130 किमी./घंटा की रफ्तार से सर्वाधिक ट्रेनें चलाने में प्रयागराज मंडल देश में नंबर वन | उत्तर प्रदेश | 12 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
हाल ही में रेलवे अफसरों ने बताया कि उत्तर-मध्य रेलवे (एनसीआर) का प्रयागराज मंडल देश का पहला ऐसा मंडल बन गया है, जहाँ संचालित 338 मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों में 272 की अधिकतम स्पीड अब 130 किमी. प्रति घंटा हो गई है। यह आँकड़ा भारतीय रेल के सभी 68 रेल मंडलों में सर्वाधिक है।
प्रमुख बिंदु
- रेलवे अफसरों का दावा है कि वर्ष 2025 में लगने वाले कुंभ मेले के पूर्व प्रयागराज मंडल में चल रहीं तमाम ट्रेनों की स्पीड 160 किमी. प्रति घंटा हो जाएगी।
- गौरतलब है कि कुछ वर्ष पूर्व प्रयागराज मंडल क्षमता से ज़्यादा ट्रेनों का संचालन और रेलवे के आधारभूत ढाँचे के सुधार की धीमी गति की वजह से ट्रेनों की लेटलतीफी के लिये बदनाम था।
- कोविड की पहली लहर के दौरान लॉकडाउन में यात्री ट्रेनों के बंद हो जाने पर एनसीआर के तीनों मंडलों में आधारभूत ढाँचा सुधारने के लिये तेज़ी से काम हुआ। इस दौरान जहाँ एक ओर अलीगढ़, इटावा, खुर्जा, टुंडला, जुही कानपुर यार्ड आदि की रिमॉडलिंग हुई, तो वहीं दूसरी ओर ऑटोमेटिक सिग्नलिंग का काम भी तेज़ी से हुआ।
- पुरानी रेल पटरियों के स्थान पर नई पटरियाँ बिछाई गईं। इस बीच ज़ोन की बहुत-सी ट्रेनों में लिंक हॉफमैन बुश (एलएचबी) कोच भी लगाए गए। वित्तीय वर्ष 2021-22 में सिर्फ प्रयागराज मंडल के ही सात खंडों में ऑटोमेटिक सिग्नलिंग और 14 स्टेशनों पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग का कार्य पूरा किया गया। इससे ट्रेनों की लेटलतीफी में भी सुधार हुआ।
- प्रयागराज मंडल के साथ ही एनसीआर ज़ोन में चलने वाली कुल 520 मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों की अधिकतम स्पीड 130 किमी. प्रति घंटा हो गई है। इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में 14 और ट्रेनों की अधिकतम स्पीड 130 किमी. प्रति घंटा हो गई है।
- प्रयागराज मंडल में 160 किमी. प्रति घंटा की रफ्तार तक ट्रेन चलाने के लिये यहाँ गाज़ियाबाद से पंडित दीन दयाल उपाध्याय स्टेशन तक रेलवे ट्रैक के दोनों ओर दीवार भी बनाई जा रही है, ताकि रेलवे ट्रैक पर मवेशी आदि न आ सकें, क्योंकि उनके ट्रेन की चपेट में आने की वजह से रूट बाधित हो जाता है। यह दीवार भी वर्ष 2024 तक पूरी तरह बनकर तैयार हो जाए।
उत्तर मैट्रिक छात्रवृत्ति के नवीन पोर्टल का शुभारंभ | राजस्थान | 12 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
11 जुलाई, 2022 को राजस्थान के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली ने शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के लिये उत्तर मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के नवीन पोर्टल का शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- इस अवसर पर उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों की सुविधा के लिये नवीन पोर्टल में कई नए प्रावधान किये गए हैं। विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति का समय पर भुगतान हो जाना नवीन पोर्टल का प्रमुख उद्देश्य है।
- उन्होंने कहा कि इस बार जुलाई माह में ही छात्रवृत्ति पोर्टल को खोला गया है, ताकि विद्यार्थी अपने कॉलेज/संस्थान में प्रवेश के समय ही छात्रवृत्ति के लिये आवेदन कर सकें।
- विभाग के शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने बताया कि नवीन पोर्टल में फीस रसीद विलोपित कर पाठ्यक्रमवार पुनर्भरण योग्य राशि का पोर्टल द्वारा स्वत: गणना कर प्रतिपूर्ति किये जाने का प्रावधान करते हुए राजकीय संस्थानों के समस्त व निजी संस्थानों के केवल नवीनीकरण आवेदन-पत्रों को ज़िला कार्यालय पर स्वत: सत्यापन की व्यवस्था प्रभावी की गई है।
- नवीन पोर्टल के तहत शिक्षण संस्थान के पेज पर पाठ्यक्रमवार व कक्षावार फीस स्ट्रक्चर पूर्व में ही भरने व तद्नुसार छात्रवृत्ति भुगतान तथा आधार बायोमेट्रिक उपस्थिति के आधार पर ही आवेदन अग्रेषण/सत्यापन व स्वीकृति की व्यवस्था की गई है।
- इस बार आवेदन-पत्रों के त्वरित निस्तारण के लिये विद्यार्थी व शिक्षण संस्थान को प्रत्येक 7 दिवस में चेतावनी संदेश प्रसारित किया जाएगा व आक्षेप पूर्ति नहीं करने पर 30 दिवस में आवेदन निरस्त कर दिया जाएगा।
- इसके साथ ही आवेदन-पत्रों की मानवीय प्रक्रिया से सत्यापन की स्थिति में वेरीफाई स्तर पर आवेदनों को जाँचने की समय-सीमा को 10 दिवस व ज़िलाधिकारी स्तर पर 10 दिवस तक किये जाने की समय-सीमा निर्धारित की गई है।
- नवीन पोर्टल पर मार्च 2020 से विद्यार्थी के गत वर्षों के आवेदन का विवरण विद्यार्थी के आवेदन पर ही सत्यापनकर्त्ता को प्रदर्शित किये जाने के कारण गैप प्रमाण-पत्र की आवश्यकता नहीं होगी।
- इस बार योजना में अनुसूचित जाति छात्रवृत्ति के नवीन दिशा-निर्देशानुसार विद्यार्थी की छात्रवृत्ति की सुनिश्चितता हेतु पोर्टल पर फ्रीशिप कार्ड का प्रावधान किया गया है, ताकि इच्छुक व्यक्ति द्वारा अपना विवरण अंकित करने पर उसकी पात्रता का स्वत: सत्यापन होकर स्वत: एक फ्रिशिप कार्ड जारी होगा।
- नए प्रावधानों के तहत अगले शैक्षणिक सत्र में उपस्थिति या पदोन्नति के आधार पर छात्र का छात्रवृत्ति नवीनीकरण हेतु स्वत: आवेदन होगा तथा विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों के प्रवेश व परीक्षा के डेटाबेस को डिजिलॉकर डाटाबेस से डिजिटल रूप से जोड़ा गया है, ताकि पोर्टल इस डाटाबेस से आवश्यक जानकारी प्राप्त करने में सक्षम हो, ताकि स्वीकृति व नवीनीकरण हेतु छात्र की पात्रता भी निर्धारित हो सके।
‘राजस्थान के शिक्षा में बढ़ते कदम’ कार्यक्रम का शुभारंभ' | राजस्थान | 12 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
11 जुलाई, 2022 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य के स्कूली छात्रों को कोरोना काल में हुए पढ़ाई के नुकसान की भरपाई करने के लिये रेमेडिएशन कार्यक्रम ‘राजस्थान के शिक्षा में बढ़ते कदम’ का वर्चुअल माध्यम से शुभारंभ किया।
प्रमुख बिंदु
- इसके अलावा मुख्यमंत्री ने ‘राजस्थान के शिक्षा में बढ़ते कदम’ कार्यक्रम का पोस्टर व लोगो भी जारी किया। साथ ही शिक्षकों, शिक्षा अधिकारियों, अभिभावकों व बच्चों के लिये ‘फील्ड ओरिएंटेशन’ कार्यक्रम का भी उद्घाटन किया।
- इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण हुए लर्ऩिग लॉस को पूरा करने के लिये शिक्षा सत्र 2022-23 में कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों हेतु रेमेडिएशन कार्यक्रम ‘राजस्थान के शिक्षा में बढ़ते कदम’ शुरू किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत आयोजित ब्रिज कोर्स में विद्यार्थियों को दक्षता आधारित, आसान व आनंदपूर्ण शिक्षण विधि से अध्ययन करवाया जाएगा।
- गौरतलब है कि कोविड के कारण हुई नौनिहालों की शैक्षिक क्षति की भरपाई के लिये वर्ष 2022-23 के बजट में 75 करोड़ रुपए के वित्तीय प्रावधान से ‘ब्रिज कार्यक्रम’ की घोषणा की गई थी।
- ‘राजस्थान के शिक्षा में बढ़ते कदम’ कार्यक्रम के तहत ब्रिज कोर्स में रटने की बजाय सीखने पर बल दिया जाएगा। ब्रिज कोर्स में कक्षा 1 से 8 के लिये प्रथम तीन माह में 4 कालांश तथा शेष संपूर्ण सत्र में 2 कालांश निर्धारित रहेंगे।
- योजनांतर्गत 75 लाख से अधिक विद्यार्थियों के लिये दक्षता आधारित कार्यपुस्तिकाएँ तैयार की जाएंगी तथा वर्ष में 3 बार दक्षता का आकलन किया जाएगा।
- इस कार्यक्रम के तहत नियमित शिक्षक-अभिभावक बैठकों के साथ विद्यार्थियों के दक्षता आधारित होलिस्टिक रिपोर्ट कार्ड बनाए जाएंगे।
- इस कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये शिक्षकों की क्षमता संवर्धन के कार्यक्रम संचालित होंगे तथा कक्षा 3 से 8 तक के सभी शिक्षकों हेतु टीचिंगएड ऐप की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी।
केंद्र सरकार द्वारा खनिज विकास पुरस्कारों की श्रेणी में मध्य प्रदेश का चयन | मध्य प्रदेश | 12 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
11 जुलाई, 2022 को मध्य प्रदेश के खनिज साधन एवं श्रम मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा मध्य प्रदेश को खनिज विकास के लिये अपनाई जा रही नीतियों और उल्लेखनीय कार्यों हेतु नई दिल्ली में होने वाले 6वें नेशनल कॉनक्लेव में पुरस्कृत किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा मध्य प्रदेश को 2 श्रेणी में क्रमश: प्रथम एवं द्वितीय पुरस्कार दिया जाएगा। साथ ही राज्य शासन को 2 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी।
- उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2015 से केंद्रीय अधिनियम में किये गए संशोधन के बाद मुख्य खनिजों के ब्लॉकों को नीलामी के माध्यम से आवंटन की पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
- मध्य प्रदेश शासन द्वारा इस दिशा में शीघ्रता से कार्य करते हुए नीलामी प्रक्रिया शुरू कर अब तक 52 मुख्य खनिजों के खनिज ब्लॉक की नीलामी की जा चुकी है। इनमें हीरा, चूना-पत्थर, मैंग्नीज़, बॉक्साइट, आयरन ओर, रॉक फास्फेट आदि खनिज के ब्लॉक शामिल हैं। इनमें से 27 खनिज ब्लॉक सफलता से नीलाम हो चुके हैं।
- नीलामी के बाद खदान संचालित होने पर आगामी 50 वर्षों में राज्य शासन को 47 हज़ार 219 करोड़ रुपए का राजस्व संभावित होगा। प्रदेश में आगामी चरण में मुख्य खनिजों के 27 ब्लॉकों की नीलामी की कार्यवाही प्रचलन में है।
- गौरतलब है कि नई दिल्ली में होने वाले 6वें नेशनल कॉनक्लेव का उद्घाटन केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री प्रह्लाद जोशी करेंगे। इस नेशनल कॉनक्लेव में खनिज नीलामी प्रक्रिया को सफलता से क्रियान्वित करने के लिये राज्य सरकारों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
हरियाणा की 94 वर्षीय भगवानी देवी ने वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप, 2022 में स्वर्ण सहित जीते 3 पदक | हरियाणा | 12 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
10 जुलाई, 2022 को फिनलैंड के टांपरे में आयोजित वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप, 2022 में हरियाणा की 94 वर्षीय भगवानी देवी डागर ने स्वर्ण सहित 3 पदक जीते।
प्रमुख बिंदु
- भगवानी देवी डागर ने वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सीनियर सिटीज़न कैटेगिरी में 100 मीटर स्प्रिंट इवेंट में महज 74 सेकेंड का समय लेकर स्वर्ण पदक जीता, वहीं शॉटपुट में भी दो कांस्य पदक जीतने में सफल रहीं।
- उल्लेखनीय है कि भगवानी देवी इससे पहले भी कई पदक जीत चुकी हैं। इन्होंने चेन्नई में आयोजित राष्ट्रीय मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में तीन स्वर्ण पदक अपने नाम किये थे, जिसके बाद उन्हें वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप, 2022 के लिये क्वालीफाई किया गया था।
- गौरतलब है कि वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप की शुरुआत 1975 में की गई थी। इस चैंपियनशिप में 35 साल से ऊपर आयु वर्ग के खिलाड़ी भाग ले सकते हैं। शुरुआत में केवल 5 एज ग्रुप को शामिल किया गया था, लेकिन अब 12 एज ग्रुप में स्पोर्ट्स इवेंट्स आयोजित कराए जाते हैं।
- पहला एज ग्रुप 35 साल से ऊपर आयु वर्ग का है। दूसरा 40 साल से ऊपर, तीसरा 45 साल से ऊपर, चौथा 50 साल से ऊपर, 5वाँ 55 साल से ऊपर, 6वाँ 60 साल से ऊपर, 7वाँ 65 से ऊपर, 8वाँ 70 साल से ऊपर, 9वाँ 75 साल से ऊपर, 10वाँ 80 साल से ऊपर, 11वाँ 85 साल से ऊपर और 12वाँ 90 साल से ऊपर का है।
पैक्स की कार्यप्रणाली को किया जाएगा कंप्यूटराइज्ड | हरियाणा | 12 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
11 जुलाई, 2022 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हरियाणा स्टेट को-ऑपरेटिव अपेक्स बैंक (हरको) की राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक में सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली को ऑनलाइन करने की दिशा में निर्णय लेते हुए पैक्स की कार्यप्रणाली को चरणबद्ध तरीके से कंप्यूटराइज्ड करने के निर्देश दिये।
प्रमुख बिंदु
- बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि हरको बैंक की शाखा प्रदेश के हर ज़िले में खोलने की संभावना तलाशी जाए। इसके लिये यदि नियमों में संशोधन करना पड़े तो किया जाए।
- वर्तमान में हरको बैंक की चंडीगढ़ तथा पंचकूला में दो ही जगह शाखाएँ हैं, बाँकि यह बैंक ज़िला केंद्रीय सहकारी बैंक की शाखाओं का नियंत्रण रखता है।
- बैठक में बताया गया कि पैक्स का सीधा हरको बैंक से लिंक नहीं होता। प्रदेश में लगभग 700 पैक्स हैं, जो ग्रामीण स्तर पर बनी हुई हैं।
- वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने बताया कि पंचकूला ज़िले की कनौली पैक्स में पूरा कार्य कंप्यूटराइज्ड हो चुका है और 62 अन्य पैक्स को कंप्यूटराइज्ड करने की प्रक्रिया जारी है। 30 नवंबर, 2022 तक यह कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि पैक्स के कर्मचारियों का वेतन भी सेंट्रलाइज किया जाए और सरकार की तरफ से इसकी व्यवस्था की जाए। पैक्स पर एकाधिकार को खत्म करने के लिये इसी की तर्ज़ पर गाँव में पढ़े-लिखे युवा किसानों से बातचीत कर ग्रामस्तर पर ग्राम कृषि प्राथमिक सहकारी समितियाँ (वैक्स) बनाई जाएँ और इनका पंजीकरण को-ऑपरेटिव सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत किया जाए और किसान ही इन वैक्स का संचालन करें।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को तीन किस्तों में- खेत तैयार करने के लिये बीज, जुताई व खाद के साथ-साथ मज़दूरी देने के समय फसली ऋण उपलब्ध करवाया जाए। ऋण रिकवरी को कटाई सीजन से जोड़ा जाए, ताकि किसान अपनी फसल बेचकर समय पर ऋण की अदायगी कर सकें। समय पर अदायगी करने वाले किसानों को एक प्रतिशत का प्रोत्साहन दिया जाएगा।
- बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिये कि ‘मुख्यमंत्री अंत्योदय परिवार उत्थान योजना’ के तहत स्वीकृत आवेदनों पर तत्परता से ऋण उपलब्ध करवाए जाएँ।
छत्तीसगढ़ अनधिकृत विकास का नियमितीकरण (संशोधन) विधेयक, 2022 | छत्तीसगढ़ | 12 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
11 जुलाई, 2022 को छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने छत्तीसगढ़ अनधिकृत विकास का नियमितीकरण अधिनियम, 2002 में संशोधन के लिये प्रस्तुत छत्तीसगढ़ अनधिकृत विकास का नियमितीकरण अधिनियम, 2022 विधेयक पर हस्ताक्षर किये।
प्रमुख बिंदु
- इस विधेयक के अनुसार छत्तीसगढ़ अनधिकृत विकास का नियमितिकरण अधिनियम, 2002 (क्र. 21 सन् 2002) की धारा 4 की उप-धारा (2) के खंड (पाँच), मूल अधिनियम की धारा 6 की उप-धारा (1) में, मूल अधिनियम की धारा 7 की उप-धारा (1), मूल अधिनियम की धारा 9 की उप-धारा (2) तथा मूल अधिनियम की धारा 9 की उप-धारा (3) में संशोधन किया गया है।
- विधेयक में छत्तीसगढ़ अनधिकृत विकास का नियमितीकरण अधिनियम, 2002 के मूल अधिनियम की धारा 4 की उप-धारा (2) के खंड (पाँच) को प्रतिस्थापित करके नगर तथा ग्राम निवेश विभाग का ज़िले का प्रभारी अधिकारी/संयुक्त संचालक/उपसंचालक/सहायक संचालक किया गया है।
- अधिनियम के खंड (चार)(क) में निर्धारित प्रयोजन से भिन्न भूमि के उपयोग परिवर्तन करने पर उस क्षेत्र की भूमि के लिये वर्तमान में प्रचलित कलेक्टर गाइडलाइन दर का 5 प्रतिशत अतिरिक्त शास्ति लगाने का प्रावधान किया गया है।
- अधिनियम में प्रावधान किया गया है कि यदि अनधिकृत विकास निर्धारित पार्क़िग हेतु आरक्षित भूखंड/स्थल पर किया गया हो, तो नियमितीकरण की अनुमति तभी दी जाएगी, जब आवेदक द्वारा पार्क़िग की कमी हेतु निर्धारित अतिरिक्त शारित राशि का भुगतान कर दिया गया हो।
- अधिनियम में कहा गया है कि 1 जनवरी, 2011 के पूर्व अस्तित्व में आए ऐसे अनधिकृत विकास/निर्माण, जिनकी भवन अनुज्ञा/विकास अनुज्ञा स्वीकृति हो, अथवा ऐसे अनधिकृत भवन, जिसके लिये संबंधित स्थानीय निकाय में शासन द्वारा निर्धारित दर से संपत्ति कर का भुगतान किया जा रहा हो, ऐसे भवनों में, यदि छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम, 1984 अथवा संबंधित नगर के विकास योजना के अनुरूप पार्क़िग उपलब्ध नहीं है, तो पार्क़िग हेतु निम्नानुसार अतिरिक्त शास्ति राशि दिये जाने पर, भवन का नियमितीकरण इस प्रकार किया जा सकेगा कि-
- पार्क़िग में 25 प्रतिशत कमी होने पर प्रत्येक कार स्थान हेतु पचास हजार रुपए,
- 25 प्रतिशत से अधिक एवं 50 प्रतिशत तक प्रत्येक कार स्थान हेतु एक लाख रुपए,
- 50 प्रतिशत से अधिक एवं 100 प्रतिशत तक प्रत्येक कार स्थान हेतु दो लाख रुपए
- इसी प्रकार 1 जनवरी, 2011 अथवा उसके पश्चात् अस्तित्व में आए ऐसे भवनों में पार्क़िग हेतु अतिरिक्त शास्ति राशि दिये जाने पर, भवन का नियमितीकरण इस प्रकार किया जा सकेगा कि पार्क़िग में 25 प्रतिशत तक कमी होने पर प्रत्येक कार स्थान हेतु 50 हज़ार रुपए, 25 प्रतिशत से अधिक एवं 50 प्रतिशत तक प्रत्येक कार स्थान हेतु एक लाख रुपए का प्रावधान किया गया है।
- खंड (चार) में कहा गया है कि शमन योग्य पार्क़िग की गणना इस प्रकार की जाएगी कि 500 वर्ग मीटर तक आवासीय क्षेत्र में पार्क़िग हेतु उपलब्ध न्यूनतम क्षेत्रफल प्रति कार स्थान (ईसीएस) के आधार पर निरंक होगा, जबकि 500 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र होने पर पार्क़िग हेतु उपलब्ध न्यूनतम क्षेत्रफल प्रति कार स्थान (ईसीएस) के आधार पर 50 प्रतिशत होगा। गैर-आवासीय क्षेत्र में पार्क़िग हेतु उपलब्ध न्यूनतम क्षेत्रफल प्रति कार स्थान (ईसीएस) के आधार पर निरंक होगा, जबकि 500 से अधिक क्षेत्र होने पर पार्क़िग हेतु उपलब्ध न्यूनतम क्षेत्रफल प्रति कार स्थान (ईसीएस) के आधार पर 50 प्रतिशत होगा।
- प्रावधान में कहा गया है कि (ग) ऐसी गैर लाभ अर्जन करने वाली सामाजिक संस्थाएँ, जो लाभ अर्जन के उद्देश्य से स्थापित न की गई हों, के अनधिकृत विकास के प्रत्येक प्रकरण में शास्ति प्राक्कलित राशि के 50 प्रतिशत की दर से देय होगी।
- छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम, 1984 के नियम 39 में निर्धारित प्रावधान के अनुसार, मार्ग की चौड़ाई उपलब्ध नहीं होने के कारण, स्थल पर विद्यमान गतिविधियों में किसी प्रकार का लोकहित प्रभावित न होने की स्थिति में, नियमितीकरण किया जा सकेगा।
- इसके अलावा मूल अधिनियम की धारा 7 की उप-धारा (1) के खंड (3) का लोप किया गया है। मूल अधिनियम की धारा 9 की उप-धारा (2) में, शब्द ‘अपील के लंबित रहने की अवधि में अपीलकर्त्ता अनधिकृत विकास के मासिक भाड़े की राशि, जैसा कि प्राधिकारी द्वारा निर्धारित की जाए, नियमित रूप से जमा करेगा’ के स्थान पर, शब्द ‘अपील के लंबित रहने की अवधि में अपीलकर्त्ता द्वारा अनधिकृत विकास के मासिक भाड़े की राशि, जो एक वर्ष से अनधिक अवधि की देय होगी, जैसा कि प्राधिकारी द्वारा निर्धारित की जाए, नियमित रूप से जमा करेगा। यह प्रावधान समस्त लंबित एवं नवीन प्रकरणों पर प्रभावशील होगा’ से प्रतिस्थापित किया गया है।
- मूल अधिनियम की धारा 9 की उप-धारा (3) के परंतु के स्थान पर, निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा ‘परंतु अपील के लंबित रहने की अवधि में, अपीलकर्त्ता अनधिकृत विकास के मासिक भाड़े की राशि, जैसा कि इस अधिनियम के अंतर्गत प्राधिकारी द्वारा निर्धारित किया गया हो, एक वर्ष से अनधिक अवधि के लिये जमा नियमित रूप से करेगा। यह समस्त लंबित एवं नवीन प्रकरणों पर प्रभावशील होगा।’
राज्य के सीमावर्ती गोठानों की गतिविधियों पर प्रकाशित पुस्तिका का विमोचन | छत्तीसगढ़ | 12 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
11 जुलाई, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने निवास कार्यालय में राज्य के सीमावर्ती गाँवों में निर्मित गोठान की गतिविधियों पर प्रकाशित पुस्तिका का विमोचन किया।
प्रमुख बिंदु
- इस पुस्तिका के संपादक आलोक चंद्राकर हैं।
- इस पुस्तिका में गोठानों में पशुओं के संरक्षण एवं संवर्धन के लिये संचालित गतिविधियों के साथ-साथ वहाँ पशुधन के चारे एवं पानी के प्रबंध, महिला स्व-सहायता समूहों की आयमूलक गतिविधियों का समावेश किया गया है।
- गोठान और गोधन न्याय योजना, राज्य से सीमावर्ती गाँवों के ग्रामीणों के जीवन-स्तर में आए बदलाव को भी पुस्तिका में उल्लेखित किया गया है।
- इस पुस्तिका में गोठानों से संबंधित समाचारों की क्लिपिंग भी शामिल की गई हैं।
बदरीनाथ में मिली काई की दुर्लभ प्रजाति: बायोडीज़ल का बन सकती है विकल्प | उत्तराखंड | 12 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एचएनबी गढ़वाल (केंद्रीय) विश्वविद्यालय के वनस्पति एवं सूक्ष्म जैविकी (बॉटनी एंड माइक्रोबायोलॉजी) विभाग ने बदरीनाथ के नारद कुंड में दुर्लभ प्रजाति के सूक्ष्म शैवाल (काई) की खोज की है।
प्रमुख बिंदु
- यह शैवाल अभी तक भारत के गुजरात राज्य सहित दो देशों में ही पाया गया है। यह प्रजाति इससे पूर्व वर्ष 1980 में गुजरात में देखी गई थी। साथ ही, वर्ष 1966 में अमेरिका और वर्ष 1987 में बांग्लादेश में भी इसे देखा गया था।
- सूडोबोहलिनिया नामक यह सूक्ष्म शैवाल बायोडीज़ल (जैव ईंधन) का सर्वोत्तम विकल्प बन सकता है।
- गढ़वाल विवि के बॉटनी एंड माइक्रोबायोलॉजी विभाग के सहायक प्रो. डॉ. धनंजय कुमार के निर्देशन में शोध कर रहीं प्रीति सिंह ने इस दुर्लभ प्रजाति के सूक्ष्म शैवाल को खोजने के साथ ही इसकी उत्पादकता का विश्लेषण किया है।
- प्रीति सिंह ने बदरीनाथ में तप्तकुंड के नीचे स्थित नारद कुंड की दीवार से शैवाल के नमूने लिये थे। इस कुंड में तप्त कुंड का गर्म पानी गिरता है। पानी का तापमान 30 से 40 डिग्री सेल्सियस रहता है।
- दीवार से नमूने लेने के बाद उन्होंने विभाग की प्रयोगशाला में इसका उत्पादन किया। एक साल तक चले अध्ययन में उन्हें सामान्य शैवाल के साथ ही चार सूक्ष्म शैवाल की प्रजातियाँ मिलीं। इनमें तीन तो अन्य जगहों पर देखी गईं थीं, लेकिन एक प्रजाति बिल्कुल अलग मिली।
- प्रीति सिंह ने बताया कि इस शैवाल के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं मिली। लगभग 5 माइक्रोमीटर के इस शैवाल की बाहरी सतह पर काँटों के समान आकृति देखी गई। यह शैवाल तेज़ी से फैलता है और इसमें लिपिड (वसा) की भी अच्छी-खासी मात्रा होती है।
- दुर्लभ प्रजाति के सूक्ष्म शैवाल मिलने के बाद बायोडीज़ल बनाने में इसकी उपयोगिता पर शोध किया गया। भारत में कुछ स्थानों पर शैवाल से बायोडीज़ल बनाने का काम चल रहा है। विश्वविद्यालय की एल्गल लैब में शोधकर्त्ताओं ने लगभग 109 प्रजाति के शैवालों में लिपिड का तुलनात्मक अध्ययन किया। सामान्यतया शैवाल में 25 से 30 फीसदी लिपिड मिलता है। वहीं, सूडोबोहलिनिया में सामान्य परिस्थिति में सबसे अधिक 33 फीसदी लिपिड मिला। अनुकूल वातावरण मिलने पर लिपिड की मात्रा काफी बढ़ गई, जो बायोडीज़ल बनाने के लिये काफी बेहतर है। लिपिड ही बायोडीज़ल का प्रमुख स्रोत है।
- गौरतलब है कि पेट्रोलियम ईंधन की सीमित मात्रा को देखते हुए विकल्प के तौर पर बायोडीज़ल पर ज़ोर दिया जा रहा है। केंद्र सरकार की बायोफ्यूल नीति के तहत पेट्रोलियम ईंधन में 20 प्रतिशत तक बायोडीज़ल मिलाने का लक्ष्य है, लेकिन यह लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है। यदि सरकार सूक्ष्म शैवाल के उत्पादन पर ज़ोर देती है, तो सूडोबोहलिनिया जैसी प्रजातियाँ बेहतर विकल्प बन सकती हैं।
चंपावत का प्रसिद्ध देवीधुरा ‘माँ वाराही बग्वाल मेला’ राजकीय मेला घोषित' | उत्तराखंड | 12 Jul 2022
चर्चा में क्यों?
11 जुलाई, 2022 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत के प्रसिद्ध देवीधुरा ‘माँ वाराही बग्वाल मेले’ को राजकीय मेला घोषित किया। उन्होंने मुख्य सचिव को तत्काल इसका जीओ जारी करने के आदेश दिये हैं।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि कुछ समय पहले चंपावत में मुख्यमंत्री ने मेले को राजकीय मेला का दर्जा देने की घोषणा की थी। राज्य मेला घोषित करने के बाद से इस साल पहली बार राज्य सरकार के तत्त्वावधान में मेला आयोजित होगा। वर्तमान में ज़िला पंचायत के स्तर पर मेले का आयोजन होता है।
- चंपावत ज़िले के प्रसिद्ध देवीधुरा में ‘माँ वाराही मंदिर’ में रक्षाबंधन के दिन होने वाले प्रसिद्ध बग्वाल मेले को ‘पत्थर मार’ मेला भी कहा जाता है। इस मेले को देखने देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु देवीधुरा पहुँचते हैं।
- ऐसा माना जाता है कि देवीधुरा में बग्वाल का यह खेल पौराणिक काल से चला आ रहा है। कुछ लोग इसे कत्यूर शासन से चला आ रहा पारंपरिक त्योहार मानते हैं, जबकि कुछ अन्य इसे काली कुमाऊँ से जोड़कर देखते हैं।
- प्रचलित मान्यताओं के अनुसार पौराणिक काल में चार खामों के लोगों द्वारा अपनी आराध्या वाराही देवी को मनाने के लिये नर बलि देने की प्रथा थी। माँ वाराही को प्रसन्न करने के लिये चारों खामों के लोगों में से हर साल एक नर बलि दी जाती थी। बताया जाता है कि एक साल चमियाल खाम की एक वृद्धा परिवार की नर बलि की बारी थी। परिवार में वृद्धा और उसका पौत्र ही जीवित थे। महिला ने अपने पौत्र की रक्षा के लिये माँ वाराही की स्तुति की। माँ वाराही ने वृद्धा को दर्शन दिये और मंदिर परिसर में चार खामों के बीच बग्वाल खेलने के निर्देश दिये, तब से बग्वाल की प्रथा शुरू हुई।
- चंपावत जनपद के पाटी ब्लॉक के देवीधुरा में माँ वाराही धाम मंदिर के खोलीखांड दुबाचौड़ में हर साल अषाढ़ी कौथिक (रक्षाबंधन) के दिन बग्वाल मेला होता है। पत्थर से शुरू यह बग्वाल मेला बीते कुछ वर्षों से फल-फूलों से खेली जाती रही है। लाखों लोगों की मौज़ूदगी में होने वाली बग्वाल मेले में चार खामों (चम्याल, गहरवाल, लमगड़िया और वालिग) के अलावा सात थोकों के योद्धा फर्रों के साथ हिस्सा लेते हैं।
- बग्वाल वाराही मंदिर के प्रांगण खोलीखांड में खेली जाती है। इसे चारों खामों के युवक और बुजुर्ग मिलकर खेलते हैं। लमगड़िया व वालिग खामों के रणबाँकुरे एक तरफ, जबकि दूसरी ओर गहड़वाल और चम्याल खाम के रणबाँकुरे डटे रहते हैं।