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अयोध्या राम मंदिर के लिये वार्षिक निःशुल्क ट्रेन योजना
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, छत्तीसगढ़ सरकार ने उत्तर प्रदेश के अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर के दर्शन करने के इच्छुक भक्तों के लिये एक वार्षिक मुफ्त ट्रेन यात्रा योजना को स्वीकृति दी।
- इसे छत्तीसगढ़ पर्यटन बोर्ड द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा और राज्य पर्यटन विभाग इसके लिये आवश्यक बजट आवंटित करेगा।
मुख्य बिंदु:
- अभी हर कोई इस योजना का लाभ नहीं उठा सकता क्योंकि तीर्थयात्रियों के चयन के लिये कलेक्टरों के अधीन एक समिति गठित की जाएगी।
- राज्य सरकार की एक विज्ञप्ति के अनुसार, इस योजना का लाभ उठाने के लिये पात्र व्यक्तियों की आयु 18 से 75 वर्ष के बीच होनी चाहिये और 55 वर्ष से अधिक आयु वालों को प्रारंभिक चरण में प्राथमिकता दी जाएगी।
- लगभग 20,000 लोगों को ट्रेन से वार्षिक तीर्थयात्रा पर अयोध्या ले जाया जाएगा।
- बोर्डिंग के लिये स्टेशन रायपुर, दुर्ग, रायगढ़ और अंबिकापुर हैं तथा 900 किलोमीटर की यात्रा का समापन अयोध्या में होगा।
- भक्तों के लिये काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन और गंगा आरती में शामिल होने के लिये वाराणसी में एक रुकने के लिये एक स्थान भी है।
- योजना को लागू करने के लिये भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (IRCTC) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर भी हस्ताक्षर किये जाएँगे।
- अयोध्या आने के इच्छुक तीर्थयात्रियों के लिये एक साप्ताहिक विशेष ट्रेन की भी व्यवस्था की जाएगी।
नोट:
- राज्य सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर की प्रतिष्ठा को देखते हुए 22 जनवरी को पूरे राज्य में शुष्क दिवस घोषित किया गया है ।
- छत्तीसगढ़ भगवान राम का ननिहाल है।
- छत्तीसगढ़की राजधानी रायपुर से 27 किमी दूर स्थित चंदखुरी गाँव को भगवान राम की माता कौशल्या का जन्मस्थान माना जाता है।
- गाँव में स्थित प्राचीन माता कौशल्या मंदिर को प्रदेश की पिछली सरकार द्वारा भव्य रूप दिया गया था।
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हिट-एंड-रन कानून पर चिंता
चर्चा में क्यों?
महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और पंजाब जैसे राज्यों में ट्रांसपोर्टरों और वाणिज्यिक ड्राइवरों के हालिया विरोध प्रदर्शन ने भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) की विवादास्पद धारा 106 (2) पर प्रकाश डाला है।
मुख्य बिंदु
- यह धारा, जो हिट-एंड-रन की घटनाओं के लिये गंभीर दंड का प्रावधान करती है, ड्राइविंग समुदाय के बीच असंतोष का केंद्र बिंदु बन गई है।
- सरकार द्वारा यह आश्वासन दिये जाने के बाद कि वह हिट-एंड-रन के खिलाफ विवादास्पद कानून लागू करने से पहले हितधारकों से परामर्श करेगी, देशव्यापी ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल रद्द कर दी गई है।
- ट्रांसपोर्टर और वाणिज्यिक चालक BNS, 2023 की धारा 106 (2) को वापस लेने या संशोधन की मांग कर रहे हैं।
- उनका तर्क है कि निर्धारित दंड, जिसमें 10 वर्ष की कैद और 7 लाख रु. का जुर्माना, अत्यधिक गंभीर हैं।
हिट-एंड-रन कानून के प्रावधान
- हिट-एंड-रन प्रावधान भारतीय न्याय संहिता (BNS) का हिस्सा है, जो औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता, 1860 को प्रतिस्थापित करने के लिये तैयार है।
- BNS, 2023 की धारा 106 (2) में दुर्घटना स्थल से भागने और किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को घटना की रिपोर्ट करने में विफल रहने पर 10 वर्ष तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है।
- हालाँकि, यदि ड्राइवर दुर्घटना के तुरंत बाद घटना की रिपोर्ट करता है, तो उन पर धारा 106(2) के बजाय धारा 106(1) के तहत आरोप लगाया जाएगा। धारा 106(1) में किसी जल्दबाज़ी या लापरवाही से हुई मौत के लिये पाँच वर्ष तक की सजा का प्रावधान है, जो गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में नहीं आती।
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प्रफुल्ल भारत: छत्तीसगढ़ के नये महाधिवक्ता
चर्चा में क्यों?
सूत्रों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रफुल्ल भारत को छत्तीसगढ़ का नया महाधिवक्ता (AG) नियुक्त किया है।
मुख्य बिंदु
- उन्होंने वर्ष 2014 से वर्ष 2018 तक छत्तीसगढ़ के अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में कार्य किया।
- एक व्यापक कानूनी करियर के साथ, भरत नवंबर 2000 से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में सिविल, संवैधानिक, मध्यस्थता और आपराधिक मामलों में विशेषज्ञता के साथ अभ्यास कर रहे हैं।
- उनकी कानूनी विशेषज्ञता वर्ष 1995 से वर्ष 2000 तक मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय और वर्ष 1992 से वर्ष 1995 तक जगदलपुर, बस्तर में ज़िला न्यायालय में उनके कार्यकाल तक फैली हुई है।
- भरत ने सतीश चंद्र वर्मा का स्थान लिया, जिन्होंने हाल के विधानसभा चुनावों के बाद नई सरकार के कार्यभार संभालने के बाद एजी का पद छोड़ दिया था।
राज्य के महाधिवक्ता
- राज्य के महाधिवक्ता राज्यपाल द्वारा उन्हें भेजे गए कानूनी मामलों पर राज्य सरकार को सलाह देने के लिये ज़िम्मेदार हैं।
- यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 165 के तहत विधिवत नियुक्त एक संवैधानिक पद और प्राधिकारी है। वह राज्य में सर्वोच्च कानून अधिकारी के रूप में कार्य करता है।
- भारत के संविधान के अनुच्छेद 165 के तहत प्रत्येक राज्य का राज्यपाल एक ऐसे व्यक्ति को राज्य का महाधिवक्ता नियुक्त करेगा जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के योग्य है।
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