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नूहं ज़िले में नए बूचड़खानों की मंज़ूरी पर आक्रोश
चर्चा में क्यों
हाल ही में हरियाणा सरकार द्वारा नूंह ज़िले में 21 अतिरिक्त बूचड़खानों को मंज़ूरी देने के निर्णय से स्थानीय निवासियों में विरोध भड़क उठा है, जिसके कारण उन्हें पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा है।
मुख्य बिंदु
- पर्यावरणीय चिंता:
- NGT ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय भूजल प्राधिकरण को वायु, जल एवं मृदा में प्रदूषण के आरोपों पर उत्तर देने के लिये नोटिस जारी किया है।
- निवासियों का आरोप है कि मौजूदा बूचड़खाने प्रदूषण मानदंडों का उल्लंघन करते हैं , जिससे स्थानीय पर्यावरण का क्षरण होता है।
- स्वास्थ्य संबंधी जोखिम:
- स्थानीय कार्यकर्त्ताओं की रिपोर्ट है कि इन बूचड़खानों के आस-पास के गाँवों में स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है, बच्चे बीमार पड़ रहे हैं और बूचड़खानों से निकलने वाले खून से खेत दूषित हो रहे हैं।
- कथित तौर पर अपशिष्ट को मृदा और जल धाराओं में डाला जा रहा है, जिससे असहनीय बदबू एवं स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।
- स्थानीय लोगों का कहना है कि नीतियों में विरोधाभास है, उत्तर प्रदेश बूचड़खानों को बंद कर रहा है, जबकि हरियाणा नूंह में बूचड़खानों का विस्तार कर रहा है ।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT)
- यह पर्यावरण संरक्षण तथा वनों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी तथा शीघ्र निपटान हेतु राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम (2010) के तहत स्थापित एक विशेष निकाय है ।
- NGT की स्थापना के साथ, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के बाद भारत विशेष पर्यावरण न्यायाधिकरण स्थापित करने वाला विश्व का तीसरा विकासशील देश बन गया है।
- NGT को आवेदनों या अपीलों का अंतिम रूप से निपटान दाखिल होने के 6 महीने के भीतर करना अनिवार्य है ।
- NGT के पाँच बैठक स्थान हैं, नई दिल्ली इसकी मुख्य बैठक स्थान है तथा भोपाल, पुणे, कोलकाता और चेन्नई अन्य चार स्थान हैं ।
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