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उत्तराखंड में वनाग्नि
चर्चा में क्यों?
10 अप्रैल, 2023 को मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में इस सीजन में वनाग्नि की 120 घटनाओं में अब तक 183.35 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुँचा है।
प्रमुख बिंदु
- मिली जानकारी के अनुसार गढ़वाल में अब तक 62 घटनाओं में 91.53 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। जबकि कुमाऊँ में 44 घटनाओं में 55.30 हेक्टेयर और वन्यजीव विहारों में 14 घटनाओं में 36.52 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
- मुख्य वन संरक्षक, वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने बताया कि मौसम के बदलते रुख के साथ तापमान भी लगातार बढ़ रहा है। इससे वनों में आग की घटनाएँ बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है।
- प्रदेश में अनियमित वर्षा के पैटर्न के चलते बीते कुछ सालों से शीतकाल में भी आग की घटनाएँ बढ़ गई हैं। हालाँकि, ग्रीष्मकाल में ही जंगलों को आग का खतरा सर्वाधिक रहता है। मार्च से जून तक का समय आग के लिहाज से अत्यधिक संवेदनशील माना जाता है। खासकर कम वर्षा होने और वातावरण शुष्क होने के कारण जंगल की आग तेजी से फैलती है।
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