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उत्तराखंड के सभी गाँव होंगे प्लास्टिक कचरे से मुक्त
चर्चा में क्यों?
11 मई, 2023 को उत्तराखंड के ग्राम्य विकास आयुक्त एवं पंचायत निदेशक आनंद स्वरूप ने बताया कि प्रदेश की 7791 ग्राम पंचायतों को प्लास्टिक मुक्त किया जाएगा, जिसकी कार्ययोजना तैयार कर ली गई है।
प्रमुख बिंदु
- इसके तहत त्रिस्तरीय पंचायतों की मदद से हर घर से प्लास्टिक कूड़ा उठाने से लेकर उसके निपटारे तक की कार्रवाई की जाएगी। इस काम के लिये केंद्र सरकार की ओर से 15वें वित्त आयोग में धन की व्यवस्था की गई है।
- गौरतलब है कि प्रदेश में ‘उत्तराखंड प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट’ -2013 लागू है। गाँव-गाँव में प्लास्टिक पहुँच चुका है, लेकिन एक्ट में दी गई व्यवस्थाओं के तहत गाँवों में इसका निस्तारण नहीं हो पा रहा था।
- नई योजना के तहत प्रदेश के 70 प्रतिशत गाँवों में काफी हद तक काम शुरू भी हो चुका है।
- इसके तहत ग्राम पंचायत स्तर पर घर-घर से प्लास्टिक कचरे का एकत्रीकरण कर उसे रोड हेड तक पहुँचाया जाएगा। इसके बाद क्षेत्र पंचायत (ब्लॉक) स्तर पर कूड़ा गाड़ियों के माध्यम से इस कचरे को कांपैक्टर तक पहुँचाया जाएगा। अगला काम ज़िला पंचायतों का होगा, जो कांपैक्ट किये गए कूड़े को निस्तारण के लिये प्लास्टिक वेस्ट प्लांट तक पहुँचाएंगी। यह पूरी श्रृंखला एक क्लस्टर के तहत काम करेगी।
- इस योजना के तहत प्लास्टिक कचरे को उठाकर कांपैक्टर तक पहुँचाने के लिये प्रदेश के 95 ब्लॉकों को 95 गाड़ियाँ (पिकअप वाहन) उपलब्ध कराई जाएंगी।
- इस योजना के तहत प्रदेश के सभी 95 ब्लाको में कांपैक्टर लगाए जाने हैं। जबकि अभी तक 69 ब्लॉक में ये लगाए जा चुके हैं।
- इसके अलावा हरिद्वार में बंद पड़े रिसाइकिलिंग प्लांट को भी पुन: शुरू कर दिया गया है, जहाँ कांपैक्ट किये गए प्लास्टिक कूड़े का निस्तारण किया जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि वर्ष 2022 में सामाजिक कार्यकर्त्ता जितेंद्र यादव की एक जनहित याचिका पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को गाँवों को प्लास्टिक से मुक्त बनाने के निर्देश दिये थे। इसके साथ ही इस संबंध में उठाए गए कदमों की जानकारी शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट को अवगत कराने के भी निर्देश दिये थे।
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