NIA न्यायालय ने धर्मांतरण मामले में आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई | उत्तर प्रदेश | 12 Sep 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में लखनऊ में एक विशेष राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) न्यायालय ने अवैध धर्मांतरण मामले में इस्लामिक विद्वान और 11 अन्य को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई।
मुख्य बिंदु
- आरोप और दोषसिद्धि:
- गिरफ्तारी और आरोप:
- इस्लामिक स्कॉलर को 2021 में उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधी दस्ते ने मेरठ से अवैध धर्म परिवर्तन के लिये एक राष्ट्रव्यापी सिंडिकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
- उन पर शत्रुता को बढ़ावा देने, भारत की संप्रभुता और अखंडता को क्षति पहुँचाने तथा धर्मांतरण को बढ़ावा देने हेतु अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से धन प्राप्त करने का आरोप लगाया गया था।
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA)
- NIA भारत की केंद्रीय आतंकवाद निरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी है, जिसे भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता को प्रभावित करने वाले सभी अपराधों की जाँच करने का अधिकार है। इसमें शामिल हैं:
- विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध।
- परमाणु एवं नाभिकीय सुविधाओं के विरुद्ध।
- हथियारों, नशीले पदार्थों और जाली भारतीय मुद्रा की तस्करी तथा सीमा पार से घुसपैठ।
- संयुक्त राष्ट्र, उसकी एजेंसियों और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की अंतर्राष्ट्रीय संधियों, समझौतों, अभिसमयों तथा प्रस्तावों को लागू करने के लिये बनाए गए वैधानिक कानूनों के अंतर्गत अपराध।
- इसका गठन राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) अधिनियम, 2008 के तहत किया गया था।
- एजेंसी को गृह मंत्रालय की लिखित घोषणा के तहत राज्यों से विशेष अनुमति के बिना राज्यों में आतंकवाद से संबंधित अपराधों की जाँच करने का अधिकार है।
- मुख्यालय: नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021
- इस कानून में धोखाधड़ी या जबरन धर्मांतरण के संबंध में कड़े प्रावधान हैं।
- इसमें 20 वर्ष की सज़ा या आजीवन कारावास का प्रावधान है, अगर यह पाया गया कि धर्म परिवर्तन धमकी, शादी का वादा या साजिश के तहत किया गया है
- विधेयक के तहत इसे सबसे गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
- यह विधेयक किसी भी व्यक्ति को धर्म परिवर्तन से संबंधित मामलों में प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR ) दर्ज करने की अनुमति देता है, न कि केवल माता-पिता, पीड़ित या भाई-बहन को।
- इन मामलों की सुनवाई, सत्र न्यायालय से नीचे के किसी न्यायालय में नहीं होगी। विधेयक में इस अपराध को गैर-ज़मानती भी बनाया गया है।
- जो कोई भी व्यक्ति विवाह के उद्देश्य से अपनी इच्छा से धर्म परिवर्तन करना चाहता है, उसे संबंधित ज़िला मजिस्ट्रेट को दो महीने पहले आवेदन प्रस्तुत करना होगा।