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महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस एंड सोशल साइंसेज
चर्चा में क्यों?
11 अगस्त, 2021 को राजस्थान के मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने सचिवालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जयपुर में सेंट्रल पार्क स्थित कनक भवन में आगामी 2 अक्टूबर से महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ गवर्नेंस एंड सोशल साइंसेज संस्थान की स्थापना करने एवं यहाँ विभिन्न पाठ्यक्रमों का अध्ययन शुरू कराने के निर्देश दिये।
प्रमुख बिंदु
- यह संस्थान मुख्यमंत्री की बजट घोषणा की अनुपालना में 100 करोड़ रुपए की लागत से टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज और महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी स्कूल ऑफ गवर्नेंस की तर्ज़ पर शुरू किया जा रहा है।
- इस संस्थान को बदलते सामाजिक एवं आर्थिक परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए शिक्षण, अनुसंधान और नवाचार के उत्कृष्ट केंद्र के रूप में विकसित करने का प्रयास किया गया है।
- यह इंस्टीट्यूट युवाओं को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शिक्षा को आत्मसात करते हुए सामाजिक कार्यों में भूमिका निभाने के लिये तैयार करने में महत्त्वपूर्ण साबित होगा।
- इस संस्थान का उद्देश्य महात्मा गांधी के जीवन तथा सामाजिक मूल्यों के दर्शन को शिक्षा एवं अनुसंधान के माध्यम से समाज के हर तबके तक पहुँचाना है।
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भिक्षावृत्ति मुक्त अभियान की समीक्षा बैठक
चर्चा में क्यों?
11 अगस्त, 2021 को राजस्थान के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशक ओ.पी. बुनकर की अध्यक्षता में अंबेडकर भवन स्थित सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता निदेशालय के सभागार में जयपुर शहर को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने हेतु चलाए जा रहे अभियान की समीक्षा बैठक हुई।
प्रमुख बिंदु
- बैठक में अतिरिक्त निदेशक-सामाजिक सुरक्षा सुवालाल पहाड़िया ने अभियान के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि 18 वर्ष से कम आयु वाले, 18 से 55 वर्ष तक की आयु के महिला व पुरुष तथा 55 वर्ष से अधिक आयु के वृद्ध एवं अशक्त और दिव्यांग लोगों के हिसाब से श्रेणीवार भिक्षावृत्ति में लिप्त व्यक्तियों का चिह्नीकरण किया गया है।
- इसके लिये शहर में 25 पॉइंट चिह्नित किये गए हैं, जहाँ भिक्षावृत्ति में लिप्त व्यक्ति मिलते हैं। स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यकर्त्ताओं द्वारा ऐसे चिह्नित स्थानों पर भिक्षावृत्ति में लिप्त व्यक्तियों का विवरण एक प्रारूप में दर्ज किया जाएगा, उसके पश्चात् उनकी काउंसलिंग कर उन्हें निराश्रित बाल गृह, महिला सदन, वृद्धाश्रम तथा आवश्यकतानुसार विकलांग पुनर्वास गृहों में प्रवेश दिया जाएगा।
- उन्होंने बताया कि अभियान में 18 से 55 वर्ष तक की आयु के युवा वर्ग को लक्ष्य वर्ग के रूप में लिया गया है। जो भी युवा भिक्षावृत्ति में लिप्त हो तथा वह कोई कार्य करना चाहता हो अथवा वह किसी प्रकार का कौशल प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहे, उसे उसकी रुचि के अनुसार प्रशिक्षण दिलाकर पुनर्वासित किया जाना इस अभियान का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
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