तैयार किये जाएंगे। अन्य ज़िलों के लिये राजस्व विभाग भू-संदर्भित ग्राम मानचित्र उपलब्ध कराने के बाद चरणबद्ध रूप से फसल सर्वे का कार्य कराएगा।
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