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बिहार के 10 हज़ार गाँवों में लगेगा 300 फीट गहरा चापाकल
चर्चा में क्यों?
10 अक्टूबर, 2022 को बिहार के पीएचईडी (Public Health Engineering Department) विभाग ने बताया कि राज्य के ग्रामीण इलाकों में पानी उपलब्ध कराने के लिये 10 हज़ार गाँवों में एक-एक चापाकल लगाए जाने की तैयारी शुरू कर दी गई है।
प्रमुख बिंदु
- विभाग के अनुसार राज्य के ग्रामीण इलाकों में पानी की किल्लत दूर करने के लिये 10 हज़ार गाँवों में एक-एक चापाकल लगाया जाएगा, जिसकी गहराई 300 फीट होगी।
- पीएचईडी चापाकल लगाने के लिये 10 हज़ार ऐसे गाँवों का चयन करेगा, जहाँ पर लोगों को 12 महीना और 24 घंटे नियमित पानी मिलता रहे।
- विभाग के अधिकारियों ने बताया कि गाँवों में चापाकल लगाए जाने की योजना की स्वीकृति के लिये जल्द ही प्रस्ताव को कैबिनेट भेजा जाएगा। प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के बाद ऐसे गाँवों का चयन होगा, जहाँ चापाकल लगाए जाएँगे। इस योजना को पूरा करने के लिये लगभग छह माह का लक्ष्य रखा जाएगा।
- विभाग ने अगले 50 वर्ष को देखते हुए 300 फीट गहरा चापाकल लगाने का यह निर्णय लिया है, ताकि लोगों को हर मौसम में ज़रूरत का पानी मिलता रहे।
- अधिकारियों के मुताबिक बिहार में लोगों तक हर घर नल का जल पहुँचाया जा रहा है। इसके बावजूद ऐसे टोले और गाँव को चिह्नित कर वहाँ के भूजल के स्तर को देखते हुए चापाकल लगाया जाएगा।
- उल्लेखनीय है कि राज्य में अभी साढ़े आठ लाख चापाकल कार्यरत् हैं, जिनसे लोगों को पानी मिल रहा है। इन सभी चापाकलों का जिओ टैगिंग किया गया है, ताकि चापाकल के नियमित संचालन की नियमित रूप से पूरी निगरानी हो सके। वहीं, चापाकल नियमित काम कर रहा है या नहीं, इसको लेकर टोले के वैसे तीन लोगों से हस्ताक्षर लिया जाता है, जिनके घर के आसपास चापाकल लगाया गया है।
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