उत्तर प्रदेश Switch to English
NIA न्यायालय ने धर्मांतरण मामले में आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई
चर्चा में क्यों?
हाल ही में लखनऊ में एक विशेष राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) न्यायालय ने अवैध धर्मांतरण मामले में इस्लामिक विद्वान और 11 अन्य को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई।
मुख्य बिंदु
- आरोप और दोषसिद्धि:
- दोषियों पर उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 की धारा 121A (राज्य के विरुद्ध कुछ अपराध करने की साज़िश रचना), धारा 123 (युद्ध छेड़ने की योजना को सुविधाजनक बनाने के मन्तव्य से छिपाना), धारा 153A (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत आरोप लगाए गए थे।
- गिरफ्तारी और आरोप:
- इस्लामिक स्कॉलर को 2021 में उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधी दस्ते ने मेरठ से अवैध धर्म परिवर्तन के लिये एक राष्ट्रव्यापी सिंडिकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
- उन पर शत्रुता को बढ़ावा देने, भारत की संप्रभुता और अखंडता को क्षति पहुँचाने तथा धर्मांतरण को बढ़ावा देने हेतु अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से धन प्राप्त करने का आरोप लगाया गया था।
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA)
- NIA भारत की केंद्रीय आतंकवाद निरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी है, जिसे भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता को प्रभावित करने वाले सभी अपराधों की जाँच करने का अधिकार है। इसमें शामिल हैं:
- विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध।
- परमाणु एवं नाभिकीय सुविधाओं के विरुद्ध।
- हथियारों, नशीले पदार्थों और जाली भारतीय मुद्रा की तस्करी तथा सीमा पार से घुसपैठ।
- संयुक्त राष्ट्र, उसकी एजेंसियों और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की अंतर्राष्ट्रीय संधियों, समझौतों, अभिसमयों तथा प्रस्तावों को लागू करने के लिये बनाए गए वैधानिक कानूनों के अंतर्गत अपराध।
- इसका गठन राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) अधिनियम, 2008 के तहत किया गया था।
- एजेंसी को गृह मंत्रालय की लिखित घोषणा के तहत राज्यों से विशेष अनुमति के बिना राज्यों में आतंकवाद से संबंधित अपराधों की जाँच करने का अधिकार है।
- मुख्यालय: नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021
- इस कानून में धोखाधड़ी या जबरन धर्मांतरण के संबंध में कड़े प्रावधान हैं।
- इसमें 20 वर्ष की सज़ा या आजीवन कारावास का प्रावधान है, अगर यह पाया गया कि धर्म परिवर्तन धमकी, शादी का वादा या साजिश के तहत किया गया है
- विधेयक के तहत इसे सबसे गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
- यह विधेयक किसी भी व्यक्ति को धर्म परिवर्तन से संबंधित मामलों में प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR ) दर्ज करने की अनुमति देता है, न कि केवल माता-पिता, पीड़ित या भाई-बहन को।
- इन मामलों की सुनवाई, सत्र न्यायालय से नीचे के किसी न्यायालय में नहीं होगी। विधेयक में इस अपराध को गैर-ज़मानती भी बनाया गया है।
- जो कोई भी व्यक्ति विवाह के उद्देश्य से अपनी इच्छा से धर्म परिवर्तन करना चाहता है, उसे संबंधित ज़िला मजिस्ट्रेट को दो महीने पहले आवेदन प्रस्तुत करना होगा।
हरियाणा Switch to English
नूहं ज़िले में नए बूचड़खानों की मंज़ूरी पर आक्रोश
चर्चा में क्यों
हाल ही में हरियाणा सरकार द्वारा नूंह ज़िले में 21 अतिरिक्त बूचड़खानों को मंज़ूरी देने के निर्णय से स्थानीय निवासियों में विरोध भड़क उठा है, जिसके कारण उन्हें पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा है।
मुख्य बिंदु
- पर्यावरणीय चिंता:
- NGT ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय भूजल प्राधिकरण को वायु, जल एवं मृदा में प्रदूषण के आरोपों पर उत्तर देने के लिये नोटिस जारी किया है।
- निवासियों का आरोप है कि मौजूदा बूचड़खाने प्रदूषण मानदंडों का उल्लंघन करते हैं , जिससे स्थानीय पर्यावरण का क्षरण होता है।
- स्वास्थ्य संबंधी जोखिम:
- स्थानीय कार्यकर्त्ताओं की रिपोर्ट है कि इन बूचड़खानों के आस-पास के गाँवों में स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है, बच्चे बीमार पड़ रहे हैं और बूचड़खानों से निकलने वाले खून से खेत दूषित हो रहे हैं।
- कथित तौर पर अपशिष्ट को मृदा और जल धाराओं में डाला जा रहा है, जिससे असहनीय बदबू एवं स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।
- स्थानीय लोगों का कहना है कि नीतियों में विरोधाभास है, उत्तर प्रदेश बूचड़खानों को बंद कर रहा है, जबकि हरियाणा नूंह में बूचड़खानों का विस्तार कर रहा है ।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT)
- यह पर्यावरण संरक्षण तथा वनों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी तथा शीघ्र निपटान हेतु राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम (2010) के तहत स्थापित एक विशेष निकाय है ।
- NGT की स्थापना के साथ, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के बाद भारत विशेष पर्यावरण न्यायाधिकरण स्थापित करने वाला विश्व का तीसरा विकासशील देश बन गया है।
- NGT को आवेदनों या अपीलों का अंतिम रूप से निपटान दाखिल होने के 6 महीने के भीतर करना अनिवार्य है ।
- NGT के पाँच बैठक स्थान हैं, नई दिल्ली इसकी मुख्य बैठक स्थान है तथा भोपाल, पुणे, कोलकाता और चेन्नई अन्य चार स्थान हैं ।
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