उत्तर प्रदेश Switch to English
अल्ट्रा हाई-परफॉरमेंस कंक्रीट- UHPC
चर्चा में क्यों?
सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग (Public Works Department- PWD) अनुसंधान और विकास के बाद अल्ट्रा हाई-परफॉर्मेंस कंक्रीट (UHPC) विकसित करने के लिये IIT-कानपुर के साथ समझौता करेगा।
मुख्य बिंदु:
- वर्तमान में राज्य में अधिकांश सिविल कार्यों हेतु M60 सीमेंट ग्रेड का उपयोग किया जाता है।
- UHPC, जिसकी शेल्फ लाइफ लंबी होती है और जो M60 ग्रेड की तुलना में 4-6 गुना अधिक मज़बूत हो सकती है तथा विभाग के कार्बन फुटप्रिंट को महत्त्वपूर्ण रूप से कम कर सकती है।
- इस कमी को प्राप्त करने के लिये, फ्लाईओवर, एलिवेटेड रोडवेज, रेलवे ओवरब्रिज, पुल तथा अन्य कंक्रीट-गहन बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के विकास में पतले खंडों एवं कम डेक ऊँचाइयों का उपयोग किया जाएगा।
- नैनो प्रौद्योगिकी का उपयोग करके विकसित इस उत्पाद के तीन वर्षों में तैयार होने का अनुमान है।
कार्बन फुटप्रिंट
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) के अनुसार, कार्बन फुटप्रिंट लोगों की गतिविधियों के कारण जीवाश्म ईंधन के जलने से उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की मात्रा पर पड़ने वाले प्रभाव का एक माप है और इसे टन में उत्पादित CO2 उत्सर्जन के भार के रूप में व्यक्त किया जाता है।
- इसे आमतौर पर प्रतिवर्ष उत्सर्जित CO2 के टन के रूप में मापा जाता है, यह एक ऐसी संख्या है जिसे मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों सहित CO2-समतुल्य गैसों के टन से पूरा किया जा सकता है।
- यह एक व्यापक उपाय हो सकता है या इसे किसी व्यक्ति, परिवार, घटना, संगठन अथवा यहाँ तक कि पूरे राष्ट्र के कार्यों पर लागू किया जा सकता है।
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