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प्रदेश में 2 हज़ार टैक्स मित्र होंगे नियुक्त
चर्चा में क्यों?
10 अप्रैल, 2023 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नियोजन की योग्यताओं तथा शुल्क निर्धारण संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है। आवेदन प्रक्रियाओं में आवेदकों को सहूलियत देने के लिये राज्य सरकार प्रदेश में 2 हज़ार टैक्स मित्र नियुक्त करेगी।
प्रमुख बिंदु
- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने व्यवहारियों को सेल्फ टैक्स स्क्रूटनी की प्रथम स्तरीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिये आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित ‘ई-टैक्स ऑफिसर सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म’ विकसित करने की स्वीकृति भी दी है।
- मुख्यमंत्री की उक्त मंजूरी के बाद अब माल एवं सेवा कर (जीएसटी) और मूल्यवर्धित कर (वैट) जमा कराना आसान हो जाएगा।
- टैक्स मित्र के लिये न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता वाणिज्य में स्नातक रखी गई है। सीए, सीएस, आईसीडब्ल्यूए सहित अनुभवी आवेदकों को प्राथमिकता मिलेगी। आयु 21 से 40 वर्ष निर्धारित की गई है।
- टैक्स मित्रों द्वारा विभिन्न टैक्स संबंधी आवेदन प्रक्रियाओं के लिये शुल्क लिया जाएगा। इस शुल्क का भी निर्धारण किया गया है। इसमें जीएसटी, वैट आवेदन, संशोधन, आईटीसी, ई-वे बिल, सब्सिडी आवेदन, एमएसएमई आवेदन सहित अन्य कार्यों के लिये 50 रुपए से 400 रुपए तक का शुल्क रखा गया है।
- उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री द्वारा वर्ष 2023-24 के बजट में जीएसटी एवं वैट आवेदन प्रक्रियाओं में सुगमता के लिये इस संबंध में घोषणा की गई थी।
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प्रदेश में 203 नये उपस्वास्थ्य केंद्र खोले जाने की स्वीकृति जारी
चर्चा में क्यों?
10 अप्रैल, 2023 को राजस्थान वित्त विभाग द्वारा प्रदेश में 203 नये उपस्वास्थ्य केंद्र खोले जाने हेतु स्वीकृति जारी कर दी गई है। नवीन उपस्वास्थ्य केंद्रों के खोले जाने से आसपास के नागरिकों को चिकित्सा सुविधाओं का लाभ अपने घर के नज़दीक ही मिल सकेगा।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बजट घोषणा 2022-23 की क्रियान्विति में 203 नवीन उपस्वास्थ्य केंद्र खोले जाने की पदों सहित स्वीकृति जारी की गई है।
- प्रदेश के दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार करने एवं आमजन को गाँव में ही चिकित्सा एवं सुविधाएँ उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से प्रदेश में 203 नये उपस्वास्थ्य केंद्र खोले जा रहे हैं।
- प्रत्येक उप स्वास्थ्य केंद्र के भवन निर्माण कार्य हेतु 30-30 लाख रुपए स्वीकृत करने के साथ ही प्रत्येक उप स्वास्थ्य केंद्र में एक-एक महिला स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता के 203 नये पद भी स्वीकृत किये गए हैं।
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प्रदेश में संरक्षित खेती के लिये मिलेगा एक हज़ार करोड़ रुपए का अनुदान
चर्चा में क्यों?
11 अप्रैल, 2023 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिये दो वर्षों में 60 हज़ार किसानों को 1 हज़ार करोड़ रुपए के अनुदान देने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है।
प्रमुख बिंदु
- यह राशि ग्रीन हाउस, शेडनेट हाउस, लो टनल, प्लास्टिक मल्चिंग के लिये दी जाएगी तथा इससे किसानों को संबल मिलेगा।
- वित्तीय वर्ष 2023-24 में 30 हज़ार किसानों को 501 करोड़ रुपए का अनुदान दिया जाएगा। इसमें कृषक कल्याण कोष से 444.43 करोड़ रुपए वहन होंगे। साथ ही, राष्ट्रीय बागवानी मिशन/राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से 56 करोड़ (राज्यांश 22.75 करोड़) रुपए वहन किये जाएंगे।
- वित्तीय वर्ष 2024-25 में भी 30 हज़ार किसानों को 500 करोड़ रुपए का अनुदान मिलेगा। इसमें अधिसूचित जनजाति क्षेत्र के किसानों और समस्त लघु/सीमांत किसानों को 25 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी भी मिलेगी।
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राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक 2021-22 में राजस्थान सबसे आगे की श्रेणी में शामिल
चर्चा में क्यों?
10 अप्रैल, 2023 को केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर. के.सिंह ने नई दिल्ली में राज्यों और राज्य उपयोगिता कंपनियों की आरपीएम (समीक्षा, योजना और निगरानी) बैठक के दौरान राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक (एसईईआई) 2021-22 की रिपोर्ट जारी की, जिसमें राजस्थान चार अन्य राज्यों सहित सबसे आगे की श्रेणी (>60 अंक) में शामिल है।
प्रमुख बिंदु
- ऊर्जा-कुशल अर्थव्यवस्था गठबंधन (एईईई) के सहयोग से, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) द्वारा विकसित इस सूचकांक में वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 के लिये ऊर्जा दक्षता कार्यान्वयन में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की वार्षिक प्रगति का आकलन किया गया है।
- एसईईआई 2021-22 में राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप 50 संकेतकों का एक अद्यतन फ्रेमवर्क है। राज्य स्तरीय ऊर्जा दक्षता पहलों के परिणामों और प्रभावों की निगरानी के लिये इस वर्ष कार्यक्रम-विशिष्ट संकेतक शामिल किये गए हैं।
- एसईईआई 2021-22 में 5 राज्य - आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, राजस्थान और तेलंगाना-सबसे आगे की श्रेणी (>60 अंक) में हैं, जबकि 4 राज्य - असम, हरियाणा, महाराष्ट्र और पंजाब – उपलब्धि प्राप्त करने वालों की श्रेणी (50-60 अंक) में हैं।
- इसके अलावा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, असम और चंडीगढ़ अपने-अपने राज्य-समूहों में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं।
- तेलंगाना और आंध्र प्रदेश ने पिछले सूचकांक के बाद से सबसे अधिक सुधार दर्ज किये हैं।
- राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक (एसईईआई):
- राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक (एसईईआई), राज्यों और भारत के ऊर्जा फुटप्रिंट के प्रबंधन तथा राज्य और स्थानीय स्तर पर ऊर्जा दक्षता नीतियों और कार्यक्रमों के संचालन की प्रगति की निगरानी करता है।
- एसईईआई डेटा संग्रह में सुधार करता है, राज्यों के आपसी सहयोग को सक्षम बनाता है और ऊर्जा दक्षता कार्यक्रम के विचारों को विकसित करता है।
- यह राज्यों को सुधार के लिये क्षेत्रों की पहचान करने, सर्वोत्तम तौर-तरीकों से सीखने और ऊर्जा दक्षता कार्यान्वयन के लिये अर्थव्यवस्था अनुरूप दृष्टिकोण अपनाने में मदद करता है।
- ऊर्जा दक्षता को प्राथमिकता देकर, इसका उद्देश्य कार्बनीकरण में कमी लाने के प्रयासों का संचालन करना और अधिक स्थायी भविष्य हासिल करना है।
- सूचकांक को ऊर्जा बचत और उत्सर्जन में कमी लाने से जुड़े राज्य के लक्ष्यों की दिशा में प्रगति की निगरानी में मदद करने के लिये डिजाइन किया गया है।
- ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई):
- यह विद्युत मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना भारत सरकार ने ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के प्रावधानों के तहत 1 मार्च, 2002 को की थी।
- बीईई का मिशन ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के प्रावधानों के अंतर्गत स्व-नियमन और बाजार सिद्धांतों पर ज़ोर देने के साथ नीतियों और रणनीतियों को विकसित करने में सहायता करना है। इसका प्राथमिक उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था की ऊर्जा तीव्रता को कम करना है।
- ऊर्जा संरक्षण अधिनियम के तहत सौंपे गए कार्यों को पूरा करने के लिये, बीईई नामित उपभोक्ताओं, नामित एजेंसियों और अन्य संगठनों के साथ समन्वय करता है और मौजूद संसाधनों और अवसंरचनाओं की पहचान करता है, उन्हें मान्यता देता है और उनका उपयोग करता है।
- ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, विनियामक और प्रचार कार्यों के लिये कार्यादेश प्रदान करता है।
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